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गला दबाकर हत्या की; बॉडी बोरे में भरी, लोकल मार्केट के पीछे कूड़े में फेंकी
Kerala Minor Girl Rape Case - केरल के एर्नाकुलम जिले में 5 साल की बच्ची से रेप के बाद गला दबाकर हत्या कर दी गई। आरोपी ने बच्ची का शव बोरे में डालकर डंपिंग ग्राउंड में फेंक दिया
केरल के एर्नाकुलम जिले में 5 साल की बच्ची से रेप के बाद गला दबाकर हत्या कर दी गई। आरोपी ने बच्ची का शव बोरे में डालकर डंपिंग ग्राउंड में फेंक दिया था। पुलिस ने आरोपी शख्स को गिरफ्तार कर लिया है। घटना शुक्रवार शाम की है। पुलिस ने शनिवार को मीडिया को इसकी जानकारी दी। CCTV फुटेज में बच्ची के साथ नजर आया आरोपी एर्नाकुलम SP विवेक कुमार ने बताया- बच्ची शुक्रवार शाम को किडनैप हुई थी। हमारी टीम ने CCTV फुटेज चेक किए जिसमें बच्ची को आरोपी के साथ देखा गया। उसी दिन रात 9.30 बजे आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। उस समय वह नशे की हालत में था और बच्ची उसके साथ नहीं थी। स्थानीय लोगों ने बच्ची को मार्केट के पास आरोपी के साथ देखा था। उन्होंने पुलिस को इसकी जानकारी दी। पुलिस ने पूरे एरिया में सर्चिंग की तो मार्केट के पीछे बच्ची की लाश मिली। इस इलाके में लोग कूड़ा फेंकते थे और कई असामाजिक लोग यहां नशा करने आते थे। बच्ची की बिल्डिंग में ही रहता था आरोपी पुलिस ने बताया- आरोपी शख्स बिहार का रहने वाला है और केरल में मजदूरी करता है। बच्ची के माता-पिता भी बिहार के हैं और मजदूरी करते हैं। जिस इमारत में बच्ची रहती थी, उसी बिल्डिंग के पहले फ्लोर पर आरोपी रहता था। आरोपी ने पूछताछ में पहले पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की। हालांकि, शनिवार सुबह अपना जुर्म कबूल कर लिया। कांग्रेस ने की पीड़ित परिवार को मुआवजा देने की मांग घटना को लेकर विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने लेफ्ट की सरकार पर हमला बोला है। विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने कहा कि पुलिस बच्ची को समय रहते नहीं ढूंढ पाई। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के सुधाकरण ने सरकार से पीड़ित परिवार को मुआवजा देने की अपील की है।
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तेलंगाना में 18 की जान गई; जम्मू-कश्मीर में बादल फटने से गांव में तबाही
इस साल मानसून सीजन में कई राज्यों में भारी तबाही मची है। हिमाचल प्रदेश में अब तक 187 लोगों की जान जा चुकी है। वहीं तेलंगाना में एक हफ्ते में 18 लोगों की मौत हो गई। तेलंगाना में करीब 12,000 लोगों को राहत शिविरों में Bihar UP Monsoon Rainfall Update; Rajasthan Indore Bhopal | Chhattisgarh, West Bengal Weather Forecast
मानसून सीजन में हुई भारी बारिश ने कई राज्यों में भारी तबाही मचाई है। हिमाचल प्रदेश में पिछले 40 दिनों में 187 लोगों की जान जा चुकी है, वहीं 34 लोग लापता हैं। तेलंगाना में एक हफ्ते में 18 लोगों की मौत हो गई। करीब 12,000 लोगों को राहत शिविरों में पहुंचाया गया है। उधर, शनिवार को जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले के एक गांव में बादल फट गया। जिससे सात घर, एक मस्जिद और दो स्कूल क्षतिग्रस्त हो गए। उत्तराखंड के चमोली में रविवार सुबह पहाड़ों से पत्थर गिरने के बाद बद्रीनाथ नेशनल हाईवे को बंद करना पड़ा। हालांकि, 2 घंटे बाद हाईवे ट्रैफिक के लिए खोल दिया गया। अगले 24 घंटे कैसे रहेंगे… इन राज्यों में तेज बारिश होगी: हिमाचल, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड, गोवा, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश। बारिश की संभावना नहीं: जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु में बारिश की संभावना नहीं है। अलग-अलग राज्यों से मानसून की तस्वीरें... अन्य राज्यों में मौसम का हाल...
