diff --git "a/data/hi/llm/hi_docs.json" "b/data/hi/llm/hi_docs.json" new file mode 100644--- /dev/null +++ "b/data/hi/llm/hi_docs.json" @@ -0,0 +1,344 @@ +{ + "59_p0": "भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, ) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। भारत भौगोलिक दृष्टि से विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा देश है, जबकि जनसंख्या के दृष्टिकोण से चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन (तिब्बत), नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। भारतीय महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर में हिमालय पर्वत तथा दक्षिण में भारतीय महासागर स्थित है। दक्षिण-पूर्व में बंगाल की खाड़ी तथा पश्चिम में अरब सागर है।", + "59_p3": "प्रारंभिक मध्ययुगीन काल में, ईसाई धर्म, इस्लाम, यहूदी धर्म और पारसी धर्म ने भारत के दक्षिणी और पश्चिमी तटों पर जड़ें जमा लीं। मध्य एशिया से मुस्लिम सेनाओं ने भारत के उत्तरी मैदानों पर लगातार अत्याचार किया, अंततः दिल्ली सल्तनत की स्थापना हुई और उत्तर भारत को मध्यकालीन इस्लाम साम्राज्य में मिला लिया गया।\n 15 वीं शताब्दी में, विजयनगर साम्राज्य ने दक्षिण भारत में एक लंबे समय तक चलने वाली समग्र हिंदू संस्कृति बनाई। पंजाब में सिख धर्म की स्थापना हुई। धीरे-धीरे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन का विस्तार हुआ, जिसने भारत को औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था में बदल दिया तथा अपनी संप्रभुता को भी मजबूत किया। ब्रिटिश राज शासन 1858 में शुरू हुआ। धीरे धीरे एक प्रभावशाली राष्ट्रवादी आंदोलन शुरू हुआ जिसे अहिंसक विरोध के लिए जाना गया और ब्रिटिश शासन को समाप्त करने का प्रमुख कारक बन गया। 1947 में ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य को दो स्वतंत्र प्रभुत्वों में विभाजित किया गया, भारतीय अधिराज्य तथा पाकिस्तान अधिराज्य, जिन्हे धर्म के आधार पर विभाजित किया गया। ", + "59_p4": "1950 से भारत एक संघीय गणराज्य है। भारत की जनसंख्या 1951 में 36.1 करोड़ से बढ़कर 2011 में 121.1 करोड़ हो गई। प्रति व्यक्ति आय $64 से बढ़कर $1,498 हो गई और इसकी साक्षरता दर 16.6% से 74% हो गई। भारत एक तेजी से बढ़ती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्था और सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं का केंद्र बन गया है। अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत ने उल्लेखनीय तथा अद्वितीय प्रगति की। भारतीय फिल्में, संगीत और आध्यात्मिक शिक्षाएँ वैश्विक संस्कृति में विशेष भ��मिका निभाती हैं। भारत ने गरीबी दर को काफी हद तक कम कर दिया है। भारत देश परमाणु बम रखने वाला देश है। कश्मीर तथा भारत-पाकिस्तान और भारत-चीन सीमा पर भारत का पाकिस्तान तथा चीन से विवाद चल रहा है। लैंगिक असमानता, बाल शोषण, बाल कुपोषण, गरीबी, भ्रष्टाचार, प्रदूषण इत्यादि भारत के सामने प्रमुख चुनौतियाँ है। 21.4% क्षेत्र पर वन है। भारत के वन्यजीव, जिन्हें परंपरागत रूप से भारत की संस्कृति में सहिष्णुता के साथ देखा गया है, इन जंगलों और अन्य जगहों पर संरक्षित आवासों में निवास करते हैं।\n12 फरवरी वर्ष 1948 में महात्मा गाँधी के अस्थि कलश जिन 12 तटों पर विसर्जित किए गए थे, त्रिमोहिनी संगम भी उनमें से एक है |", + "59_p5": "भारत के दो आधिकारिक नाम हैं- हिंदी में भारत और अंग्रेजी में इंडिया (India)। इंडिया नाम की उत्पत्ति सिंधु नदी के अंग्रेजी नाम \"इंडस\" से हुई है। श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार भारत नाम मनु के वंशज तथा ऋषभदेव के सबसे बड़े बेटे एक प्राचीन सम्राट भरत के नाम से लिया गया है। एक व्युत्पत्ति के अनुसार भारत (भा + रत) शब्द का मतलब है आंतरिक प्रकाश या विदेक-रूपी प्रकाश में लीन। एक तीसरा नाम हिंदुस्तान भी है जिसका अर्थ हिंद की भूमि, यह नाम विशेषकर अरब तथा ईरान में प्रचलित हुआ। बहुत पहले भारत का एक मुँहबोला नाम सोने की चिड़िया भी प्रचलित था। संस्कृत महाकाव्य महाभारत में वर्णित है की वर्तमान उत्तर भारत का क्षेत्र भारत के अंतर्गत आता था। भारत को कई अन्य नामों इंडिया, भारतवर्ष, आर्यावर्त, हिंद, हिंदुस्तान, जंबूद्वीप आदि से भी जाना जाता है।", + "59_p6": "लगभग 55,000 वर्ष पहले (प्राचीन भारत) आधुनिक मानव या होमो सेपियंस अफ्रीका से भारतीय उपमहाद्वीप में पहुँचे थे। दक्षिण एशिया में ज्ञात मानव का प्राचीनतम अवशेष 30,000 वर्ष पुराना है। भीमबेटका, मध्य प्रदेश की गुफाएँ भारत में मानव जीवन का प्राचीनतम प्रमाण हैं जो आज भी देखने को मिलता है। प्रथम स्थाई बस्तियों ने 9000 वर्ष पूर्व स्वरुप लिया था। 6,500 ईसा पूर्व तक आते आते मनुष्य ने खेती करना, जानवरों को पालना तथा घरों का निर्माण करना शुरू कर दिया था, जिसका अवशेष मेहरगढ़ में मिला था जो कि अभी पाकिस्तान में है। यह धीरे-धीरे सिंधु घाटी सभ्यता के रूप में विकसित हुए, जो की दक्षिण एशिया की सबसे प्राचीन शहरी सभ्यता है। यह 2600 ईसा पूर्व और 1900 ईसा पूर्व के मध्य अपने चरम पर थी। यह वर्तमान पश्चिम भारत तथा पाकिस्तान में स्थित है। यह मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, धोलावीरा, और कालीबंगा जैसे शहरों के आसपास केंद्रित थी और विभिन्न प्रकार के निर्वाह पर निर्भर थी, यहाँ व्यापक बाजार था तथा शिल्प उत्पादन होता था।", + "59_p8": "वैदिक सभ्यता में ईसा पूर्व 6 वीं शताब्दी में गंगा के मैदानी क्षेत्र तथा उत्तर-पश्चिम भारत में छोटे-छोटे राज्य तथा उनके प्रमुख मिल कर 16 कुलीन और राजशाही में सम्मिलित हुए जिन्हे महाजनपद के नाम से जाना जाता है। बढ़ते शहरीकरण के बीच दो अन्य स्वतंत्र अ-वैदिक धर्मों का उदय हुआ। महावीर के जीवन काल में जैन धर्म अस्तित्व में आया। गौतम बुद्ध की शिक्षाओं पर आधारित बौद्ध धर्म ने मध्यम वर्ग के अनुयायिओं को छोड़कर अन्य सभी वर्ग के लोगों को आकर्षित किया; इसी काल में भारत का इतिहास लेखन प्रारंभ हुआ। बढ़ती शहरी संपदा के युग में, दोनों धर्मों ने त्याग को एक आदर्श माना, और दोनों ने लंबे समय तक चलने वाली मठ परंपराओं की स्थापना की। राजनीतिक रूप से तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व तक मगध साम्राज्य ने अन्य राज्यों को अपने अंदर मिला कर मौर्य साम्राज्य के रूप में उभरा। मगध ने दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर पूरे भारत पर अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया लेकिन कुछ अन्य प्रमुख बड़े राज्यों ने इसके प्रमुख क्षेत्रों को अलग कर लिया। मौर्य राजाओं को उनके साम्राज्य की उन्नति के लिए तथा उच्च जीवन सतर के लिए जाना जाता है क्योंकि सम्राट अशोक ने बौद्ध धम्म की स्थापना की तथा शस्त्र मुक्त सेना का निर्माण किया।180 ईसवी के आरंभ से मध्य एशिया से कई आक्रमण हुए, जिनके परिणामस्वरूप उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में यूनानी, शक, पार्थी और अंततः कुषाण राजवंश स्थापित हुए। तीसरी शताब्दी के आगे का समय जब भारत पर गुप्त वंश का शासन था, भारत का स्वर्णिम काल कहलाया।", + "59_p10": "मध्यकालीन भारत\n६०० से १२०० के बीच का समय क्षेत्रीय राज्यों में सांस्कृतिक उत्थान के युग के रूप में जाना जाता है। कन्नौज के राजा हर्ष ने ६०६ से ६४७ तक गंगा के मैदानी क्षेत्र में शासन किया तथा उसने दक्षिण में अपने राज्य का विस्तार करने का प्रयास किया किन्तु दक्क्न के चालुक्यों ने उसे हरा दिया। उसके उत्तराधिकारी ने पूर्व की और राज्य का विस्तार करना चाहा लेकिन बंगाल के पाल शासकों से उसे हारना पड़ा। जब चालुक्यों ने दक्षिण की और विस्तार करने का प्रयास किया तो पल्ल्वों ने उन्हें पराजित कर दिया, जिनका सुदूर दक्षिण में पांड्यों तथा चोलों द्वारा उनका विरोध किया जा रहा था। इस काल में कोई भी शासक एक साम्राज्य बनाने में सक्षम नहीं था और लगातार मूल भूमि की तुलना में दुसरे क्षेत्र की ओर आगे बढ़ने का क्रम जारी था। इस अवधि में नये शासन के कारण जाति में बांटे गए सामान्य कृषकों के लिए कृषि करना और सहज हो गया। जाति व्यवस्था के परिणामस्वरूप स्थानीय मतभेद होने लगे।", + "59_p12": "१० वीं शताब्दी के बाद घुमन्तु मुस्लिम वंशों ने जातियता तथा धर्म द्वारा संघठित तेज घोड़ों से युक्त बड़ी सेना के द्वारा उत्तर-पश्चिमी मैदानों पर बार बार आकर्मण किया, अंततः १२०६ इस्लामीक दिल्ली सल्तनत की स्थापना हुई। उन्हें उतर भारत को अधिक नियंत्रित करना था तथा दक्षिण भारत पर आकर्मण करना था। भारतीय कुलीन वर्ग के विघटनकारी सल्तनत ने बड़े पैमाने पर गैर-मुस्लिमों को स्वयं के रीतिरिवाजों पर छोड़ दिया। १३ वीं शताब्दी में मंगोलों द्वारा किये के विनाशकारी आकर्मण से भारत की रक्षा की। सल्तनत के पतन के कारण स्वशासित विजयनगर साम्राज्य का मार्ग प्रशस्त हुआ। एक मजबूत शैव परंपरा और सल्तनत की सैन्य तकनीक पर निर्माण करते हुए साम्राज्य ने भारत के विशाल भाग पर शासन किया और इसके बाद लंबे समय तक दक्षिण भारतीय समाज को प्रभावित किया।", + "59_p16": "एक बहुजातीय तथा बहुधार्मिक राष्ट्र होने के कारण भारत को समय-समय पर साम्प्रदायिक तथा जातीय विद्वेष का शिकार होना पड़ा है। क्षेत्रीय असंतोष तथा विद्रोह भी हालाँकि देश के अलग-अलग हिस्सों में होते रहे हैं, पर इसकी धर्मनिरपेक्षता तथा जनतांत्रिकता, केवल १९७५-७७ को छोड़, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा कर दी थी, अक्षुण्ण रही है।", + "59_p17": "भारत के पड़ोसी राष्ट्रों के साथ अनसुलझे सीमा विवाद हैं। इसके कारण इसे छोटे पैमानों पर युद्ध का भी सामना करना पड़ा है। १९६२ में चीन के साथ, तथा १९४७, १९६५, १९७१ एवं १९९९ में पाकिस्तान के साथ लड़ाइयाँ हो चुकी हैं।", + "59_p18": "भारत गुटनिरपेक्ष आन्दोलन तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के संस्थापक सदस्य देशों में से एक है।", + "59_p19": "१९७४ में भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था जिसके बाद १९९८ में ५ और परीक्षण किये गये। १९��० के दशक में किये गये आर्थिक सुधारीकरण की बदौलत आज देश सबसे तेज़ी से विकासशील राष्ट्रों की सूची में आ गया है।", + "59_p20": "भारत का संविधान भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक गणराज्य घोषित करता है। भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, जिसकी द्विसदनात्मक संसद वेस्टमिन्स्टर शैली की संसदीय प्रणाली द्वारा संचालित है। भारत का प्रशासन संघीय ढांचे के अन्तर्गत चलाया जाता है, जिसके अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर केंद्र सरकार और राज्य स्तर पर राज्य सरकारें हैं। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का बंटवारा संविधान में दी गई रूपरेखा के आधार पर होता है। वर्तमान में भारत में २८ राज्य और ८ केंद्र-शासित प्रदेश हैं। केंद्र शासित प्रदेशों में, स्थानीय प्रशासन को राज्यों की तुलना में कम शक्तियां प्राप्त होती हैं। भारत का सरकारी ढाँचा, जिसमें केंद्र राज्यों की तुलना में ज़्यादा सशक्त है, उसे आमतौर पर अर्ध-संघीय (सेमि-फ़ेडेरल) कहा जाता रहा है, पर १९९० के दशक के राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक बदलावों के कारण इसकी रूपरेखा धीरे-धीरे और अधिक संघीय (फ़ेडेरल) होती जा रही है।", + "59_p25": "भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। बहुदलीय प्रणाली वाले इस संसदीय गणराज्य में छ: मान्यता-प्राप्त राष्ट्रीय पार्टियां, और ४० से भी ज़्यादा क्षेत्रीय पार्टियां हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जिसकी नीतियों को केंद्रीय-दक्षिणपंथी या रूढिवादी माना जाता है, के नेतृत्व में केंद्र में सरकार है जिसके प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी हैं। अन्य पार्टियों में सबसे बडी भारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस (कॉंग्रेस) है, जिसे भारतीय राजनीति में केंद्र-वामपंथी और उदार माना जाता है। २००४ से २०१४ तक केंद्र में मनमोहन सिंह की गठबन्धन सरकार का सबसे बड़ा हिस्सा कॉंग्रेस पार्टी का था। १९५० में गणराज्य के घोषित होने से १९८० के दशक के अन्त तक कॉंग्रेस का संसद में निरंतर बहुमत रहा। पर तब से राजनैतिक पटल पर भाजपा और कॉंग्रेस को अन्य पार्टियों के साथ सत्ता बांटनी पडी है। १९८९ के बाद से क्षेत्रीय पार्टियों के उदय ने केंद्र में गठबंधन सरकारों के नये दौर की शुरुआत की है।", + "59_p28": "लगभग 13 लाख सक्रिय सैनिकों के साथ, भारतीय सेना दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी है। भारत की सशस्त्र सेना में एक थलसेना, नौसेना, वायु सेना ��र अर्द्धसैनिक बल, तटरक्षक, जैसे सामरिक और सहायक बल विद्यमान हैं। भारत के राष्ट्रपति भारतीय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर है।", + "59_p29": "1947 में अपनी स्वतंत्रता के बाद से, भारत ने ज्यादातर देशों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखा है। 1950 के दशक में, भारत ने दृढ़ता से अफ्रीका और एशिया में यूरोपीय कालोनियों की स्वतंत्रता का समर्थन किया और गुट निरपेक्ष आंदोलन में एक अग्रणी भूमिका निभाई। 1980 के दशक में भारत ने आमंत्रण पर दो पड़ोसी देशों में संक्षिप्त सैन्य हस्तक्षेप किया। मालदीव, श्रीलंका और अन्य देशों में ऑपरेशन कैक्टस में भारतीय शांति सेना को भेजा गया। हालाँकि, भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ एक तनावपूर्ण संबंध बने रहे और दोनों देशों में चार बार युध्द (1947, 1965, 1971 और 1999 में) हुए हैं। कश्मीर विवाद इन युद्धों के प्रमुख कारण था, सिवाय 1971 के, जो कि तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में नागरिक अशांति के लिए किया गया था। 1962 के भारत-चीन युद्ध और पाकिस्तान के साथ 1965 के युद्ध के बाद भारत ने अपनी सैन्य और आर्थिक स्थिति का विकास करने का प्रयास किया। सोवियत संघ के साथ अच्छे संबंधों के कारण सन् 1960 के दशक से, सोवियत संघ भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरा।", + "59_p30": "आज रूस के साथ सामरिक संबंधों को जारी रखने के अलावा, भारत विस्तृत इजरायल और फ्रांस के साथ रक्षा संबंध रखा है। हाल के वर्षों में, भारत में क्षेत्रीय सहयोग और विश्व व्यापार संगठन के लिए एक दक्षिण एशियाई एसोसिएशन में प्रभावशाली भूमिका निभाई है। १०,००० राष्ट्र सैन्य और पुलिस कर्मियों को चार महाद्वीपों भर में पैंतीस संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सेवा प्रदान की है। भारत भी विभिन्न बहुपक्षीय मंचों, खासकर पूर्वी एशिया शिखर बैठक और जी-८५ बैठक में एक सक्रिय भागीदार रहा है। आर्थिक क्षेत्र में भारत दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और एशिया के विकासशील देशों के साथ घनिष्ठ संबंध रखते है। अब भारत एक \"पूर्व की ओर देखो नीति\" में भी संयोग किया है। यह \"आसियान\" देशों के साथ अपनी भागीदारी को मजबूत बनाने के मुद्दों की एक विस्तृत शृंखला है जिसमे जापान और दक्षिण कोरिया ने भी मदद किया है। यह विशेष रूप से आर्थिक निवेश और क्षेत्रीय सुरक्षा का प्रयास है।", + "59_p31": "1974 में भारत अपनी पहले परमाणु हथियारों का परीक्षण किया और आगे 1998 में भ���मिगत परीक्षण किया। जिसके कारण भारत पर कई तरह के प्रतिबन्ध भी लगाये गए। भारत के पास अब तरह-तरह के परमाणु हथियारें है। भारत अभी रूस के साथ मिलकर पाँचवीं पीढ़ के विमान बना रहे है।", + "59_p32": "हाल ही में, भारत का संयुक्त राष्ट्रे अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ आर्थिक, सामरिक और सैन्य सहयोग बढ़ गया है। 2008 में, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच असैनिक परमाणु समझौते हस्ताक्षर किए गए थे। हालाँकि उस समय भारत के पास परमाणु हथियार था और परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के पक्ष में नहीं था यह अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी और न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) से छूट प्राप्त है, भारत की परमाणु प्रौद्योगिकी और वाणिज्य पर पहले प्रतिबंध समाप्त. भारत विश्व का छठा वास्तविक परमाणु हथियार राष्ट्रत बन गया है। एनएसजी छूट के बाद भारत भी रूस, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और कनाडा सहित देशों के साथ असैनिक परमाणु ऊर्जा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर करने में सक्षम है।", + "59_p35": "राज्य और केन्द्रशासित प्रदेश ", + "59_p36": "वर्तमान में भारत 28 राज्यों तथा \n8 केन्द्रशासित प्रदेशों में बँटा हुआ है। राज्यों की चुनी हुई स्वतंत्र सरकारें हैं, जबकि केन्द्रशासित प्रदेशों पर केन्द्र द्वारा नियुक्त प्रबंधन शासन करता है, हालाँकि पॉण्डिचेरी और दिल्ली की लोकतांत्रिक सरकार भी हैं।", + "59_p37": "अन्टार्कटिका और दक्षिण गंगोत्री और मैत्री पर भी भारत के वैज्ञानिक-स्थल हैं, यद्यपि अभी तक कोई वास्तविक आधिपत्य स्थापित नहीं किया गया है।", + "59_p39": "† चंडीगढ़ एक केंद्रशासित प्रदेश है तथा यह पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों की राजधानी है।\n26 जनवरी 2020 को दादरा एव नगर हवेली तथा दमन द्वीप का विलय करके एक केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया है। अब इसका पूरा नाम दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन द्वीप है।", + "59_p44": "भारत पूरी तौर पर भारतीय प्लेट के ऊपर स्थित है जो भारतीय आस्ट्रेलियाई प्लेट (Indo-Australian Plate) का उपखण्ड है। प्राचीन काल में यह प्लेट गोंडवानालैण्ड का हिस्सा थी और अफ्रीका और अंटार्कटिका के साथ जुड़ी हुई थी। तकरीबन ९ करोड़ वर्ष पहले क्रीटेशियस काल में भारतीय प्लेट १५ सेमी. वर्ष की गति से उत्तर की ओर बढ़ने लगी और इओसीन पीरियड में यूरेशियन प्लेट से टकराई। भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के मध्य स्थित टेथीस भूसन्नति के अवसादों के वालन द्वा���ा ऊपर उठने से तिब्बत पठार और हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ। सामने की द्रोणी में बाद में अवसाद जमा हो जाने से सिन्धु-गंगा मैदान बना। भारतीय प्लेट अभी भी लगभग ५ सेमी./वर्ष की गति से उत्तर की ओर गतिशील है और हिमालय की ऊँचाई में अभी भी २ मिमी./वर्ष कि गति से उत्थान हो रहा है।", + "59_p45": "भारत के उत्तर में हिमालय की पर्वतमाला नए और मोड़दार पहाड़ों से बनी है। यह पर्वतश्रेणी कश्मीर से अरुणाचल तक लगभग १,५०० मील तक फैली हुई है। इसकी चौड़ाई १५० से २०० मील तक है। यह संसार की सबसे ऊँची पर्वतमाला है और इसमें अनेक चोटियाँ २४,००० फुट से अधिक ऊँची हैं। हिमालय की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट है जिसकी ऊँचाई २९,०२८ फुट है जो नेपाल में स्थित है।", + "59_p46": "हिमालय के दक्षिण सिन्धु-गंगा मैदान है जो सिंधु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र और उनकी सहायक नदियों द्वारा बना है। हिमालय (शिवालिक) की तलहटी में जहाँ नदियाँ पर्वतीय क्षेत्र को छोड़कर मैदान में प्रवेश करती हैं, एक संकीर्ण पेटी में कंकड पत्थर मिश्रित निक्षेप पाया जाता है जिसमें नदियाँ अंतर्धान हो जाती हैं। इस ढलुवाँ क्षेत्र को भाबर कहते हैं। भाबर के दक्षिण में तराई प्रदेश है, जहाँ विलुप्त नदियाँ पुन: प्रकट हो जाती हैं। यह क्षेत्र दलदलों और जंगलों से भरा है। तराई के दक्षिण में जलोढ़ मैदान पाया जाता है। मैदान में जलोढ़ दो किस्म के हैं, पुराना जलोढ़ और नवीन जलोढ़। पुराने जलोढ़ को बाँगर कहते हैं। यह अपेक्षाकृत ऊँची भूमि में पाया जाता है, जहाँ नदियों की बाढ़ का जल नहीं पहुँच पाता। इसमें कहीं कहीं चूने के कंकड मिलते हैं। नवीन जलोढ़ को खादर कहते हैं। यह नदियों की बाढ़ के मैदान तथा डेल्टा प्रदेश में पाया जाता है जहाँ नदियाँ प्रति वर्ष नई तलछट जमा करती हैं।", + "59_p47": "उत्तरी भारत के मैदान के दक्षिण का पूरा भाग एक विस्तृत पठार है जो दुनिया के सबसे पुराने स्थल खंड का अवशेष है और मुख्यत: कड़ी तथा दानेदार कायांतरित चट्टानों से बना है। पठार तीन ओर पहाड़ी श्रेणियों से घिरा है। उत्तर में विंध्याचल तथा सतपुड़ा की पहाड़ियाँ हैं, जिनके बीच नर्मदा नदी पश्चिम की ओर बहती है। नर्मदा घाटी के उत्तर विंध्याचल प्रपाती ढाल बनाता है। सतपुड़ा की पर्वतश्रेणी उत्तर भारत को दक्षिण भारत से अलग करती है और पूर्व की ओर महादेव पहाड़ी तथा मैकाल पहाड़ी के नाम से जानी जाती है। स���पुड़ा के दक्षिण अजंता की पहाड़ियाँ हैं। प्रायद्वीप के पश्चिमी किनारे पर पश्चिमी घाट और पूर्वी किनारे पर पूर्वी घाट नामक पहाडियाँ हैं।", + "59_p48": "कई महत्वपूर्ण और बड़ी नदियाँ जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र, यमुना, गोदावरी और कृष्णा भारत से होकर बहती हैं।", + "59_p49": "जलवायु \nकोपेन के वर्गीकरण में भारत में छह प्रकार की जलवायु का निरूपण है किन्तु यहाँ यह भी ध्यातव्य है कि भू-आकृति के प्रभाव में छोटे और स्थानीय स्तर पर भी जलवायु में बहुत विविधता और विशिष्टता मिलती है। भारत की जलवायु दक्षिण में उष्णकटिबंधीय है और हिमालयी क्षेत्रों में अधिक ऊँचाई के कारण अल्पाइन (ध्रुवीय जैसी), एक ओर यह पुर्वोत्तर भारत में उष्ण कटिबंधीय नम प्रकार की है तो पश्चिमी भागों में शुष्क प्रकार की।\n \nकोपेन के वर्गीकरण के अनुसार भारत में निम्नलिखित छह प्रकार के जलवायु प्रदेश पाए जाते हैं:\n अल्पाइन – (ETh);\n आर्द्र उपोष्ण – (Cwa);\n उष्ण कटिबंधीय नम और शुष्क – (Aw);\n उष्ण कटिबंधीय नम – (Am);\n अर्धशुष्क – (BSh);\n शुष्क मरुस्थलीय – (BWh).", + "59_p53": "वर्षा ऋतु (Monsoon or Rainy) – जून से सितम्बर तक, जिसमें सार्वाधिक वर्षा अगस्त महीने में होती है, वस्तुतः मानसून का आगमन और प्रत्यावर्तन (लौटना) दोनों क्रमिक रूप से होते हैं और अलग अलग स्थानों पर इनका समय अलग अलग होता है। सामान्यतः १ जून को केरल तट पर मानसून के आगमन तारीख होती है इसके ठीक बाद यह पूर्वोत्तर भारत में पहुँचता है और क्रमशः पूर्व से पश्चिम तथा उत्तर से दक्षिण की ओर गतिशील होता है इलाहाबाद में मानसून के पहुँचने की तिथि १८ जून मानी जाती है और दिल्ली में २९ जून।", + "59_p55": "भारत के मुख्य शहर हैं – दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, बंगलोर (बेंगलुरु)|", + "59_p56": "यह भी देंखे – भारत के शहर", + "59_p62": " भारत चीन के बाद विश्व का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। भारत की विभिन्नताओं से भरी जनता में भाषा, जाति और धर्म, सामाजिक और राजनीतिक सौहार्द और समरसता के मुख्य शत्रु हैं। \nभारत में २०११ की जनगणना के अनुसार ७४.०४ प्रतिशत साक्षरता है, जिस में से ८२.१४% पुरुष और स्त्रियो की साक्षरता ६५.४६ हैं। लिंग अनुपात की दृष्टि से भारत में प्रत्येक १००० पुरुषों के पीछे मात्र ९४० महिलायें हैं। कार्य भागीदारी दर (कुल जनसंख्या में कार्य करने वालों का भाग) ३९.१% है। पुरुषों के लिए यह दर ५१,७% और स्त्रियों के लिये २५,६% है। भ��रत की १००० जनसंख्या में २२.३२ जन्मों के साथ बढ़ती जनसंख्या के आधे लोग २२.६६ वर्ष से कम आयु के हैं।", + "59_p63": "यद्यपि भारत की ७९.८० प्रतिशत या ९६.६२ करोड़ जनसंख्या हिन्दू है, १४.२३ प्रतिशत या १७.२२ करोड़ जनसंख्या के साथ भारत विश्व में मुसलमानों की संख्या में भी इंडोनेशिया और पाकिस्तान के बाद तीसरे स्थान पर है। अन्य धर्मावलम्बियों में ईसाई (२.३० % या २.७८ करोड़), सिख (१,७२ % या २.०८ करोड़), बौद्ध (०,७० % या ८४.४३ लाख), जैन (०,३७ % या ४४.५२ लाख), अन्य धर्म (०,६६ % या ७९.३८ लाख) इनमें यहूदी, पारसी, अहमदी और बहाई आदि धर्मीय हैं। नास्तिकता ०,२४% या ३८.३७ लाख है।", + "59_p68": "हालाँकि हॉकी देश का राष्ट्रीय खेल है, क्रिकेट सबसे अधिक लोकप्रिय है। वर्तमान में फुटबॉल, हॉकी तथा टेनिस में भी बहुत भारतीयों की अभिरुचि है। देश की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम 1983 और 2011 में दो बार विश्व कप और 2007 का 20–20 विश्व-कप जीत चुकी है। इसके अतिरिक्त वर्ष 2003 में वह विश्व कप के फाइनल तक पहुँची थी। 1930 तथा 40 के दशक में हॉकी भारत में अपने चरम पर थी। मेजर ध्यानचंद ने हॉकी में भारत को बहुत प्रसिद्धि दिलाई और एक समय भारत ने अमरीका को 24–0 से हराया था जो अब तक विश्व कीर्तिमान है। शतरंज के जनक देश भारत के खिलाड़ी विश्वनाथ आनंद ने अच्छा प्रदर्शन किया है।", + "59_p74": "1947 में अपनी स्वतंत्रता के बाद, भारत के अधिकांश देशों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखा है। 1950 के दशक में, भारत ने पुरजोर रूप से अफ्रीका और एशिया में यूरोपीय उपनिवेशों की स्वतंत्रता का समर्थन किया और गुट निरपेक्ष आंदोलन में एक अग्रणी की भूमिका निभाई। 