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राजस्थान सरकार बनाएगी कर्ज राहत आयोग, कोर्ट के बराबर होंगी शक्तियां
चुनावी साल में राजस्थान सरकार किसानों को लुभाने के लिए बिल लेकर आ रही है। किसान कर्ज राहत आयोग बिल को दो अगस्त को विधानसभा में पेश करके पारित करवाने की तैयारी है। यह बिल पारित होने के बाद किसान कर्जमाफी आयोग बनाने का रास्ता Gehlot government will form farmers loan waiver commission
चुनावी साल में राजस्थान सरकार किसानों को लुभाने के लिए बिल लेकर आ रही है। किसान कर्ज राहत आयोग बिल को दो अगस्त को विधानसभा में पेश करके पारित करवाने की तैयारी है। यह बिल पारित होने के बाद किसान कर्ज राहत आयोग बनाने का रास्ता साफ हो जाएगा। आयोग बनने के बाद बैंक और कोई भी फाइनेंशियल संस्था किसी भी कारण से फसल खराब होने की हालत में कर्ज वसूली का प्रेशर नहीं बना सकेंगे। किसान फसल खराब होने पर कर्ज माफी की मांग करते हुए इस आयोग में आवेदन कर सकेंगे। आयोग से सरकार को किसानों के कर्ज माफ करने या सहायता करने के आदेश कभी भी जारी हो सकते हैं। ​हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज होंगे अध्यक्ष राज्य किसान कर्ज राहत आयोग में अध्यक्ष सहित 5 मेंबर होंगे। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज अध्यक्ष होंगे। आयोग में एसीएस या प्रमुख सचिव रैंक पर रहे रिटायर्ड आईएएस, जिला और सेशन कोर्ट से रिटायर्ड जज, बैंकिंग सेक्टर में काम कर चुके अफसर और एक एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट को मेंबर बनाया जाएगा। सहकारी समितियों के एडिशनल रजिस्ट्रार स्तर के अफसर को इसका सदस्य सचिव बनाया जाएगा। किसान कर्ज राहत आयोग का कार्यकाल 3 साल का होगा। आयोग के अध्यक्ष और मेंबर का कार्यकाल भी 3 साल का होगा। सरकार अपने स्तर पर आयोग की अवधि को बढ़ा भी सकेगी और किसी भी मेंबर को हटा सकेगी। पूरे जिले को भी घोषित कर सकता है संकटग्रस्त किसान कर्ज राहत आयोग को कोर्ट जैसे पावर होंगे। अगर किसी इलाके में फसल खराब होती है और इसकी वजह से किसान बैंकों से लिया हुआ कृषि कर्ज चुका नहीं पाता है तो ऐसी स्थिति में आयोग को उस किसान और क्षेत्र को संकटग्रस्त घोषित करके उसे राहत देने का आदेश देने का अधिकार होगा। कर्ज नहीं चुका पाने को लेकर अगर किसान आवेदन करता है या आयोग खुद अपने स्तर पर समझता है कि हालत वाकई खराब है तो वह उसे संकटग्रस्त किसान घोषित कर सकता है। संकटग्रस्त किसान का मतलब है कि उसकी फसल खराबे की वजह से वह कर्ज चुका पाने में सक्षम नहीं है। संकटग्रस्त किसान घोषित होने के बाद बैंक उस किसान से जबरदस्ती कर्ज की वसूली नहीं कर सकेगा। आयोग बैंकों से भी बातचीत करेगा संकटग्रस्त क्षेत्र घोषित करने के बाद आयोग के पास यह भी पावर होगा कि वह बैंकों से लिए गए कर्ज को सेटलमेंट के आधार पर चुकाने की प्रक्रिया भी तय करेगा। आयोग किसानों के पक्ष में कोई भी फैसला करने से पहले बैंकों के प्रतिनिधियों को भी सुनवाई का मौका देगा। लोन को री-शेड्यूल करने और ब्याज कम करने जैसे फैसले भी आयोग कर सकेगा। किसानों को दिए जाने वाले कर्ज को लेकर प्रक्रिया तय करने और सरलीकरण के लिए भी आयोग सुझाव दे सकेगा। आयोग संकटग्रस्त क्षेत्रों में किसानों की हालात को देखते हुए सरकार को अपनी रिपोर्ट में किसानों का कर्ज माफ करने की सिफारिश भी कर सकेगा। आयोग के फैसले को सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी किसान कर्ज राहत आयोग को सिविल कोर्ट के बराबर शक्तियां दी गई है। कर्ज राहत आयोग के किसी भी फैसले को सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी। आयोग किसी भी अफसर या व्यक्ति को समन करके बुला सकेगा। किसान को कर्ज माफी के लिए आवेदन इस कानून के तहत किसी भी कर्ज से राहत के लिए दावा करने वाला किसान आयोग के सामने आवेदन फाइल करेगा और उसके बाद आयोग अपना फैसला करेगा। आयोग जिलों में बैठकें और सुनवाई करेगा किसान कर्ज राहत आयोग समय-समय पर फील्ड में जाकर बैठकें भी करेगा। आयोग ऐसी जगहों पर अपनी बैठकें करेगा, जहां पर उसे आवश्यकता महसूस होगी। जो इलाके संकटग्रस्त है और जहां फसलें खराब हुई हैं वहां पर खास तौर से किसानों का पक्ष जानने और हालात का जायजा लेने के लिए आयोग के प्रतिनिधि जाएंगे। कर्ज माफी आयोग की बैठक के लिए 5 में से 3 मेंबर्स का रहना जरूरी होगा। आयोग जिलों में होने वाली बैठकों के लिए 2 या उससे ज्यादा मेंबर्स वाली न्याय पीठ का गठन करके बैठक करेंगे। यह आयोग सेंट्रलाइज्ड बैंकों और कॉमर्शियल बैंकों से लिए गए किसानों के कर्ज को री-शेड्यूल करने और कर्ज माफी को लेकर भी आदेश जारी कर सकेगा। इसमें शॉर्ट टर्म लोन को मिड टर्म या लॉन्ग टर्म में बदलने के लिए भी री-शेड्यूल करने का आदेश जारी कर सकेगा। ऐसे हालात में आयोग ब्याज माफी के लिए भी बैंकों को सिफारिश कर सकेगा। प्रॉपर्टी नीलाम नहीं कर सकेंगे बैंक किसान कर्ज माफी आयोग अगर किसी क्षेत्र को संकट ग्रस्त क्षेत्र घोषित करता है तो ऐसे इलाके में कोई भी बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीटयूशन किसानों से कर्ज वसूली के लिए किसी भी तरह की बिक्री या उसकी प्रॉपर्टी जब्त करने या नीलामी करने की कोई कार्रवाई नहीं कर सकेगा। जब तक कि आयोग के पास में केस पेंडिंग रहता है तो किसान के विरुद्ध किसी भी तरह की कोई भी वाद आवेदन अपील और याचिकाओं पर रोक रहेगी।