1980 के दशक में भारत दो पड़ोसी देशों के निमंत्रण पर, सेना के द्वारा संक्षिप्त सैन्य हस्तक्षेप किया, एक श्रीलंका में और दुसरा मालदीव में। भारत के पड़ोसी पाकिस्तान के साथ एक तनाव भरा संबंध है और दोनों देशों के बीच चार बार युद्ध हुआ था, 1947, 1965, 1971 और 1999 में। कश्मीर विवाद इन युद्धों का प्रमुख कारण था। 1962 के भारत - चीन युद्ध और पाकिस्तान के साथ 1965 के युद्ध के बाद भारत और सोवियत संघ के साथ सैन्य संबंधों में बहुत बढ़ोतरी हुई। 1960 के दशक के अन्त में सोवियत संघ भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरी थी।", + "59_p75": "रूस के साथ सामरिक संबंधों के अलावा, भारत का इजरायल और फ्रांस के साथ विस्तृत रक्षा संबंध हैं। हाल के वर्षों में, भारत ने क्षेत्रीय सहयोग ��र विश्व व्यापार संगठन के लिए एक दक्षिण एशियाई एसोसिएशन में प्रभावशाली भूमिका निभाई है। भारत ने 100,000 सैन्य और पुलिस कर्मियों को चार महाद्वीपों भर में संयुक्त राष्ट्र के पैंतीस शांति अभियानों में सेवा प्रदान की है। भारत ने विभिन्न बहुपक्षीय मंचों, सबसे खासकर पूर्वी एशिया के शिखर बैठक और जी-8 5 में एक सक्रिय भागीदारी निभाई है। आर्थिक क्षेत्र में भारत का दक्षिण अमेरिका, एशिया, और अफ्रीका के विकासशील देशों के साथ घनिष्ठ संबंध है।", + "59_p77": " भारत की जनजातियां \n गोंड - गोंड भारत की जनजाति है , मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में इनका शासन था ।", + "59_p78": " भील - भील देश की सबसे विस्तृत क्षेत्र में फैली हुई जनजाति है , यह जनजाति मुख्यरूप से राजस्थान , मध्यप्रदेश , गुजरात और महाराष्ट्र में निवास करती है , इस जनजाति का इतिहास बेहद ही गौरवशाली रहा है , यह जनजाति प्राचीन समय में एक कबीले में ना रह कर , देश के कई क्षेत्रों पर शासन किया । भील जनजाति देश में भील रेजिमेंट और भील प्रदेश चाहती है।", + "59_p80": " नागा - नागा जनजाति मुख्यरूप से नागालैंड में पाई जाती है , देश में नागा रेजिमेंट है। ", + "59_p81": " भूमिज - भारत की सबसे प्राचीन जनजाति; पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, उड़ीसा और असम में पाई जाती है।", + "59_p82": " इन्हें भी देखें \n भारत सारावली\n सिंधु घाटी सभ्यता\n आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा\n हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार\n भारतीय अर्थव्यवस्था\n भारतीय प्लेट\n सकल घरेलू उत्पाद के अनुसार देशों की सूची (नाममात्र)\n भारत में सबसे बड़े साम्राज्यों की सूची\n भारत के प्रथम", + "59_p83": " \n भारत का राष्ट्रीय पोर्टल (हिन्दी में)\n भारत २०११ (प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित भारत के बारे में सम्पूर्ण जानकारी)\n India at UCB Libraries GovPubs''\n बीबीसी हिन्दी पर भारत\nindia gk question answer in hindi pdf ", + "59_p84": "एशिया के देश\n१९४७ में स्थापित देश या क्षेत्र\nभारत\nजम्बूद्वीप\nदक्षिण एशिया के देश\nअंग्रेज़ी-भाषी देश व क्षेत्र\nहिन्दुस्तानी-भाषी देश व क्षेत्र\nसंघीय गणराज्य", + "877_p0": "इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान () या पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र या सिर्फ पाकिस्तान भारत के पश्चिम में स्थित एक इस्लामी गणराज्य है। 21 करोड़ की आबादी के साथ ये दुनिया का पाँचवी बड़ी आबादी वाला देश है। पाकिस्तान में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी है। यह 8,81,913 वर्ग किलोमीटर (3,40,509 वर्ग मील) क्षेत्र में फैला 33 वाँ सबसे बड़ा देश है। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो हिंदी हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और अन्य महत्वपूर्ण नगर कराची व लाहौर रावलपिंडी हैं। पाकिस्तान के चार सूबे हैं: पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा। कबाइली इलाके और इस्लामाबाद भी पाकिस्तान में शामिल हैं। इन के अलावा आजाद कश्मीर और गिलगित-बल्तिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित हैं।", + "877_p1": "पाकिस्तान का जन्म सन् 1947 में भारत के विभाजन के फलस्वरूप हुआ था। सर्वप्रथम सन् 1930 में कवि (शायर) मुहम्मद इकबाल ने द्विराष्ट्र सिद्धांत का जिक्र किया था। उन्होंने भारत के उत्तर-पश्चिम में सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफगान (सूबा-ए-सरहद) को मिलाकर एक नया राष्ट्र बनाने की बात की थी। सन् 1933 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने पंजाब, सिंध, कश्मीर तथा बलोचिस्तान के लोगों के लिए पाक्स्तान (जो बाद में पाकिस्तान बना) शब्द का सृजन किया। सन् 1947 से 1970 तक पाकिस्तान दो भागों में बँटा रहा - पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। दिसंबर, सन् 1971 में भारत के साथ हुई लड़ाई के फलस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना और पश्चिमी पाकिस्तान पाकिस्तान रह गया।", + "877_p2": "नाम का उदभव \nपाकिस्तान शब्द का जन्म सन् 1933 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली के द्वारा हुआ पाक्स्तान के रूप में हुआ था।", + "877_p3": "आज के पाकिस्तानी भूभाग का मानवीय इतिहास कम से कम 5000 वर्ष पुराना है, यद्यपि इतिहास पाकिस्तान शब्द का जन्म सन् 1933 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली के द्वारा हुआ। आज का पाकिस्तानी भूभाग कई संस्कृतियों का गवाह रहा है।", + "877_p5": "ऐसा माना जाता है कि 1500 ईसापूर्व के आसपास आर्यों का आगमन पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्रों के मार्फत भारत में हुआ। आर्यों का निवास स्थान कैस्पियन सागर के पूर्वी तथा उत्तरी हिस्सों में माना जाता है जहाँ से वे इसी समय के करीब ईरान, यूरोप और भारत की ओर चले गए थे। सन् 543 ईसापूर्व में पाकिस्तान का अधिकांश इलाका ईरान (फारस) के हखामनी साम्राज्य के अधीन आ गया। लेकिन उस समय इस्लाम का उदय नहीं हुआ था; ईरान के लोग जरदोश्त के अनुयायी थे और देवताओं की पूजा करते थे। सन् 330 ईसापूर्व में मकदूनिया (यूनान) के विजेता सिकंदर ने दारा तृतीय को तीन बार हराकर हखामनी वंश का अंत कर दिया। इसके कारण मिस्र से पाकिस्तान तक फैले हखामनी साम्राज्य का पतन हो गया और सिकंदर पंजाब तक आ गया। ग्रीक स्रोतों के मुताबिक उसने सिंधु नदी के तट पर भारतीय राजा पुरु (ग्रीक - पोरस) को हरा दिया। पर उसकी सेना ने आगे बढ़ने से इनकार कर दिया और वह भारत में प्रवेश किये बिना वापस लौट गया। इसके बाद उत्तरी पाकिस्तान और अफगानिस्तान में यूनानी-बैक्ट्रियन सभ्यता का विकास हुआ। सिकंदर के साम्राज्य को उसके सेनापतियों ने आपस में बाँट लिया। सेल्युकस निकेटर सिकंदर के सबसे शक्तिशाली उत्तराधिकारियों में से एक था।", + "877_p6": "मौर्यों ने 300 ईसापूर्व के आसपास पाकिस्तान को अपने साम्राज्य के अधीन कर लिया। इसके बाद पुनः यह ग्रीको-बैक्ट्रियन शासन में चला गया। इन शासकों में सबसे प्रमुख मिनांदर ने बौद्ध धर्म को प्रोत्साहित किया। पार्थियनों के पतन के बाद यह फारसी प्रभाव से मुक्त हुआ। सिंध के राय राजवंश (सन् 489-632) ने इसपर शासन किया। इसके बाद यह उत्तर भारत के गुप्त और फारस के सासानी साम्राज्य के बीच बँटा रहा।", + "877_p7": "सन् 712 में फारस के सेनापति मुहम्मद बिन कासिम ने सिंध के राजा को हरा दिया। यह फारसी विजय न होकर इस्लाम की विजय थी। बिन कासिम एक अरब था और पूर्वी ईरान में अरबों की आबादी और नियंत्रण बढ़ता जा रहा था। हालाँकि इसी समय केंद्रीय ईरान में अरबों के प्रति घृणा और द्वेष बढ़ता जा रहा था पर इस क्षेत्र में अरबों की प्रभुसत्ता स्थापित हो गई थी। इसके बाद पाकिस्तान का क्षेत्र इस्लाम से प्रभावित होता चला गया। पाकिस्तानी सरकार के अनुसार इसी समय 'पाकिस्तान की नींव' डाली गई थी। इसके 1192 में दिल्ली के सुल्तान पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद ही दिल्ली की सत्ता पर फारस से आए तुर्कों, अरबों और फारसियों का नियंत्रण हो गया। पाकिस्तान दिल्ली सल्तनत का अंग बन गया।", + "877_p8": "सोलहवीं सदी में मध्य-एशिया से भाग कर आए हुए बाबर ने दिल्ली की सत्ता पर अधिकार किया और पाकिस्तान मुगल साम्राज्य का अंग बन गया। मुगलों ने काबुल तक के क्षेत्र को अपने साम्राज्य में मिला लिया था। अठारहवीं सदी के अंत तक विदेशियों (खासकर अंग्रेजों) का प्रभुत्व भारतीय उपमहाद्वीप पर बढ़ता गया। सन् 1857 के गदर के बाद संपूर्ण भारत अंग्रेजों के शासन में आ गया।", + "877_p9": "अंग्रेजों के शासन काल में, खासकर पंजाब में कई विरोध आंदोलन हुए। इस दौरान पंजाब और सिंध में अच्छी खासी हिंदू आबादी थी। पर जनतंत्र की मांग को लेकर और मुस्लिमों के अल्पमत में होने के कारण अलग मुस्लिम राष्ट्र की मांग होने लगी। पहले सन् 1930 में शायर मुहम्मद इकबाल ने भारत के उत्तर-पश्चिमी चार प्रांतों -सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफगान (सूबा-ए-सरहद)- को मिलाकर एक अलग राष्ट्र की मांग की थी। 1947 अगस्त में भारत के विभाजन के फलस्वरूप पाकिस्तान का जन्म हुआ। उस समय पाकिस्तान में वर्तमान पाकिस्तान और बांग्लादेश दोनों सम्मिलित थे। सन् 1971 में भारत के साथ हुए युद्ध में पाकिस्तान का पूर्वी हिस्सा (जिसे उस समय तक पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था) बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र हो गया।", + "877_p10": "पाकिस्तान का इस्लामीकरण \n711 ईस्वी में पाकिस्तान का पश्चिमी भाग हिंदू राजपूतों द्वारा शासित था। 1076 इस्वी में गजनी ने राजा जयपाल शाही से इस क्षेत्र को जीत लिया। इसी समय बहुत सी हिंदू जातियाँ इस्लाम में जाने लगी। इनको अरबो द्वारा शेख का पद दिया गया।\nहिंदुओं के धर्म परिवर्तन के कई कारण थे जिसमे इस्लाम के प्रति झुकाव और आर्थिक दबाव प्रमुख थे। मुस्लिम शासकों शासन में संरक्षण और सामाजिक गतिशीलाता के कारण यह परिवर्तन हो पाया। इसका अन्य कारण जिजिया कर जो धिम्मी (काफिर) लोगो पर लगाया जाता था से भी बचा जा सकता था।तत्कालीन कठोर जाति व्यवस्था के कारण दलित जातीय, ऊँची हिंदू जातियों द्वारा सामाजिक अत्याचार अपमान से परेशान होकर सूफीयों द्वारा मुस्लिम बन गई। \nहिंदू जातियों का मुस्लिम परिवर्तन मुख्यत: 13 वी और 14 वी सदी में हुआ था। मुस्लिम आक्रांताओं की विजय का इसमे बहुत प्रभाव था।\nउच्च हिंदू जातियाँ भी मुस्लिम धर्म में आर्थिक, राजनैतिक फायदे के कारण आ गई लेकिन फिर भी उनका सामाजिक ढाँचा पूर्ववत ही बना रहा। ये परिवर्तन सामूहिक हुए थे जिसके द्वारा सम्पूर्ण जाति को बचाये जाने की धारणा थी।", + "877_p11": "पाकिस्तान का क्षेत्रफल कोई 8,03,940 वर्ग किलोमीटर है जो ब्रिटेन और फ्रांस के सम्मिलित क्षेत्रफल के करीब आता है। क्षेत्रफल के हिसाब से यह विश्व में 36 स्थान पर है। अरब सागर से लगी इसकी सामुद्रिक सीमा रेखा कोई 1046 किलोमीटर लंबी है। इसकी जमीनी सीमारेखा कुल 6,744 किलोमीटर लंबी है - उत्तर-पश्चिम में 2430 कि.मी. अफगानिस्तान के साथ, दक्षिण पूर्व में 909 किमी ईरान के साथ, उत्तर-पूर्व में 512 कि.मी. चीन के साथ (गुलाम कश्मीर से लगी सीमा) तथा पूर्व में 2912 कि.मी. भारत के साथ।", + "877_p12": "पाकिस्तान का उत्तरी इलाका पहाड़ी है। यहाँ हिमालय पर्वतों के कई उच्चतम शिखर पाए जाते हैं। इन्हीं के बीच से गुजरता सकरा रास्ता 'खैबर पास' के नाम से प्रसिद्ध है। भारत से उद्भवित होने वाली पाँच नदियाँ झेलम, चिनाब, रावी, सतलज ऑर बियास यहाँ से बहकर जब समतल भूमि को छूती हैं तो एक अत्यंत उपजाऊ जमीन बनाती है जिसे 'पंजाब' के नाम से जाना जाता है। दक्षिण की ओर इनके संगम से सिंधु नदी बनती है जिसकी घाटी और भी उपजाऊ है। दक्षिण में यह अरबी समुद्र से जाकर मिलती हैं।", + "877_p13": "दक्षिण में समुद्री घाटों (बीच, या दीघा) से लेकर उत्तर में हिमालय (काराकोरम) और हिंदुकुश की बर्फीली चोटियों तक पाकिस्तान में बहुत भौगोलिक विविधता है। पर औसतन रूप से यह क्षेत्र शुष्क है। औसतन 100 सेंटीमीटर सालाना वर्षा होती है। पाकिस्तान की 5 चोटियाँ 8000 मीटर से भी ज्यादा ऊँची हैं। उत्तरी क्षेत्रों में मौसमी विविधता अधिक है। वहाँ की गर्मियों में तापमान 45 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक चला जाता है जबकि सर्दियों में तापमान हिमांक तक पहुँच जाता है। दक्षिण में यह विविधता अपेक्षाकृत कम होती है।", + "877_p14": "सिंधु यहाँ की प्रमुख नदी है। इसके अलावा सिंधु की सहायक नदियाँ पंजाब के आसपास होकर बहती है जिसके कारण पंजाब में कृषियोग्य जलवायु होती है। सिंधु नदी के पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम में बलोचिस्तान का इलाका मरुस्थल है। सिंध के पूर्वी भाग में थार मरुस्थल का विस्तृत भाग है पर सिंध में ही थारपारकार विश्व का एकमात्र उर्वर मरुस्थल है। देश की कुल 27% भूमि कृषियोग्य है।", + "877_p15": "पाकिस्तान एक विकासशील देश है। सन् 2007 तक पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था 7 प्रतिशत की वार्षिक दर से घट रही थी। यहाँ की मुद्रा पाकिस्तानी रुपया है, जो पैसे में बाँटा जा सकता है। एक अमरीकी डालर की कीमत लगभग 104 पाकिस्तानी रुपये (सन् 2006) हैं। सन् 2005 तक पाकिस्तान पर 240 अरब अमेरिकी डॉलर का विदेशी कर्ज था जो अमेरिका द्वारा दिए गए ऋणमाफी और अन्य संस्थाओं द्वारा दिए गए वित्तीय मदद के कारण कम होता जा रहा है पर अब अमेरिका पाकिस्तान की कोई सहायता नहीं करेगा।", + "877_p17": "पाकिस्तानी राजनैतिक दल ", + "877_p18": " पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी - बेनजीर भुट्टो इसी पार्टी से थी। इस पार्टी की स्थापना इनके पिता जुल्फिकार अली भुट्टो ने की थी।\n पाकिस्तान मुस्लिम लीग\n मुत्तहिदा मज्लिस-ए-अमल\n तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी- यह पार्टी मशहूर पाकिस्तानी क्रिकेटर इमरान खान द्वारा स्थपित की गई है।\n मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट (एम क्यू एम) इस पार्टी की स्थापना अलताफ हुसैन ने की थी।\nअपने प्रथम चरण में यह पार्टी कराची तक सीमित थी। आज इस पार्टी के अंकुर देश के कोने कोने में दिखाई देते है, अब यह पार्टी एक शहर की नहीं देश के चारो प्रांत की है\n(द्वारा एम क्यु एम प्रांतीय कमिटी पेशावर)", + "877_p19": "पाकिस्तान में चार प्रांत हैं:-\n बलूचिस्तान\n उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत (खैबर पख्तूनख्वा)\n पाकिस्तानी पंजाब\n सिंध", + "877_p20": " इस्लामाबाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र\n पाकिस्तान शासित कश्मीर\n केंद्रशासित प्रदेश", + "877_p21": "क्षेत्र के आधार पर:\n पाक सिंधिया आइसलैंड", + "877_p22": "अगस्त 2017 के आँकड़ों के अनुसार पाकिस्तान की कुल जनसंख्या 20,77,74,520 (लगभग 20.7 करोड़) पाकिस्तान का स्थान विश्व में छठा है, यानि इसकी जनसंख्या ब्राजील से कम और रूस से अधिक है। यहाँ की जनसंख्या वृद्धि दर अधिक होने के कारण भविष्य में इसके तेजी से बढ़ने की संभावना है। आम हितों की परिषद 25 अगस्त, 2017 को अस्थाई परिणाम प्रस्तुत की गई। इन परिणामों के अनुसार, पाकिस्तान की कुल आबादी 20.78 करोड़ थी, जो 19 वर्षों में 57% वृद्धि का प्रतिनिधित्व करती है। पाकिस्तान की जनगणना के अस्थायी परिणामों में गिलगित-बल्तिस्तान और आजाद कश्मीर के आँकड़ों को शामिल नहीं किया गया है, जो कि अंतिम रिपोर्ट में शामिल होने की संभावना है जो 2018 में आ जाएगा। ट्रांसजेंडर आबादी पाकिस्तान में 10,418 है, जो 0.005% है।", + "877_p23": "पाकिस्तान की शहरी जनसंख्या 7.558 करोड़ है, जो देश की जनसंख्या का लगभग 36.4% है। महिला जनसंख्या कुल मुख्यालय का 48.8% है।", + "877_p25": "हाल में अफगानिस्तान में चल रहे युद्धों के कारण कई अफगान शरणार्थी भी इस देश में रहने लगे हैं। यहाँ का प्रमुख धर्म इस्लाम है और लगभग 96 प्रतिशत लोग मुस्लिम हैं (77 प्रतिशत सुन्नी और 20 प्रतिशत शिया)। इसके अलावा 1.85 प्रतिशत हिंदू और 1.6 प्रतिशत ईसाई यहाँ के प्रमुख अल्पसंख्यक हैं।", + "877_p26": "पाकिस्तान की संवैधानिक भाषा अंग्रेजी और राष्ट्रीय भाषा उर्दू है। पंजाबी यहाँ सबसे अधिक बोली जाने वाली स्थानीय भाषा है पर इसको कोई संवैधानिक दर्जा प्राप्त नहीं है।", + "877_p27": "जनजातियाँ \n भील - पाकिस्तान की प्रमुख जनजा���ियों में भील है ।", + "877_p28": "पाकिस्तान एक इस्लामिक देश है, अतः यहाँ की संस्कृति पर इस्लाम का प्रभाव रहा है। नृत्य और संगीत पर इस्लाम की पाबंदी की वजह से सार्वजनिक जीवन में इनका प्रचलन उच्च वर्ग तथा निम्न तबके के बीच रह गया है। सूफी मजारों पर मेले और अन्य परंपराएँ सदियों से चली आ रही है।\n। शायर इकबाल, फैज अहमद फैज, अहमद फराज के अलावे गालिब, मीर, दाग, जिगर इत्यादि उर्दू शायरों की गजले आज भी पसंद की जातीं हैं। गुलाम अली, मेहदी हसन, नुसरत फतह अली खान और उनके भतीजे राहत फतेह अली खान प्रमुख गायक हैं। इसके अलावे फारसी शायरी गाई जाती है - इकबाल, हाफिज, रूमी, निजामी गंजवी, अमीर खुसरो और सादी का कलाम कई जगह गाया और मदरसों में भी पढ़ाया जाता है।", + "877_p29": "उत्तर-पश्चिम के सूबा सरहद में ट्रकों पर की गई चित्रकारी प्रसिद्ध है।", + "877_p30": "प्रांत (सूबे)\nपाकिस्तान 7 हिस्सों में बाँटा गया है :", + "877_p31": "हॉकी यहाँ का राष्ट्रीय खेल है। ट्वेन्टी-ट्वेन्टी विश्व कप 2009 में जीता था इसी कारण क्रिकेट की लोकप्रियता बहुत अधिक है। देश की क्रिकेट टीम ने एक बार विश्व कप (सन् 1992 में) जीता है। पाकिस्तान में क्रिकेट बहोत लोकप्रिय खेल है।", + "877_p32": " wikt:पाकिस्तान (विक्षनरी)", + "877_p33": "सरकारी कड़ियाँ \n पाकिस्तान सरकार\n पाकिस्तान पर्यटन", + "877_p34": "एशिया के देश\nजंबुद्वीप\nनैऋत्य जंबुद्वीप\nदक्षिण जंबुद्वीप\nपाकिस्तान\nराष्ट्रमंडल\n१९४७ में स्थापित देश या क्षेत्र\nदक्षिण एशिया के देश\nहिंदुस्तानी-भाषी देश व क्षेत्र\nइस्लामी गणराज्य\nइस्लामिक राष्ट्र", + "899_p0": "नेपाल (आधिकारिक रूप में, सङ्घीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्र नेपाल ) एक बहुत खुवसुरत दक्षिण एशियाई स्थलरुद्ध राष्ट्र है। नेपाल के उत्तर मे चीन का स्वायत्तशासी प्रदेश तिब्बत है और दक्षिण, पूर्व व पश्चिम में भारत अवस्थित है। नेपाल के 81.3 प्रतिशत नागरिक हिन्दू धर्मावलम्बी हैं। नेपाल विश्व के प्रतिशत आधार पर सबसे बड़ा हिन्दू धर्मावलम्बी राष्ट्र है। नेपाल की राजभाषा नेपाली है और नेपाल के लोगों को भी नेपाली कहा जाता है।", + "899_p1": "एक छोटे से क्षेत्र के लिए नेपाल की भौगोलिक विविधता बहुत उल्लेखनीय है। यहाँ तराई के उष्ण फाँट से लेकर ठण्डे हिमालय की शृंखलाएँँ अवस्थित हैं। संसार का सबसे ऊँची 14 हिम शृंखलाओं में से आठ नेपाल में हैं जिसमें संसार का सर्वोच्च शिखर सागरमाथा एवरेस्ट (नेपा�� और चीन की सीमा पर) भी एक है। नेपाल की राजधानी और सबसे बड़ा नगर काठमांडू है। काठमांडू उपत्यका के अन्दर ललीतपुर (पाटन), भक्तपुर, मध्यपुर और किर्तीपुर नाम के नगर भी हैं अन्य प्रमुख नगरों में पोखरा, विराटनगर, धरान, भरतपुर, वीरगंज, महेन्द्रनगर, बुटवल, हेटौडा, भैरहवा, जनकपुर, नेपालगंज, वीरेन्द्रनगर, महेन्द्रनगर आदि है।", + "899_p2": "वर्तमान नेपाली भूभाग अठारहवीं सदी में गोरखा के शाह वंशीय राजा पृथ्वी नारायण शाह द्वारा संगठित नेपाल राज्य का एक अंश है। अंग्रेज़ों के साथ हुई सन्धियों में नेपाल को उस समय (1814 में) एक तिहाई नेपाली क्षेत्र ब्रिटिश इण्डिया को देने पड़े, जो आज भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल में विलय हो गये हैं। बींसवीं सदी में प्रारम्भ हुए जनतांत्रिक आन्दोलनों में कई बार विराम आया जब राजशाही ने जनता और उनके प्रतिनिधियों को अधिकाधिक अधिकार दिए। अन्ततः 2008 में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि माओवादी नेता प्रचण्ड के प्रधानमंत्री बनने से यह आन्दोलन समाप्त हुआ। लेकिन सेना अध्यक्ष के निष्कासन को लेकर राष्ट्रपति से हुए मतभेद और टीवी पर सेना में माओवादियों की नियुक्ति को लेकर वीडियो फ़ुटेज के प्रसारण के बाद सरकार से सहयोगी दलों द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद प्रचण्ड को इस्तीफा देना पड़ा। गौरतलब है कि माओवादियों के सत्ता में आने से पहले सन् 2006 में राजा के अधिकारों को अत्यन्त सीमित कर दिया गया था।", + "899_p3": "नेपाल एशिया का हिस्सा है। दक्षिण एशिया में नेपाल की सेना पाँचवीं सबसे बड़ी सेना है और विशेषकर विश्व युद्धों के दौरान, अपने गोरखा इतिहास के लिए उल्लेखनीय रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र शान्ति अभियानों के लिए महत्वपूर्ण योगदानकर्ता रही है।", + "899_p4": "'नेपाल' शब्द की व्युत्पत्ति के सम्बन्ध में विद्वानों की विभिन्न धारणाएँ हैं। \"नेपाल\" शब्द की उत्त्पत्ति के बारे में ठोस प्रमाण कुछ नहीं है, लेकिन एक प्रसिद्ध विश्वास अनुसार यह शब्द 'ने' ऋषि तथा पाल (गुफा) मिलकर बना है। माना जाता है कि एक समय नेपाल की राजधानी काठमांडू 'ने' ऋषि का तपस्या स्थल था। 'ने' मुनि द्वारा पालित होने के कारण इस भूखण्ड का नाम नेपाल पड़ा, ऐसा कहा जाता है।\nतिब्बती भाषा में 'ने' का अर्थ 'मध्य' और 'पा' का अर्थ 'देश' होता है। तिब्बती लोग 'नेपाल' को 'नेपा' ही कहते हैं। 'नेपाल' और 'नेवार' शब्द की समानता के आधार पर डॉ॰ ग्रियर्सन और यंग ने एक ही मूल शब्द से दोनों की व्युत्पत्ति होने का अनुमान किया है। टर्नर ने नेपाल, नेवार, अथवा नेवार, नेपाल दोनों स्थिति को स्वीकार किया है। 'नेपाल' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम कौटिल्य ने अपने अर्थशास्त्र में किया है। उस काल में बिहार में जो मागधी भाषा प्रचलित थी उसमें 'र' का उच्चारण नहीं होता था। सम्राट् अशोक के शिलालेखों में 'राजा' के स्थान पर 'लाजा' शब्द व्यवहार हुआ है। अत: नेपार, नेबार, नेवार इस प्रकार विकास हुआ होगा।", + "899_p5": "हिमालय क्षेत्र में मनुष्यों का आगमन लगभग 9,000 वर्ष पहले होने के तथ्य की पुष्टि काठमांडू उपत्यका में पाये गये नव पाषाण औजारों से होती है। सम्भवतः तिब्बती-बर्माई मूल के लोग नेपाल में 2,500 वर्ष पूर्व आ चुके थे। \n5,500 ईसा पूर्व महाभारत काल मेंं जब कुन्ती पुत्र पाँचों पाण्डव स्वर्गलोक की ओर प्रस्थान कर रहे थे तभी पाण्डुपुत्र भीम ने भगवान महादेव को दर्शन देने हेतु विनती की। तभी भगवान शिवजी ने उन्हे दर्शन एक लिंग के रुप मे दिये जो आज \"पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग \" के नाम से जाना जाता है। 1,500 ईसा पूर्व के आसपास हिन्द-आर्यन जातियों ने काठमांडू उपत्यका में प्रवेश किया। करीब 1,000 ईसा पूर्व में छोटे-छोटे राज्य और राज्य संगठन बनें। नेपाल स्थित जनकपुर में भगवान श्रीरामपत्नी माता सिताजी का जन्म 7,500 ईसा पुर्व हुआ।सिद्धार्थ गौतम (ईसापूर्व 563–483) शाक्य वंश के राजकुमार थे, उनका जन्म नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था, जिन्होंने अपना राज-पाट त्याग कर तपस्वी का जीवन निर्वाह किया और वह बुद्ध बन गए।", + "899_p6": "गोपाल व‌ंस नेपालमा सबसे पहले राज करने वाला शासक था । यिनके वादमेँ किरात शासकने राज किया। इस क्षेत्र में 5वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में आकर लिच्छवियों के राज्य की स्थापना हुई। 8वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में लिच्छवि वंश का अस्त हो गया और सन् 879 से नेवार (नेपाल की एक जाति) युग का उदय हुआ, फिर भी इन लोगों का नियन्त्रण देशभर में कितना हुआ था, इसका आकलन कर पाना कठिन है। 11वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में दक्षिण भारत से आए चालुक्य साम्राज्य का प्रभाव नेपाल के दक्षिणी भूभाग में दिखा। चालुक्यों के प्रभाव में आकर उस समय राजाओं ने बौद्ध धर्म को छोड़कर हिन्दू धर्म का समर्थन किया और नेपाल में धार्मिक परिवर्तन होने लगा।", + "899_p8": "1765 में, गोरखा राजा पृथ्वी नारायण शाह ने नेपाल के छोटे-छोटे बाइसे व चोबिसे राज्य के उपर चढ़ाई करते हुए एकीकृत किया, बहुत ज्यादा रक्तरंजित लड़ाइयों के पश्चात् उन्होंने 3 वर्ष बाद कान्तीपुर, पाटन व भादगाँउ के राजाओं को हराया और अपने राज्य का नाम गोरखा से नेपाल में परिवर्तित किया। तथापि उन्हे कान्तिपुर विजय में कोई युद्ध नही करना पड़ा। वास्तव में, उस समय इन्द्रजात्रा पर्व में कान्तिपुर की सभी जनता फ़सल के देवता भगवान इन्द्र की पूजा और महोत्सव (जात्रा) मना रहे थे, जब पृथ्वी नारायण शाह ने अपनी सेना लेकर धावा बोला और सिंहासन पर कब्जा कर लिया। इस घटना को आधुनिक नेपाल का जन्म भी कहते है।", + "899_p9": "तिब्बत से हिमाली (हिमालयी) मार्ग के नियन्त्रण के लिए हुआ विवाद और उसके पश्चात युद्ध में तिब्बत की सहायता के लिए चीन के आने के बाद नेपाल पीछे हट गया। नेपाल की सीमा के नज़दीक का छोटे-छोटे राज्यों को हड़पने के कारण से शुरु हुआ विवाद ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के साथ दुश्मनी का कारण बना। इसी वजह से 1814–16 रक्तरंजित एंग्लो-नेपाल युद्ध हो गया, जिसमें नेपाल को अपनी दो तिहाई भूभाग से हाथ धोना पड़ा लेकिन अपनी सार्वभौमसत्ता और स्वतन्त्रता को कायम रखा। दक्षिण एशियाई मुल्कों में\" यही एक खण्ड है जो कभी भी किसी बाहरी सामन्त (उपनिवेशों) के अधीन में नही आया। विलायत से लड़ने में पश्चिम में सतलुज से पुर्व में तीस्ता नदी तक फैला हुआ विशाल नेपाल सुगौली सन्धि के बाद पश्चिम में महाकाली और मेची नदियों के बीच सिमट गया लेकिन अपनी स्वाधीनता को बचाए रखने में नेपाल सफल रहा, बाद मे अंग्रेजो ने 1822 में मेची नदी व राप्ती नदी के बीच की तराई का हिस्सा नेपाल को वापस किया उसी तरह 1860 में राणा प्रधानमन्त्री जंगबहादुर से ख़ुश होकर 'भारतीय सैनिक बिद्रोह को कूचलने मे नेपाली सेना का भरपूर सहयोग के बदले अंग्रेजो ने राप्तीनदी से महाकाली नदी के बीच का तराई का थोड़ा और हिस्सा नेपाल को लौटाया। लेकिन सुगौली सन्धी के बाद नेपाल ने जमीन का बहुत बडा हिस्सा गँवा दिया, यह क्षेत्र अभी उत्तराखण्ड राज्य और हिमाचल प्रदेश और पंजाब पहाड़ी राज्य में सम्मिलित है। पूर्व में दार्जिलिंग और उसके आसपास का नेपाली मूल के लोगों का भूमि (जो अब पश्चिम बंगाल मे है) भी ब्रिटिश इण्डिया के अधीन मे हो गया तथा नेपाल का सिक्किम पर प्रभाव और शक्ति भी नेपाल को त्यागने पड़े।", + "899_p10": "राज परिवार व ���ारदारो के बीच गुटबन्दी के कारण युद्ध के बाद स्थायित्व कायम हुआ। सन् 1846 में शासन कर रही रानी का सेनानायक जंगबहादुर राणा को पदच्युत करने के षड्यन्त्र का खुलासा होने से कोतपर्व नाम का नरसंहार हुवा। हथियारधारी सेना व रानी के प्रति वफादार भाइ-भारदारो के बीच मारकाट चलने से देश के सयौं राजखलाक, भारदारलोग व दूसरे रजवाड़ों की हत्या हुई। जंगबहादुर की जीत के बाद राणा ख़ानदान उन्होंने सुरुकिया व राणा शासन लागु किया। राजा को नाममात्र में सीमित किया व प्रधानमन्त्री पद को शक्तिशाली वंशानुगत किया गया। राणाशासक पूर्णनिष्ठा के साथ ब्रिटिश के पक्ष में रहते थे व ब्रिटिश शासक को 1857 की सेपोई रेबेल्योन (प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम), व बाद में दोनो विश्व युद्धसहयोग किया था। सन 1923 में यूनाइटेड किंगडम व नेपाल बीच आधिकारिक रूप में मित्रता के समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिसमें नेपाल की स्वतन्त्रता को यूनाइटेड किंगडम ने स्वीकार किया। दक्षिण एशियाई मुल्कों में पहला, नेपाली राजदूतावास ब्रिटेन की राजधानी लन्दन मे खुल गया।", + "899_p11": "1940 दशक के उत्तरार्ध में लोकतन्त्र-समर्थित आन्दोलनों का उदय होने लगा व राजनैतिक पार्टियां राणा शासन के विरुद्ध हो गईं। उसी समय चीन ने 1950 में तिब्बत पर कब्ज़ा कर लिया जिसकी वजह से बढ़ती हुई सैनिक गतिविधियों को टालने के लिए भारत नेपाल की स्थायित्व पर चाख बनाने लगा। फलस्वरुप राजा त्रिभुवन को भारत ने समर्थन किया 1951 में सत्ता लेने में सहयोग किया, नई सरकार का निर्माण हो गया, जिसमें ज्यादा आन्दोलनकारी नेपाली कांग्रेस पार्टी के लोगों की सहभागिता थी। राजा व सरकार के बीच वर्षों की शक्ति खींचातानी के पश्चात्, 1959 में राजा महेन्द्र ने लोकतान्त्रिक अभ्यास अन्त किया व \"निर्दलीय\" पंचायत व्यवस्था लागू करके राज किया। सन् 1989 के \"जन आन्दोलन\" ने राजतन्त्र को संवैधानिक सुधार करने व बहुदलीय संसद बनाने का वातावरण बन गया सन 1990 में कृष्णप्रसाद भट्टराई अन्तरिम सरकार के प्रधानमन्त्री बन गए, नये संविधान का निर्माण हुआ राजा बीरेन्द्र ने 1990 में नेपाल के इतिहास में दूसरा प्रजातन्त्रिक बहुदलीय संविधान जारी किया व अन्तरिम सरकार ने संसद के लिए प्रजातान्त्रिक चुनाव करवाए। नेपाली कांग्रेस ने राष्ट्र के दूसरे प्रजातन्त्रिक चुनाव में बहुमत प्राप्त किया व गिरिजा प��रसाद कोइराला प्रधानमन्त्री बने।", + "899_p13": "नेपाल में वो कढ़ाही आज भी रखी है, जिसमें उबलता तेल था और रोज अग्नि स्नान करते थे..", + "899_p14": "रोचक रहस्मयी खोज…! अमृतम यात्रा डायरी से साभार-\nकभी नेपाल बाबा पशुपतिनाथ के दर्शन को जाएं, तो नेपाल में नीलकंठ, मुक्तिनाथ, गुप्टेशर आदि अनेकों प्राचीन तीर्थ के दर्शन अवश्य करें…जाने नेपाल की 38 बातें…\nदुनिया के महान शासक राजा विक्रमादित्य को नवीन सम्वत्सर का श्रीगणेश करने के लिए याद किया जाता है।\nयह नवीन सम्वत्सर हिन्दू धर्मियों के लिए नववर्ष और नवरात्र से आरम्भ होता है।\nराजा विक्रमादित्य ने ही लाखों साल पहले आकाशीय गणना अनुसार ज्योतिष पञ्चाङ्ग का शोधन किया था। उसके बाद सम्वत २०७९ यानी आज तक पञ्चाङ्ग शोधन न होने से तिथि-नक्षत्र, त्यौहार में अंतर देखने को मिलता है।\nअधिकांश तीज-त्योहार, उत्सव क्षय तिथियों में मनाए जा रहे हैं, इससे शुभ फल की जगह अशुभ परिणाम मिल रहे हैं।\nराजा विक्रमादित्य को 32 सिंहासन की 32 योगनियाँ नामक सिद्धियां प्राप्त थीं। कभही नेपाल काठमांडू जाएं, तो इन स्थानों के दर्शन अवश्य करें!\nराजा विक्रमादित्य का बतीसी सिंहासन विश्व में आज भी प्रसिद्ध है।\nयह सर्वविदित ही है कि उसके सिंहासन के नीचे बत्तीस योगनियां पुतली के रूप में रहा करती थीं। जिनमें से एक थी बज्रयोगिनी, जिसे विक्रमादित्य ने सिद्ध कर रखा था।\nराजा विक्रमादित्य रोज तेल के उबलते कड़ाहे में कूद जाते और वज्रयोगिनी उसे निकालकर पुनर्जीवित कर देती तथा उसे चालीस किलो सोना देती थी। यह राजा विक्रमादित्य का रोज का नियम था।\nनेपाल से नाता…यह घटना नेपाल की राजधानी में स्थित 'बत्तीस पुतली' महल्ला से लगभग दस कि.मी. की दूरी पर स्थित है, जिसे आज भी 'बज्रयोगिनी' के नाम से ही जाना जाता है ।\nकालांतर में यहां मंदिर बन गया । जिसे बज्रयोगिनी मंदिर के नाम से जना जाता है। वहीं विक्रमादित्य की बहुत बड़ी कड़ाही एखी है, जिसमें कोई जोड़ नहीं है!\nदशानन के 10 सिर… सर्वविदित है कि रावण ने अपने 10 सीस काटकर महादेव को अर्पित किए थे और जिस कढ़ाही में ये डाले गए थे, वो वही कढ़ाही है। इसी स्थान पर रावण ने अपने दस सिर काटकर हवन किया था। मान्यता है कि यह अदभुत धातु की कढ़ाही भगवान शिव द्वारा प्रदत्त है।\nविक्रमादित्य का सोना…. कहा जाता है कि विक्रमादित्य का वह सोना आज भी काठमांडू मे�� ही है । नेपाल जितना विशुद्ध सोना किसी भी देश में नहीं है । २४ कैरट का खरा सोना, जिसकी धुलाई की भी आवश्यकता नहीं। इसलिए वहां सोने की स्मगलिंग बहुत होती थी।\nएक समय था जब वहां एक गरीब से गरीब के घर में भी लोटा थाली सोने के ही मिलते थे।\nलकड़ी काटनेवाली स्त्री के शरीर में भी न जाने कितने ही आभूषण शुद्ध सोने के होते थे, जो नदी के उस पार से भी चमकता रहेगा।\nभोटियों की स्त्रियों के कानों में ही न जाने छोटे-बड़े कितने सोने के गहने देखने को मिलते थे।\nरावन ने अपने पिता का किया श्राध्द….वहीं संगम है दो नदियों का जिसे, गोकर्ण के नाम से जाना जाता है। जहां रावण ने अपने पिताश्री का श्राद्धकर्म किया। जहां आज भी खुदाई करने पर जों, तिल, राख निकलती है। वहां का सारा पर्वत काला है।\nअर्जुन ने वहीं शिवजी का घनघोर तप किया था, जिसका नाम किरातेश्वर महादेव पड़ा।\nगोरखनाथ और उनके गुरु मत्स्येन्द्रनाथ ने भी इसी स्थान पर घनघोर तप किया था। यहीं मैंने अपनी जिंदगी में पहली बार पांच मुखवाले शेषनाग के दर्शन किये।\nयहीं पर दूध कोसी नदी है, जो लगभग २० कि.मी. चौड़ी है तथा आगे चलकर नारायणी नदी में मिल जाती है।\nदूध कोसी नदी का पानी दूध जैसा सोटा व एकदम सफेद है। इस नदी के बारे -है में भी एक कहानी प्रचलित है, जो शेरपाओं ने हमें इस प्रकार सुनायी।\nकोसी नदी का दूध….एक बार एक लकड़हारा के लड़के ने अपनी मां से दूध मांगा। घर में दूध था नहीं था। मां ने कहा, “जाओ, कैलाश में जाकर महादेव से मांगो।\nपरिणामस्वरूप वह बालक कैलाश जाकर पुकारने लगा, “महादेव ! महादेव !\" मगर महादेव प्रकट नहीं हुए । तीसरे दिन महादेव बच्चे के सामने आकर बोले, “क्या बात है बच्चा ? क्या चाहते हो ?\"\n\"अरे! तुम ही महादेव हो ? \"बच्चे ने उत्सुकता से पूछा।\nभोलेनाथ बोले…\"हां।\" “तो लाओ दूध लाओ और इस दूध को मेरी अम्मा तक भी पहचाओ । मैं उन्हें भी दिखाऊँगा….! भोलेबाबा, उस लकड़हारा के बच्चे के भोलेपन पर बहुत खुश हुए। और वहां त्रिशूल फेंककर दुग्ध कुंड बना दिया। उसी दूध कुंड से बच्चा, अपनी माँ के लिए दूध लेकर चल पड़ा। बाद में वही दूध की धारा कोसी नदी बन गई, जी आज भी 2 किलोमीटर चौड़ी है।\nपूर्णिमा का मेला…कुड में गुरु पूर्णिमा को मेला और इस दिन रात के ठीक बारह बजे दूध कोसी का पानी पात्र 2 मिनट के लिए दूध बन जाता है।\nआज भी ये चमत्कार है कि गुरु पूर्णिमा को उस दो मिनट की अवध�� जो भी लोग दूध कोसी का पानी भर-भरकर लाएंगे और दूध में परिवर्तित हो जाएगा।\nमेरा नेपाल बहुत आना-जाना रहा क्योंकि नेपाल गुरु गोरखनाथ की नगरी के साथ-साथ सिद्ध तांत्रिक क्षेत्र भी है।\nदुनिया में नेपाल के हठयोगी, अघोरी, अवधूत सर्वाधिक नेपाल के ही प्रसिद्ध है। यहाँ गजब की दिखाने वाले साधु हुआ करते थे। किंतु अब पिछले 325/30 वर्षों में सब बदल गया।\nनेपाल के जादुई चमत्कार, तांत्रिकों, अघोरियों से मुलाकात, उनके साथ महा बर्फीले स्थान पर स्थापित मुक्तिनाथ के दर्शन आदि की जानकारी कभही अन्य लेख में देंगे।\nमैंने कुछ तांत्रिकों द्वारा तंत्र की भयानक प्रक्रिया को करते देखा और इनके साथ शराब पीने की लत लग गई।\nमैं बिना कर्म के कोई चमत्कार के बलबूते सब कुछ जल्दी पाना चाहता था, पर अंजाम बुरा रहा।\nएक-दो बार अग्निस्नान, अग्निसिद्धि के लिए मैं अग्नि कार का धेश लगाकर बैठा।\nगुप्तेश्वर महादेव के दर्शन…नेपाल में यह स्थान सागरमाथा अंचल में सोलुखम्भू क्षेत्र में पड़ता है। हवाई जहाज से उतरकर तीन दिन पैदल चलकर यहां पहुंचना पड़ता है। यहीं से पर्वतारोही माऊंट एवरेस्ट जाते हैं। यह उत्तर का अंतिम जिला है।\nयहां जंगल में चौड़ी गाय बहुत मिलती है। हम लोग उनके आगे नमक डाल देते और जब वह नमक खाने लगती थी तो हम उनका दूध निकाल लेते थे।\nउन जंगली गायका दूध निकालने का यही एकमात्र तरीका है, अन्यथा वे दूध नहीं दुहने देती।\nचौड़ी गाय का दूध गाढ़ा भी बहुत होता है और पुष्ट भी। भोट लोग भी इधर ही रहते हैं, जो साधुओं का बड़ा सम्मान करते हैं।\nसाधु को देखकर वे लोग दस-दस कि.मी. दूर देकर आते हैं। कुछ भोट बुद्ध के अनुयायी है, तो कुछ हिंदू धर्म को मानते हैं। ये सब मांसाहारी ही होते हैं।\nकुछ साधु अपने तंत्र-मंत्र के कारनामों के कारण भी काफी चर्चित थे, सब मुझसे स्नेह करते थे।", + "899_p15": "नेपाल की वनेपा नगरी में माँ पलान्योके की मूर्ति।\n भूगोल ", + "899_p16": "मानचित्र पर नेपाल का आकार एक तिरछे सामानान्तर चतुर्भुज का है। नेपाल की कुल लम्बाई करीब 800 किलोमीटर और चौड़ाई 200 किलोमीटर है। नेपाल का कुल क्षेत्रफल 1,47,516 वर्ग किलोमीटर है। नेपाल भौगोलिक रूप से तीन भागों में विभाजित है– पर्वतीय क्षेत्र, शिवालिक क्षेत्र और तराई क्षेत्र। साथ में 'भित्री मधेस' कहलाने वाले उपत्यकाओं का एक समूह पहाड़ी क्षेत्र के महाभारत पर्वत शृंखला व चुरिया शृंखला के बीच स्थित है। यह क्षेत्र पहाड़ व तराई के बीच में स्थित है। हिमाली पहाड़ी व तराई क्षेत्र पूर्व-पश्चिम दिशा मे देशभर में फैले हुए है और यिनी क्षेत्र को नेपाल की प्रमुख नदियों ने जगह-जगह पर विभाजन किया है।", + "899_p17": "भारत के साथ जुड़ा हुआ तराई फांट भारतीय-गंगा के मैदान का उत्तरी भाग है। इस भाग की सिंचाई तथा भरण-पोषण मे तीन नदियों का मुख्य योगदान है: कोशी, गण्डकी (भारत मे गण्डक नदी) और कर्णाली नदी। इस भूभाग की जलवायु उष्ण और संतृप्त (आर्द्र) है।", + "899_p18": "पहाड़ी भूभाग मे 1,000 लेकर 4,000 मीटर तक की ऊँचाई के पर्वत पड़ते हैं। इस क्षेत्र में महाभारत लेख व शिवालिक (चुरिया) नाम की दो मुख्य पर्वत शृंखलाएँ हैं। पहाड़ी क्षेत्र मे ही काठमाणृडू उपत्यका, पोखरा उपत्यका, सुर्खेत उपत्यका के साथ टार, बेसी, पाटन माडी कहे जाने वाले बहुत से उपत्यका पड़ते है। यह उपत्यका नेपाल की सबसे उर्वर भूमि है तथा काठमांडू उपत्यका नेपाल का सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। पहाड़ी क्षेत्र की उपत्यका को छोड़ कर 2,500 मीटर (8,200 फुट) की ऊँचाई पर जनघनत्व बहुत कम है।", + "899_p19": "हिमाली क्षेत्र में संसार की सबसे ऊँची हिम शृंखलाएँ पड़ती हैं। इस क्षेत्र की उत्तर में चीन की सीमा के पास में संसार का सर्वोच्च शिखर, ऐवरेस्ट (सगरमाथा) 8,848 मीटर (29,035 फुट) अवस्थित है। संसार की 8,000 मीटर से ऊँची 14 चोटियों में से 8 नेपाल की हिमालयी क्षेत्र में पड़ती हैं। संसार का तीसरा सर्वोच्च शिखर कंचनजंघा, भी इसी हिमालयी क्षेत्र मे पड़ता है।", + "899_p20": " जलवायु \nनेपाल मे पाँच मौसमी क्षेत्र है जो ऊंचाई के साथ कुछ मात्रा में मेल खाते हैं। उष्णकटिबन्धीय तथा उपोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र 1,200 मीटर (३,९४० फ़ी) से नीचे, शीतोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र 1,200 लेकर 2,400 मीटर (३,९००–७,८७५ फ़ी), ठण्डा क्षेत्र 2,400 से लेकर 3,600 मीटर (७,८७५–११,८०० फ़ी), उप-आर्कटिक क्षेत्र ३,६०० से लेकर ४,४०० मीटर (११,८००–१४,४०० फ़ी), व आर्कटिक क्षेत्र ४,४०० मीटर (१४,४०० फ़ीट) से ऊपर। नेपाल मे पाँच ऋतुएँ होती हैं: उष्म, मनसून, अटम, शिषिर व बसन्त। हिमालय मध्य एशिया से बहने वाली ठण्डी हवा को नेपाल के अन्दर जाने से रोकता है तथा मानसून की वायु का उत्तरी परिधि के रूप में पानी काम करताहै।\nनेपाल व बांग्लादेश की सीमा नहीं जुड़ती है फिर भी ये दोनों राष्ट्र 21 किलोमीटर (13 मील) की एक सँकरी चिकेन्स् नेक (मुर्गे की गर्दन) कहे जाने वाले क्षेत्र से अलग है। इस क्षेत्र को स्वतन्त्र-व्यापार क्षेत्र बनाने का प्रयास हो रहा है।", + "899_p21": "संसार का सर्वोच्च शिखर सगरमाथा (एवरेस्ट) नेपाल व तिब्बती सीमा पर अवस्थित है। इस हिमालकी नेपाल में पडने वाले दक्षिण-पूर्वी रिज (ridge) प्राविधिक रूपमे चढना सहज माना जाता है। जिसकी वजहसे प्रत्येक वर्ष इस स्थान मे बहुत पर्यटक जाते है। अन्य चढ़े जाने वाले हिमशिखर मे अन्नपूर्णा (१,२,३,४) अन्नपूर्णा श्रखला मे पड़ता है।", + "899_p22": "कृषि जनसंख्या के ७६% रोज़गार का स्रोत है और कुल ग्राह्यस्थ उत्पादन का ३९% योगदान करता है और सेवा क्षेत्र ३९% साथ में उद्योग २१% आय का स्रोत है। देश की उत्तरी दो-तिहाई भाग में पहाडी और हिमालयी भूभाग सडकें, पुल तथा अन्य संरचना निर्माण करने में कठिन और महंगा बनाता है। सन् २००३ तक पिच -सडकों की कुल लम्बाई ८,५०० किमी से कुछ ज़्यादा और दक्षिण में रेल्वे-लाइन की कुल लम्बाई ५९ किमी मात्र है। ४८ धावनमार्ग और उनमे से १७ पिचहोनेसे हवाईमार्गकी स्थिति बहुत अच्छी है। यहाँ ज़्यादा में प्रति १२ व्यक्तिके लिए १ टेलिफ़ोन सुविधा उपल्ब्ध है; तारजडित सेवा देशभर में है लेकिन शहरों और जिला मुख्यालयों में ज़्यादा केन्द्रित है; सेवामें जनताकी पहुँच बढने और सस्ता होते जानेसे मोबाइल (या तार-रहित) सेवाकी स्थिति देशभर बहुत अच्छा है। सन् २००५ मे १,७५,००० इन्टरनेट जडाने (connections) थे, लेकिन \"संकटकाल\" लागू होनेकेपश्चात् कुछ समय सेवा अवरूद्ध होगयी था। कुछ अन्योल बाद नेपालकी दुसरी बृहत जनआन्दोलनने राजाकी निरंकुश अधिकार समाप्त करनेके पश्चात सभी इन्टरनेट सेवाए बिना रोकटोक सुचारू होगएहैं।", + "899_p23": "नेपालकी भूपरिवेष्ठित स्थिति, प्राविधिक कमज़ोरी और लम्बे द्वन्द ने अर्थतन्त्र को पूर्ण रूपमे विकासशील होने नहीं दिया है। नेपाल भारत, जापान, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, यूरोपीय संघ, चीन, स्विट्ज़रलैंड और स्कैंडिनेवियन राष्ट्रों से वैदेशिक सहयोग पाता है। वित्तीय वर्ष २००५/०६में सरकार का बजट क़रीब १.१५३ अरब अमेरिकी डालर था, लेकिन कुल खर्च १.७८९ अरब हुआ था। १९९० दशक की बढती मुद्रा स्फीति दर घटकर २.९% पहुंची है। कुछ वर्षों से नेपाली मुद्रा रूपैयाँ को भारतीय रूपैया के साथ का सटहीदर १.६ मा स्थिर रखा गया है। १९९० दशकमे खुली बनायीगयी मुद्रा बिनिमय दर निर्धारण नीतिके कारण विदेशी मुद��रा की कालाबाजारी लगभग समाप्त हो चुकी है। एक दीर्घकालीन आर्थिक समझौते ने भारत के साथ अच्छे संबन्ध में मदद दी है।\nजनता बीच का सम्पत्ति वितरण अन्य विकसित और विकासोन्मुख देशों के तुलना में ही है: ऊपरवाले १०% गृहस्थी के साथ कुल राष्ट्रिय सम्पत्ति का ३९.१% पर नियन्त्रण है और निम्नतम १०% के साथ केवल २.६%।", + "899_p24": "नेपाल की १ करोड़ जितने का कार्यबलमे दक्ष कामदारका कमी है। ८१% कार्यबलको कृषि, १६% सेवा और ३% उत्पादन/कला-आधारित उद्योग रोज़गार प्रदान करता है।", + "899_p25": "20 सितम्बर 2015 के अनुसार नेपाल को भारतीय राज्य प्रणाली की तरह ही सात राज्यों (प्रदेशों) में विभाजित किया गया है। नये संविधान के अनुसूची 4 के अनुसार मौजूदा जनपदों को एक साथ समूहों में गठित कर इन्हें परिभाषित किया गया है और दो ऐसे भी जनपद थे जिन्हें तोड़कर दो अलग-अलग राज्यों में गठित किया गया।", + "899_p26": "नेपालके संविधान, २०७२ की धारा 295 (ख) के अनुसार प्रदेशों का नामाकरण सम्वन्धित प्रदेश के संसद (विधान सभा) में दो तिहाई बहुमत से होने का प्रावधान है।", + "899_p27": "नेपाल की संस्कृति तिब्बत एवं भारत से मिलती-जुलती है। यहाँ की भेषभूषा, भाषा तथा पकवान इत्यादि एक जैसे ही हैं। नेपाल का सामान्य खाना चने की दाल, भात, तरकारी, अचार है। इस प्रकार का खाना सुबह एवं रात में दिन में दोनो जून खाया जाता है। खाने में चिवड़ा और चाय का भी चलन है। मांस-मछली तथा अण्डा भी खाया जाता है। हिमालयी भाग में गेहूँ, मकई, कोदो, आलू आदि का खाना और तराई में गेहूँ की रोटी का प्रचलन है। कोदो के मादक पदार्थ तोङबा, छ्याङ, रक्सी आदि का सेवन हिमालयी भाग में बहुत होता है। नेवार समुदाय अपने विशेष क़िस्म के नेवारी परिकारों का सेवन करते हैं।", + "899_p28": "नेपाली सामाजिक जीवन की मान्यता, विश्वास और संस्कृति हिन्दू भावना में आधारित है। धार्मिक सहिष्णुता और जातिगत सहिष्णुता का आपस का अन्योन्याश्रित सम्बन्ध नेपाल की अपनी मौलिक संस्कृति है। यहाँ के पर्वों में वैष्णव, शैव, बौद्ध, शाक्त सब धर्मों का प्रभाव एक-दूसरे पर समान रूप से पड़ा है। किसी भी एक धार्मिक पर्व को धर्मावलम्बी विशेष का कह सकना और अलग कर पाना बहुत कठिन है। सभी धर्मावलम्बी आपस में मिलकर उल्लासमय वातावरण में सभी पर्वों में भाग लेते हैं। नेपाल में छुआछूत का भेद न कट्टर रूप में है और न जन्मसंस्कार के आधार पर ही है। शक्तिपीठों में चाण्डाल और भंगी, चमार, देवपाल और पुजारी के रूप में प्रसिद्ध शक्ति पीठ गुह्येश्वरी देवी, शोभा भागवती के चाण्डाल तथा भंगी, चमार पुजारियों को प्रस्तुत किया जा सकता है।", + "899_p29": "उपासना की पद्धति और उपासना के प्रतीकों में भी समन्वय स्थापित किया गया है। नेपाल में बौद्ध पन्थ ने भी मूर्तिपूजा और कर्मकांड अपनाया है। बौद्ध पशुपतिनाथ की पूजा आर्यावलोकितेश्वर के रूप में करते हैं और हिंदू मंजुश्री की पूजा सरस्वती के रूप में करते हैं। नेपाल की यह समन्वयात्मक संस्कृति लिच्छवि काल से अद्यावधि चली आ रही है।", + "899_p30": "नेपाल अनुग्रहपरायण देश है। वह किसी के मैत्रीपूर्ण अनुग्रह को कभी भूल नहीं सकता। नेपाल का पराक्रम विश्वविख्यात है। नेपाल की सांस्कृतिक परम्परा को कायम रखने के लिए वि॰सं॰ 2017 साल में संयुक्त राज्य अमरीका के कांग्रेस के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को सम्बोधन करते हुए श्री 5 महेन्द्र ने स्पष्टरूप में कहा था कि 'सैनिक कार्यों में लगने वाले खर्च संसार की गरीबी हटाने में व्यय हों'।", + "899_p31": "नेपाल एक छोटा स्वतन्त्र राष्ट्र है, किन्तु जाति के आधार पर नेपाल राज्य की मित्र राष्ट्र भारत के समान विभिन्न जातियों के रहने का एक अजायबघर जैसा है। उत्तरी भाग की ओर भोटिया, तामां‌, लिम्बू, शेरपा, महाभारत शृंखला में मगर, किरात, नेवार, गुरुं‌, सुनुवार और भीतरी तराई क्षेत्र में घिमाल, थारू, मेचै, दनवार आदि जातियों की बहुलता विशेष रूप से उल्लेखनीय है। ठाकुर, खस, जैसी, क्षत्री जातियों तथा ब्राह्मणों की संख्या नेपाल में यत्र-तत्र काफी है। यहाँ पर प्रवासी भारतीयों की संख्या भी पर्याप्त है।", + "899_p33": " नेपाल के विश्वविद्यालय ", + "899_p34": " त्रिभुवन विश्वविद्यालय नेपाल संस्कृत विश्वविद्यालय ( पूर्व नाम महेन्द्र संस्कृत विश्वविद्यालय'' )\n काठमाडौं विश्वविद्यालय\n पुर्वान्चल विश्वविद्यालय\n पोखरा विश्वविद्यालय\n लुम्विनी विश्वविद्यालय\n नेपाल कृषि तथा वन विश्वविद्यालय\n मध्यपश्चिमांचल विश्वविद्यालय\n सुदुरपश्चिमांचल विश्वविद्यालय\n खुल्ला विश्वविद्यालय", + "899_p35": "नेपाल मे बहुत पहिले से आयुर्वेद (प्राकृतिक चिकित्सा) पद्धति उपयोग मे था। वैद्य और परंपरागत चिकित्सक गाँवघर और शहरो मे स्वास्थ्य सेवा पहुचाते थे। उनलोगो की औषधि के श्रोत नेपाल के हिमाल से तराइ तक मिलनेवा���े जडीबुटी ही होते थे। आधुनिक चिकित्सा पद्धती की शुरूवात राणा प्रधानमन्त्री जंगवाहादुर राणा की बेलायत यात्रा के बाद दरवार के अन्दर शुरू हुवा लेकिन नेपाल में आधुनिक चिकित्सा संस्था के रूप में राणा प्रधानमन्त्री वीर सम्सेर के काल मे काठामाण्डौ में सन 1889 मे स्थापित वीर अस्पताल ही है। तत्पश्चात चन्द्र समसेर के काल मे स्थापित त्रिचन्द्र सैनिक अस्पताल है। हाल में नेपाल के हस्पताल सामन्यतया आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा तथा आधुनिक चिकीत्सा करके सरकारी सेवा विद्यमान हे।", + "899_p37": "नेपाल मे नेपाली सेना, नेपाली सैनिक विमान सेवा, नेपाल ससस्त्र प्रहरी बल, नेपाल प्रहरी, नेपाल ससस्त्र वनरक्षक तथा राष्ट्रीय अनुसन्धान विभाग नेपाल लगायत सस्सत्र, तथा गुप्तचर सुरक्षा निकाय रहेहै। दक्षिण एशिया में नेपाल की सेना पांचवीं सबसे बड़ी है और विशेषकर विश्व युद्धों के दौरान, अपने गोरखा इतिहास के लिए उल्लेखनीय रही है। गोरखा सेना को सबसे अधिक बार विक्टोरिया क्रॉस दिया गया है।", + "899_p38": "पर्यटन \nभारत के उत्तर में बसा नेपाल रंगों से भरपूर एक सुन्दर देश है। यहाँ वह सब कुछ है जिसकी तमन्ना एक आम सैलानी को होती है। देवताओं का घर कहे जाने वाले नेपाल विविधाताओं से पूर्ण है। इसका अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहाँ एक ओर यहाँ बर्फ से ढकीं पहाड़ियाँ हैं, वहीं दूसरी ओर तीर्थस्थान है। रोमांचक खेलों के शौकीन यहाँ रिवर राफ्टिंग, रॉक क्लाइमिंग, जंगल सफ़ारी और स्कीइंग का भी मजा ले सकते हैं।", + "899_p39": "लुम्बिनी महात्मा बुद्ध की जन्म स्थली है। यह उत्तर प्रदेश की उत्तरी सीमा के निकट वर्तमान नेपाल में स्थित है। यूनेस्को तथा विश्व के सभी बौद्ध सम्प्रदाय (महायान, बज्रयान, थेरवाद आदि) के अनुसार यह स्थान नेपाल के कपिलवस्तु में है जहाँ पर युनेस्को का आधिकारिक स्मारक लगायत सभी बुद्ध धर्म के सम्प्रयायौं ने अपने संस्कृति अनुसार के मन्दिर, गुम्बा, बिहार आदि निर्माण किया है। इस स्थान पर सम्राट अशोक द्वारा स्थापित अशोक स्तम्भ पर ब्राह्मी लिपि में प्राकृत भाषा में बुद्ध का जन्म स्थान होने का वर्णन किया हुआ शिलापत्र अवस्थित है।", + "899_p40": "जनकपुर \nजनकपुर नेपाल का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जहाँ सीता माँ माता का जन्म हुवा था। ये नगर प्राचीन काल में मिथिला की राजधानी माना जाता है। यहाँ पर प्रसिद्��� राजा जनक थे जो सीता माता जी के पिता थे। सीता माता का जन्म मिट्टी के घड़े से हुआ था। यह शहर भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की ससुराल के रूप में विख्यात है।", + "899_p41": "मुक्तिनाथ \nमुक्तिनाथ वैष्‍णव सम्प्रदाय के प्रमुख मन्दिरों में से एक है। यह तीर्थस्‍थान शालिग्राम भगवान के लिए प्रसिद्ध है। भारत में बिहार के वाल्मीकि नगर शहर से कुछ दूरी पर जाने पर गण्डक नदी से होते हुए जाने का मार्ग है। दरअसल एक पवित्र पत्‍थर होता है जिसको हिन्दू धर्म में पूजनीय माना जाता है। यह मुख्‍य रूप से नेपाल की ओर प्रवाहित होने वाली काली गण्‍डकी नदी में पाया जाता है। जिस क्षेत्र में मुक्तिनाथ स्थित हैं उसको मुक्तिक्षेत्र' के नाम से जाना जाता हैं। हिन्दू धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार यह वह क्षेत्र है, जहाँ लोगों को मुक्ति या मोक्ष प्राप्‍त होता है। मुक्तिनाथ की यात्रा काफ़ी मुश्किल है। फिर भी हिन्दू धर्मावलम्बी बड़ी संख्‍या में यहाँ तीर्थाटन के लिए आते हैं। यात्रा के दौरान हिमालय पर्वत के एक बड़े हिस्‍से को लाँघना होता है। यह हिन्दू धर्म के दूरस्‍थ तीर्थस्‍थानों में से एक है।", + "899_p42": "ककनी \nकाठमाण्डु नगर से 29 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में छुट्टियाँ बिताने की खूबसूरत जगह ककनी स्थित है। यहाँ से हिमालय का ख़ूबसूरत नजारा देखते ही बनता है। ककनी से गणोश हिमल, गौरीशंकर 7134 मी॰, चौबा भामर 6109 मी॰, मनस्लु 8163 मी॰, हिमालचुली 7893 मी॰, अन्नपूर्णा 8091 मी॰ समेत अनेक पर्वत चोटियों को करीब से देखा जा सकता है।", + "899_p43": "गोसाईं कुण्ड \nसमुद्र तल से 4360 मी॰ की ऊँचाई पर स्थित गोसाई कुण्ड झील नेपाल के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। काठमांडु से 132 किलोमीटर दूर धुंचे से गोसाई कुण्ड पहुँचना सबसे सही विकल्प है। उत्तर में पहाड़ और दक्षिण में विशाल झील इसकी सुन्दरता में चार चाँद लगाते हैं। यहाँ और भी नौ प्रसिद्ध झीलें हैं। जैसे सरस्वती भरव, सौर्य और गणोश कुण्ड आदि।", + "899_p45": "भगवान पशुपतिनाथ का यह खूबसूरत मंदिर काठमाण्डु से करीब 5 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है। बागमती नदी के किनारे इस मन्दिर के साथ और भी मन्दिर बने हुए हैं। विश्मवप्रसिद्ध महाकाव्य \"महाभारत \" जो महर्षि वेदव्यासद्वारा 5,500 ईसा पुर्व भारतवर्ष मे हुआ। उसीमे कुन्तीपुत्र धर्मराज युधिष्टीर, अर्जुन, भिम, नकुल, सहदेव तथा द्रोपदी जब स्वर्गारोहण कर रहे थे तब वे जिस विशाल पर्वत शृंखला से गये उसे \" महाभारत पर्वत शृंखला \" तथा जहा पर कैलासनाथ आदियोगी महादेव जी ने ज्योतिर्लिंग के रुप मे प्रकट हुये वो स्थान \" श्री पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग मन्दिर \" के नाम से जाना जाता है। \"पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग देवस्थान\" के बारे में माना जाता है कि यह नेपाल में हिन्दुओं का सबसे प्रमुख और पवित्र तीर्थस्थल है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर प्रतिवर्ष हजारों देशी-विदेशी श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचता है। गोल्फ़ कोर्स और हवाई अड्डे के पास बने इस मन्दिर को भगवान का निवास स्थान माना जाता है।", + "899_p50": "यूनेस्को की आठ सांस्कृतिक विश्‍व धरोहरों में से एक काठमाण्डु दरबार प्राचीन मन्दिरों, महलों और गलियों का समूह है। यह राजधानी की सामाजिक, धार्मिक और शहरी जिन्दगी का मुख्य केन्द्र है।", + "899_p52": "बोधनाथ स्तूप \nकाठमाण्डु घाटी के मध्य में स्थित बोधनाथ स्तूप तिब्बती संस्कृति का केन्द्र है। 