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3 से 7 अगस्त तक कर सकेंगे अप्लाय, प्राइस बैंड ₹54 से ₹57 प्रति शेयर
Non-banking lender SBFC Finance's initial public offering (IPO) Finance IPO Details | Everything You Need to Know नॉन बैंकिग फाइनेंस कंपनी 'SBFC फाइनेंस लिमिटेड' का IPO पब्लिक सब्सक्रिप्शन के लिए अगले हफ्ते ओपन हो रहा है।
नॉन बैंकिग फाइनेंस कंपनी 'SBFC फाइनेंस लिमिटेड' का IPO पब्लिक सब्सक्रिप्शन के लिए अगले हफ्ते ओपन होगा। इस इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी IPO के जरिए कंपनी 1025 करोड़ रुपए जुटाना चाहती है। रिटेल निवेशक इस IPO के लिए 3 से 7 अगस्त तक बोली लगा सकेंगे। 14 अगस्त को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर कंपनी के शेयर लिस्ट होंगे। अगर आप भी इस IPO में पैसा लगाने का प्लान बना रहे हैं तो हम आपको बता रहे हैं कि आप इसमें कितना निवेश कर सकते हैं। मिनिमम और मैक्सिमम कितना पैसा लगा सकते हैं? रिटेल निवेशक को मिनिमम एक लॉट यानी 260 शेयरों के लिए अप्लाय करना होगा। कंपनी ने IPO का प्राइज बैंड 54-57 रुपए प्रति शेयर रखा है। यदि आप IPO के अपर प्राइज बैंड 57 रुपए के हिसाब से 1 लॉट के लिए अप्लाय करते हैं तो आपको 14,820 रुपए लगाने होंगे। रिटेल निवेशक अधिकतम 13 लॉट के लिए बिडिंग कर सकते हैं, जिसके लिए 1,92,660 रुपए इन्वेस्ट करने होंगे। ₹600 करोड़ के फ्रेश शेयर जारी करेगी कंपनी इस इश्यू के लिए कंपनी ₹600 करोड़ के फ्रेश इक्विटी शेयर जारी करेगी। जबकि 425 करोड़ रुपए के शेयर्स कंपनी के प्रमोटर ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए बेचेंगे। फ्रेश इश्यू से होने वाली इनकम का यूज कंपनी कैपिटल बेस बढ़ाने और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए करेगी। 35% हिस्सा रिटेल इनवेस्टर्स के लिए रिजर्व कंपनी के इश्यू का 50% हिस्सा क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (QIB) के लिए रिजर्व रखा गया है। इसके अलावा 35% हिस्सा रिटेल इनवेस्टर्स और बाकी 15% हिस्सा नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) के लिए रिजर्व है। एंटरप्रेन्योर, स्मॉल बिजनेस ओनर सहित अन्य लोगों को लोन देती है कंपनी SBFC फाइनेंस सिस्टमैटिकली इंपोर्टेंट, नॉन-डिपॉजिट-टेकिंग नॉन बैंकिग फाइनेंस कंपनी (NBFC-ND-SI) है। कंपनी के प्राइमरी कस्टमर बेस में एंटरप्रेन्योर, स्मॉल बिजनेस ओनर, सैलरीड और वर्किंग क्लास इंडिविजुअल शामिल हैं। SBFC सिक्योर्ड MSME लोन और लोन अगेंस्ट गोल्ड के रूप में अपनी सर्विस देती है। 31 दिसंबर 2022 तक SBFC फाइनेंस 16 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के 105 से अधिक शहरों में मौजूद है। वर्तमान में बैंक के 137 ब्रांच हैं।
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डाइनिंग टेबल पर कुकर-कड़ाही न सजाएं, चीन के खानपान का सलीका माना जाता बेस्ट
स्वाद खाने की बुनियाद है। लेकिन अगर खाना सुंदर तरीके से परोसा गया है तो, उसका जायका और बढ़ जाता है। खाना बनाने-खिलाने के शौकीन लोग इस खूबसूरती का खाना पकाने से लेकर उसे प्लेट में परोसे जाने तक हर स्टेज पर ध्यान रखते हैं।
स्वाद खाने की बुनियाद है। लेकिन अगर खाना सुंदर तरीके से परोसा गया है तो, उसका जायका और बढ़ जाता है। खाना बनाने-खिलाने के शौकीन लोग इस खूबसूरती का खाना पकाने से लेकर उसे प्लेट में परोसे जाने तक हर स्टेज पर ध्यान रखते हैं। आज ‘फुरसत का रविवार’ है। आप या तो किसी मेहमान की मेजबानी में व्यस्त होंगे या किसी के घर दावत पर जाने की तैयारी में लगे होंगे। मेहमान खाने की टेबल पर जब पहुंचे तो खाना इतने सलीके से सजा दिखे, जिसे देखते ही भूख खुल जाए। बहरहाल, इंसान ने जब से भोजन पकाना शुरू किया तब से इसे करीने से परोसने का सिलसिला भी शुरू हुआ। लेकिन भोजन परोसने की कला का दस्तावेजीकरण 1600 में फ्रांस से शुरू हुआ। फ्रांस के सम्राट लुई-14 ने अपने रसोइयों को डाइनिंग टेबल पर भोजन को खूबसूरत तरीके से पेश करने के आदेश दिए थे। यूरोप में तब से फूड डेकोरेशन पर जोर दिया जाने लगा। 