1959 में चीन के हमले के बाद यहाँ बड़ी संख्या में तिब्बतियों ने शरण ली और यह स्थान तिब्बती बौद्धधर्म का प्रमुख केन्द्र बन गया। बोधनाथ नेपाल का सबसे बड़ा स्तूप है। इसका निर्माण 14वीं शताब्दी के आस-पास हुआ था, जब मुग़लों ने आक्रमण किया।", + "899_p54": " ध्वज : नेपाल का ध्वज\n चिह्न : नेपाल को निशान छाप\n राष्ट्रीय पक्षी : डाँफे\n राष्ट्रीय पशु : गाय\n राष्ट्रिय गान : \"सयौं थुँगा फूलका हामी...\"\n वाक्य : \"जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी \"\n पुष्प : लाली गुराँस\n खेल : वलिबल\n भाषा : नेपाली\n पोशाक : दौरा सुरूवाल\n रंग : सिम्रिक", + "899_p55": " नेपाल का इतिहास\n नेपाल की भाषाएँ\n नेपाल का संविधान\n नेपाल का भूगोल\n नेपाल की अर्थव्यवस्था\n नेपाल की संस्कृति\n सिंह दरबार", + "899_p56": "बाहरी कड़ियाँ \n नेपाल- एक परिचय (बीबीसी)\n आवरण कथा - धर्म, खेल, रोमांच सब कुछ (पाञ्चजन्य)\n नेपाल का इतिहास (गूगल पुस्तक; लेखक- काशीप्रसाद श्रीवास्तव)\n नेपाली विदेश मन्त्रालय\n नेपाल पर्यटन \n वातावरण नेपाल \n http://www.nepalnews.com\n मोडल और इन्टरटेन्मेन्ट वेब साइट \n ब्यापारिक वेब साइट \n CIA World Factbook 2000\n Nepal Population Report 2002 \n Images and Photos from different parts of Nepal \n नेपाल सरकार\n राजसंस्था \n परराष्ट्र मन्त्रालय\n प्रधानमन्त्रीको कार्यालय", + "899_p57": " कान्तिपुर अन्लाईन\nअन्लाईन खबर \n हिमाल खवर पत्रिका\n नेपालन्युज् डट् कम्\n मेरो संसार\n बी.बी.सी. नेपाली सेवा\n फ्रान्स नेपाल इन्फो\n अन्नपूर्ण पोष्ट\n वातावरण समाचार \n कृषण सेन अन्लाईन \n नेपाल (विक्षनरी)\nNews 24 Nepal", + "899_p58": "एशिया के देश\nजंबुद्वीप\nदक्षिण जंबुद्वीप\nदक्षिण एशिया के देश\nस्थलरुद्ध देश", + "1699_p0": "अरुणाचल प्रदेश भारत का एक उत्तर पूर्वी राज्य है। अरुणाचल का अर्थ हिन्दी में \"उगते सूर्य का पर्वत\" है (अरूण + अचल ; 'अचल' का अर्थ 'न चलने वाला' = पर्वत होता है।)।", + "1699_p1": "प्रदेश की सीमाएँ दक्षिण में असम दक्षिणपूर्व में नागालैंड पूर्व में बर्मा/म्यांमार पश्चिम में भूटान और उत्तर में तिब्बत से मिलती हैं। ईटानगर राज्य की राजधानी है। प्रदेश की बोलचाल की मुख्य भाषा हिन्दी है। अरुणाचल प्रदेश चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के साथ 1,129 किलोमीटर सीमा साझा करता है।", + "1699_p2": "भारत की जनगणना २०११ के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश की आबादी 1,382,611 और 83,743 वर्ग किलोमीटर (32,333 वर्ग मील) का क्षेत्रफल है। यह एक नैतिक रूप से विविध राज्य है, जिसमें मुख्य रूप से पश्चिम में मोनपा लोग, केन्द्र में तानी लोग, पूर्व में ताई लोग और राज्य के दक्षिण में नागा लोग हैं।", + "1699_p3": "राज्य का एक बड़ा हिस्सा दक्षिण तिब्बत के क्षेत्र के हिस्से के रूप में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना और चीन गणराज्य (ताइवान) दोनों द्वारा दावा किया जाता है। 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान, अरुणाचल प्रदेश के आधे से भी ज़्यादा हिस्से पर चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने अस्थायी रूप से कब्जा कर लिया था। फिर चीन ने एकतरफा युद्ध विराम घोषित कर दिया और उसकी सेना मैकमहोन रेखा के पीछे लौट गई।", + "1699_p5": "इतिहास \nअरुणाचल प्रदेश को पहले पूर्वात्तर सीमान्त एजेंसी (नॉर्थ ईस्ट फ़्रण्टियर एजेंसी- नेफ़ा) के नाम से जाना जाता था। इस राज्य के पश्चिम, उत्तर और पूर्व में क्रमश: भूटान, तिब्बत, चीन और म्यांमार देशों की अन्तरराष्ट्रीय सीमाएँ हैं। अरुणाचल प्रदेश की सीमा नागालैंड और असम से भी मिलती है। इस राज्य में पहाड़ी और अर्द्ध-पहाड़ी क्षेत्र है। इसके पहाड़ों की ढलान असम राज्य के मैदानी भाग की ओर है। \n'कामेंग', 'सुबनसिरी', 'सिआंग', 'लोहित' और 'तिरप' आदि नदियाँ इसे अलग-अलग घाटियों में विभाजित कर देती हैं। यहाँ का इतिहास लिखित रूप में उपलब्ध नहीं है। मौखिक परंपरा के रूप में कुछ थोड़ा सा साहित्य और ऐतिहासिक खंडहर हैं जो इस पर्वतीय क्षेत्र में मिलते हैं। इन स्थानों की खुदाई और विश्लेषण के द्वारा पता चलता है कि ये ईस्वी सन प्रारम्भ होने के समय के हैं। ऐतिहासिक प्रमाणों से पता चलता है कि यह जाना-पहचाना क्षेत्र ही नहीं था वरन जो लोग यहाँ रहते थे और उनका देश के अन्य भागों से निकट का सम्बन्ध था। अरुणाचल प्रदेश का आधुनिक इतिहास 24 फरवरी 1826 को 'यण्डाबू सन्धि' होने के बाद असम में ब्रिटिश शासन लागू होने के बाद से प्राप्त होता हैं। सन 1962 से पहले इस राज्य को नार्थ-ईस्ट फ़्रण्टियर एजेंसी (नेफ़ा) के नाम से जाना जाता था। संवैधानिक रूप से यह असम का ही एक भाग था परन्तु सामरिक महत्त्व के कारण 1965 तक यहाँ के प्रशासन की देखभाल विदेश मन्त्रालय करता था। 1965 के पश्चात असम के राज्पाल के द्वारा यहाँ का प्रशासन गृह मन्त्रालय के अन्तर्गत आ गया था। सन 1972 में अरुणाचल प्रदेश को केन्द्र शासित राज्य बनाया गया था और इसका नाम 'अरुणाचल प्रदेश' किया गया। इस सब के बाद 20 फरवरी 1987 को यह भारतीय संघ का 24वाँ राज्य बनाया गया।", + "1699_p6": "अरुणाचल का अधिकांश भाग हिमालय से ढका है, लेकिन लोहित, चांगलांग और तिरप पतकाई पहाडि़यों में स्थित हैं। काँग्तो, न्येगी कांगसांग, मुख्य गोरीचन चोटी और पूर्वी गोरीचन चोटी इस क्षेत्र में हिमालय की सबसे ऊँची चोटियाँ हैं। ", + "1699_p10": "जलवायु \nअरुणाचल प्रदेश का मौसम उन्नयन के साथ बदलता है। अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्र जैसे ऊपरी हिमालय स्थित तिब्बत के निकट-वर्ती क्षेत्रों में मौसम अल्पाइन या टुन्ड्रा प्रकार का होता है। मध्य हिमालय क्षेत्रों में मौसम समशीतोष्ण होता है और यहाँ सेब, संतरा, आदि के फलदार वृक्ष होते हैं। निचले हिमालयी क्षेत्रों में नम उप-उष्णकटिबंधीय मौसम पाया जाता है जहाँ तेज ग्रीष्म तथा हल्की शरद ऋतु होती है।", + "1699_p11": "अरुणाचल प्रदेश में भारी वर्षा होती है (160 से 80 इंच (2000 से 4000 मिमी वार्षिक)। अधिकतर वर्षा मई और सितंबर के बीच होती है। पहाड़ और इनकी ढलानें अल्पाइन, समशीतोष्ण और उपविषुवतीय वृक्षों के जंगलों से ढकी हैं। यहाँ बौना रॉडॉडेन्ड्रोन, ओक, चीड़, मैप्ले, फर और जुनिपर के वृक्षों के साथ साल और सागौन जैसे मुख्य आर्थिक प्रजाति के वृक्ष भी पाये जाते हैं।", + "1699_p12": "63% अरुणाचल वासी 19 प्रमुख जनजातियों और 85 अन्य जनजातियों से संबद्ध हैं। इनमें से अधिकांश या तो तिब्बती-बर्मी या ताई-बर्मी मूल के हैं। बाकी 35 % जनसंख्या आप्रवासियों की है, जिनमें 31000 बंगाली, बोडो, हजोन्ग, बांग्लादेश से आये चकमा शरणार्थी और ���ड़ोसी असम, नागालैंड और भारत के अन्य भागों से आये प्रवासी शामिल हैं। सबसे बडी़ जनजातियों में आदि, गालो, निशि, खम्ति, मोंपा और अपातनी प्रमुख हैं। ", + "1699_p13": "राज्य की साक्षरता दर 1991 में 41.59 % से बढ़कर 54.74 % हो गयी। 487796 व्यक्ति साक्षर है। भारत सरकार की 2001 की जनगणना के आँकड़ों से पता चलता है कि अरुणाचल की 20% जनसंख्या के प्रकृतिधर्मी हैं, जो जीववादी धर्म जैसे डोन्यी-पोलो और रन्गफ्राह का पालन करते है। मिरि और नोक्ते लोगों को मिलाकर 29 प्रतिशत हिंदू हैं। राज्य की 13% जनसंख्या बौद्ध है। तिब्बती बौद्ध पन्थ मुख्यतः तवांग, पश्चिम कामेंग और तिब्बत से सटे क्षेत्रों में प्रचलित है। थेरावाद बौद्ध पन्थ का बर्मी सीमा के निकट रहने वाले समूहों द्वारा पालन किया जाता है। लगभग 19% आबादी ईसाईपन्थ की अनुयायी है।", + "1699_p14": "अरुणाचल प्रदेश के नागरिकों के जीवनयापन का मुख्य आधार कृषि है। इस प्रदेश की अर्थव्यवस्था मुख्यत: 'झूम' खेती पर ही आधरित है। आजकल नकदी फसलों जैसे- आलू, और बागबानी की फसलें जैसे सेब, संतरे और अनन्नास आदि को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी लोग खेती की पारंपरिक विधि शिइंग (झूम) का प्रयोग करते हैं। इस कृषि विधि की मुख्य पैदावार चावल, मक्का, जौ एवं मोथी (कूटू) हैं। अरुणाचल प्रदेश की मुख्य फसलों में चावल, मक्का, बाजरा, गेहूँ, जौ, दलहन, गन्ना, अदरक और तिलहन हैं।", + "1699_p16": "सिंचाई और बिजली \nअरुणाचल प्रदेश में 87,500 हेक्टेयर से अधिक भूमि सिंचित क्षेत्र है। राज्य की विद्युत क्षमता लगभग 30,735 मेगावॉट है। राज्य के 3,649 गाँवों में से लगभग 2,600 गाँवों का विद्युतीकरण कर दिया गया है।", + "1699_p17": "अर्थव्यवस्था \nसन 2004 में अरुणाचल प्रदेश का सकल घरेलू उत्पादन 70.6 करोड़ डॉलर के लगभग था। अर्थव्यवस्था मुख्यत: कृषि प्रधान है। 'झुम' खेती जो आदिवासी समूहों में पहले प्रचलित थी, अब कम लोग इस प्रकार खेती करते हैं। अरुणाचल प्रदेश का लगभग 61,000 वर्ग किलोमीटर का भाग घने जंगलों से भरा है और वन्य उत्पाद राज्य की अर्थव्यवस्था का दूसरा महत्त्वपूर्ण भाग है। यहाँ फ़सलों में चावल, मक्का, बाजरा, गेहूँ, दलहन, गन्ना, अदरक और तिलहन मुख्य रूप से हैं।", + "1699_p18": "अरुणाचल प्रदेश फलों के उत्पादन के लिए आदर्श है। पर्यावरण की दृष्टि से यहाँ के प्रमुख उद्योग आरा मिल और प्लाईवुड को कानूनन बन्द कर दिया गया है। चावल मिल, फल परिरक्षण इका��याँ, हस्तशिल्प और हथकरघा आदि यहाँ के अन्य प्रमुख उद्योग हैं।\nयह तालिका अरूणाचल प्रदेश के राज्य सकल घरेलू उत्पाद का रुझान बाजार मूल्यों पर सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मन्त्रालय के अनुमान पर आधारित है। लाखों रुपयों में।", + "1699_p19": "2004 में अरुणाचल प्रदेश का राज्य सकल घरेलू उत्पाद 706 मिलियन डॉलर के करीब था। राज्य की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है। झुम खेती जो आदिवासी समूहों के बीच पहले व्यापक रूप से प्रचलित थी अब कम लोगों में प्रचलित है। अरुणाचल प्रदेश के करीब 61,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जंगलों से ढका है और वन्य उत्पाद अर्थव्यवस्था का सबसे दूसरा सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यहाँ की फसलों में चावल, मक्का, बाजरा, गेहूँ, दलहन, गन्ना, अदरक और तिलहन प्रमुख हैं। अरुणाचल फलों के उत्पादन के लिए भी आदर्श स्थान है। यहाँ प्रमुख उद्योग आरामिल और प्लाईवुड को कानून द्वारा बन्द कर दिया गया है। चावल मिल, फल परिरक्षण इकाइयों हस्तशिल्प और हथकरघा आदि अन्य प्रमुख उद्योग हैं।", + "1699_p20": "अरुणाचल प्रदेश के कुछ महत्त्वपूर्ण त्योहारों में 'अदीस' समुदाय का 'मापिन और सोलंगु', 'मोनपा' समुदाय का त्योहार 'लोस्सार', 'अपतानी' समुदाय का 'द्री', 'तगिनों' समुदाय का 'सी-दोन्याई', 'इदु-मिशमी' समुदाय का 'रेह', 'निशिंग' समुदाय का 'न्योकुम' आदि त्योहार शामिल हैं। अधिकतर त्योहारों पर पशुओं को बलि चढ़ाने की पुरातन प्रथा है।", + "1699_p21": "राजनीति \nअरुणाचल प्रदेश में मुख्यत: पाँच राजनैतिक दल हैं-\n भारतीय जनता पार्टी\n अरुणाचल कांग्रेस\n अरुणाचल कांग्रेस (मेइते)\n कांग्रेस (दोलो)\n पिपुल्स पार्टी आफ़ अरुणाचल", + "1699_p27": "इतिहास \nअरुणाचल प्रदेश को पहले पूर्वात्तर सीमांत एजेंसी (नार्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी- नेफा) के नाम से जाना जाता था। इस राज्य के पश्चिम, उत्तर और पूर्व में क्रमश: भूटान, तिब्बत, चीन और म्यांमार देशों की अंतरराष्ट्रीय सीमाएं हैं। अरुणाचल प्रदेश की सीमा नागालैंड और असम से भी मिलती है। इस राज्य में पहाड़ी और अर्द्ध-पहाड़ी क्षेत्र है। इसके पहाड़ों की ढलान असम राज्य के मैदानी भाग की ओर है। \n'कामेंग', 'सुबनसिरी', 'सिआंग', 'लोहित' और 'तिरप' आदि नदियां इन्हें अलग-अलग घाटियों में विभाजित कर देती हैं। यहाँ का इतिहास लिखित रूप में उपलब्ध नहीं है। मौखिक परंपरा के रूप में कुछ थोड़ा सा साहित्य और ऐतिहासिक खंडहर हैं जो इस पर्वतीय क्षेत्र में मिलते हैं। इन स्थानों की खुदाई और विश्लेषण के द्वारा पता चलता है कि ये ईस्वी सन प्रारंभ होने के समय के हैं। ऐतिहासिक प्रमाणों से पता चलता है कि यह जाना-पहचाना क्षेत्र ही नहीं था वरन जो लोग यहाँ रहते थे और उनका देश के अन्य भागों से निकट का संबंध था। अरुणाचल प्रदेश का आधुनिक इतिहास 24 फ़रवरी 1826 को 'यंडाबू संधि' होने के बाद असम में ब्रिटिश शासन लागू होने के बाद से प्राप्त होता हैं। सन 1962 से पहले इस राज्य को नार्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (नेफा) के नाम से जाना जाता था। संवैधानिक रूप से यह असम का ही एक भाग था परंतु सामरिक महत्त्व के कारण 1965 तक यहाँ के प्रशासन की देखभाल विदेश मंत्रालय करता था। 1965 के पश्चात असम के राज्पाल के द्वारा यहाँ का प्रशासन गृह मंत्रालय के अन्तर्गत आ गया था। सन 1972 में अरुणाचल प्रदेश को केंद्र शासित राज्य बनाया गया था और इसका नाम 'अरुणाचल प्रदेश' किया गया। इस सब के बाद 20 फ़रवरी 1987 को यह भारतीय संघ का 24वां राज्य बनाया गया।", + "1699_p28": "अरुणाचल प्रदेश में 25 जिले हैं -", + "1699_p30": "वर्तमान समय में भाषा की दृष्टि से अरुणाचल प्रदेश एशिया का सबसे अधिक विविधतापूर्ण क्षेत्र है जिसमें 30 से 50 तक विभिन्न भाषाओं के बोलने वाले रहते हैं। इनमें से अधिकांश भाषाएँ तिब्बती-बर्मी परिवार की हैं। \nहाल के वर्षों में अरुणाचल प्रदेश में हिन्दी का प्रचलन बढ़ा है और अब यह यहाँ की जनभाषा बन चुकी है।", + "1699_p31": "इन्हें भी देखें \n अरुणाचल की जनजातियाँ\n अरुणाचल प्रदेश के जिले", + "1699_p32": "बाहरी कड़ियाँ \n China 1962 War जीतकर भी Arunachal Pradesh से पीछे क्यों हट गया था\n अरुणाचल पर्यटन\n अरुणाचल सरकार (अंगरेजी में)\n तवांग अरुणाचल प्रदेश (भारत दर्शन ब्लाग)\n अरुणाचल को समझने का बेजोड़ प्रयास है ‘जनपथ’ का ताजा अंक (दिसम्बर, 09)\n ", + "1699_p33": "भारत के राज्य\nअरुणाचल प्रदेश", + "2220_p0": "चीन (),आधिकारिक रूप से चीनी जनवादी गणराज्य (), पूर्वी एशिया का एक देश है। यह विश्व का सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है, जिसकी जनसंख्या 1.4 अरब से अधिक है, जो भारत से थोड़ा आगे है। चीन पाँच समय क्षेत्रों के बराबर फैला हुआ है और 14 देशों की भूमि से सीमाएँ हैं, विश्व के किसी भी देश से सर्वाधिक, रूस के साथ बन्धा हुआ है। लगभग 96 लाख वर्ग किमी के क्षेत्रफल के साथ, यह कुल भूमि क्षेत्र के हिसाब से विश्व का तृतीय सबसे बड़ा देश है। देश में 22 प्रान्त, पाँच स्वायत्त क्षेत्र, चार नगर पालिकाएँ और दो विशेष प्रशासनिक क्षेत्र (हॉङ्कॉङ और मकाउ) अन्तर्गत हैं। राष्ट्रीय राजधानी बीजिंग है, और सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर और वित्तीय केन्द्र षंख़ाई है।", + "2220_p1": "आधुनिक चीनी अपनी उत्पत्ति उत्तरी चीन के मैदान में पीली नदी के उपजाऊ बेसिन में सभ्यता के उद्गम स्थल में खोजते हैं 21वीं शताब्दी ईसा पूर्व में अर्ध-पौराणिक शिया राजवंश और अच्छी तरह से प्रमाणित षाङ और झोउ राजवंशों ने वंशानुगत राजशाही, या राजवंशों की सेवा के लिए एक नौकरशाही राजनीतिक प्रणाली विकसित की। इस अवधि के दौरान चीनी लिपि, चीनी उत्कृष्ट साहित्य और सौ विचारधाराएँ उभरे और आने वाली शताब्दियों तक चीन और उसके पड़ोसियों को प्रभावित किया। तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में, छिन के एकीकरण के युद्धों ने प्रथम चीनी साम्राज्य, अल्पकालिक छिन राजवंश का निर्माण किया। छिन के बाद अधिक स्थिर हान राजवंश (206 ईसा पूर्व-220 सीई) आया, जिसने लगभग दो सहस्राब्दी के लिए एक मॉडल स्थापित किया जिसमें चीनी साम्राज्य विश्व की अग्रणी आर्थिक शक्तियों में से एक था। साम्राज्य का विस्तार हुआ, खण्डित हुआ, और पुन: एकीकृत हुआ; जीत लिया गया और पुनः स्थापित किया गया; विदेशी धर्मों और विचारों को अवशोषित किया; और विश्व-अग्रणी वैज्ञानिक प्रगति की, जैसे चार महान आविष्कार: बारूद, काग़ज़, दिक्सूचक, और मुद्रण। हान के पतन के बाद शताब्दियों की एकता के बाद, सुई (581–618) और थाङ (618–907) राजवंशों ने साम्राज्य को फिर से एकीकृत किया। बहु-जातीय थाङ ने विदेशी व्यापार और संस्कृति का स्वागत किया जो कौशेय मार्ग पर आया और बौद्ध धर्म को चीनी आवश्यकताओं के अनुकूल बनाया। प्रारम्भिक आधुनिक सुङ राजवंश (960-1279) वृद्धि से नगरी और वाणिज्यिक बन गया। नागरिक विद्वानधिकारियों या साहित्यकारों ने पहले के राजवंशों के सैन्य अभिजात वर्ग को बदलने के लिए परीक्षा प्रणाली और नव-कन्फ़्यूशीवाद के सिद्धान्तों का उपयोग किया। मंगोल आक्रमण ने 1279 में युऐन राजवंश की स्थापना की, लेकिन मिङ राजवंश (1368-1644) ने हान चीनी नियंत्रण को फिर से स्थापित किया। मांछु के नेतृत्व वाले छिङ राजवंश ने साम्राज्य के क्षेत्र को लगभग दोगुना कर दिया और एक बहु-जातीय राज्य की स्थापना की जो आधुनिक चीनी राष्ट्र का आधार था, लेकिन 19वीं शताब्दी में विदेशी साम्राज्यवाद को भारी क्षति उठाना प���़ा।", + "2220_p2": "चीन वर्तमान में चीनी साम्यवादी दल द्वारा एकात्मक मार्क्सवादी-लेनिनवादी एक-दलीय समाजवादी गणराज्य के रूप में शासित है। चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है और एशियाई आधारभूत संरचना निवेश बैंक, कौशेय मार्ग कोष, नूतन विकास बैंक, षंख़ाई सहयोग संगठन और क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी जैसे कई बहुपक्षीय और क्षेत्रीय सहयोग संगठनों का संस्थापक सदस्य है। यह ब्रिक्स, जी8+5, जी-20, एशिया - प्रशांत महासागरीय आर्थिक सहयोग और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन का भी सदस्य है। यह लोकतंत्र, नागरिक स्वातंत्र्य, सरकार की पारदर्शिता, प्रेस की स्वतंत्रता, धर्म स्वातंत्र्य और जातीय अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों के माप में सबसे नीचे है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा राजनीतिक दमन, व्यापक अभिवेचन, अपने नागरिकों की व्यापक निगरानी, ​​और विरोध और असन्तोष के हिंसक दमन सहित मानवाधिकारों के हनन के लिए चीनी अधिकारियों की आलोचना की गई है।", + "2220_p3": "विश्व अर्थव्यवस्था का लगभग पंचम भाग बनाते हुए, चीन क्रय-शक्ति समता पर जीडीपी के हिसाब से विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, सकल घरेलू उत्पाद के हिसाब से दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और दूसरा सबसे धनी देश है। देश सबसे वृद्धि से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और विश्व का सबसे बड़ा निर्माता और निर्यातक है, साथ ही दूसरा सबसे बड़ा आयातक भी है। सैन्य कर्मियों द्वारा विश्व की सबसे बड़ी स्थायी सेना और दूसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट वाला चीन एक मान्यता प्राप्त परमाण्वस्त्र वाला देश है। चीन को अपने उच्च स्तर के नवाचार, आर्थिक क्षमता, बढ़ती सैन्य ताकत और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में प्रभाव के कारण संभावित महाशक्ति माना जाता है।", + "2220_p4": "चीन में सामान्य रूप से प्रयुक्त होने वाले नाम हैं \"झोङ्ह्वा\" (中华/中華) और \"झोंग्वौ\" (中国/中國), जबकि चीनी मूल के लोगों को आमतौर पर \"हान\" (汉/漢) और \"थाङ्\" (唐) नाम दिया जाता है। अन्य प्रयुक्त होने वाले नाम हैं हुआश़िया, शेन्झोउ और जिझोउ। चीनी जनवादी गणराज्य (中华人民共和国) और चीनी गणराज्य (中国共和国) उन दो सम्प्रभू देशों के आधिकारिक नाम है जो पारम्परिक रूप से चीन नाम से जाने जाने वाले क्षेत्र पर अपनी दावेदारी करते हैं। \"मुख्यभूमि चीन\" उन क्षेत्रों के सन्दर्भ में प्रयुक्त किय��� जाता है जो क्षेत्र चीनी जनवादी गणराज्य के अधीन हैं और इसमें हांग कांग और मकाउ सम्मिलित नहीं हैं।", + "2220_p5": "विश्व के अन्य भागों में, चीन के लिए बहुत से नाम उपयोग में हैं, जिनमें से अधिकतर \"किन\" या \"जिन\" और हान या तान के लिप्यन्तरण हैं। हिन्दी में प्रयुक्त नाम भी इसी लिप्यन्तरण से लिया गया है।", + "2220_p6": "चीन में सबसे अधिक बौद्ध धर्म मानने वाले लोग हैं । मूल चीनी धर्म जैसे ताओ धर्म, कुन्फ़्यूशियसी धर्म के अधिकांश अनुयायी भी बौद्ध धर्म का पालन करते है।", + "2220_p7": "चीन में धर्म जीवन पद्धति है\nचीन में धर्म की स्थिति अन्य देशों जैसी नहीं है। भारत में या अन्यत्र किसी को हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, यहुदी आदि धर्मों का अनुयायी बताया जाता है पर चीन में एेसा नहीं है। चीन में कोई व्यक्ति अपनी पारिवारिक और नैतिक समस्याओं के निराकरण के लिये कन्फ्यूशियानिज्म की शरण में चला जाता है, वही व्यक्ति स्वास्थ्य तथा मनोवैज्ञानिक चिन्ताओं के लिये ताओवाद अपना लेता है, अपने स्वजनों के अन्तिम संस्कार के लिये बौद्ध धर्म की परम्पराएं स्वीकार करता है और अन्य बातों के लिये वह स्थानीय देवी देवताओं की आराधना करता है।", + "2220_p8": "वर्तमान में चीन में सभी धर्मों का अनुसरण किया जाता है। यहां के मुख्य धर्म हैं- बौद्ध, ताओ और अल्पसंख्यक धर्म हैं- इस्लाम व ईसाई। इनके अलावा अति अल्प संख्या में हिन्दू तथा यहुदी धर्मों के अनुयायी भी यहां हैं। आज से 4000 वर्ष पूर्व चीन में लोग भिन्न भिन्न देवताओं की पूजा करते थे जैसे मौसम के देवता या आकाश के देवता और इनसे ऊपर एक अन्य देवता शांग ली। इस जमाने में लोग विश्वास करते थे कि उनके पूर्वज मरने के बाद देवता बन गये इसलिये हर परिवार अपने पूर्वजों को पूजता था। बाद में जाकर लोगों को यह विश्वास होने लगा कि सबसे बड़ा देवता वह है जो तमाम अन्य देवताओं पर शासन करता है। स्वर्ग देवता अर्थात् तीयन ही चीन के सम्राट और साम्राज्ञी तय करता था।\n2500 साल पहले चीनी धर्म में नये विचारों का आगमन हुआ। लाओ जू नामक दार्शनिक ने ताओवाद की स्थापना की जो बहुत लोकप्रिय हुआ। इस धर्म का मुख्य आधार यह था कि लोगों को जबर्दस्ती अपनी इच्छाएं नहीं पूरी करनी चाहिये वरन् समझ और सहकार से जीना चाहिये। यह एक दर्शन भी था और धर्म भी। इसी काल में एक अन्य दार्शनिक कन्फ्यूशियस का उदय हुआ जिनका दर्शन ताओवाद से भिन्��� था। इस वाद के अनुसार लोगों को अपने कर्तव्य पूरे करने चाहिये, अपने नेताओं का अनुसरण करना चाहिये तथा अपने देवताओं पर श्रद्धा रखनी चाहिये। इस वाद का मूल मंत्र व्यवस्था थी। इन नये धर्मों के बावजूद लोग अपने प्राचीन धर्मों पर चलते रहे और पूर्वजों को पूजते रहे।", + "2220_p9": "2000 वर्ष पूर्व बौद्ध धर्म का चीन में आगमन हुआ और चीनी जनजीवन में अत्यन्त लोकप्रिय हो गया। बौद्ध धर्म चीन का सर्वाधिक संगठित धर्म है तथा आज समूचे विश्व में सबसे अधिक बौद्ध अनुयायी चीन में ही है। कई चीनी ताओ तथा बौद्ध धर्म दोनों को एक साथ मानते हैं। ईसाई धर्म का आगमन 1860 में पहले अफीम युद्ध के दौरान हुआ। इस्लाम का पदार्पण सन् 651 में यहां हुआ।", + "2220_p10": "चीन में धर्म जीवन पद्धति है, यह दर्शन है और आध्यात्म है। चीन की जनवादी सरकार आधिकारिक रूप से नास्तिक है मगर यह अपने नागरिकों को धर्म और उपासना की स्वतंत्रता देती है। लेनिन व माओ के काल में धार्मिक विश्वासों और उनके अनुपालन पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था। तमाम विहारों, पेगोडा, मस्जिदों और चर्चों को अधार्मिक भवनों में बदल दिया गया था। 1970 के अन्त में जाकर इस नीति को शिथिल किया गया और लोगों को धार्मिक अनुसरण की इजाजत दी जाने लगी। 1990 के बाद से पूरे चीन में बौद्ध तथा ताओ विहारों या मन्दिरों के पुनर्निर्माण का विशाल कार्यक्रम शुरू हुआ। 2007 में चीनी संविधान में एक नई धारा जोड़कर धर्म को नागरिकों के जीवन का महत्वपूर्ण तत्व स्वीकार किया गया।", + "2220_p11": "एक सर्वेक्षण के अनुसार चीन की 50 से 80 प्रतिशत जनसंख्या 66 कराेड़ से 1 अरब तक लोग बौद्ध हैं जबकि ताओ सिर्फ 30 प्रतिशत या 40 करोड़ ही हैं। चूँकि अधिकांश चीनी दोनों धर्मों को मानते हैं इसलिये इन आँकड़ों में दोनों का समावेश हो सकता है। एक अन्य सर्वेक्षण के अनुसार चीन की 91 प्रतिशत जनसंख्या या 1 अरब 25 करोड़ लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी है। ईसाई 4 से 5 करोड़ और इस्लाम को मानने वाले 2 करोड़ के लगभग हैं अर्थात् डेढ़ प्रतिशत। ", + "2220_p13": "चीन की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इसका चार हज़ार वर्ष पुराना लिखित इतिहास है। यहां विभिन्न प्रकार के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक ग्रन्थ और पुरातन संस्कृति के अवशेष पाए गए हैं। दुनिया के अन्य राष्ट्रों के समान चीनी राष्ट्र भी अपने विकास के दौरान आदिम समाज, दास समाज और सामन्ती समाज के कालों से गुजरा था। ऐतिहासिक विकास के इस लम्बे दौर में, चीनी राष्ट्र की विभिन्न जातियों की परिश्रमी, साहसी और बुद्धिमान जनता ने अपने संयुक्त प्रयासों से एक शानदार और ज्योतिर्मय संस्कृति का सृजन किया, तथा समूची मानवजाति के लिये भारी योगदान भी किया। यह उन गिनी-चुनी सभ्यताओं में से एक है जिन्होंने प्राचीन काल में अपनी स्वतन्त्र लेखन पद्धति का विकास किया। अन्य सभ्यताओं के नाम हैं - [प्राचीन भारत] [सिन्धु घाटी सभ्यता], मेसोपोटामिया की सभ्यता, [मिस्र] और [दक्षिण अमेरिका] की [माया सभ्यता]। चीनी लिपि अब भी चीन, जापान के साथ-साथ आंशिक रूप से कोरिया तथा वियतनाम में प्रयुक्त होती है।", + "2220_p14": "पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर चीन में मानव बसासत लगभग साढ़े बाईस लाख वर्ष पुराना है।", + "2220_p15": "पहले का चीन \n \nश़िया राजवंश का अस्तित्व एक लोककथा लगता था पर हेनान में पुरातात्विक खुदाई के बाद इसके अस्तित्व की सत्यता सामने आई। प्रथम प्रत्यक्ष राजवंश था - शांग राजवंश, जो पूर्वी चीन में १८वीं से १२वीं सदी इसा पूर्व में पीली नदी के किनारे बस गए। १२वीं सदी ईसा पूर्व में पश्चिम से झाऊ शासकों ने इनपर आक्रमण किया और इनके क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। इन्होंने ५वीं सदी ईसा पूर्व तक राज किया। इसके बाद चीन के छोटे राज्य आपसी संघर्षों में भिड़ गए। २२१ ईसा पूर्व में किन राजाओं ने चीन का प्रथम बार एकीकरण किया। इन्होंने राजा का कार्यालय स्थापित किया और चीनी भाषा का मानकीकरण किया। २२० से २०६ ईसा पूर्व तक हान राजवंश के शासकों ने चीन पर राज किया और चीन की संस्कृति पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। यह प्रभाव अब तक विद्यमान है। हानों के पतन के बाद चीन में फिर से अराजकता का दौर गया। सुई राजवंश ने ५८० ईस्वी में चीन का एकीकरण किया जिसके कुछ ही वर्षों बाद (६१४ ई.) इस राजवंश का पतन हो गया।", + "2220_p16": "मध्यकालीन चीन \nफिर थांग और सोंग राजवंश के शासन के दौरान चीन की संस्कृति और विज्ञान अपने चरम पर पहुंच गए। सातवीं से बारहवीं सदी तक चीन विश्व का सबसे सुसंस्कृत देश बन गया। १२७१ में मंगोल सरदार कुबलय खां ने युआन राजवंश की स्थापना की जिसने १२७९ तक सोंग वंश को सत्ता से हटाकर अपना अधिपत्य स्थापित किया। एक किसान ने १३६८ में मंगोलों को भगा दिया और मिंग राजवंश की स्थापना की जो १६६४ तक चला। मंचू लोगों के द्वारा स्थापित क्विंग राजवंश ने चीन पर १९११ तक राज किया जो चीन का अन्तिम राजवंश था।", + "2220_p17": "युद्ध कला में मध्य एशियाई देशों से आगे निकल जाने के कारण चीन ने मध्य एशिया पर अपना प्रभुत्व जमा लिया, पर साथ ही साथ वह यूरोपीय शक्तियों के समक्ष क्षीण पड़ने लगा। चीन शेष विश्व के प्रति सतर्क हुआ और उसने यूरोपीय देशों के साथ व्यापार का रास्ता खोल दिया। ब्रिटिश, भारत तथा जापान के साथ हुए युद्धों तथा गृहयुद्धो ने क्विंग राजवंश को कमजोर कर डाला। अंततः १९१२ में चीन में गणतन्त्र की स्थापना हुई।", + "2220_p18": "भूगोल \nचीन क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व का तीसरा सबसे बड़ा देश है। इतना विशाल भूभाग होने के कारण, देश के भीतर विविध भूप्रकार और मौसम क्षेत्र पाए जाते हैं। पूर्व में, पीला सागर और पूर्वी चीन सागर से लगते जलोढ़ मैदान हैं। दक्षिण चीन सागर से लगता तटीय क्षेत्र पर्वतीय भूभाग वाला है और दक्षिण चीन क्षेत्र पहाड़ियों और टीलों से सघन है। मध्य पूर्व में नदीमुख-भूमि क्षेत्र (डेल्टा) है जो दो नदियों पीली नदी और यांग्त्ज़े से मिलकर बना है। अन्य प्रमुख नदियाँ हैं पर्ल, मेकॉन्ग, ब्रह्मपुत्र, अमूर, हुआई हे और श़ी जीयांग।", + "2220_p19": "पश्चिम में हिमालय पर्वत श्रृंखला है जो चीन की भारत, भूटान और नेपाल के साथ प्राकृतिक सीमा बनाती है। इसके साथ-साथ पठार और निर्जलीय भूदृश्य भी हैं जैसे तकला-मकन और गोबी मरुस्थल। सूखे और अत्यधिक कृषि के कारण बसन्त की अवधि में धूल भरे तूफ़ान सामान्य हो गए हैं। गोबी मरुस्थल का फैलाव भी इन तूफानों का एक कारण है और इससे उठने वाले तूफान उत्तरपूर्वी चीन, कोरिया और जापान तक को प्रभावित करते हैं।", + "2220_p20": "जलवायु \nचीन की जलवायु मुख्य रूप से शुष्क मौसम और अतिवर्षा मॉनसून के प्रभुत्व वाली है, जिसके कारण सर्दियों और गर्मियों के तापमान में अन्तर आता है। सर्दियों में, उच्च अक्षांश क्षेत्रों से आ रही हवाएं ठण्डी और शुष्क होती हैं; जबकि गर्मियों में, निम्न अक्षांशों के समुद्री क्षेत्रों से आने वाली दक्षिणी हवाएं गर्म और आद्र होती हैं। देश के विशाल भूभाग और जटिल स्थलाकृति के कारण चीन के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों की जलवायु में बहुत परिवर्तन आता है।", + "2220_p21": "जैव विविधता \nविश्व के सत्रह अत्यधिक-विविध देशों में से एक, चीन विश्व के दो प्रमुख जैवक्षेत्रों में से एक, विवर्णआर्कटिक और हिन्दोमालय में निहित है। विवर��णअर्कटिक अंचल में पाए जाने वाले स्थनपाई हैं घोड़े, ऊँट, टपीर और ज़ेब्रा। हिन्दोमालय क्षेत्र की प्रजातियाँ हैं तेन्दुआ बिल्ली, बम्बू चूहा, ट्रीश्रौ और विभिन्न प्रकार के बन्दर और वानर कुछ प्राकृतिक फैलाव और प्रवास के कारण दोनों क्षेत्रों में अतिच्छादन पाया जाता है और हिरण या मृग, भालू, भेड़िए, सुअर और मूषक सभी विविध मौसमी और भूवैज्ञानिक वातावरणों में पाए जाते हैं। प्रसिद्ध विशाल पाण्डा चांग जियांग के सीमित क्षेत्र में पाया जाता है। लुप्तप्राय प्रजातियों का व्यापार एक सतत समस्या है, हालांकि इस प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगाने सम्बन्धी कानून हैं।", + "2220_p24": "चीन अपनी समृद्धि का मूल्य पर्यावरण क्षति के रूप में भी चुका रहा है। अग्रणी चीनी पर्यावरण प्रचारक मा जून ने चेताया है कि जल प्रदूषण चीन के लिए सबसे गम्भीर खतरों में से एक है। जल संसाधन मन्त्रालय के अनुसार, लगभग ३० करोड़ चीनी असुरक्षित पानी पी रहे हैं। यह जल की कमी के संकट को और अधिक दबावी बना देता है, जबकि चीन ६०० में से ४०० नगर जल की कमी से जूझ रहे हैं।", + "2220_p25": "स्वच्छ प्रौद्योगिकी में २००९ में ३४.५ अरब $ के निवेश के साथ, चीन विश्व का अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में निवेश करने वाला अग्रणी निवेशक है। चीन किसी भी अन्य देश की तुलना में सौर पैनलों और पवन टर्बाइनों का अधिक उत्पादन करता है।", + "2220_p26": "समय क्षेत्र \nचीन एक बहुत विशालाकार देश है जो पूर्व से पश्चिम में ५,००० किलोमीटर में फैला हुआ है लेकिन फिर भी देश में केवल एक ही समय क्षेत्र है जो यूटीसी से ८ घण्टे आगे हैं। चीन के विशाल आकार को देखते हुए यहाँ कम से कम चार समय क्षेत्र होने चाहिए लेकिन इतने विशालाकर देश में एक ही समय क्षेत्र होने के कारण जब सुदूर पूर्व में शाम के ५ बज रहे होते हैं तब सुदूर पश्चिम में समय दोपहर १ बजे होना चाहिए। लेकिन पूरे देश में एक ही समय क्षेत्र होने के कारण, जिसमें पूर्वी समय क्षेत्र को प्राथमिकता दी जाती है, पश्चिमी क्षेत्र के लोगों को दिनी प्रकाश का कम समय मिल पाता है जिसके कारण देश का पश्चिमी भाग, पूर्वी भाग की तुलना में पिछड़ा है।", + "2220_p27": "राजनीति \nचीन में राजनैतिक ढाँचा इस प्रकार है: सबसे ऊपर चीनी साम्यवादी दल और फिर सेना और सरकार। चीन का राष्ट्रप्रमुख राष्ट्रपति होता है, जबकि दल का नेता उसका आम सचिव होता है और चीनी मुक्ति से���ा का मुखिया केन्द्रीय सैन्य आयोग का अध्यक्ष होता है। वर्तमान में चीनी जनवादी गणराज्य के राष्ट्रपति शी जिनपिंग हैं, जो हू जिन्ताओ के उत्तराधिकारी हैं। शी जिनपिंग तीनों पदों के प्रमुख भी हैं। तीनों पदों का एक ही मुखिया होने के पीछे कारण है सत्ता संघर्ष को टालना - जैसा पहले हुआ करता था।\nराष्ट्रपति के प्राधिकरण अधीन चीन की राज्य परिषद है, जो चीन की सरकार है। सरकार के मुखिया वर्तमान में ली केकियंग हैं, जो परिवर्ती उपमन्त्रियों के मन्त्रीमण्डल के मुखिया हैं, जिसमें वर्तमान में चार सदस्य हैं, इसके अतिरिक्त अन्य बहुत से मन्त्रालय भी उनके अधीन हैं। यद्यपि राष्ट्रपति और राज्य परिषद कार्यकारी सभा बनाते हैं लेकिन चीनी जनवादी गणराज्य की सर्वोच्च सत्ता चीनी जनवादी गणराज्य की जनसभा है, जिसे चीनी सन्सद भी कह सकते हैं जिसमें तीन हज़ार प्रतिनिधि हैं और जो वर्ष में एक बार मिलते हैं।", + "2220_p28": "चीनी जनवादी गणराज्य की कोई स्वतन्त्र न्यायपालिका नहीं है। हालांकि १९७० के उत्तरकाल से मुखयतः महाद्विपीय यूरोपीय न्याय प्रणाली के आधार पर एक प्रभावशाली विधिक प्रणाली विकसित करने का प्रयास किया गया लेकिन न्यायपालिक साम्यवादी दल के अधीन ही है। इस प्रलाणी के दो अपवाद हैं हांग कांग और मकाउ, जहाँ क्रमशः ब्रिटिश और पुर्तगाली न्यायपालिका व्यवस्था है।", + "2220_p29": "चीनी साम्यवादी दल के साथ-साथ, चीन में आठ अन्य राजनैतिक दलों को भी सक्रिय रहने की अनुमति है लेकिन इन दलों को चीनी साम्यवादी दल की मुख्यता को स्वीकृत करना होता है और इनको दीर्घकालिक सहअस्तितव के सिद्धान्त के अनुसार केवल परामर्शदाता की भूमिका ही निभानी होती है।\nहांग कांह में और प्रवासी चीनी समुदायो के बहुत से सक्रियतावादी समूहों द्वारा बहुदलीय व्यवस्था के लिए दबाव बनाए जाने के बाद भी साम्यवादी दल इन परिवर्तनों के प्रति सदैव उदासीन बना रहा है। १९८० से स्थानीय क्षेत्रों में चुनाव होते रहें है जिनमें ग्राम मुखिया चुना जाता है। इस प्रकार के चुनाव हाल ही में नगरीय क्षेत्रों में भी विस्तारित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त दल के पीपल्स कांग्रेस के लिए भी नगरपालिका और जिला स्तर पर चुनाव हुए हैं। हालांकि नामांकन प्रणाली के कारण, जो आमतौर पर दल के अधीन है, चुनावी व्यवस्था में साम्यवादी दल की मुख्य भूमिका है। हांग कांग और मक���उ में चुनाव तो होते हैं लेकिन विधायिका के एक तिहाई सदस्यों को चुनने के लिए।", + "2220_p30": "प्रशासनिक विभाग \n \nचीन की सरकार के नियंत्रण में कुल ३३ प्रशासनिक विभाग हैं और इसके अतिरिक्त यह ताइवान को अपना एक प्रान्त मानता है, पर इसपर उसका नियंत्रण नहीं है।", + "2220_p31": " प्रान्त\nचीन के कुल २३ प्रान्त हैं। इसके नाम हैं -\nअंहुई, फ़ुजियान, गांशु, ग्वांगडोंग, गुईझोउ, हेइनान, हेबेइ, हुनान, जिआंग्शु, ज्यांगशी, जिलिन, लियाओनिंग, किंगहाई, शांक्झी, शांगदोंग, शांक्षी, शिचुआन, ताईवान, युन्नान, झेज़ियांग", + "2220_p32": " स्वायत्त क्षेत्र\nभीतरी मंगोलिया, ग्वांग्शि, निंग्स्या, बोड स्वायत्त क्षेत्र, शिंजांग स्वायत्त क्षेत्र, तिब्बत", + "2220_p33": " नगरपालिका\nबीजिंग, शांघाई, चोंगिंग, त्यांजिन", + "2220_p34": " विशेष प्रशासनिक क्षेत्र\nहांगकांग, मकाऊ", + "2220_p35": "सेना \nतेईस लाख सक्रिय चीनी मुक्ति सेना विश्व की सबसे बड़ी पदवीबल सेना है। चीमुसे के अन्तर्गत थलसेना, नौसेना, वायुसेना और रणनीतिक नाभिकीय बल सम्मिलित हैं। देश का आधिकारिक रक्षा व्यय 132 अरब अमेरिकी $(808.2 अरब युआन, २०१४ के लिए प्रस्तावित) है। 2013 में चीन का रक्षा बजट लगभग 118 अरब डॉलर था, जो 2012 के बजट से 10.7 प्रतिशत अधिक था। तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो चीन के सबसे बड़े पड़ोसी भारत का 2014 का रक्षा बजट 36 अरब डॉलर है। हालांकि अमेरिका का दावा है कि चीन अपने वास्तविक सैन्य व्यय को गुप्त रखता है। संराअमेरिका की एक संस्था का अनुमान है कि 2008 का आधिकारिक चीनी रक्षा व्यय 70 अरब अमेरिकी $ था किंतु वास्तविक व्यय 105 से 150 अरब के बीच में कहीं था।", + "2220_p36": "चीन के पास नाभिकिय अस्त्र और प्रक्षेपण प्रणालियां हैं और इसे एक प्रमुख क्षेत्रीय महाशक्ति और एक उभरती हुई वैश्विक महाशक्ति स्वीकार किया जाता है। चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का एकमात्र स्थाई सदस्य है जिसके पास सीमित शक्ति प्रक्षेपण क्षमताएं हैं, जिसके कारण यह विदेशी सैन्य सम्बन्ध स्थापित कर रहा है जिसकी स्ट्रिंग ऑफ़ पर्ल्स (सैनिक घेरेबन्दी) से तुलना की गई है।", + "2220_p37": "विदेश नीति \nचीन के विश्व के सभी प्रमुख देशों के साथ राजनयिक सम्बन्ध हैं। स्वीडन ९ मई, १९५० को चीन के साथ राजनयिक सम्बन्ध स्थापित करने वाला पहला पश्चिमी देश बना। १०७१ में, चीजग, चीनी गणराज्य को प्रतिस्थापित करते हुए चीन का प्रतिनिधित्व करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुर���्षा परिषद का स्थाई सदस्य और पाँच स्थाई सदस्यों में से एक बना। चीजग गुट निरपेक्ष आन्दोलन का भी अग्रनी और भूतपूर्व सदस्य था और अभी भी स्वयं को विकासशील देशों का पैरवीकार समझता है।", + "2220_p38": "एक-चीन नीति की अपनी व्याख्या के अन्तर्गत, चीजग ने राजनयिक सम्बन्ध स्थापित करने से पूर्व यह शर्त अनिवार्य कर दी है कि वह देश ताइवान के ऊपर उसका प्रभुत्व माने और चीनी गणराज्य की सरकार से कोई भी आधिकारिक सम्बन्ध न रखे; और जब-जब किसी भी देश ने राजनयिक सम्बन्ध बनाने और ताइवान को हथियार बेचने के लक्षण प्रकट किए हैं तब-तब चीन ने बहुत उग्र रूप में उसका विरोध किया है। चीजग, ताइवान की स्वतन्त्रता से समर्थक अधिकारियों, जैसे ली तेंग-हुइ और चेन शुइ-बियान और अन्य अलगाववादी अग्रकों जैसे दलाई लामा और रेनिया कदीर की विदेश यात्रा को भाव देने का भी विरोध किया है।", + "2220_p39": "१९४९ में अपनी स्थापना से १९७८ के उत्तरकाल तक, चीनी जनवादी गणराज्य एक सोवियत-शैली के समान एक केन्द्रीय नियोजित अर्थव्यस्था थी। निजी व्यापार और पूंजीवाद अनुपस्थित थे। देश के एक आधुनिक, औद्योगिक साम्यवादी समाज बनाने के लिए माओत्से तुंग ने प्रगल्भ दीर्घ छलांग की स्थापना की थी। माओ की मृत्यु और सांस्कृतिक क्रान्ति के अन्त के बाद, देंग जियाओपिंग और नए चीनी नेतृत्व में अर्थव्यवस्था में सुधार और एक दलीय शासन के अधीन एक बाज़ार-उन्मुख मिश्रित अर्थव्यवस्था बनाने के लिए सुधार आरम्भ किए। १९७८ से, चीन और जापान के राजनयिक सम्बन्ध सामान्य रहे हैं और चीन ने जापान से सुलभ ऋण लेने का निर्णय लिया। १९७८ से जापान, चीन में प्रथम विदेशी ऋणदाता रहा है। चीन की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से निजी सम्पत्ति के स्वामित्व पर आधारित एक बाज़ार अर्थव्यवस्था के रूप में चित्रित है। कृषि का सामूहीकरण हटा दिया गया और कृषिभूमि का उत्पादकता बढ़ाने के लिए निजीकरण किया गया।", + "2220_p40": "विस्तृत विविधता वाले लघु उद्यमों को प्रोत्साहित किया गया, जबकि सरकार ने मूल्य नियन्त्रण और विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया। विदेश व्यापार पर विकास के एक प्रमुख वाहन के समान ध्यान दिया गया, जो विशेष आर्थिक क्षेत्रों (विआक्षे) के निर्माण की ओर उन्मुख हुआ और शेन्ज़ेन (हांगकांग के निकट) में प्रथम और बाद में अन्य चीनी नगरों शहरों में विआक्षे का निर्माण हुआ। राज्य के स्वामित्व वा���े अक्षम उद्यमों (रास्वाउ) का पश्चिमी शैली की प्रबन्धन प्रणाली के आधार पर पुनर्गठन किया गया और लाभहीन वाले बन्द कर दिए गए, जिसके कारण बेरोज़गारी में भी वृद्धि हुई।", + "2220_p41": "१९७८ में आर्थिक उदारीकरण प्रारम्भ होने से लेकर अब तक, चीजग की निवेश-और-निर्यात-आधारित अर्थव्यवस्था आकार में ९० गुणा बढ़ गई है और विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। संज्ञात्मक सकल घरेलू उत्पाद के आधार पर यह अब दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसकी संज्ञात्मक जीडीपी ३४.०६ खरब यूआन (४.९९ खरब अमेरिकी $) है, यद्यपि इसकी प्रति व्यक्ति आय अभी भी ३,७०० अमेरिकी $ ही है जो चीजग को कम से कम सौ देशों से पीछे रखता है। प्राथमिक, गौण और तृतीयक उद्योगों का २००९ में अर्थव्यवस्था में क्रमशः १०.६%, ४६.८% और ४२.६% योगदान था। क्रय शक्ति के आधार पर भी चीजग ९.०५ खरब $ के साथ विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जो प्रति व्यक्ति ६,८०० बैठता है।\nचीजग ने पिछले एक दशक में औसतन १०.३% की दर से उन्नति की है जबकि अमेरिका के लिए यह आँकड़ा १.८% है। स्टैण्डर्ड चार्टेड का अनुमान है कि वृद्धि दर अगले दशक के मध्य तक ८% रह जाएगी और २०२७ से २०३० के मध्य ५% तक रहेगी।", + "2220_p42": "नवम्बर २०१० में जापान की सरकार ने कहा कि चीन, जो विश्व का सबसे बड़ा मोबाइल फ़ोन, कम्प्यूटर और वाहन निर्माता है, में उत्पादन में सितम्बर २०१० से आरम्भ तिमाही में जापान को पछाड़ चुका है। चीन की अर्थव्यवस्था ने २००५ में ब्रिटेन और २००७ में जर्मनी की अर्थव्यवस्थाओं को पछाड़ दिया था।", + "2220_p43": "चीजन विश्व का सर्वाधिक पधारा जाने वाला देश है जहाँ २००९ में ५ करोड़ ९ लाख अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटक पधारे थे। यह विश्व व्यापार संगठन (विव्यास) का सदस्य है और विश्व की दूसरी सबसे बड़ी व्यापारिक शक्ति है जिसका कुल अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार २.२१ खरब अमेरिकी $ (१.२० खरब निर्यात (#१) और १.०१ खरब आयात (#२)) था। इसका विदेशी मुद्रा भण्डार २.४ खरब $ है जो विश्व में बड़े अन्तर से सर्वाधिक है। चीजग एक अनुमान के अनुसार १.६ खरब $ की अमेरिकी प्रतिभूतियों का स्वामी है। चीजग, ८०१.५ अरब $ के राजकोषीय (ट्रेज़री) बॉण्ड के साथ, संराअमेरिका के सार्वजनिक ऋण का सबसे बड़ा विदेशी धारक है। २००८ में चीजग ने ९२.४ अरब $ का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (प्रविनि) आकर्षित किया जो ���िश्व में तीसरा सर्वाधिक था यह और स्वयं चीजग ने भी विदेशो में ५२.२ अरब $ निवेश किए जो विश्व में छठा सर्वाधिक था।", + "2220_p44": "विज्ञान और प्रौद्योगिकी \nचीन-सोवियत अलगाव के बाद, चीन ने स्वयं के नाभिकीय हथियार और प्रक्षेपण प्रणालियाँ विकसित करनी आरम्भ की और १९६1 में अपना प्रथम नाभिकीय परिक्षण लोप नुर में किया। इसके पश्चात चीन ने अपना उपग्रह प्रक्षेपण कार्यक्रम भी १९७० में आरम्भ किया और दोंग फांग होंग १ यान अन्तरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। इस प्रक्षेपण ने चीन को ऐसा करने वाला पाँचवा राष्ट्र बना दिया।", + "2220_p45": "१९९२ में, शेन्झोउ नामक मानवसहित अन्तरिक्ष कार्यक्रम आरम्भ किया गया। चार मानवरहित परिक्षणों के पश्चात, शेन्झोउ पाँच १५ अक्टूबर, २००३ को लॉंग मार्च टूएफ़ प्रक्षेपण वाहन का उपयोग कर चीनी अन्तरिक्षयात्री यांग लिवेइ सहित प्रक्षेपित किया गया और ऐसा करने वाला चीजग क्रमशः सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद विश्व का तीसरा देश बना जिसने घरेलू प्रौद्योगिकी के बलबूते पर मानवसहित अन्तरिक्ष यान भेजा। अक्टूबर २००५ में चीन ने दूसरा मानवसहित अभियान भी पूरा किया जब शेन्झोउ छः दो अन्तरिक्षयात्रियों को लेकर प्रक्षेपित किया गया। २००८ में चीन ने सफलतापूर्वक शेन्झोउ सात अभियान पूरा किया और अन्तरिक्ष-चहलकदमी करने वाला चीन तीसरा देश बना। २००७ में चीन ने चन्द्र गवेषण के लिए चैंग'ई नामक अन्तरिक्षयान भेजा, जिसका नाम चीन की प्राचीन चन्द्रदेवी के नाम पर था, जो चीनी चन्द्र गवेषण कार्यक्रम का भाग था। चीन की भविष्य में अन्तरिक्ष स्टेशन बनाने और मंगल ग्रह पर भी मानवसहित अभियान भेजने की योजना है।", + "2220_p46": "चीन का शोध और विकास व्यय विश्व में दूसरा सर्वाधिक है और २००६ में चीन ने शोध और विकास पर १३६ अरब $ खर्च किए जो २००५ की तुलना में २०% अधिक था। चीनी सरकार नवोन्मेष और वित्तीय और कर प्रणालियों में सुधार करके वृह्द जन जागरुकता के द्वारा शोध और विकास पर निरन्तर बल देती रही है ताकि अत्याधुनिक उद्योगों को प्रोत्साहन दिया जा सके।", + "2220_p47": "२००६ में राष्ट्रपति हू जिन्ताओ ने चीन को विनिर्माण-आधारित अर्थव्यवस्था से नवोन्मेष-आधारित अर्थव्यवस्था बनाने की बात कही और राष्ट्रीय जन कांग्रेस ने शोध निधि के लिए विशाल वृद्धि की। स्टेम सेल अनुसन्धान और जीन थेरेपी, जिस�� पश्चिमी देशों में विवादास्पद माना जाता है, पर चीन में न्यून विनियमन है। चीन में अनुमानित ९,२६,००० शोधकर्ता हैं, जो संराअमेरिका के १३ लाख के बाद विश्व में सर्वाधिक है।", + "2220_p48": "चीन बड़ी सक्रियता से अपने सॉफ़्टवेयर, अर्धचालक (सेमीकण्डक्टर) और ऊर्जा उद्योगों, जिनमें अक्षय ऊर्जाएँ जैसे जल, पवन और सौर ऊर्जा, सम्मिलित हैं का भी विकास कर रहा है। कोयला जलाने वाले ऊर्जा संयन्त्रों से निकलने वाले धुएँ को कम करने के लिए, चीन, कंकड़ शय्या नाभिकीय रिएक्टर प्रस्तरण, जो ठण्डे और सुरक्षित हैं, में भी अग्रणी है और हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के लिए भी जिसकी सम्भावना है।", + "2220_p49": "२०१० में चीन ने तियान्हे-१ए विकसित किया, जो विश्व का सबसे तेज़ सूपरकम्प्यूटर है और वर्तमान में तियान्जिन के राष्ट्रीय सूपरकम्प्यूटिंग केन्द्र में रखा हुआ है। इस प्रणाली की तेल गवेषण के लिए भूकम्प-सम्बन्धी आँकड़ो, बायो-मेडिकल कम्प्यूटिंग और अन्तरिक्षयानों के अभिकल्प के लिए प्रयुक्त किए जाने की सम्भावना है। चीन के तियान्हे १ए के अतिरिक्त, चीन के पास नेबुले भी है और यह विश्व के सार्वजनिक रूप से उपलब्ध शीर्ष के दस सूपरकम्प्यूटरों में से एक है।", + "2220_p50": "संचार \nवर्तमान में चीन में सर्वाधिक सेलफ़ोन प्रयोक्ता हैं और यह संख्या जुलाई २०१० में ८० करोड़ थी। चीन में अन्तरजाल और ब्रॉडबैण्ड उपभोक्ताओं की संख्या भी विश्व में सर्वाधिक है।", + "2220_p51": "चीन टेलीकॉम और चीन यूनिकॉम दो भीमकाय ब्रॉडबैण्ड सेवा प्रदाता हैं, जिनके पास विश्व ब्रॉडबैण्ड उपभोक्ताओं का २०% भाग है, जबकि पश्चातवर्ती दस सबसे बड़े ब्रॉडबैण्ड सेवा प्रदाताओं के पास विश्व के ३९% प्रतिशत उपभोक्ता हैं। चीन टेलीकॉम के पास ५.५ करोड़ ब्रॉडबैण्ड उपभोक्ता हैं और चीन यूनिकॉम जिसके पास ४ करोड़ उपभोक्ता है जबकि तीसरे सबसे बड़े प्रदाता एनटीटी के पास केवल १.