19वीं शताब्दी में फ्रांसीसी शेफ ऑगस्टे एस्कॉफ़ियर ने खाने को सलीके से परोसने की कला को नया आयाम दिया। मसलन दम आलू बनाने के लिए मीडियम साइज आलू लिए जाते हैं। उबालने के बाद आलू को एक समान आंच पर डीप फ्राई किया जाता है। आलू दम तैयार होने के बाद उसे कटोरी में हरी धनिया और हरी मिर्च से गार्निश कर फिर थाली में दाहिने तरफ रखकर परोसा जाता है। खाना परोसना बना दौलत की नुमाइश और ताकत का प्रदर्शन यूरोप में एक समय दौलत और ताकत का प्रदर्शन करने के लिए रईस लोग शाही दावत देते थे। बताया जाता है कि रोमन मेजबान थाली की खूबसूरत अपील बढ़ाने के लिए खाने में कीमती धातुएं मिलाकर परोसते थे। 800 साल पहले मध्य काल के रईस परिवार डाइनिंग टेबल पर जानवरों की खूबसूरत मूर्तियां लगाते थे। इन मूर्तियों में उस समाज की संस्कृति झलकती और उनकी हैसियत का पता चलता। पूरी दुनिया में डाइनिंग टेबल की खूबसूरती को मेजबान की हैसियत से जोड़कर अब भी देखा जाता है। लेकिन भारतीय परिवारों में परोसी जाने वाली थाली मेहमान के प्रति मेजबान के प्यार, सम्मान और आत्मीयता की प्रतीक मानी जाती है। थाली में खाना परोसने का तौर-तरीका परिवार की सोच को भी जाहिर करता है। रोम का सम्राट वाइन में मोती डालकर पीता था रोम में दावत देना सामाजिक कार्यक्रम होता था, जो आमतौर पर लोग अपने दोस्तों और बिजनेस क्लाइंट के लिए अपने घर पर आयोजित करते। रोम के लोग अपने डाइनिंग रूम (Triclinium) को भी खासतौर पर सजाते। भोज देने का मुख्य उद्देश्य मनोरंजन होता था। साथ ही लोगों को खिलाना-पिलाना इसका अहम हिस्सा होता। सामान्य तौर पर फूड के तीन कोर्स होते। एपिटाइजर, मेन कोर्स और डेजर्ट। भव्य कार्यक्रमों में मुख्य व्यंजन तुरही की तान पर परोसा जाता। तीतर, मछली और पोर्क के व्यंजन उनके मुख्य भोजन का हिस्सा होते। रोम का सम्राट क्लॉडियस तो वाइन को बेशकीमती बनाने के लिए उसमें मोती और सोने का टुकड़ा डालकर पीता और मेहमानों को भी पिलाता। यूरोपियन देशों में मेजबानी थी अपनी हैसियत दिखाने का जरिया यूरोप में मध्यकाल में रईस लोग किसी को खुश करने के लिए दावत देते थे। दावतों में जायकेदार व्यंजन होते। हालांकि इन कार्यक्रमों में सिर्फ रईस और रसूखदार लोगों को ही शामिल होने की इजाजत होती। ऐसी दावतों से न केवल मेहमानों का मनोरंजन होता, बल्कि इससे मेजबान की हैसियत का भी पता चलता। डाइनिंग टेबल पर खाने की प्लेटों और कटोरियों में खाने को करीने से सजाकर परोसा जाता था। खाना परोसने के तौर-तरीके पर फोकस बढ़ा अब भी दावत मेजबान की निजी और सामाजिक हैसियत बताती है। पहले के जमाने में खाने से दौलत और सामाजिक हैसियत की नुमाइश होती थी जबकि आज यह व्यक्ति के क्लास को बताती है। अब हर कोई कहीं भी, कुछ भी खा-पी सकता है। फाइव स्टार रेस्तरां में मिलने वाला हैमबर्गर अब स्ट्रीट फूड का भी हिस्सा है। इसलिए आज के जमाने में खाने को परोसते समय उसकी खूबसूरती पर ज्यादा फोकस किया जाने लगा है। प्लेटिंगः प्लेट में हर चीज परफेक्ट तरीके से सर्व करें कुकिंग में स्वादिष्ट खाना बनाने पर जितना जोर होता है उतना ही फूड सर्व करने के सलीके पर भी जोर दिया जाने लगा है। फ्रेंच नौवेल्ले कुजिन और जापानी बेंटो बॉक्सेस में यह देखा जा रहा है। व्यंजनों को सजाने में अक्सर सिम्पल और कॉम्पलेक्स दोनों डिज़ाइन इस्तेमाल होते हैं। जैसे फ़्रेंच नौवेल्ले कुजिन प्लेट को सजाने का साधारण तरीका अपनाते हैं। कुल मिलाकर खाना परोसने की कला सोशल ट्रेंड और सामाजिक परंपराओं को दर्शाती है। डाइनिंग टेबल पर एक तरह के बर्तन इस्तेमाल करें शेफ विनय कुमार कहते हैं कि खूबसूरत तरीके से परोसी गई थाली भूख बढ़ाती है और मेहमान को खुशी पहुंचाती है। डाइनिंग टेबल पर मिक्स क्रॉकरी इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए। अगर स्टील की थाली ले रहे हैं तो पूरा सेट ही स्टील का इस्तेमाल करें। या फिर बोन चाइना या सिरेमिक के बर्तन हैं तो पूरा सेट बोन चाइना या सिरेमिक का ही होना चाहिए। डाइनिंग टेबल पर कुकर-कड़ाही न रखें शेफ विनय कुमार कहते हैं कि कई बार घरों में होता है कि डाइनिंग टेबल पर पका हुआ चावल कुकर या सब्जी वाली कड़ाही रख दी जाती है। ऐसा नहीं करना चाहिए। अगर लंच में चावल, दाल, सब्जी और रोटी बनी है तो इन सभी आइटम को अलग-अलग बोल में लेकर डाइनिंग टेबल पर रखना चाहिए। जबकि रोटी हॉट केस में रखें। हालांकि बेहतर यह रहेगा कि खाते समय ही रोटी बनाकर गर्म-गर्म छोटे प्लेट में तुरंत परोसी जाए। इससे गर्म-गर्म रोटी मिलेगी और दूसरा रोटी अधिक नहीं बनेगी तो नुकसान होने का डर नहीं होगा। परोसने वाली कलछी और बड़ा चम्मच अलग होना चाहिए खाना बनाने और सर्व करने वाले बर्तन अलग होने चाहिए। जिस कलछी से दाल में तड़का लगाते हैं, उसे डाइनिंग टेबल पर नहीं लाना चाहिए। क्योंकि तड़का लगाने के लिए गर्म करते हुए कलछी का रंग काला पड़ चुका होता है। दाल परोसने के लिए अलग कलछी का इस्तेमाल करें। इसी तरह दाल, चावल और सब्जी परोसने के लिए अलग-अलग सर्विंग स्पून का इस्तेमाल करना चाहिए। खाना बनाते हुए भी दाल और सब्जी को चलाने के लिए अलग अलग कलछी और चम्मच का इस्तेमाल करना चाहिए। चीन कहलाता है ‘स्टेट ऑफ एटिकेट्स’ ‘चाइनीज फूड्स’ किताब की लेखक लीयू कहती हैं कि चीन फूड एटिकेट्स के मामले में ‘स्टेट ऑफ एटिकेट्स’ कहलाता है। 