८ करोड़ उपभोक्ता हैं। आने वाले वर्षों में इन शीर्ष के दो संचालकों और विश्व के अन्य ब्रॉडबैण्ड सेवा प्रदाताओं के बीच का अन्तर बढ़ता ही जाएगा, क्योंकि जहाँ चीन का ब्रॉडबैण्ड उपभोक्ता बाज़ार फैल रहा है वहीं अन्य आईएसपी पूर्णतः विकसित बाज़ारों में संचालन कर रहे हैं, जहाँ पहले से ही ब्रॉडबैण्ड फैलाव है और उपभोक्ता वृद्धि दर तेज़ी से कम हो रही है।", + "2220_p52": "परिवहन \nमुख्यभूमि चीन में १९९० के उत्तरकाल से परिवहन में बहुत तीव्र सुधार हुए हैं। चीन की सरकार का प्रयास है कि पूरे देश को द्रुतगामी मार्गों के तन्त्र द्वारा जोड़ दिया जाए। इस तन्त्र की कुल लम्बाई २००७ के अन्त तक ५३,६०० किमी थी, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद विश्व में सर्वाधिक है, जबकि १९८८ में यह लम्बाई कुल १,००० किमी थी।", + "2220_p55": "चीन के रेल परिवहन में भी बहुत तीव्र सुधार हुए हैं और इस समय चीन का उच्चगति रेल तन्त्र ७,०५० किमी लम्बा है जो विश्व में सर्वाधिक है। चीनी सरकार इस तन्त्र को और बढ़ाने की योजना बना रही है। रेल परिवहन सरकार के अधीन है।", + "2220_p56": "चीन के बड़े नगरों में भूमिगत रेलमार्ग हैं। शंघाई, जिसके पास विश्व के सबसे बड़े मेट्रों मार्गों में से एक है, में विश्व की सबसे तीव्रगामि रेलगाड़ी भी है, जो नगर केन्द्र को पुडोंग अन्तर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से जोड़ती है। यह रेलसेवा पारम्परिक रेलमार्ग पर आधारित न होकर चुम्बकीय शक्ति का उपयोग कर चलती है जिसे मैगलेव कहा जाता है।", + "2220_p57": "जनसांख्यिकी \nजुलाई २०१० की स्थिति तक, चीनी जनवादी गणराज्य की कुल जनसंख्या १,३३,८६,१२,९६८ है। २१% लोग १४ वर्ष या कम के हैं, ७१% १५ से ६४ वर्ष के बीच हैं और ८% ६५ वर्ष या ऊपर हैं। जनसंख्या वृद्धि दर २००६ में ०.६% थी।", + "2220_p58": "चीन १.३ अरब की जनसंख्या को लेकर चीनी सरकार बहुत चिन्तित है और इस पर लगाम लगाने के लिए चीन की सरकार ने कड़ाई से परिवार नियोजन योजना लागू की जिसका मिश्रित परिणाम रहा। सरकार का उद्देश्य, केवल ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे और कुछ नस्त्लीय अल्पसंख्यकों को छोड़कर, प्रति परिवार एक बच्चा है। सरकार का उद्देश्य २१वीं सदी में जनसंख्या वृद्धि को सन्तुलित करना है, हालांकि कुछ अनुमानों के अनुसार २०५० तक चीन की जनसंख्या १.५ अरब तक होगी। इसलिए चीन के परिवार नियोजन मन्त्रालय ने इंगित किया है कि चीन अपनी एक-बच्चा नीति कम से कम २०२० तक जारी रखेगा।", + "2220_p59": "नस्लीयता \nचीजग आधिकारिक रूप से ५६ विभिन्न नस्लीय समूहों को मान्यता देता है, जिसमें सबसे बड़ा समूह हान चीनीयों का है, जो जनसंख्या का लगभग ९२% हैं। अन्य बड़े नस्लीय समूह हैं झुआंग (१.६ करोड़), मांचू (१ करोड़), हुई (९० लाख), मियाओ (८० लाख), उइघिर (७० लाख), यि (७० लाख), तूजिया (५७.५ लाख), मंगोल (५० लाख), तिब्बती (५० लाख), बूयेइ (३० लाख) और कोरियाई (२० लाख)।", + "2220_p60": "धर्म \nमुख्यभूमि चीम में सीमित धार्मि��� स्वतन्त्रता प्रदान की जाती है और केवल उन्हीं समुदायों के प्रति सहनशीलता बरती जाती है जो सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हैं। आधिकारिक आँकड़े उपलब्ध न हो पाने के कारण धर्मानुयायीयों की सही संख्या बता पाना कठिन है, लेकिन यह माना जाता है कि पिछले २० वर्षों के दौरान धर्म का उत्थन देखा गया है। १९९८ के एडहियर्ण्ट.कॉम के अनुसार चीन की ५९% जनसंख्या अधार्मिकों की है। इसी दौरान २००७ के एक अन्य सर्वेक्षण के अनुसार चीन में ३० करोड़ (२३%) विश्वासी है जो सरकारी आँकड़े १० करोड़ से अधिक है।", + "2220_p61": "सर्वेक्षणों के पश्चात भी अधिकांश लोग इस बात पर सहमत हैं कि पारम्परिक धर्म जैसे बौद्ध धर्म, ताओ धर्म और चीनी लोक धर्म बहुसंख्यक हैं। विभिन्न स्रोतो के अनुसार चीन मैं बौद्धों की संख्या ६६ करोड़ (~५०%) से १ अरब (~८०%) है जबकि ताओ धर्मियों की संख्या ४० करोड़ या लगभग ३०% है। लेकिन चूंकि एक व्यक्ति एक से अधिक धर्मों का पालन कर सकता है इसलिए चीन में बौद्धों, ताओं और चीनी लोक धर्मियों की सही संख्या बता पाना कठिन है।", + "2220_p62": "चीन में ईसाई धर्म ७वीं सदी में तांग राजवंश के दौरान आया था। इसके पश्चात १३वीं सदी में फ़्रान्सिसकन मिशनरी आए, १६वीं सदी में जीज़ूइट और अन्ततः १९वीं सदी में प्रोटेस्टेण्ट आए और इस दौरान चीन में ईसाई धर्म ने अपनी जड़े सुदृढ़ कीं। अल्पसंख्यक धर्मों में ईसाई धर्म सबसे तेज़ी से फैला (विशेषकर पिछले २०० वर्षों में) और आज चीन में ईसाईयों की संख्या चार करोड़ से साढ़े पाँच करोड़ के बीच है जो लगभग ४% है, जबकि आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार चीम में एक करोड़ साठ लाख ईसाई हैं। कुछ अन्य स्रोतो का मानना है कि चीन में १३ करोड़ तक ईसाई हैं।", + "2220_p63": "चीन में इस्लाम धर्म का आगमन ६५१ ईस्वी में हुआ था। मुसलमान चीन में व्यापार करने के लिए आए थे और सोंग राजवंश के दौरान उनका आयात-निर्यात उद्योग पर प्रभुत्व था। वर्तमान में चीन में मुसलमानों की संख्या दो से तीन करोड़ के बीच है जो कुल जनसंख्या का १.५ से २% है। चीन में मुसलमानों पर अत्यधिक तवजुब दी जाती है । वो हमेशा सरकार की नजरों में रहते है । मुसलमानों का नमाज़ अदा करना , मस्जिदों में नमाज पढ़ना स्कक्त मना ही है । इस्लामिक कट्टर वादी होने के कारण हमसे चीनी मुस्लिम , चीनी सैनकों द्वारा नज़र बंद रहता है ।", + "2220_p67": "आज, चीनी जनवादी गणराज्य में दर्जनों ऐसे नगर हैं जिनकी स्थाई या दीर्घकालिक नागरिकों की संख्या १० लाख से अधिक है। इन नगरों में तीन वैश्विक नगर बीजिंग, शंघाई और हांगकांग भी सम्मिलित हैं।", + "2220_p69": "चीनी भाषा विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। दरसल चीन के विभिन्न लोगों द्वारा जो भाषाएँ बोली जाती हैं उन्हें सामूहिक रूप से चीनी भाषा कहा जाता है। चीन की प्रमुख और राष्ट्रव्यापी भाषा चीनी मन्दारिन है जो देश की आधिकारिक भाषा भी है। कुल मिलाकर चीन के ७५% लोग यह भाषा बोलते हैं। इसके अतिरिक्त यह ताइवान और सिंगापुर में भी आधिकारिक भाषा है। हांगकांग और मकाउ में कण्टोनी भाषा आधिकारिक है। इसके अतिरिक्त क्रमशः हांगकांग में अंग्रेज़ी और मकाउ में पुर्तगाली भाषाएँ भी आधिकारिक हैं। \nइसके अतिरिक्त चीन में बहुत सी भाषाएँ इसके नस्लीय समूहों द्वारा बोली जाती हैं जिन्हें झोंग्गुओ यूवेन कहा जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ है \"चीन की बोली और लेखन\" जिसमें मुख्यतः छः भाषा परिवारों की भाषाएँ हैं।", + "2220_p71": "खेलकूद \nचीन की खेलकूद संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन में से एक है। इस बात के भी प्रमाण हैं कि फुट्बॉल चीन में प्राचीन काल में भी खेला जाता था। फुट्बॉल के अतिरिक्त देश में अन्य लोकप्रिय खेल हैं मार्शल आर्ट्स, टेबल टेनिस, बैडमिण्टन, तैराकी, बॉस्केटबॉल और स्नूकर। बोर्ड खेल जैसे वेइकी और श़ीयंगकी (चीनी चैस) और हाल ही में चैस भी आमतौर पर खेले जाते हैं और इनकी प्रतियोगिताएं आयोजित कराई जाती हैं।", + "2220_p72": "शारीरिक चुस्ती पर चीनी संस्कृति में बहुत बल दिया जाता है। प्रातः कालीन व्यायाम एक आम क्रिया है और वृद्ध लोगों को पार्कों में किगोंग और ताइ ची चूआन खेलते हुए या छात्रों को विद्यालय परिसरों में स्ट्रेचिस करते हुए देखा जा सकता है।", + "2220_p74": "८ से २४ अगस्त, २००८ के बीच चीन में आयोजित २००८ ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों में चीन सर्वाधिक स्वर्ण जीतकर पदक तालिका में प्रथम स्थान पर रहा।", + "2220_p75": " ताइवान\n चीन व भारत के राजनीतिक सम्बन्ध\n चीनी शताब्दी", + "2220_p76": "बाहरी कड़ियाँ \n जानें चीन का सच-चीन और भारत में क्या है साझा\nसरकार\n चीनी जनवादी गणराज्य की केन्द्रीय जनवादी सरकार ", + "2220_p77": "अन्य\n चीन का इतिहास (गूगल पुस्तक)\n चीनी जन्वादी गणराज्य - गूगल खोज परिणाम", + "2220_p78": "चीन\nचीनी जनवादी गणराज्य\nएशिया के देश\nपूर्वी एशिया के देश", + "2573_p0": "{{Infobox settlement\n| name = लद्दाख़\n| official_name = \n| native_name = \n| native_name_lang = \n| other_name = Ladakh\n| settlement_type = केन्द्र-शासित प्रदेश\n| image_s = \n| image_caption = \n| image_flag = Flag of India.svg\n| image_seal = Flag of Ladakh, India.svg\n| seal_alt = Flag of Ladakh, India.svg\n| nickname = \n| image_map = IN-LA.svg\n| map_caption                     = भारत में लद्दाख\n| map_alt = \n| pushpin_map = \n| pushpin_label_position = \n| pushpin_map_alt = \n| pushpin_map_caption = \n| coordinates = \n| image = J,K and L - Indian Union Territories.jpg\n| image_caption = लद्दाख केन्द्र-शासित प्रदेश (भारत)\n| subdivision_type = देश\n| subdivision_name = \n| subdivision_type1 = \n| subdivision_type2 = \n| subdivision_name1 = \n| subdivision_name2 = \n| established_title = केन्द्र-शासित प्रदेश\n| established_date = 31 अक्तूबर 2019| seat_type = राजधानी\n| seat = लेह। लद्दाख का कुल क्षेत्रफल 1,66,698 वर्ग किलोमीटर है। जिसमें से 59,146 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र भारत के नियंत्रण में है।बाकि क्षेत्र पाकिस्तान और चीन के अवैध कब्जे में है।\n| parts_type = ज़िले\n| parts_style = para\n| p1 = 2\nलेह\nकारगिल\n| founder = \n| named_for = \n| government_type = \n| governing_body = लद्दाख प्रशासन उपराज्यपाल -बी डी मिश्रा \n| leader_title = उपराज्यपाल\n| leader_name ब्रिगेडियर (रिटायर्ड)बी डी मिश्रा]\n| leader_title1 = सांसद\n| leader_name1 = जमयांग सेरिंग नामग्याल (भाजपा)\n| leader_title2 = उच्च न्यायालय\n| leader_name2 = जम्मू- कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय\n| unit_pref = Metric\n| area_footnotes = \n| area_rank = \n| area_total_km2 = 59146\n| elevation_footnotes = \n| elevation_m = \n| elevation_max_footnotes = \n| elevation_max_m = 7,742\n| elevation_max_ft = \n| elevation_max_point = साल्तोरो कांगरी\n| elevation_max_rank = \n| elevation_min_footnotes = \n| elevation_min_m = 2550\n| elevation_min_ft = \n| elevation_min_point = सिन्धु नदी\n| elevation_min_rank = \n| population_total = 274289\n| population_as_of = 2011\n| population_rank = \n| population_density_km2 = auto\n| population_demonym = लद्दाख़ी\n| population_footnotes = \n| demographics_type1 = भाषाएँ\n| demographics1_title1 = आधिकारिक\n| demographics1_info1 = हिन्दी, लद्दाख़ी, तिब्बती\n| timezone1 = भामस\n| utc_offset1 = +5:30\n| postal_code_type = \n| postal_code = लेह: 194101; कर्गिल: 194103\n| registration_plate = LA\n| blank1_name_sec1 = मुख्य नगर\n| blank1_info_sec1 = लेह, कर्गिल\n| blank3_name_sec1 = \n| blank3_info_sec1 = \n| website = https://ladakh.nic.in/\n| footnotes = \n}}\nलद्दाख़ (तिब्बती लिपि: ལ་དྭགས་ ; \" ऊँचे दर्रों (passes) की भूमि\") भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश है, जो उत्तर में काराकोरम पर्वत और दक्षिण में हिमालय पर्वत के बीच में है। यह भारत के सबसे विरल जनसंख्या वाले भागों में से एक है। भारत गिलगित बलतिस्तान और अक्साई चिन को भी इसका भाग मानता है, जो वर्तमान में क्रमशः पाकिस्तान और चीन के अवैध कब्जे में है। यह पूर्व में तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र, दक्षिण में भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश, पश्चिम में जम्मू और कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश और पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बल्तिस्तान से घिरा है। सुदूर उत्तर में क़ाराक़ोरम दर्रा पर शिंजियांग। यह काराकोरम रेंज में सियाचिन ग्लेशियर से लेकर उत्तर में दक्षिण में मुख्य महान हिमालय तक फैला हुआ है। पूर्वी छोर, जिसमें निर्जन अक्साई चिन मैदान शामिल हैं, भारत सरकार द्वारा लद्दाख के हिस्से के रूप में दावा किया जाता है, और 1962 से चीनी नियन्त्रण में है। अगस्त 2019 में, भारत की संसद ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 पारित किया जिसके द्वारा 31 अक्टूबर 2019 को लद्दाख एक केन्द्र शासित प्रदेश बन गया। लद्दाख क्षेत्रफल में भारत का सबसे बड़ा केन्द्र शासित प्रदेश है। लद्दाख सबसे कम आबादी वाला केन्द्र शासित प्रदेश है।", + "2573_p1": "केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख के अन्तर्गत पाक अधिकृत गिलगित बलतिस्तान ,चीन अधिकृत अक्साई चिन और शक्सगम घाटी का क्षेत्र भी शामिल है । सन 1963 में पाकिस्तान द्वारा 5180 वर्ग किलोमीटर का शक्सगम घाटी क्षेत्र चीन को उपहार में दिया गया ,जो लद्दाख का हिस्सा है । इसके उत्तर में चीन तथा पूर्व में तिब्बत की सीमाएँ हैं। सीमावर्ती स्थिति के कारण सामरिक दृष्टि से इसका बड़ा महत्व है। लद्दाख, उत्तर-पश्चिमी हिमालय के पर्वतीय क्रम में आता है, जहाँ का अधिकांश धरातल कृषि योग्य नहीं है। यहाँ की जलवायु अत्यन्त शुष्क एवं कठोर है। वार्षिक वृष्टि 3.2 इंच तथा वार्षिक औसत ताप 5 डिग्री सें. है। नदियाँ दिन में कुछ ही समय प्रवाहित हो पाती हैं, शेष समय में बर्फ जम जाती है। सिंधु मुख्य नदी है। केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख की राजधानी एवं प्रमुख नगर लेह है, जिसके उत्तर में कराकोरम पर्वत तथा दर्रा है। अधिकांश जनसंख्या घुमक्कड़ है, जिसकी प्रकृति, संस्कार एवं रहन-सहन तिब्बत से प्रभावित है। पूर्वी भाग में अधिकांश लोग बौद्ध हैं तथा पश्चिमी भाग में अधिकांश लोग मुसलमान हैं। बौद्धों का सबसे बड़ा धार्मिक संस्थान है।", + "2573_p2": "लद्दाख में कई स्थानों पर मिले शिलालेखों से पता चलता है कि यह स्थान नव-पाषाणकाल से स्थापित है। लद्दाख के प्राचीन निवासी मोन और दार्द लोगों का वर्णन हेरोडोट्स, नोर्चुस, मेगस्थनीज, प्लीनी, टॉलमी और नेपाली पुराणों ने भी किया है। पहली शताब्दी के आसपास लद्दाख कुषाण राज्य का हिस्सा था। बौद्ध धर्म दूसरी शताब्दी में कश्मीर से लद्दाख में फैला। उस समय पूर्वी लद्दाख और पश्चिमी तिब्बत में परम्परागत बोन धर्म था। सातवीं शताब्दी में बौद्ध यात्री ह्वेनसांग ने भी इस क्षेत्र का वर्णन किया है।", + "2573_p3": "आठवीं शताब्दी में लद्दाख पूर्व से तिब्बती प्रभाव और मध्य एशिया से चीनी प्रभाव के टकराव का केन्द्र बन गया। इस प्रकार इसका आधिपत्य बारी-बारी से चीन और तिब्बत के हाथों में आता रहा। सन 842 में एक तिब्बती शाही प्रतिनिधि न्यिमागोन ने तिब्बती साम्राज्य के विघटन के बाद लद्दाख को कब्जे में कर लिया और पृथक लद्दाखी राजवंश की स्थापना की। इस दौरान लद्दाख में मुख्यतः तिब्बती जनसंख्या का आगमन हुआ। राजवंश ने उत्तर-पश्चिम भारत खासकर कश्मीर से धार्मिक विचारों और बौद्ध धर्म का खूब प्रचार किया। इसके अलावा तिब्बत से आये लोगों ने भी बौद्ध धर्म को फैलाया। \nऔर पश्चिम में तिब्बतियों का सामना एक विदेशी राज्य शुंग शांग से हुआ जिसकी राजधानी क्युंगलुंग थी। कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील इस राज्य के भाग थे। इसकी भाषा हमें प्रारम्भिक आलेखों से पता चलती है। यह अभी भी अज्ञात है, लेकिन यह इण्डो-यूरोपियन लगती है। ... भौगोलिक रूप से यह राज्य भ्रत व कश्मीर दोनों के रास्ते नेपाल से मिलता है। कैलाश नेपालीयों के लिये पवित्र स्थान है। वे यहां की तीर्थयात्रा पर आते हैं। कोई नहीं जानता कि वे ऐसा कब से कर रहे हैं, लेकिन वे तब से पहले से आते हैं जब शांगशुंग तिब्बत से आजाद था।\nशांगशुंग कितने समय तक उत्तर, पूर्व और पश्चिम से अलग रहा, यह नहीं मालूम।... हमारे पास यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि पवित्र कैलाश पर्वत के कारण यहां हिन्दू धर्म से मिलता-जुलता धर्म रहा होगा। सन 950 में, काबुल के हिन्दू राजा के पास विष्णु जी की तीन सिर वाली एक मूर्ति थी जिसे उसने भोट राजा से प्राप्त हुई बताया था।\n \n17वीं शताब्दी में लद्दाख का एक कालक्रम बनाया गया, जिसका नाम ला ड्वाग्स रग्याल राब्स था। इसका अर्थ होता है लद्दाखी राजाओं का शा��ी कालक्रम। इसमें लिखा है कि इसकी सीमाएं परम्परागत और प्रसिद्ध हैं। कालक्रम का प्रथम भाग 1610 से 1640 के मध्य लिखा गया और दूसरा भाग 17वीं शताब्दी के अन्त में। इसे ए. एच. फ्रैंक ने अंग्रेजी में अनुवादित किया और “नेपाली प्राचीन तिब्बत” के नाम से 1926 में कलकत्ता में प्रकाशित कराया। इसके दूसरे खण्ड में लिखा है कि राजा साइकिड-इडा-नगीमा-गोन ने राज्य को अपने तीन पुत्रों में विभक्त कर दिया और पुत्रों ने राज्य की सीमाओं को सुरक्षित रखा। ", + "2573_p4": "पुस्तक के अवलोकन से पता चलता है कि रुडोख लद्दाख का अभिन्न भाग था। परिवार के विभाजन के बाद भी रुडोख लद्दाख का हिस्सा बना रहा। इसमें मार्युल का अर्थ है निचली धरती, जो उस समय लद्दाख का ही हिस्सा थी। दसवीं शताब्दी में भी रुडोख और देमचोक दोनों लद्दाख के हिस्से थे।", + "2573_p5": "13वीं शताब्दी में जब दक्षिण एशिया में इस्लामी प्रभाव बढ रहा था, तो लद्दाख ने धार्मिक मामलों में तिब्बत से मार्गदर्शन लिया। लगभग दो शताब्दियों बाद सन 1600 तक ऐसा ही रहा। उसके बाद पड़ोसी मुस्लिम राज्यों के हमलों से यहां आंशिक धर्मान्तरण हुआ।", + "2573_p6": "राजा ल्हाचेन भगान ने लद्दाख को पुनर्संगठित और शक्तिशाली बनाया व नामग्याल वंश की नींव डाली जो वंश आज तक जीवित है। नामग्याल राजाओं ने अधिकतर मध्य एशियाई हमलावरों को खदेडा और अपने राज्य को कुछ समय के लिये नेपाल तक भी बढा लिया। हमलावरों ने क्षेत्र को धर्मान्तरित करने की खूब कोशिश की और बौद्ध कलाकृतियों को तोडा फोडा। सत्रहवीं शताब्दी के आरम्भ में कलाकृतियों का पुनर्निर्माण हुआ और राज्य को जांस्कर व स्पीति में फैलाया। फिर भी, मुगलों के हाथों हारने के बावजूद भी लद्दाख ने अपनी स्वतन्त्रता बरकरार रखी। मुगल पहले ही कश्मीर व बाल्टिस्तान पर कब्जा कर चुके थे।", + "2573_p7": "सन 1594 में बाल्टी राजा अली शेर खां अंचन के नेतृत्व में बाल्टिस्तान ने नामग्याल वंश वाले लद्दाख को हराया। कहा जाता है कि बाल्टी सेना सफलता से पागल होकर पुरांग तक जा पहुंची थी जो मानसरोवर झील की घाटी में स्थित है। लद्दाख के राजा ने शान्ति के लिये विनती की और चूंकि अली शेर खां की इच्छा लद्दाख पर कब्जा करने की नहीं थी, इसलिये उसने शर्त रखी कि गनोख और गगरा नाला गांव स्कार्दू को सौंप दिये जायें और लद्दाखी राजा हर साल कुछ धनराशि भी भेंट करे। यह राशि लामायुरू के गोम्पा तब तक दी जाती रही जब तक कि डोगराओं ने उस पर अधिकार नहीं कर लिया। ", + "2573_p8": "सत्रहवीं शताब्दी के आखिर में लद्दाख ने किसी कारण से तिब्बत की लडाई में भूटान का पक्ष लिया। नतीजा यह हुआ कि तिब्बत ने लद्दाख पर भी आक्रमण कर दिया। यह घटना 1679-1684 का तिब्बत-लद्दाख-मुगल युद्ध कही जाती है। तब कश्मीर ने इस शर्त पर लद्दाख का साथ दिया कि लेह में एक मस्जिद बनाई जाये और लद्दाखी राजा इस्लाम कुबूल कर ले। 1684 में तिंगमोसगंज की सन्धि हुई जिससे तिब्बत और लद्दाख का युद्ध समाप्त हो गया। 1834 में डोगरा राजा गुलाब सिंह के जनरल जोरावर सिंह ने लद्दाख पर आक्रमण किया और उसे जीत लिया। 1842 में एक विद्रोह हुआ जिसे कुचल दिया गया तथा लद्दाख को जम्मू कश्मीर के डोगरा राज्य में विलीन कर लिया गया। नामग्याल परिवार को स्टोक की नाममात्र की जागीर दे दी गई। 1850 के दशक में लद्दाख में यूरोपीय प्रभाव बढा और फिर बढता ही गया। भूगोलवेत्ता, खोजी और पर्यटक लद्दाख आने शुरू हो गये। 1885 में लेह मोरावियन चर्च के एक मिशन का मुख्यालय बन गया।", + "2573_p9": "1947 में भारत विभाजन के समय डोगरा राजा हरिसिंह ने जम्मू कश्मीर को भारत में विलय की मंजूरी दे दी। पाकिस्तानी घुसपैठी लद्दाख पहुंचे और उन्हें भगाने के लिये सैनिक अभियान चलाना पडा। युद्ध के समय सेना ने सोनमर्ग से जोजीला दर्री पर टैंकों की सहायता से कब्जा किये रखा। सेना आगे बढी और द्रास, कारगिल व लद्दाख को घुसपैठियों से आजाद करा लिया गया। ", + "2573_p10": "1949 में चीन ने नुब्रा घाटी और जिनजिआंग के बीच प्राचीन व्यापार मार्ग को बन्द कर दिया। 1955 में चीन ने जिनजिआंग व तिब्बत को जोदने के लिये इस इलाके में सडक बनानी शुरू की। उसने पाकिस्तान से जुडने के लिये कराकोरम हाईवे भी बनाया। भारत ने भी इसी दौरान श्रीनगर-लेह सडक बनाई जिससे श्रीनगर और लेह के बीच की दूरी सोलह दिनों से घटकर दो दिन रह गई। हालांकि यह सडक जाडों में भारी हिमपात के कारण बन्द रहती है। जोजीला दर्रे के आरपार 6.5 किलोमीटर लम्बी एक सुरंग का प्रस्ताव है जिससे यह मार्ग जाडों में भी खुला रहेगा। पूरा जम्मू कश्मीर राज्य भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच युद्ध का मुद्दा रहता है। कारगिल में भारत-पाकिस्तान के बीच 1947, 1965 और 1971 में युद्ध हुए और 1999 में तो यहां परमाणु युद्ध तक का खतरा हो गया था।", + "2573_p11": "1999 में जो कारगिल युद्ध हुआ उसे भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय का नाम दिया ग���ा। इसकी वजह पश्चिमी लद्दाख मुख्यतः कारगिल, द्रास, मश्कोह घाटी, बटालिक और चोरबाटला में पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ थी। इससे श्रीनगर-लेह मार्ग की सारी गतिविधियां उनके नियन्त्रण में हो गईं। भारतीय सेना ने आर्टिलरी और वायुसेना के सहयोग से पाकिस्तानी सेना को लाइन ऑफ कण्ट्रोल के उस तरफ खदेडने के लिये व्यापक अभियान चलाया। ", + "2573_p12": "1984 से लद्दाख के उत्तर-पूर्व सिरे पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद की एक और वजह बन गया। यह विश्व का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है। यहां 1972 में हुए शिमला समझौते में पॉइण्ट 9842 से आगे सीमा निर्धारित नहीं की गई थी। यहां दोनों देशों में साल्टोरो रिज पर कब्जा करने की होड रहती है। कुछ सामरिक महत्व के स्थानों पर दोनों देशों ने नियन्त्रण कर रखा है, फिर भी भारत इस मामले में फायदे में है।", + "2573_p13": "1979 में लद्दाख को कारगिल व लेह जिलों में बांटा गया। 1989 में बौद्धों और मुसलमानों के बीच दंगे हुए। 1990 के ही दशक में लद्दाख को कश्मीरी शासन से छुटकारे के लिये लद्दाख ऑटोनॉमस हिल डेवलपमेण्ट काउंसिल का गठन हुआ और अंततः ५ अगस्त २०१९ को यह भारत का नौवाँ केन्द्र शासित प्रदेश बन गया। \nNOTE:'तिबतन सिविलाइजेशन'' के लेखक रोल्फ अल्फ्रेड स्टेन के अनुसार शांग शुंग का इलाका ऐतिहासिकि रूप से तिब्बत का भाग नहीं था। यह तिब्बतियों के लिये विदेशी भूमि था। उनके अनुसार:", + "2573_p14": "लद्दाख जम्मू कश्मीर राज्य के पूर्व में स्थित एक ऊंचा पठार है जिसका अधिकतर हिस्सा 3000 मीटर (9800 फीट) से ऊंचा है। यह हिमालय और कराकोरम पर्वत श्रृंखला और सिन्धु नदी की ऊपरी घाटी में फैला है।", + "2573_p15": "इसमें बाल्टिस्तान (वर्तमान में पाकिस्तान अधिकृत लद्दाख अर्थात् गिलगित बाल्टिस्तान), सिन्धु घाटी, जांस्कर, दक्षिण में लाहौल और स्पीति, पूर्व में रुडोक व गुले, अक्साईचिन और उत्तर में खारदुंगला के पार नुब्रा घाटी शामिल हैं। लद्दाख की सीमाएं पूर्व में तिब्बत से, दक्षिण में लाहौल और स्पीति से, पश्चिम में जम्मू कश्मीर व बाल्टिस्तान से और सुदूर उत्तर में कराकोरम दर्रे के उस तरफ जिनजियांग के ट्रांस कुनलुन क्षेत्र से मिलती हैं। ", + "2573_p16": "विभाजन से पहले बाल्टिस्तान (अब पाकिस्तानी नियन्त्रण में) लद्दाख का एक जिला था। स्कार्दू लद्दाख की शीतकालीन राजधानी और लेह ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करती थी।", + "2573_p19": "सिन्धु नदी लद्दाख की जीवनरेखा है। ज्यादातर ऐतिहासिक और वर्तमान स्थान जैसे कि लेह, शे, बासगो, तिंगमोसगंग सिन्धु किनारे ही बसे हैं। 1947 के भारत-पाक युद्ध के बाद सिन्धु का मात्र यही हिस्सा लद्दाख से बहता है। सिन्धु हिन्दू धर्म में एक पूजनीय नदी है, जो केवल लद्दाख में ही बहती है।", + "2573_p21": "भारत में कराकोरम रेंज की सबसे पूर्व में स्थित सासर कांगडी सबसे ऊंची चोटी है। इसकी ऊंचाई 7672 मीटर है। लद्दाख में 857 वर्ग किमी लंबी सीमा में से केवल 368 वर्ग किमी अंतरराष्ट्रीय सीमा है, और शेष 489 वर्ग किमी वास्तविक नियंत्रण रेखा है।", + "2573_p22": "लद्दाख रेंज में कोई प्रमुख चोटी नहीं है। पंगोंग रेंज चुशुल के पास से शुरू होकर पंगोंग झील के साथ साथ करीब 100 किलोमीटर तक लद्दाख रेंज के समानान्तर चलती है। इसमें श्योक नदी और नुब्रा नदी की घाटियां भी शामिल हैं जिसे नुब्रा घाटी कहते हैं। कराकोरम रेंज लद्दाख में उतनी ऊंची नहीं है जितनी बाल्टिस्तान में। कुछ ऊंची चोटियां इस प्रकार हैं- अप्सरासास समूह (सर्वोच्च चोटी 7245 मीटर), रीमो समूह (सर्वोच्च चोटी 7385 मीटर), तेराम कांगडी ग्रुप (सर्वोच्च चोटी 7464 मीटर), ममोस्टोंग कांगडी 7526 मीटर और सिंघी कांगडी 7751 मीटर। कराकोरम के उत्तर में कुनलुन है। इस प्रकार, लेह और मध्य एशिया के बीच में तीन श्रंखलाएं हैं- लद्दाख श्रंखला, कराकोरम और कुनलुन। फिर भी लेह और यारकन्द के बीच एक व्यापार मार्ग स्थापित था।", + "2573_p23": "लद्दाख एक उच्च अक्षांसीय मरुस्थल है क्योंकि हिमालय मानसून को रोक देता है। पानी का मुख्य स्रोत सर्दियों में हुई बर्फबारी है। पिछले दिनों आई बाढ (2010 में) के कारण असामान्य बारिश और पिघलते ग्लेशियर हैं जिसके लिये निश्चित ही ग्लोबल वार्मिंग जिम्मेदार है। ", + "2573_p26": "जीव-जन्तु एवं वनस्पतियाँ \nयह क्षेत्र शुष्क होने के कारण वनस्पति विहीन है। यहां जानवरों के चरने के लिए कहीं-कहीं पर ही घास एवं छोटी-छोटी झाड़ियां मिलती है। \nघाटी में सरपत,विलो एवं पॉपलर के उपवन देखे जा सकते हैं। ग्रीष्म ऋतु में सेब,खुबानी एवं अखरोट जैसे पेड़ पल्लवित होते हैं। लद्दाख में पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां नजर आती हैं, इनमें रॉबिन, रेड स्टार्ट,तिब्बती स्नोकोक, रेवेन यहां खूब पाए जाने वाले सामान्य पक्षी है। ", + "2573_p27": "लद्दाख के पशुओं में जंगली बकरी, जंगली भेड़ एवं याक,विशेष प्रकार के कुत्ते,आदि पाले जाते हैं।इन पशुओं को दूध,मांस,खाल प्राप्त करने के लिए पाला जाता है।", + "2573_p28": "इन्हें भी देखें \nअक्साई चीन\nतिब्बत\nजम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, २०१९\nलेह\nभारत का राजनीतिक एकीकरण", + "2573_p29": "बाहरी कड़ियाँ\nलद्दाख की सामाजिक सांस्कृतिक यात्रा\nसीधे-सादे लोगों की धरती है लद्दाख", + "2573_p30": "भारत के केन्द्र शासित प्रदेश\nलद्दाख़", + "15832_p0": "चीनी गणराज्य या ताइवान (अंग्रेज़ी:Taiwan, चीनी:台灣) पूर्वी एशिया का एक देश है। यह ताइवान द्वीप तथा कुछ अन्य द्वीपों से मिलकर बना है। इसका प्रशासनिक मुख्यालय ताइवान द्वीप है। इसके पश्चिम में चीनी जनवादी गणराज्य (चीन), उत्तर-पूर्व में जापान, दक्षिण में फिलीपींस है। 1949 में चीन के गृहयुद्ध के बाद ताइवान चीन से अलग हो गया था लेकिन चीन अब भी इसे अपना ही एक असंतुष्ट राज्य कहता है और आज़ादी के ऐलान होने पर चीन ने हमले की धमकी दे रखी है।", + "15832_p1": "ताइवान वह देश है जो विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या तथा सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होते हुए भी संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य नहीं है।", + "15832_p2": "यूं तो नाम से ऐसा प्रतीत होता है कि यह चीन का सरकारी नाम है पर वास्तव में ये चीन की लगभग सम्पूर्ण भूमि पर समाजवादियों के अधिपत्य हो जाने के बाद बचे शेष चीन का प्रशासनिक नाम है। यह चीन के वास्तविक भूभाग के बहुत कम भाग में फैला है और महज कुछ द्वीपों से मिलकर बना है। चीन के मुख्य भूभाग पर स्थपित प्रशासन का आधिकारिक नाम जनवादी गणराज्य चीन है और यह लगभग सम्पूर्ण चीन के अलावा तिब्बत, पूर्वी तुर्किस्तान तथा आंतरिक मंगोलिया पर भी शासन करता है तथा ताईवान पर भी अपना दावा करता है।", + "15832_p3": "इतिहास\nचीन के प्राचीन इतिहास में ताइवान का उल्लेख बहुत कम मिलता है। फिर भी प्राप्त प्रमाणों के अनुसार यह ज्ञात होता है कि तांग राजवंश (Tang Dynasty) (618-907) के समय में चीनी लोग मुख्य भूमि से निकलकर ताइवान में बसने लगे थे। कुबलई खाँ के शासनकाल (1263-94) में निकट के पेस्काडोर्स (pescadores) द्वीपों पर नागरिक प्रशासन की पद्धति आरम्भ हो गई थी। ताइवान उस समय तक अवश्य मंगोलों से अछूता रहा।", + "15832_p4": "जिस समय चीन में सत्ता मिंग वंश (1358-1644 ई.) के हाथ में थी, कुछ जापानी जलदस्युओं तथा निर्वासित और शरणार्थी चीनियों ने ताइवान के तटीय प्रदेशों पर, वहाँ के आदिवासियों को हटाकर बलात् अधिकार कर लिया। चीनी दक्षिणी पश्चिमी और जापानी उत्तर�� इलाकों में बस गए।", + "15832_p6": "17वीं शताब्दी में चीन में मिंग वंश का पतन हुआ, और मांचू लोगों ने चिंग वंश (1644-1912 ई.) की स्थापना की। सत्ताच्युत मिंग वंशीय चेंग चेंग कुंग (Cheng Cheng Kung) ने 1661-62 में डचों को हटाकर ताइवान में अपना राज्य स्थापित किया। 1682 में मांचुओं ने चेंग चेंग कुंग (Cheng Cheng Kung) के उत्तराधिकारियों से ताइवान भी छीन लया। सन् 1883 से 1886 तक ताइवान फ्यूकियन (Fukien) प्रदेश के प्रशासन में था। 1886 में उसे एक प्रदेश के रूप में मान्यता मिल गई। प्रशासन की ओर भी चीनी सरकार अधिक ध्यान देने लगी।", + "15832_p8": "काहिरा (1946) और पोट्सडम (1945) की घोषणाओं के अनुसार सितम्बर 1945 में ताइवान पर चीन का अधिकार फिर से मान लिया गया। लेकिन चीनी अधिकारियों के दुर्व्यवहारों से द्वीपवासियों में व्यापक क्षोभ उत्पन्न हुआ। विद्रोहों का दमन बड़ी नृशंसता से किया गया। जनलाभ के लिए कुछ प्रशासनिक सुधार अवश्य लागू हुए।", + "15832_p9": "इधर चीन में साम्यवादी आन्दोलन सफल हो रहा था। अन्ततोगत्वा च्यांग काई शेक (तत्कालीन राष्ट्रपति) को अपनी नेशनलिस्ट सेनाओं के साथ भागकर ताइवान जाना पड़ा। इस प्रकार 8 दिसम्बर, 1949 को चीन की नेशनलिस्ट सरकार का स्थानान्तरण हुआ।", + "15832_p10": "1951 की सैनफ्रांसिस्को सन्धि के अन्तर्गत जापान ने ताइवान से अपने सारे स्वत्वों की समाप्ति की घोषणा कर दी। दूसरे ही वर्ष ताइपी (Taipei) में चीन-जापान-सन्धि-वार्ता हुई। किन्तु किसी सन्धि में ताइवान पर चीन के नियंत्रण का स्पष्ट संकेत नहीं किया गया।", + "15832_p11": "इन्हें भी देखें\nचीनी जनवादी गणराज्य\nचीन का गृहयुद्ध\nच्यांग काई शेक", + "26037_p0": "शिपकी ला या शिपकी दर्रा हिमालय का एक प्रमुख दर्रा हैं। यह भारत के हिमाचल प्रदेश के किन्नौर ज़िले को तिब्बत के न्गारी विभाग के ज़ान्दा ज़िले से जोड़ता है। सतलुज नदी इस दर्रे के पास ही एक तंग घाटी से गुज़रकर तिब्बत से भारत में दाख़िल होती है। भारत का राष्ट्रीय राजमार्ग ५ शिपकी ला तक जाता है।", + "40483_p0": "अक्साई चिन या अक्सेचिन (उईग़ुर: , सरलीकृत चीनी: 阿克赛钦, आकेसैचिन) चीन, पाकिस्तान और भारत के संयोजन में तिब्बती पठार के उत्तरपश्चिम में स्थित एक विवादित क्षेत्र है। यह कुनलुन पर्वतों के ठीक नीचे स्थित है। ऐतिहासिक रूप से अक्साई चिन भारत को रेशम मार्ग से जोड़ने का ज़रिया था और भारत और हज़ारों साल से मध्य एशिया के पूर्वी इलाकों (जिन्हें तुर्किस्तान भी कहा जाता है) औ�� भारत के बीच संस्कृति, भाषा और व्यापार का रास्ता रहा है। POK का 5180 बर्ग किलोमीटर क्षेत्र पाकिस्तान ने चीन को गिफ्ट में दे दिया और चीन 38000 हज़ार बर्ग किलोमीटर क्षेत्र पहले से ही कब्ज़ा कर के बैठा है तो इस हिसाब से 43180 बर्ग किलोमीटर हो गया, तो अब भारत चीन से इतना ही एरिया वापस लेगा। ", + "40483_p1": "भारत से तुर्किस्तान का व्यापार मार्ग लद्दाख़ और अक्साई चिन के रास्ते से होते हुए काश्गर शहर जाया करता था। १९५० के दशक से यह क्षेत्र चीन क़ब्ज़े में है पर भारत इस पर अपना दावा जताता है और इसे जम्मू और कश्मीर राज्य का उत्तर पूर्वी हिस्सा मानता है। अक्साई चिन जम्मू और कश्मीर के कुल क्षेत्रफल के पांचवें भाग के बराबर है। चीन ने इसे प्रशासनिक रूप से शिनजियांग प्रांत के काश्गर विभाग के कार्गिलिक ज़िले का हिस्सा बनाया है।", + "40483_p2": "नाम की उत्पत्ति \n'अक्साई चिन' () का नाम उईग़ुर भाषा से आया है, जो एक तुर्की भाषा है। उईग़ुर में 'अक़' () का मतलब 'सफ़ेद' होता है और 'साई' () का अर्थ 'घाटी' या 'नदी की वादी' होता है। उईग़ुर का एक और शब्द 'चोअल' () है, जिसका अर्थ है 'वीराना' या 'रेगिस्तान', जिसका पुरानी ख़ितानी भाषा में रूप 'चिन' () था। 'अक्साई चिन' के नाम का अर्थ 'सफ़ेद पथरीली घाटी का रेगिस्तान' निकलता है। चीन की सरकार इस क्षेत्र पर अधिकार जतलाने के लिए 'चिन' का मतलब 'चीन का सफ़ेद रेगिस्तान' निकालती है, लेकिन अन्य लोग इसपर विवाद रखते हैं।", + "40483_p3": "विवरण \nअक्साई चिन एक बहुत ऊंचाई (लगभग ५,००० मीटर) पर स्थित एक नमक का मरुस्थल है। इसका क्षेत्रफल ४२,६८५ किमी² (१६,४८१ वर्ग मील) के आसपास है। भौगोलिक दृष्टि से अक्साई चिन तिब्बती पठार का भाग है और इसे 'खारा मैदान' भी कहा जाता है। यह क्षेत्र लगभग निर्जन है और यहां पर स्थायी बस्तियां नहीं है। इस क्षेत्र में 'अक्साई चिन' (अक्सेचिन) नाम की झील और 'अक्साई चिन' नाम की नदी है। यहां वर्षा और हिमपात ना के बराबर होता है क्योंकि हिमालय और अन्य पर्वत भारतीय मानसूनी हवाओं को यहां आने से रोक देते हैं।", + "40483_p4": "भारत-चीन विवाद \nचीन ने जब १९५० के दशक में तिब्बत पर क़ब्ज़ा किया तो वहाँ कुछ क्षेत्रों में विद्रोह भड़के जिनसे चीन और तिब्बत के बीच के मार्ग के कट जाने का ख़तरा बना हुआ था। चीन ने उस समय शिंजियांग-तिब्बत राजमार्ग का निर्माण किया जो अक्साई चिन से निकलता है और चीन को पश्चिमी तिब्बत से संपर्क र��ने का एक और ज़रिया देता है। भारत को जब यह ज्ञात हुए तो उसने अपने इलाक़े को वापस लेने का यत्न किया। यह १९६२ के भारत-चीन युद्ध का एक बड़ा कारण बना। वह रेखा जो भारतीय कश्मीर के क्षेत्रों को अक्साई चिन से अलग करती है 'वास्तविक नियंत्रण रेखा' के रूप में जानी जाती है। अक्साई चिन भारत और चीन के बीच चल रहे दो मुख्य सीमा विवाद में से एक है। चीन के साथ अन्य विवाद अरुणाचल प्रदेश से संबंधित है।", + "40483_p6": "बाहरी जोड़ \n अक्साई चिन में वाहन द्वारा पर्यटन, यूट्यूब विडियो\n अक्साई चिन में साइकल पर्यटन, यूट्यूब विडियो\n अक्साई चीन: भारत-चीन सीमा विवाद की जड़ (प्रवक्ता)\n अक्साई चिन के वृहत पैमाने टैरेन प्रतिरूप का उपग्रह चित्र\n विवाद की स्थिति दर्शाता आरेख\n गूगल अर्थ से चित्र", + "40483_p7": "अक्साई चिन\nस्वतंत्र भारत\nजम्मू और कश्मीर का इतिहास\nलद्दाख़\nख़ोतान विभाग\nशिंजियांग\nचीन के क्षेत्रीय विवाद\nभारत के क्षेत्रीय विवाद\nभारत-चीन युद्ध\nविवादित क्षेत्र\nहिन्दी विकि डीवीडी परियोजना\nहिन्दी विकि डीवीडी परियोजना परीक्षित लेख\nभारत के पारंपरिक क्षेत्र", + "47338_p0": "सर क्रीक भारत और पाकिस्तान की सीमा पर 96 किलोमीटर लम्बी एक ज्वारीय एस्चुरी है, यह गुजरात के कच्छ जिले और पाकिस्तान मे सिंध की सीमा से लगी हुई है। यहाँ भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा को लेकर विवाद है लेकिन यह विवाद कम ही चर्चा मे आता है। यह विवाद कच्छ के रण में 96 किलोमीटर लंबे मुहाने को लेकर है जो भारत के गुजरात को पाकिस्तान के सिंध प्रांत से अलग करता है।", + "47338_p1": "सर क्रीक की खाडी का विवाद से पुराना रिश्ता रहा है। ईस्ट इंडिया कम्पनी के सेनापति चार्ल्स नैपियर ने 1842 मे सिंध जीतने के बाद उस प्रदेश का प्रशासन मुम्बई राज्य को सौंप दिया था। इसके बाद सिंध मे अपना प्रशासन चला रही अँग्रेज़ सरकार ने सिंध और मुम्बई प्रांत के बीच के सीमा रेखा खींची थी जो कच्छ के मध्य से गुजरती थी। इसमें यह सम्पूर्ण खाडी सिंध प्रांत मे दिखाई गई थी। यानि कि कच्छ के मूल प्रदेश से उसे अलग कर सिंध मे जोड दिया गया था। दूसरी तरफ दिल्ली के अँग्रेज़ सरकार अपने अधिकृत नक्शे में सिंध और कच्छ के बीच की सीमारेखा को कच्छ के रण तक खींचने के बाद खाडी के प्रदेश के पास अटका कर दिखाती थी।", + "47338_p2": "स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान ने खाडी के प्रदेश पर अपना मालिकाना हक जताया. इसके जवाब में ��ारत का प्रस्ताव था कि कच्छ के रण से लेकर खाडी के मुख तक की एक सीधी रेखा को सीमा रेखा मान लेना चाहिए। परंतु यह प्रस्ताव पाकिस्तान को मंजूर नही था।", + "47338_p3": "इस प्रकार से सिर की खाडी का करीब 650 वर्ग किलोमीटर का प्रदेश आज भी विवादित प्रदेश है और इस प्रदेश से पाकिस्तानी रेंजरों द्वारा भारतीय मछुआरों को उठा ले जाने की खबरें आती रहती है। सियाचिन के बाद सिर क्रिक भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढाने वाली एक और सीमारेखा है। लेकिन यह सियाचिन जितनी चर्चा मे नही आती है।", + "47338_p4": "बाहरी कड़ियाँ \n India, Pakistan in border talks BBC December 22, 2006", + "47338_p5": "भारत पाकिस्तान विवाद\nभारत के क्षेत्रीय विवाद\nभारत के ज्वारनदीमुख\nगुजरात की स्थलाकृतियाँ", + "189156_p0": "आज़ाद जम्मु और कश्मीर (), पाकिस्तान के प्रशासनिक प्रभागों में से एक है। यह का एक हिस्सा है।", + "189156_p1": "आज़ाद कश्मीर का इलाक़ा 13,300 वर्ग किलोमीटर (5,135 वर्ग मील) पर फैला है और इसकी आबादी अंदाज़न 40 लाख है।कश्मीर की राजधानी है और इसमें 8 ज़िले, 19 तहसीलें और 182 संघीय काउन्सिलें हैं।", + "189156_p2": "आज़ाद कश्मीर के मीरपुर डवीज़न में भिम्बेर ज़िला, कोटली ज़िला और मीरपुर ज़िला, मुज़फ़्फ़राबाद डवीज़न में बाग़ ज़िला, मुज़फ़्फ़राबाद ज़िला और नीलम ज़िला जबकि पुंछ रावलाकोट डवीज़न में पूंछ ज़िला, रावला कोट और सुधनोती ज़िला शामिल हैं।", + "189156_p3": "आजाद कश्मीर यूरेशियाई प्लेट और भारतीय टेक्टोनिक प्लेटों के क्षेत्र में स्थित है। 2005 में एक बड़े भूकंप ने कम से कम 1,00,000 लोगों की जान ले ली और अन्य तीन मिलियन लोगों को विस्थापित कर दिया, जिससे इस क्षेत्र के बुनियादी ढांचे और अर्थव्यवस्था में व्यापक तबाही हुई।", + "189156_p4": "नाम \nआजाद कश्मीर मुस्लिम कांफ्रेंस पार्टी द्वारा 1945 में पुंछ में आयोजित १३वें आम सत्र में जारी एक पैम्फलेट का शीर्षक था। ऐसा माना जाता है कि यह नेशनल कॉन्फ्रेंस के नया कश्मीर की प्रतिक्रिया थी (न्यू कश्मीर) कार्यक्रम। सूत्रों का कहना है कि यह पार्टी द्वारा पारित विभिन्न प्रस्तावों के संकलन से अधिक कुछ नहीं था। लेकिन ऐसा लगता है कि इसकी मंशा यह घोषित करने की रही है कि जम्मू और कश्मीर के मुसलमान मुस्लिम लीग के एक अलग मातृभूमि (पाकिस्तान) के संघर्ष के लिए प्रतिबद्ध थे, और वह मुस्लिम सम्मेलन उनका एकमात्र प्रतिनिधि संगठन था। हालांकि, अगले वर्ष, पार्टी ने एक \"आजाद कश्मीर प्रस्ताव\" ���ारित किया जिसमें मांग की गई कि महाराजा एक विस्तारित मताधिकार पर निर्वाचित एक संविधान सभा की स्थापना करें। विद्वान चित्रलेखा जुत्शी के अनुसार, संगठन का घोषित लक्ष्य महाराजा के तत्वावधान में भारत या पाकिस्तान के सहयोग के बिना जिम्मेदार सरकार प्राप्त करना था। अगले वर्ष 19 जुलाई 1947 को पार्टी के कार्यकर्ता सरदार इब्राहिम के घर पर इकट्ठे हुए। निर्णय, यह मांग करते हुए कि महाराजा पाकिस्तान में शामिल हों। ", + "189156_p5": "इसके तुरंत बाद, सरदार इब्राहिम पाकिस्तान भाग गए और पाकिस्तान के प्रधान मंत्री लियाकत अली खान और अन्य अधिकारियों की सहायता से पुंछ विद्रोह का नेतृत्व किया। लियाकत अली खान ने \"स्वतंत्रता की घोषणा\" का मसौदा तैयार करने के लिए मियां इफ्तिखारुद्दीन की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की। 4 अक्टूबर को एक आजाद कश्मीर अनंतिम सरकार को लाहौर में गुलाम नबी गिलकर के साथ राष्ट्रपति के रूप में \"मिस्टर अनवर\" और सरदार इब्राहिम को प्रधान मंत्री के रूप में घोषित किया गया था। गिलकर ने श्रीनगर की यात्रा की और उन्हें महाराजा की सरकार ने गिरफ्तार कर लिया। बाद में पाकिस्तानी अधिकारियों ने सरदार इब्राहिम को राष्ट्रपति नियुक्त किया।", + "189156_p6": "भूगोल \nआज़ाद जम्मू और कश्मीर का उत्तरी भाग हिमालय के निचले क्षेत्र को समाहित करता है, जिसमें जामगढ़ पीक (4,734 मीटर या 15,531 फीट) शामिल है। हालांकि, नीलम घाटी में सरवाली चोटी (6326 मीटर) राज्य की सबसे ऊंची चोटी है।", + "189156_p7": "इस क्षेत्र में सर्दी और गर्मी दोनों में वर्षा होती है। मुज़फ़्फ़राबाद और पट्टन पाकिस्तान के सबसे गर्म इलाकों में से हैं। अधिकांश क्षेत्र में, औसत वर्षा 1400 मिमी से अधिक है, जिसमें मुज़फ़्फ़राबाद (लगभग 1800 मिमी) के पास सबसे अधिक औसत वर्षा होती है। गर्मी के मौसम में झेलम और लीपा नदियों में अत्यधिक बारिश और बर्फ के पिघलने के कारण मानसूनी बाढ़ आना आम बात है।", + "189156_p8": "विकास \nएशियाई विकास बैंक की परियोजना रिपोर्ट के अनुसार, बैंक ने स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण और सामाजिक विकास के क्षेत्रों में आज़ाद कश्मीर के लिए विकास लक्ष्य निर्धारित किए हैं। पूरी परियोजना पर US$76 मिलियन खर्च होने का अनुमान है। जर्मनी ने २००६ से २०१४ के बीच एजेके हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम के लिए ३८ मिलियन डॉलर का दान दिया है।", + "189156_p10": "खेलकूद \nआजाद कश्मीर में फुटबॉल, क्रिकेट और वॉलीबॉल बहुत लोकप्रिय हैं। पूरे वर्ष कई प्रतयोगिताएं आयोजित की जाती हैं और रमज़ान के पवित्र महीने में रात के समय बाढ़ की रोशनी वाली प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं।", + "189156_p11": "पाकिस्तान के टी२० घरेलू प्रतियोगिता में आज़ाद कश्मीर की टी२० क्रिकेट टीम है।", + "189156_p12": "न्यू मीरपुर शहर में एक क्रिकेट स्टेडियम (कायद-ए-आज़म स्टेडियम) है जिसे पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने अंतरराष्ट्रीय मानकों तक लाने के लिए नवीनीकरण के लिए अपने कब्जे में ले लिया है। मुज़फ़्फ़राबाद में 8,000 लोगों की क्षमता वाला एक क्रिकेट स्टेडियम भी है। इस स्टेडियम ने इंटर डिस्ट्रिक्ट अंडर 19 टूर्नामेंट 2013 के 8 मैचों की मेज़बानी की है।", + "189156_p14": " पायलट फुटबॉल क्लब\n यूथ फुटबॉल क्लब\n कश्मीर राष्ट्रीय एफसी\n आजाद सुपर एफसी", + "189156_p15": "पर्यटन \nआज़ाद कश्मीर देश के उत्तरी भाग में स्थित पाकिस्तान का प्रशासनिक क्षेत्र है। आज़ाद जम्मू और कश्मीर का उत्तरी भाग हिमालय के निचले हिस्से को समेटे हुए है, जिसमें जामगढ़ चोटी (15,531 फीट या 4,734 मीटर) शामिल है। हालांकि, नीलम घाटी में सरवाली चोटी राज्य की सबसे ऊंची चोटी है। उपजाऊ, हरी-भरी, पहाड़ी घाटियाँ आज़ाद कश्मीर के भूगोल की विशेषता हैं, जो इसे उपमहाद्वीप के सबसे खूबसूरत क्षेत्रों में से एक बनाती है।", + "189156_p20": "इन्हें भी देखें \n गिलगित-बल्तिस्तान\n कश्मीर विवाद\n जम्मू और कश्मीर (रियासत)", + "189156_p21": "कश्मीर\nपाकिस्तान के प्रान्त\nभारत के क्षेत्रीय विवाद\nपाकिस्तान के क्षेत्रीय विवाद", + "190627_p0": "गिलगित-बल्तिस्तान (हिन्दी: , बलती: གིལྒིཏ་བལྟིསྟན), [[पाकिस्तान अधिकृत लद्दाख\n]] के भीतर एक स्वायत्तशासी क्षेत्र है जिसे पहले उत्तरी क्षेत्र या शुमाली इलाक़े (, शुमाली इलाक़ाजात) के नाम से जाना जाता था। यह भारत की उत्तरतम राजनैतिक इकाई है। गिलगित-बल्तिस्तान कश्मीर का हिस्सा है। इसकी सीमायें पश्चिम में खैबर-पख़्तूनख्वा से, उत्तर में अफ़ग़ानिस्तान के वख़ान कॉरिडोर से, उत्तरपूर्व में चीन के शिन्जियांग प्रान्त से, दक्षिण में पाकिस्तान प्रशासित गुलाम कश्मीर और दक्षिणपूर्व में भारत के जम्मू - कश्मीर राज्य से लगती हैं। गिलगित-बल्तिस्तान का कुल क्षेत्रफल 72,971 वर्ग किमी (28,174 मील²) और अनुमानित जनसंख्या लगभग दस लाख है। इसका प्रशासनिक केन्द्र गिलगित शहर है, जिसकी जनसंख्या लगभग 2,50,000 है।", + "190627_p1": "1970 में \"उत्तरी क्षेत्र” नामक यह प्रशासनिक इकाई, गिलगित एजेंसी, लद्दाख़ वज़ारत का बल्तिस्तान ज़िला, हुन्ज़ा और नगर नामक राज्यों के विलय के पश्चात अस्तित्व में आई थी। पाकिस्तान इस क्षेत्र को विवादित भूतपूर्व रियासत जम्मू और कश्मीर के क्षेत्र से पृथक क्षेत्र मानता है जबकि भारत और यूरोपीय संघ के अनुसार यह भूतपूर्व रियासत जम्मू और कश्मीर के वृहत विवादित क्षेत्र का ही हिस्सा है। लद्दाख का यह वृहत क्षेत्र सन 1947 के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का विषय है। भारत ने पाकिस्तान से इस क्षेत्र को जल्द खाली करने को बोल दिया है।", + "190627_p3": "पाकिस्तान की स्वतंत्रता और 1947 में भारत के विभाजन से पहले, महाराजा हरि सिंह ने अपना राज्य गिलगित और बल्तिस्तान तक बढ़ाया था। विभाजन के बाद, संपूर्ण जम्मू और कश्मीर, एक स्वतंत्र राष्ट्र बना रहा। 1947 के भारत पाकिस्तान युद्ध के अंत में संघर्ष विराम रेखा (जिसे अब नियंत्रण रेखा कहते हैं) के उत्तर और पश्चिम के कश्मीर के भागों को के उत्तरी भाग को उत्तरी क्षेत्र (72,971 किमी²) और दक्षिणी भाग को आज़ाद कश्मीर (13,297 किमी²) के रूप में विभाजित किया गया। उत्तरी क्षेत्र नाम का प्रयोग सबसे पहले संयुक्त राष्ट्र ने कश्मीर के उत्तरी भाग की व्याख्या के लिए किया। 1963 में उत्तरी क्षेत्रों का एक छोटा हिस्सा जिसे शक्स्गम घाटी कहते हैं, पाकिस्तान द्वारा अनंतिम रूप से जनवादी चीन गणराज्य को सौंप दिया गया।", + "190627_p4": "पाकिस्तान सरकार ने 1974 में गिलगित-बाल्टिस्तान में राज्य विषय नियम (एसएसआर) को समाप्त कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में जनसांख्यिकीय परिवर्तन हुए। वर्तमान में गिलगित-बल्तिस्तान, सात ज़िलों में बंटा हैं, इसकी जनसंख्या लगभग दस लाख और क्षेत्रफल 28,000 वर्ग मील है। इसकी सीमायें पाकिस्तान, चीन, अफगानिस्तान और भारत से मिलती हैं। इस दूरदराज के क्षेत्र के लोगों को जम्मू और कश्मीर के पूर्व राजसी राज्य के डोगरा शासन से 1 नवम्बर 1947 को बिना किसी भी बाहरी सहायता के मुक्ति मिली और वे एक छोटे से समयांतराल के लिए एक स्वतंत्र राष्ट्र के नागरिक बन गए। इस नए राष्ट्र ने स्वयं के एक आवश्यक प्रशासनिक ढांचे के आभाव के फलस्वरूप पाकिस्तान की सरकार से अपनी सरकार के मामलों के संचालन के लिए सहायता मांगी। पाकिस्तान की सरकार ने उनके इस अनुरोध को स्���ीकारते हुए उत्तरपश्चिम सीमांत प्रांत से सरदार मुहम्मद आलम खान जो कि एक अतिरिक्त सहायक आयुक्त थे, को गिलगित भेजा। इसके पहले नियुक्त राजनीतिक एजेंट के रूप में, सरदार मुहम्मद आलम खान ने इस क्षेत्र का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया।", + "190627_p5": "स्थानीय, उत्तरी लाइट इन्फैंट्री, सेना की इकाई है और माना जाता है कि 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान इसने पाकिस्तान की सहायता की और संभवत: पाकिस्तान की ओर से युद्ध में भाग भी लिया। कारगिल युद्ध में इसके 500 से अधिक सैनिक मारे गये, जिन्हें उत्तरी क्षेत्रों में दफन कर दिया गया। ललक जान, जो यासीन घाटी का एक शिया इमामी इस्माइली मुस्लिम (निज़ारी) सैनिक था, जिसे कारगिल युद्ध के दौरान उसके साहसी कार्यों के लिए पाकिस्तान के सबसे प्रतिष्ठित पदक निशान-ए-हैदर से सम्मानित किया गया।", + "190627_p6": "स्वायत्त स्थिति और वर्तमान गिलगित-बल्तिस्तान \n29 अगस्त 2009 को गिलगित-बल्तिस्तान अधिकारिता और स्व-प्रशासन आदेश 2009, पाकिस्तानी मंत्रिमंडल द्वारा पारित किया गया था और फिर इस पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर किए गए। यह आदेश गिलगित-बल्तिस्तान के लोगों को एक लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गयी विधानसभा के माध्यम से स्वशासन की आज्ञा देता है। पाकिस्तानी सरकार के इस कदम की पाकिस्तान, भारत के अलावा गिलगित-बल्तिस्तान में भी आलोचना की गयी है साथ ही पूरे इलाके में इसका विरोध भी किया गया है। ", + "190627_p7": "गिलगित-बल्तिस्तान संयुक्त-आंदोलन ने इस आदेश को खारिज करते हुए नए पैकेज की मांग की है, जिसके अनुसार गिलगित-बल्तिस्तान की एक स्वतंत्र और स्वायत्त विधान सभा, भारत पाकिस्तान हेतु संयुक्त राष्ट्र आयोग (UNCIP)-प्रस्ताव के अनुसार स्थापित एक आधिकारिक स्थानीय सरकार के साथ बनाई जानी चाहिए, जहां गिलगित-बल्तिस्तान के लोग अपना राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री खुद चुनेंगे। ", + "190627_p8": "सितम्बर 2009 की शुरुआत में, पाकिस्तान ने चीन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं और इसके अनुसार चीन गिलगित-बल्तिस्तान में एक बड़ी ऊर्जा परियोजना लगाएगा जिसके अंतर्गत अस्तोर जिले में बुंजी पर 7,000 मेगावाट के बांध का निर्माण किया जायेगा। इस परियोजना का भारत ने विरोध किया है पर पाकिस्तान ने इस विरोध को यह कह कर खारिज कर दिया कि, भारत सरकार के विरोध का कोई वैधानिक आधार नहीं है।", + "190627_p9": "गिलगित-बल्तिस्तान को प्रशासनिक रूप से दो डिवीजनों और इन डिवीजनों को सात जिलों में विभाजित किया गया है। इन सात जिलों मे से दो ज़िले बल्तिस्तान और पांच जिले गिलगित डिवीजन में आते है। राजनीति के मुख्य केन्द्र गिलगित और स्कर्दू हैं।", + "190627_p10": "भूगोल \nगिलगित एक बहुत ही सुंदर स्थान वाला क्षेत्र है। जहां 4900 फुट की ऊंचाई वाले कराकोरम की छोटी बड़ी पहाड़ियों द्वारा घिरा हुआ है। यहाँ सिंधु नदी भारत के लद्दाख से निकलती हुई बाल्टिस्तान और गिलगित होकर बहती है। गिलगित-बाल्टिस्तान के उत्तर में अफगानिस्तान का वख़ान कॉरिडोर बॉर्डर, उत्तरी क्षेत्र में ही चीन के झिनझियांग प्रान्त का उइगर क्षेत्र, इसके दक्षिण-दक्षिणपूर्व में भारत का जम्मू-कश्मीर क्षेत्र, दक्षिण में ही पाक अधिकृत आजाद कश्मीर का क्षेत्र और पश्चिमी क्षेत्र में पाकिस्तान की सीमाएं लगती हैं। गिलगित-बाल्टिस्तान में ही बालटॉरो नाम का एक सुप्रसिद्ध ग्लेशियर भी है। कराकोरम क्षेत्र पर ही हिंद्कुश और तिरिच मीर नाम के वाले दो ऊंची पर्वत भी हैं जो दुनिया की 33वीं ऊँची पर्वत श्रृंखला हैं। गिलगित में ही गिलगित घाटी भी है जो सुंदर झरनों, फूलों की सुंदर घाटियां भी हैं।", + "190627_p11": "पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर\nगिलगित-बल्तिस्तान\nभारत के क्षेत्रीय विवाद\nपाकिस्तान के क्षेत्रीय विवाद", + "194025_p0": "काराकोरम-पार क्षेत्र (अंग्रेज़ी: Trans-Karakoram Tract, ट्रांस काराकोरम ट्रैक्ट) या शक्सगाम वादी एक लगभग ५,८०० वर्ग किमी का इलाक़ा है जो कश्मीर के उत्तरी काराकोरम पर्वतों में शक्सगाम नदी के दोनों ओर फैला हुआ है। यह भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य का हिस्सा हुआ करता था जिसे १९४८ में पाकिस्तान ने अपने नियंत्रण में ले लिया। १९६३ में एक सीमा समझौते के अंतर्गत पाकिस्तान ने इस क्षेत्र को चीन को भेंट कर दिया। पाकिस्तान की दलील थी कि इस से पाकिस्तान और चीन के बीच में मित्रता बन जाएगी और उनका कहना था की ऐतिहासिक रूप से इस इलाक़े में कभी अंतरराष्ट्रीय सीमा निर्धारित थी ही नहीं इसलिए इस ज़मीन को चीन के हवाले करने से पाकिस्तान का कोई नुक़सान नहीं हुआ। भारत इस बात का पुरज़ोर खंडन करता है और शक्सगाम को अपनी भूमि का अंग बताता है। उसके अनुसार यह पुरा क्षेत्र भारतीय जम्मू एवं कश्मीर राज्य का अभिन्न भाग है।", + "194025_p3": "कश्मीर का इतिहास\nकश्मीर\nकाराकोरम\nपाकिस्तान के पूर्व प्रश���सी क्षेत्र\nशिंजियांग\nभारत के क्षेत्रीय विवाद\nचीन के क्षेत्रीय विवाद\nकश्मीर विवाद\nचीन पाक संबंध", + "466423_p0": "शक्सगाम नदी (चीनी: 沙克斯干河, अंग्रेजी: Shaksgam River) सुदूर उत्तरी कश्मीर के काराकोरम पर्वतों से उभरने वाली एक नदी है जो यारकन्द नदी की एक उपनदी भी है। शक्सगाम नदी को केलेचिन नदी और मुज़ताग़ नदी के नामों से भी जाना जाता है। यह काराकोरम शृंखला की गाशेरब्रुम, उरदोक, स्ताग़र, सिन्ग़ी और क्याग़र हिमानियों (ग्लेशियरों) से शुरू होती है और फिर शक्सगाम वादी में काराकोरम शृंखला के साथ-साथ पश्चिमोत्तरी दिशा में चलती है। इसमें शिमशाल ब्रल्दु नदी और फिर ओप्रांग नदी का विलय होता है और इन दोनों संगमों के बीच में शक्सगाम नदी पाकिस्तान और चीन के आपसी समझौते के अनुसार उन दोनों देशों के बीच की अंतरराष्ट्रीय सीमा है। भारत इस बात से पूरा इनकार करता है और इस पूरे क्षेत्र को अपने जम्मू और कश्मीर राज्य का हिस्सा मानता है। सर्दियों में पास के शिमशाल गाँव के लोग इस क्षेत्र का प्रयोग अपने मवेशी चराने के लिए करते हैं और यह तारिम द्रोणी में स्थित इकलौता पाकिस्तान-नियंत्रित इलाक़ा है।", + "466423_p2": "मध्य एशिया की नदियाँ\nपाकिस्तान की नदियाँ\nचीन की नदियाँ\nभारत की नदियाँ\nभारत के क्षेत्रीय विवाद\nचीन के क्षेत्रीय विवाद\nचीन-पाकिस्तान सीमा", + "526007_p0": "देपसंग मैदान (Depsang Plains) भारत के जम्मू व कश्मीर के पूर्वी भाग में लद्दाख़ क्षेत्र और चीन-अधिकृत अक्साई चिन क्षेत्र की सीमा पर स्थित एक ऊँचा मैदानी इलाक़ा है। १९६२ के भारत-चीन युद्ध के दौरान चीन ने इसपर कुछ दिनों के लिये क़ब्ज़ा कर लिया था लेकिन फिर अपनी सेना हटा ली। वर्तमान में यह चीन और भारत के बीच विवादित है। चीन ने पूर्वी भाग पर क़ब्ज़ा किया हुआ है और उसे अपना हिस्सा बताता है, जबकि भारत ने पश्चिमी भाग पर नियंत्रण किया हुआ है और पूरे देपसंग मैदान को अपना हिस्सा बताता है।", + "526007_p1": "चीन-भारत सीमा विवाद\n1958 से पहले भारत के इंटेलिजेंस ब्यूरो के गश्ती दल डिप्संग मैदानों में चीनी गतिविधि के संकेत दे चुके थे। हालांकि, ब्यूरो प्रमुख बी.