2600 साल पुराने ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि चीन ने खाने-पीने का खास सलीका अपनाया। खाने-पीने के दौरान शिष्टाचार चीनी खानपान को स्पेशल बनाता है। 19वीं शताब्दी के मशहूर रूसी लेखक एंटोन चेखव ने लिखा है, ‘चीनी शख्स ने उन्हें एक बार में वाइन पीने के लिए बुलाया। उस शख्स ने पहले दोनों हाथों से गिलास पकड़ी और विनम्रता से मुझे पेश किया। और बोला प्लीज…यह चीनी खानपान के शिष्टाचार का एक उदाहरण है।’ चेखव ने लिखा, ‘जब हम बार से निकलने लगे तो उस शख्स ने कुछ सिक्के हाथ में थमाकर आभार व्यक्त किया और कहा कि मैंने उसे आतिथ्य का मौका दिया। शुक्रिया।’ ग्रैफिक्स: सत्यम परिडा नॉलेज बढ़ाने और जरूरी जानकारी देने वाली ऐसी खबरें लगातार पाने के लिए डीबी ऐप पर 'मेरे पसंदीदा विषय' में 'वुमन' या प्रोफाइल में जाकर जेंडर में 'मिस' सिलेक्ट करें।
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पीरियड्स में इम्यूनिटी कम, खून की कमी और इसी समय एग का बनना भी जिम्मेदार
पीरियड्स के दौरान मूड स्विंग को प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) कहा जाता है। इससे उनका मूड लगातार बदलता रहता है। यह हाॅर्मोंस के उतार चढ़ाव के कारण होता है।
लोग अक्सर कहते हैं कि लड़कियों का मूड बेमौसम बरसात की तरह होता है, कभी भी बदल जाता है। वह हंसते-हंसते रो पड़ती हैं, प्यार से कुछ पूछने पर चिड़चिड़ा जाती हैं और बिना किसी बात पर गुस्सा हो जाती हैं। लड़कियों के मूड स्विंग को लड़के समझ नहीं पाते और जाने-अनजाने में उनके रिश्ते में दरार पड़ जाती है। दरअसल महिलाओं या लड़कियों के मूड स्विंग की वजह है उनके पीरियड्स। हर महीने लड़कियों को 3 से 5 दिन पीरियड्स का दर्द सहन करने के साथ-साथ मूड स्विंग का भी शिकार होना पड़ता है। प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम से महिलाओं का बिगड़ता मूड महिला की मेंस्ट्रुअल साइकिल एस्ट्रोजन, प्रोजेस्ट्रॉन, ल्यूटिनाइजिंग हाॅर्मोन (LH) और फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हाॅर्मोन (FSH) नाम के हाॅर्मोंस से रेगुलेट होती है। गुरुग्राम के क्लाउडनाइन हॉस्पिटल में गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. रितु सेठी कहती हैं कि पीरियड्स के दौरान मूड स्विंग को प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) कहा जाता है। इससे उनका मूड लगातार बदलता रहता है। यह हाॅर्मोंस के उतार चढ़ाव के कारण होता है। इस सिंड्रोम में महिला को टेंशन, एंग्जाइटी, डिप्रेशन, गुस्सा, अनिद्रा, खाने की क्रेविंग, सिरदर्द, थकान, जोड़ों में दर्द, ब्रेस्ट टाइट होना, वजन बढ़ना, कब्ज जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। यह लक्षण पीरियड्स शुरू होने से कुछ दिन पहले और पीरियड्स शुरू होने के 2 से 3 बाद तक रहते जाते हैं। लेकिन ऐसा हर महिला के साथ हो, जरूरी नहीं है। हाॅर्मोन के उतार-चढ़ाव से मूड स्विंग पीरियड्स के दौरान शरीर में हॉर्मोन में उतार-चढ़ाव होता रहता है। इसी वजह से मूड स्विंग होता है। जब महिला के शरीर में एग बनता है तो उसे ओव्यूलेशन कहा जाता है। इसके बाद से महिलाओं के शरीर में मौजूद एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन कम होने लगते हैं। हाॅर्मोन के उतार-चढ़ाव से हमारे दिमाग में मौजूद सेरोटोनिन नाम का न्यूरोट्रांसमीटर प्रभावित होता है जो मूड को बदलता है। सेरोटोनिन हैप्पी हाॅर्मोन होता है। अगर महिला प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम की शिकार हो तो सेरोटोनिन कम रिलीज होता है जिससे वह मूड स्विंग या डिप्रेशन की शिकार होने लगती है। पीरियड्स इम्यूनिटी पर डालते असर? क्लू नाम की पीरियड्स ट्रैकिंग ऐप ने एक रिसर्च की और पाया कि कुछ महिलाओं की इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता पीरियड्स शुरू होने से पहले या पीरियड्स के दौरान कम हो जाती हैं और वह बीमार पड़ जाती हैं। कुछ को बॉडी में दर्द तो कुछ को बुखार हो जाता है। इसे शोधकर्ता पीरियड फ्लू कहते हैं। शोध में इसके पीछे की वजह ल्यूटिनाइजिंग हाॅर्मोन (LH) बताई गई। इसका लेवल ओव्यूलेशन यानी एग बनने के दौरान बढ़ता है और पीरियड्स शुरू होने पर अचानक कम हो जाता है जिसका असर महिला की इम्यूनिटी पर पड़ता है और वह पीरियड फ्लू की शिकार हो सकती है। वहीं, एक रिसर्च में पाया गया कि अस्थमा की 40% महिला मरीजों ने पीरियड्स से पहले या उसके दौरान लगातार अस्थमा के अटैक की शिकायत की। इलाज न हो तो पीरियड्स के बाद भी रहते लक्षण प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) को अगर समय रहते ठीक ना किया जाए तो महिला प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (PMDD) से जूझ सकती हैं। इसके लक्षण भी प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम की तरह होते हैं। अमेरिका के चाइल्ड माइंड इंस्टीट्यूट के शोध में पाया गया कि इस बीमारी के लक्षण पीरियड्स खत्म होने के बाद भी रहते हैं। डॉ.रितु सेठी कहती हैं कि जो महिलाएं प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर का शिकार हों, उनमें आत्महत्या के ख्याल हावी होने लगते हैं और ऐसे में वह खुद को नुकसान भी पहुंचा सकती हैं। प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर हो तो ऐसी महिला का मनोचिकित्सक से इलाज करवाया जाता है। पहले से मेंटल डिसऑर्डर तब भी दिक्कत डॉ.रितु सेठी के अनुसार अगर किसी महिला की मेंटल हेल्थ पहले से ठीक ना हो, तब भी उन्हें मूड स्विंग होते हैं। इस कंडीशन को प्रीमेंस्ट्रुअल एक्सासरबेशन (PME) कहा जाता है। इंटरनेशनल असोसिएशन फॉर प्रीमेंस्ट्रुअल डिसऑर्डर के अनुसार एंग्जाइटी, डिप्रेशन और बायपोलर डिसऑर्डर की शिकार महिलाओं में पीरियड्स के दौरान मूड स्विंग की समस्या काफी हद तक बढ़ जाती है। प्रीमेंस्ट्रुअल एक्सासरबेशन और प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर के लक्षण इतने मिलते-जुलते हैं कि बीमारी का पता लगाना मुश्किल हो जाता है। इसकी सही तरह से पहचान जरूरी है और जल्द से जल्द इलाज करवाना भी जरूरी है। मूड स्विंग की वजह जानें कई महिलाओं को खुद नहीं पता होता कि वह मूड स्विंग का शिकार हैं। ऐसे में हर मेंस्ट्रुअल साइकिल के दौरान एक डायरी बनाएं। जब भी मूड स्विंग हो, उसे रिकॉर्ड कर लें। इससे महिला को पता चल सकेगा कि वह केवल पीरियड्स के दौरान प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम की शिकार तो नहीं। दरअसल मूड स्विंग की दिक्कत एनीमिया (खून की कमी), एंड्रियोमेट्रियोसिस, थाॅयराइड डिसऑर्डर, इरिटेबल बॉउल सिंड्रोम (IBS) और क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम में भी देखने को मिलती है। डाइट में कम से कम लें नमक खाने में नमक कम कर लें। नमक से प्यास बढ़ती है जिससे मूड स्विंग होने लगते हैं। चाय और काॅफी भी कम या बंद कर दें। जो महिलाएं प्रोसेस्ड फूड और फास्ट फूड ज्यादा खाती हैं, उनमें मूड स्विंग बहुत होते हैं इसलिए इन्हें खाना बिल्कुल छोड़ दें। डाइट में कैल्शियम लें। इससे एंग्जाइटी, डिप्रेशन और मूड स्विंग कम होंगे। बॉडी में बढ़ाएं हैप्पी हाॅर्मोन, नहीं होंगे मूड स्विंग इस दौरान महिला को ऐसे काम करने चाहिए जिससे उन्हें खुशी मिले। अपनी पसंदीदा हॉबी शुरू करें। अगर किसी को पेंटिंग पसंद है या गार्डनिंग, तो वह करें। नींद पूरी लें। रोज एक्सरसाइज या योग करें। पूरा दिन खुद को बिजी रखें। यह सब एक्टिविटी शरीर में सेरोटोनिन का लेवल बढ़ाती हैं। सेरोटोनिन हैप्पी हार्मोन होता है जो बिल्कुल डोपामाइन की तरह काम करता है। इंसान खुश रहता है तो मूड स्विंग की दिक्कत नहीं होती।
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CA की मदद क्यों लेना, आप खुद भर सकते हैं ITR; जानें तरीका
Income Tax Returns Filing Last date - फाइनेंशियल ईयर 2022-23 (असेसमेंट ईयर 2023-24) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने की डेडलाइन 31 जुलाई 2023 को खत्म हो जाएगी
फाइनेंशियल ईयर 2022-23 (असेसमेंट ईयर 2023-24) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने की डेडलाइन 31 जुलाई 2023 को खत्म हो जाएगी। यानी बिना किसी पेनाल्टी के ITR फाइल करने के लिए आपके पास सिर्फ दो दिन बचे हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इसके लिए कई बार रिमाइंडर भी जारी कर चुका है। अगर आप यह डेडलाइन मिस कर देते हैं, तो आपको बाद में रिटर्न फाइल करने के लिए फाइन देना पड़ सकता है। अगर आप बिजनेसमैन हैं और अपने बिजनेस की अकाउंट बुक को ऑडिटिंग की जरूरत है तो आप ITR किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) से भी फाइल करवा सकते हैं। लेकिन, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट खुद से भी ITR दाखिल करने की परमिशन देता है। यदि आपने अभी तक ITR फाइल नहीं किया है तो हम यहां आपको कुछ टिप्स बता रहे हैं, जिनकी मदद से आप गलती किए बिना खुद ही अपना ITR रिटर्न समय से फाइल कर सकते हैं। इससे पहले जानते हैं ITR फाइल करना क्यों जरूरी है... ITR हर साल फाइल करना होता है। आप रिटर्न फाइल कर उस फाइनेंशियल ईयर के दौरान आपने जो ज्यादा टैक्स पेमेंट किया है, उसका रिफंड क्लेम कर सकते हैं। ITR डॉक्यूमेंट को इनकम और एड्रेस प्रूफ के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। 