एन. मुलिक ने कहा है कि \"चीनी 1960 तक 1960 तक डेपसांग मैदानों में नहीं आए थे।\" ", + "526007_p2": "डेपसांग मैदानों में चीनी दावे की रेखाएं 1956 से अलग-अलग हैं। मनोज जोशी के अनुसार, सीमा सीमांकन की कमी चीन को इस क्षेत्र में अपनी सलामी कटाई के साथ आगे बढ़ने की अनुमति देती है।", + "526007_p3": "1962 का युद्ध\n1962 भारत-चीन युद्ध के डेपसांग मैदानों में दो दिन, 20–21 अक्टूबर 1962 तक चले थे। इस क्षेत्र में चीनी सेना वर्तमान दिन तियानवेन्डियन क्षेत्र में प्वाइंट 5243 पर आधारित थी। भारत की \"फॉरवर्ड पॉलिसी\" के अनुसार स्थापित की गई भारतीय पोस्ट, जम्मू और कश्मीर मिलिशिया (बाद में लद्दाख स्काउट्स) की 14 वीं बटालियन द्वारा संचालित की गई थीं, और ज्यादातर एक पलटन या एक खंड की ताकत थीं।", + "526007_p4": "बाद में टकराव\nअप्रैल 2013 में, चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी सैनिकों ने डेपसांग बुल्गे के मुहाने पर एक अस्थायी शिविर स्थापित किया, जहाँ राकी नाला और डेपसांग नाला मिलते हैं, यह दावा करते हैं कि यह चीनी क्षेत्र है। लेकिन, तीन सप्ताह के गतिरोध के बाद, वे भारत के साथ एक कूटनीतिक समझौते के परिणामस्वरूप वापस चले गए। 2015 में चीन ने बर्ट्स के पास एक वॉच टॉवर स्थापित करने की कोशिश की। [60] [61] देपसांग के लिए कोई भी खतरा भारत के DS-DBO सड़क को प्रभावित करता है। [९] शुरुआत में भारत ने एसएसएन में लगभग 120 टैंक लगाए थे, और पिछले कुछ वर्षों में यह संख्या बढ़ी है।", + "526007_p5": "2020 चीन-भारत गतिरोध के दौरान, डेपसांग बुल को फिर से उन क्षेत्रों में से एक के रूप में उल्लेख किया गया था जहां चीन ने अपने दावों को बढ़ाया था। यह पता चला कि चीनी सैनिक 2017 के बाद से भारतीय गश्त को राकी नाला घाटी के पास \"टोंटी\" नामक स्थान के पास आगे बढ़ने से रोक रहे थे। [62] फरवरी 2021 में पैंगॉन्ग झील में गतिरोध के समाधान के बाद, यह बताया गया कि चीन ने डिप्संग में अपने पदों को मजबूत करना शुरू कर दिया है। [63] कई मीडिया आउटलेट ने बताया कि यह भारत के लिए 250 - 900 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का नुकसान हुआ। डेपसांग में LOP (पैट्रोलिंग की लाइन) LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) के पश्चिम में ज्यादा है। भारतीय गश्ती दल पहले डिप्संग में एलओपी (गश्त बिंदु 10-13) तक जाते हैं जो 250 वर्ग किमी के क्षेत्र को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन एलएसी बिंदु को ध्यान में रखते हुए (जैसा कि सेना के नक्शे पर चिह्नित किया गया है), यह एक है 900 वर्ग किमी का नुकसान।", + "526007_p7": "भारत के क्षेत्रीय विवाद\nचीन के क्षेत्रीय विवाद\nजम्मू और कश्मीर का भूगोल\nजम्मू और कश्मीर की स्थलाकृतियाँ", + "569314_p0": "सियाचिन ग्लेशियर हिमालय की पूर्वी काराकोरम पर्वतमाला में भारत-पाक नियंत्रण रेखा के पास लगभग स्थित एक हिमानी (ग्लेशियर) है। यह काराकोरम की पांच बड़े हिमानियों में सबसे बड़ा और ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर (ताजिकिस्तान की फ़ेदचेन्को हिमानी के बाद) विश्व की दूसरी सबसे बड़ा ग्लेशियर है। समुद्रतल से इसकी ऊँचाई इसके स्रोत इंदिरा कोल पर लगभग 5,753 मीटर और अंतिम छोर पर 3,620 मीटर है। सियाचिन ग्लेशियर पर 1984 से भारत का नियंत्रण रहा है और भारत इसे अपने लद्दाख़ राज्य लेह ज़िले के अधीन प्रशासित करता है। पाकिस्तान ने इस क्षेत्र से भारत का नियंत्रण अन्त करने के कई विफल प्रयत्न करे हैं और वर्तमानकाल में भी सियाचिन विवाद जारी रहा है।", + "569314_p1": "नामार्थ \nनिकटवर्ती क्षेत्र बल्तिस्तान की बलती भाषा में \"सिया\" का अर्थ एक प्रकार का जंगली गुलाब है और \"चुन\" का अर्थ \"बहुतायत\"। \"सियाचिन\" नाम का अर्थ \"गुलाबों की भरमार\" है।", + "569314_p2": "भारत और पाकिस्तान दोनों ही पूरे सियाचिन क्षेत्र पर सार्वभौमिकता का दावा करते हैं। 1 9 70 और 1 9 80 के दशक में अमेरिका और पाकिस्तानी मानचित्र लगातार काराकोरम दर्रा में एनजे 9842 (भारत-पाकिस्तान युद्ध विराम लाइन, जो नियंत्रण रेखा की पंक्ति के रूप में भी जाना जाता है) से एक बिंदीदार रेखा दिखाता है, जिसे भारत माना जाता है कार्टोग्राफिक त्रुटि और शिमला समझौते का उल्लंघन। 1984 में, भारत ने एक सैन्य अभियान ऑपरेशन मेघदूत का शुभारंभ किया, जिसने सियाचिन ग्लेशियर के सभी उपनदण्डों सहित भारत को नियंत्रित किया। 1984 और 1999 के बीच, भारत और पाकिस्तान के बीच अक्सर झड़पें हुईं। ऑपरेशन मेघदूत के तहत भारतीय सैनिकों ने सियाचिन ग्लेशियर के पश्चिम में सल्टोरो रिज पर अधिकतर ताकतवर हाइट्स पर कब्जा करने के लिए केवल एक दिन पाकिस्तान के ऑपरेशन अबबेेल को खाली किया। हालांकि, युद्ध के मुकाबले क्षेत्र में कठोर मौसम की स्थिति से अधिक सैनिकों की मृत्यु हो गई है। पाकिस्तान ने 2003 और 2010 के बीच सियाचिन के पास दर्ज किए गए विभिन्न कार्यों में 353 सैनिकों को खो दिया था, जिसमें ग्यारी सेक्टर हिमस्खलन 2012 में 140 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे। जनवरी 2012 और जुलाई 2015 के बीच, प्रतिकूल मौसम के कारण 33 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई। [17] दिसंबर 2015 में, भारतीय केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री राव इंदरजीत सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि सियाचिन ग्लेशियर पर कुल 869 सेना कर्मियों ने जलवायु की स्थिति और पर्यावरणीय और अन्य क���रकों के कारण अब तक अपनी जान गंवा दी है। सेना ने 1 9 84 में ऑपरेशन मेघदूत का शुभारंभ किया। भारत और पाकिस्तान दोनों ही सियाचिन के आस-पास हजारों सैनिक तैनात करते रहे हैं और इस क्षेत्र को निंदा करने के प्रयास अभी तक असफल रहे हैं। 1 9 84 से पहले, इस क्षेत्र में किसी भी देश में कोई भी सेना नहीं थी।", + "569314_p3": "भारतीय और पाकिस्तानी सैन्य उपस्थिति के अलावा, ग्लेशियर क्षेत्र अनपॉप्लेटेड है। निकटतम नागरिक बस्ती भारतीय बेस शिविर से 10 मील की दूरी पर वार्सि गांव है। यह क्षेत्र बेहद दूरस्थ है, सीमित सड़क संपर्क के साथ। भारतीय पक्ष में, सड़कें केवल ग्वांग्रूल्मा के सैन्य आधार शिविर तक 35.1663 डिग्री सेल्सियस एन 77.2162 डिग्री ई, ग्लेशियर के सिर से 72 किलोमीटर दूर रहती हैं। भारतीय सेना ने मनाली-लेह-खर्दुंग ला-सियाचें मार्ग सहित सियाचिन क्षेत्र तक पहुंचने के लिए विभिन्न माध्यमों का विकास किया है। 2012 में, भारतीय सेना के सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह ने कहा कि भारतीय सेना को रणनीतिक लाभ के लिए इस क्षेत्र में रहना चाहिए और क्योंकि सियाचिन के लिए भारतीय सशस्त्र कर्मियों ने \"बहुत से खून बहाए\" हैं। वर्तमान ग्राउंड पोजिशन के अनुसार, एक दशक से अधिक समय तक अपेक्षाकृत स्थिर, भारत पूरे 76 किलोमीटर (47 मील) लंबे सियाचिन ग्लेशियर और इसके सभी उपनदीय ग्लेशियरों पर नियंत्रण रखता है, साथ ही साथ साल्टोरो रिज के पांच मुख्य पास तुरंत पश्चिम ग्लेशियर-सिआ ला, बिलाफोंड ला, ग्याओंग ला, यर्म ला (6,100 मी) और चुलुंग ला (5,800 मी) का। पाकिस्तान, सल्टोरो रिज के तुरंत पश्चिमी हिमांसात्मक घाटियों को नियंत्रित करता है। [2 9] [30] टाइम पत्रिका के अनुसार, भारत ने सियाचिन में 1 9 80 के सैन्य अभियानों की वजह से क्षेत्र में 1,000 वर्ग मील (3,000 किमी 2) प्राप्त किया। फरवरी 2016 में, भारतीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने संसद में कहा था कि भारत सियाचिन को खाली नहीं करेगा क्योंकि पाकिस्तान के साथ विश्वास की कमी है और यह भी कहा गया है कि 1 9 84 में ऑपरेशन मेघदूत से 9 15 लोगों ने सियाचिन में अपना जीवन गंवा दिया था। [32] आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, 1 9 84 में सियाचिन इलाके में केवल 220 भारतीय सैनिक दुश्मन गोलियों से मारे गए थे। भारत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि भारत सियाचिन से 110 किलोमीटर लंबी एक्चुअल ग्राउंड पोजिशन लाइन (एजीपीएल) को प्रमाणित करने के बाद अपनी सेना को नहीं ��टाएगा, उसके बाद चित्रित किया जाएगा और फिर सीमांकन किया जाएगा। ", + "569314_p4": "खापलू में सािया संयंत्र बाल्टी लोग इस गुलाब परिवार को अपने घरों में सजावट के रूप में विकसित करते हैं, और इसकी छाल का उपयोग पेओ चा (मक्खन चाय) में कुछ क्षेत्रों में हरी चाय की पत्तियों के बजाय किया जाता है।\n1 9 4 9 के कराची समझौते ने एनजे 9842 को इंगित करने के लिए अलग से जुदाई की रेखा को स्पष्ट रूप से चित्रित किया था, इसके बाद समझौते में कहा गया है कि जुदाई की रेखा \"तब से ग्लेशियरों के उत्तर तक\" जारी रहेगी। भारतीय दृष्टिकोण के अनुसार, जुदाई की रेखा लगभग सल्टोरो रेंज के साथ उत्तर की तरफ, सियाचिन ग्लेशियर के पश्चिम में एनजे 9842 से परे जारी रहनी चाहिए; पर्वत श्रृंखलाओं का पालन करने वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखाएं अक्सर जल निकासी जल निकासी का पालन करके ऐसा करती हैं [ 34] जैसे कि सल्टोरो रेंज। 1972 शिमला समझौता ने उत्तरी क्षेत्र के क्षेत्र में 1 9 4 9 के नियंत्रण रेखा में कोई परिवर्तन नहीं किया ,", + "569314_p5": "सीमा संघर्ष \nमुख्य लेख: सियाचिन विवाद", + "569314_p6": "ग्लेशियर का क्षेत्र पृथ्वी पर सबसे बड़ा युद्धक्षेत्र है, जहां पाकिस्तान और भारत में अप्रैल 1984 के बाद से आज़ादी से लड़ी गई है। दोनों देश 6000 मीटर (20,000 फीट) की ऊंचाई पर क्षेत्र में स्थायी सैन्य उपस्थिति बनाए रखते हैं।", + "569314_p7": "भारत और पाकिस्तान दोनों ने महंगा सैन्य चौकी से छूटने की कामना की है। हालांकि, 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी घुसपैठ के बाद, भारत ने सियाचिन से पाकिस्तान की मौजूदा रेखा नियंत्रण की आधिकारिक मान्यता के बिना पाकिस्तान को वापस लेने की योजना को छोड़ दिया था, अगर वे इस तरह के मान्यता के बिना सियाचिन ग्लेशियर पदों को खाली करने पर पाकिस्तान द्वारा आगे बढ़ने की आशंका से चिंतित हैं।", + "569314_p8": "प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह क्षेत्र का दौरा करने वाले पहले भारतीय प्रधान मंत्री बने, जिसके दौरान उन्होंने समस्या का शांतिपूर्ण समाधान करने के लिए बुलाया। इसके बाद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भी इस जगह पर गए थे। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी के साथ 2012 में भी इस क्षेत्र का दौरा किया। [62] दोनों ने सियाचिन संघर्ष को जल्द से जल्द सुलझाने की अपनी प्रतिबद्धता दिखायी है। पिछले वर्ष, भारत के राष्ट्रपति ��ब्दुल कलाम क्षेत्र का दौरा करने वाले पहले राज्य प्रमुख बने।", + "569314_p9": "सितंबर 2007 के बाद से, भारत ने क्षेत्र में सीमित पर्वतारोहण और ट्रेकिंग अभियानों को खोल दिया है। पहले समूह में चेल मिलिटरी स्कूल, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, राष्ट्रीय कैडेट कोर, भारतीय सैन्य अकादमी, राष्ट्रीय भारतीय सैन्य महाविद्यालय और सशस्त्र बलों के अधिकारियों के परिवार के सदस्यों से कैडेट शामिल थे। इस अभियान का भी अंतरराष्ट्रीय दर्शकों को दिखाने का मतलब है कि भारतीय सैनिकों ने \"सल्तोरो रिज\" की कुंजी पर \"लगभग सभी हावी ऊंचाइयों\" को पकड़ लिया और यह दिखाया कि पाकिस्तानी सैनिक सियाचिन ग्लेशियर के मुख्य ट्रंक के 15 किमी के भीतर नहीं हैं। [63] पाकिस्तान से विरोध प्रदर्शनों को नजरअंदाज करते हुए भारत का कहना है कि सियाचिन को ट्रेकर्स भेजने के लिए किसी की मंजूरी की जरूरत नहीं है, जो कि यह कहता है कि यह मूल रूप से अपना क्षेत्र है। [64] इसके अलावा, भारतीय सेना के सेना पर्वतारोहण संस्थान (एएमआई) इस क्षेत्र से बाहर काम करता है।", + "569314_p10": "7 अप्रैल 2012 को, एक हिमस्खलन ने सियाचिन ग्लेशियर टर्मिनस के 30 किमी पश्चिम में सियाचिन क्षेत्र में गियारी सेक्टर में स्थित एक पाकिस्तानी सैन्य शिविर मारा, जिसमें 129 पाकिस्तानी सैनिकों और 11 नागरिकों को दफन किया गया", + "569314_p12": "बाहरी कड़ियाँ\nसियाचिन मे सैनिक जहां होता है -70 डिग्री तक तापमान(MotivationBeing)\nजानें भारत के लिए क्‍यों खास है सियाचिन ग्‍लेशियर (प्रभात खबर)\nसियाचिन ग्लेशियर से जुड़ा विवादों का सफर (बिजनेस स्टैण्डर्ड)", + "569314_p13": "हिमालय के हिमनद\nहिमानियाँ\nहिमालय\nभारत-पाकिस्तान सम्बन्ध\nकाराकोरम\nभारत की हिमानियाँ\nलद्दाख़ की हिमानियाँ", + "590700_p0": "चुमार भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के दक्षिणी लद्दाख क्षेत्र में स्थित सीमा चौकसी चौकी है। भारतीय एवं चीनी सैनिकों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर आदान-प्रदान के मामले में यह चौकी सबसे संवेदनशील एवं सक्रिय चौकियों में से एक रही है। यह लेह से १९० किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है।", + "590700_p1": "जम्मू और कश्मीर का भूगोल\nलद्दाख़\nचीन के क्षेत्रीय विवाद", + "782907_p0": "साल्तोरो पर्वतमाला (Saltoro Mountains) या साल्तोरो मुज़ताग़ (Saltoro Muztagh) जम्मू और कश्मीर में स्थित काराकोरम पर्वतमाला की एक उपश्रेणी है। यह काराकोरम के हृदय में सियाचिन ग्लेशियर से दक्षिणपश्चिम में स्थित है, जो पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर स्थित सबसे बड़ी दो हिमानियों में से एक है (सबसे बड़ी ताजिकिस्तान की फ़ेदचेन्को हिमानी है)। साल्तोरो पर्वतमाला पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र की सीमा पर स्थित है, जहाँ पर्वतमाला की पश्चिमी तरफ़ साल्तोरो घाटी स्थित है।", + "782907_p1": "एक्चुअल ग्राउंड पोजिशन लाइन \nएक्चुअल ग्राउंड पोजिशन लाइन (एजीपीएल) भारत-पाकिस्तान एलओसी पर पॉइंट एनजे 9842 से सॉल्टोरो पर्वत के साथ-साथ ला योंगमा री, ग्योंग ला, ग्योंग कांगरी, चुमिक कांगड़ी, बिलाफोंड ला (पास) और पास के बाना पोस्ट, साल्टोरो कांगड़ी, गेंट कांगड़ी और सिया के बीच चलती है। चीन-भारत LAC पर इंदिरा कर्नल वेस्ट के उत्तर-पश्चिम में भारत-पाकिस्तान-चीन त्रिकोण। पाकिस्तान के नियंत्रण में चोटियां और पास जैसे कि ग्यारी कैंप, चोगोलिसा, बाल्टोरो ग्लेशियर, कॉनवे सदल, बाल्टोरो मुजतघ और गशेरब्रम एजीपीएल के पश्चिम में स्थित हैं।", + "782907_p2": "मुख्य पर्वत \nयह साल्तोरो पर्वतमाला के उन पर्वतों की सूची है, जो 7,200 मीटर से ऊँचे हैं और 500 मीटर से अधिक की स्थलाकृतिक उदग्रता रखते हैं। इस से कम उदग्रता रखने वाले शिखर स्वतंत्र पर्वत नहीं माने जाते बल्कि आसपास के अन्य पर्वतों के ही शिखर माने जाते हैं (पर्वतों के कई शिखर हो सकते हैं)।", + "782907_p4": "भारत की पर्वतमालाएँ\nजम्मू और कश्मीर की स्थलाकृतियाँ\nगिलगित-बल्तिस्तान की पर्वतमालाएँ\nकाराकोरम", + "803701_p0": "जूनागढ़ 1948 तक एक रियासत था, जिसपर बाबी राजवंश का शासन था। एकीकरण के दौरान भारतीय संघ में जनमत द्वारा शामिल कर लिया गया।", + "803701_p1": "इतिहास \nमोहम्मद शेर खान बाबी राजवंश के संस्थापक था, जूनागढ़ राज्य पर 1654 ई मे बाबी नवाबों ने जूनागढ़, पर विजय प्राप्त की।", + "803701_p2": "हालांकि पतन के दौरान बाबी मुगल साम्राज्य में शामिल हो गया है के साथ एक संघर्ष गायकवाड़ वंश के मराठा साम्राज्य के नियंत्रण पर गुजरातहै। मोहम्मद शेर खान बाबी ने स्वतंत्रता की घोषणा की मुगल राज्यपाल गुजरात के subah, और स्थापित राज्य के जूनागढ़ में 1730. यह अनुमति दी बाबी को बनाए रखने के लिए संप्रभुता के जूनागढ़ और अन्य रियासतों है। जूनागढ़ था तो एक सहायक नदी के मराठा साम्राज्य, , जब तक यह आया के तहत ब्रिटिश राज 1807 में, के बाद द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध.", + "803701_p3": "1807 में, जूनागढ़ राज्य में एक ब्रिटिश संरक्षित बन गया और ईस्ट इंडिया कंपनी का नियंत्रण ले लिया राज्य है। द्वारा 1818 में, सौराष्ट्र क्षेत्र, के साथ साथ अन्य रियासतों के काठियावाड़थे, अलग से administrated के तहत काठियावाड़ एजेंसी द्वारा ब्रिटिश भारत मेंहै।", + "803701_p4": "1947 में, पर आजादी और भारत के विभाजन, पिछले बाबी राजवंश के शासक राज्य, मोहम्मद Mahabat Khanji III, विलय करने का निर्णय लिया जूनागढ़ में नव गठित पाकिस्तान. हालांकि, हिन्दू नागरिकों का गठन किया है जो जनसंख्या के बहुमत, विद्रोह करने के लिए अग्रणी, कई घटनाओं और भी एक जनमत संग्रहमें जिसके परिणामस्वरूप, एकीकरण के जूनागढ़ भारत मेंहै।", + "803701_p5": "शासक \nजूनागढ़ के नवाबों बाबी या बाबई पठान (पश्तून जनजाति) के थे। इन्हें ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा एक 13 तोपों की सलामी उपाधि प्राप्त थी:\n 1730–1758 : मोहम्मद बहादुर ख़ानजी प्रथम या मोहम्मद शेरख़ान बाबई;\n 1758–1774 : मोहम्मद महाबत ख़ानजी प्रथम\n 1774–1811 : मोहम्मद हामिद ख़ानजी प्रथम\n 1811–1840 : मोहम्मद बहादुर ख़ानजी द्वितीय\n 1840–1851 : मोहम्मद हामिद ख़ानजी द्वितीय\n 1851–1882 : मोहम्मद महाबत ख़ानजी द्वितीय\n 1882–1892 : मोहम्मद बहादुर ख़ानजी तृतीय\n 1892–1911 : मोहम्मद रसूल ख़ानजी\n 1911–1948 : मोहम्मद महाबत ख़ानजी तृतीय (अंतिम शासक)", + "803701_p6": "एक के जूनागढ़ परिवार रहता है, अहमदाबाद में भारत के वंश—परिवार के वैध अहद Shehzada श्री Sherzaman Khanji रसूल Khanji बाबी बहादुर था, जो बड़े भाई के अंतिम शासक नवाब साहब श्री एच एच नवाब साहब श्री Mahabat Khanji III रसूल khanji. वर्तमान प्रधान के परिवार, दरबार साहब श्री शमशेर अली Khanji हयात Khanji बाबी साहब के Devgam, खुद की एक शाखा जूनागढ़ राज्य है, महान-पोते के वैध अहद Shehzada साहब. उनके प्रतिनिधि है अपने ज्येष्ठ भतीजे Sahibzada मुजम्मिल हयात Khanji अनीस मोहम्मद Khanji बाबी।", + "803701_p8": "में हिन्दू बहुमत के जूनागढ़ विद्रोह के लिए अग्रणी, निकट पतन राज्य सरकार की है, और एक दिसंबर को जनमत संग्रह जो घने के लिए बुलाया एकीकरण के जूनागढ़ भारत मेंहै। नवाब मुहम्मद Mahabat खान III के जूनागढ़ (तत्कालीन बाबी नवाब वंश के जूनागढ़) के लिए छोड़ दिया है में रहते हैं, सिंध, पाकिस्तान.", + "803701_p9": "बांटवा माणावदर\nवी॰ पी॰ मेनन\nअधिमिलन पत्र (जम्मू और कश्मीर)\n भारत के राजनीतिक एकीकरण", + "803701_p11": "ऐतिहासिक भारतीय क्षेत्र\nभारत की रियासतें", + "1067402_p0": "जम्मू और कश्मीर भारत द्वारा केंद्र शासित प्रदेश के रुप में प्रशासित एक क्षेत्र है। यह दक्ष��ण एशिया के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है, और कश्मीर के बड़े क्षेत्र का हिस्सा है, जो 1947 से भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच विवाद का विषय रहा है। नियंत्रण रेखा क्रमशः जम्मू और कश्मीर को पश्चिम और उत्तर में पाक अधिकृत कश्मीर और गिलगित-बल्तिस्तान के पाकिस्तान प्रशासित क्षेत्रों से अलग करती है। यह भारतीय राज्यों हिमाचल प्रदेश और पंजाब के उत्तर में और भारत द्वारा प्रशासित केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख़ के पश्चिम में स्थित है।", + "1067402_p1": "जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश में पुनर्गठन के प्रावधान जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के भीतर निहित थे, जिसे अगस्त 2019 में भारत की संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया था। विधेयक का उद्देश्य जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में फिर से गठित करना था: जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख़। पुनर्गठन 31 अक्टूबर 2019 से प्रभावी हो गया है।", + "1067402_p2": "इन्हें भी देखें\nजम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019\nजम्मू संभाग\nकश्मीर घाटी\nजम्मू-बारामूला रेलमार्ग", + "1067402_p3": "जम्मू और कश्मीर\nकश्मीर\nभारत के केंद्र शासित प्रदेश", + "1251622_p0": "ताशीगंग (Tashigang), जिसे प्रशासनिक स्रोतों में अप मोहाल ताशीगंग (Up Mohal Tashigang) भी कहा जाता है, भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के किन्नौर ज़िले में स्थित एक गाँव है। यह सतलुज नदी की घटी में स्थित है, हालांकि स्पीति नदी भी समीप बहती है। यह तिब्बत की सीमा के बहुत पास है।", + "1397601_p0": "नेलांग (Nelang) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी ज़िले में स्थित एक छोटा सा गाँव है। यह तिब्बत की सीमा के समीप है। नेलांग घाटी एक पर्यटन केन्द्र भी है। यह ग्राम और पड़ोस के धूमकु, पुलम सुम्दा, और सांग (जाधांग) ग्राम सभी जाध गंगा की घाटी में स्थित हैं, जो भागीरथी नदी की एक उपनदी है।", + "1397601_p1": "इन्हें भी देखें \n नेलांग घाटी\n जाध गंगा\n उत्तरकाशी ज़िला", + "1397602_p0": "सांग (Sang) या जाधांग (Sang) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी ज़िले में स्थित एक छोटा सा गाँव है। यह तिब्बत की सीमा के समीप है। यह ग्राम और पड़ोस के धूमकु, नेलांग व पुलम सुम्दा ग्राम सभी जाध गंगा की घाटी में स्थित हैं, जो भागीरथी नदी की एक उपनदी है।", + "1397602_p1": "इन्हें भी देखें \n जाध गंगा\n उत्तरकाशी ज़िला", + "1397606_p0": "पुलम सुम्दा (Pulam Sumda) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी ज़िले में स्थित एक छोटा सा गाँव है। यह तिब्बत की सीमा के समीप है। यह ग्राम और पड़ोस के धूमकु, नेलांग, सांग (जाधांग) व अन्य ग्राम सभी जाध गंगा की घाटी में स्थित हैं, जो भागीरथी नदी की एक उपनदी है।" +} \ No newline at end of file