31 जुलाई के बाद लेट फीस देनी होगी 31 जुलाई के बाद ITR फाइल करने वाले टैक्सपेयर्स को लेट फीस देनी होगी। अगर किसी इंडिविजुअल टैक्सपेयर की सालाना आय 5 लाख रुपए से ज्यादा है, तब उसे 5000 रुपए की लेट फीस देनी होगी। अगर टैक्सपेयर की एनुअल इनकम 5 लाख रुपए से कम है, तब उसे लेट फीस के रूप में 1,000 रुपए भरने होंगे। फाइल करते समय पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था में से अपने लिए सही ऑप्शन चुनें करदाताओं को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के दो ऑप्शन मिलते हैं। 1 अप्रैल, 2023 से नए स्लैब का ऑप्शन दिया गया था। नए टैक्स स्लैब में 5 लाख रुपए से ज्यादा आय पर टैक्स की दरें तो कम रखी गईं, लेकिन डिडक्शन छीन लिए गए हैं। वहीं अगर आप पुराना टैक्स स्लैब चुनते हैं तो आप कई तरह के टैक्स डिडक्शन का फायदा ले सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें कैसे फाइल कर सकते हैं इनकम टैक्स रिटर्न? 5 करोड़ से ज्यादा लोगों ने भरा इनकम टैक्स रिटर्न वित्त वर्ष 2022-23 (असेसमेंट ईयर 2023-24) के लिए 5 करोड़ से ज्यादा लोग अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल कर चुके हैं। शुक्रवार 28 जुलाई को इनकम टैक्स इंडिया ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। आयकर विभाग ने ट्वीट में कहा, '27 जुलाई तक 5.03 करोड़ लोग ITR फाइल करा चुके हैं। इनमें से 4.46 करोड़ ITR को ई-वेरिफाई किया गया है, यानी दाखिल किए गए 88% से अधिक ITR को इलेक्ट्रॉनिक रूप से वेरिफाई किया गया है। ई-वेरिफाइड ITR में से 2.69 करोड़ से अधिक ITR पहले ही प्रोसेस हो चुके हैं। 24 घंटे काम कर रहा विभाग का हेल्प डेस्क आयकर विभाग ने कहा, 'टैक्सपेयर्स की मदद के लिए हमारा हेल्पडेस्क 24x7 काम कर रहा है। हेल्प डेस्क ITR दाखिल करने, टैक्स पैमेंट और अन्य संबंधित सेवाओं के लिए लोगों की मदद कर रहा है। हम कॉल, लाइव चैट, वेबेक्स सेशन और सोशल मीडिया के माध्यम से मदद कर रहे हैं। रविवार को भी ITR फाइल कर सकेंगे हम शनिवार और रविवार को भी काम करेंगे। यानी 31 जुलाई 2023 तक किसी भी तरह की मदद करना जारी रखेंगे। हम उन सभी से अपील करते हैं जिन्होंने AY2023-24 के लिए ITR दाखिल नहीं किया है, वे अंतिम समय की भीड़ से बचने के लिए जल्द से जल्द अपना ITR दाखिल करें। ITR वेरिफिकेशन करना जरूरी इनकम टैक्स रिटर्न जमा करने के बाद इसे वेरीफाई करना जरूरी है। यदि इसे वेरीफाई नहीं किया गया है, तो फाइल किए गए ITR को लीगल नहीं माना जा सकता और डिपार्टमेंट उसे प्रोसेस नहीं करेगा। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ITR को वेरीफाई करने के लिए 5 ऑप्शन ऑफर करता है। नेट बैंकिंग, बैंक ATM, आधार OTP, बैंक अकाउंट और डीमैट अकाउंट। गलतियां करने से बचें ITR फाइल करते समय ध्यान रखें कि आप जो असेसमेंट ईयर प्रोवाइड कर रहे हैं वो सही हो। फाइनेंशियल ईयर 2022-23 के लिए सही असेसमेंट ईयर 2023-24 है। इसके अलावा आपको रिटर्न फाइल करने से पहले फॉर्म 26AS के साथ TDS और टैक्स पेमेंट को वेरीफाई करना चाहिए। ITR फॉर्म में कई लाइनें और कॉलम होते हैं, जिनमें सभी डिटेल्स को एक पर्टिकुलर फॉर्मेट में एंटर करना होगा, जो अगर ठीक से नहीं किया गया तो गलतियां हो सकती हैं।
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हॉन्टेड है यह हवेली, कास्ट और क्रू को अकेले घूमने की परमिशन नहीं
Stree 2 Movie Shooting Locations Details (Madhya Pradesh Chanderi) राजकुमार राव और श्रद्धा कपूर स्टारर ‘स्त्री2 ’ को भी 150 साल पुरानी हवेली में फिल्माने की तैयारी
राजकुमार राव और श्रद्धा कपूर स्टारर हॉरर कॉमेडी ‘स्त्री’ का दूसरा पार्ट इन दिनों मध्य प्रदेश में शूट किया जा रहा है। इस फिल्म का बड़ा पोर्शन चंदेरी आर भोपाल में शूट होना है। सुनने में आया है कि मेकर्स इस पार्ट को 150 साल पुरानी हवेली में शूट करने की प्लानिंग कर रहे हैं। भोपाल स्थित इस हवेली को लोग ताजमहल हवेली के नाम से पुकारते हैं। फिल्म के फर्स्ट पार्ट की भी शूटिंग इसी हवेली में हुई थी। लोकल लोगों की मानें तो यह एक भूतिया हवेली है। हालांकि, अभी इस मामले पर ऑफिशियल कन्फर्मेशन आना बाकी है। पहले पार्ट की शूटिंग के दौरान खुले बाल रखने की थी मनाही फिल्म से जुड़े सूत्रों ने बताया, ‘इस हवेली को लेकर कई तरह के किस्से मशहूर हैं। कुछ मान्यताएं भी हैं। ऐसे में पहले पार्ट की शूटिंग के दौरान यहां क्रू मेंबर्स को स्थानीय लोगों से कई तरह की हिदायतें दी थीं। हवेली में शूटिंग के दौरान एक्ट्रेस और फीमेल जूनियर आर्टिस्ट्स को बाल खुले रखने की मनाही थी। इसके अलावा किसी को भी हवेली में अकेले घूमने की इजाजत नहीं थी।’ अन्य हाॅन्टेड हवेलियां भी तलाश रहे मेकर्स सूत्रों ने आगे बताया, ‘यह हवेली पिछले 30 से 40 साल से खाली पड़ी हुई है। इसे टूरिज्म डिपार्टमेंट ने किसी को रख रखाव के लिए दिया है और हवेली को होटल के तौर पर रेनोवेट करने की भी प्लानिंग चल रही है पर अभी तक ऐसा हो नहीं पाया है। ऐसे में फिलहाल इस हवेली में कभी-कभार फिल्मों की शूटिंग होती रहती है। हालांकि, पार्ट टू के लिए मेकर्स इसके अलावा कुछ और हॉन्टेड हवेलियों की भी तलाश कर रहें हैं। देखना दिलचस्प होगा कि फाइनली शूटिंग कहां होगी।’ एमपी में जारी है कई और प्रोजेक्ट्स की शूटिंग इस फिल्म के अलावा भी एमपी में कई बॉलीवुड फिल्मों और वेब सीरीज की शूटिंग चल रही है। ‘एम एस धोनी’ फेम डायरेक्टर नीरज पांडे ने हाल ही में यहां एक प्रोजेक्ट शूट किया है जिसका नाम 'सीक्रेट्स एंड रेलिक्स ऑफ गौतम बुद्ध’ है। इसके अलावा बंगाली फिल्म 'ब्योमकेश:दुर्गो रहस्य’ की भी शूटिंग हुई है। इसके अलावा भी एमपी में कई और प्रोजेक्ट्स शूट हो रहे हैं। इनके बारे में यहां जानिए…
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गोद में लेकर थाने पहुंची महिला बोली- उसका पूरा शरीर जख्मी था; चोटें देखकर मैं सहम गई
मध्यप्रदेश के मैहर में दिल्ली की निर्भया जैसा गैंगरेप कांड हुआ है। 12 साल की मासूम को आरोपी चॉकलेट देने के बहाने जंगल में ले गया। यहां साथी के गैंगरेप किया। इस दौरान उसे रोंगटे खड़े कर देने वाली यातनाएं दीं। विरोध करने पर उसे
मध्यप्रदेश के मैहर में 12 साल की मासूम के साथ दिल दहला देने वाली वारदात हुई। मासूम को दो आरोपी चॉकलेट देने के बहाने जंगल में ले गए। यहां गैंगरेप किया। विरोध करने पर उसे पीटा। शरीर पर जगह-जगह काटा। जंगल में घसीटा। उसके प्राइवेट पार्ट में लकड़ी डाल दी। बच्ची बेसुध हुई तो मरा समझकर जंगल में फेंककर भाग गए। मासूम अभी रीवा अस्पताल में भर्ती है। उसकी हालत क्रिटिकल है। डॉक्टरों की टीम ने उसकी सर्जरी की है। एक महिला उसे गोद में उठाकर जंगल से पुलिस थाने लाई थी। दैनिक भास्कर ने इस महिला से बात की। उसने जो कहानी बताई, वह रोंगटे खड़े कर देने वाली है.. बच्ची को सबसे पहले खोज निकालने वाली अंजना वर्मा ने बताया कि बच्ची के लापता होने की जानकारी गुरुवार शाम को मुझे लगी। परिवार के साथ ही मोहल्ले वाले बच्ची को खोजने में जुट गए। हम रात 12 बजे तक उसे तलाशते रहे, लेकिन वह नहीं मिली। सुबह फिर से हमने तलाश शुरू की। बच्ची की मां, दादी एक ओर उसे तलाश रही थीं। मैंने सोचा दूसरी ओर जाकर देखूं। इसलिए मैं लिफ्ट के किनारे वाली गली से निकलकर जंगल की ओर खोजने लगी। थोड़ा ऊपर गई तो बच्ची टंकी की ओर से मुझे आते हुए दिखाई दी। वह गिरती-उठती और आगे बढ़ती। यह देखकर मैं दौड़कर बच्ची के पास पहुंची और उसे गोद में उठा लिया। उसके ऊपरी कपड़े नहीं थे। लोअर पहन रखा था, जो कटा-फटा खून से लथपथ था। मैंने उससे पूछा- बेटी क्या हुआ तो उसने कुछ नहीं कहा। बस दर्द से कराहती रही। शरीर पर चोट देखकर मैं सहम गई। गाल, होंठ, हाथ और शरीर में कई जगह काटने के निशान थे। पीटने के साथ ही पीठ वाले हिस्से में घसीटने के निशान थे। पूरा शरीर जख्मी था। मैं उसे तत्काल नीचे लेकर आई और लोअर खून से लथपथ होने पर उसे उतारा तो प्राइवेट पार्ट में करीब एक फीट लंबी लकड़ी फंसी थी। मैंने बच्ची की मां और एक महिला को लकड़ी दिखाई। इसके बाद हम सभी बच्ची को लेकर थाने पहुंचे। थाने वालों ने बच्ची की हालत देखकर तत्काल उसे मैहर सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया। वहां इलाज शुरू हुआ। उसकी हालत बहुत गंभीर थी। उसके बचने की कोई उम्मीद नहीं थी। मेरे सामने ही डॉक्टर मैडम ने उसके प्राइवेट पार्ट ने लकड़ी निकाली। पुलिस चौकी में पूछने पर लड़की ने बताया कि उसे अतुल और रवि लेकर गए थे। इसके बाद दर्द से कहराते हुए वह बेसुध हो गई। दोनों आरोपी कभी बस्ती में तो नहीं आते थे, लेकिन बच्चे यदि ऊपर की ओर जाते थे तो वे वहां से उन्हें भगा दिया करते थे। उसने तीसरे किसी व्यक्ति का नाम थाने में नहीं लिया था। अंजना का कहना है कि बच्ची जिस पानी की टंकी की ओर से आते हुए नजर आई थी। वहां तक तो पानी लेने हम भी जाते हैं। कई बार माता जी के यहां कोई बड़ा व्यक्ति दर्शन करने आता है तो हम भी खड़े होकर देखने लगते हैं। बच्चे भी कई बार टंकी की ओर खेलते हुए चले जाया करते थे। हो सकता है, बच्ची खेलते हुए उस ओर चली गई हो। बच्ची को जब मैंने गोद में उठाया तो बस यही सोच रही थी कि यह किसी तरह से ठीक हो जाए। इस कारण उससे मैं कुछ और पूछ नहीं पाई। पीड़िता के दादा ने बयां की आरोपियों की दरिंदगी पीड़िता के दादा बोले- मैं 62 साल का हूं और पिछड़ी जाति से आता हूं। मैहर माता मंदिर के पास में ही एक मोहल्ले में रहता हूं। हम मिट्टी की खुदाई कर जीवन-यापन करते हैं। यह हमारा पुश्तैनी काम है। परिवार में 82 साल की बूढ़ी मां समेत मेरे चार बच्चे रहते हैं। बड़े बेटे की पांच संतानें, दूसरे की दो तीन संतानें हैं, जिस बच्ची के साथ यह सब हुआ, वह मेरे तीसरे नंबर के बेटे की बड़ी बेटी है। बेटा टीवी की बीमारी से पीड़ित था। दो साल पहले उसकी मौत हो गई थी। तब से बहू और दोनों पोतियां हमारे पास ही रहती हैं। चौथे नंबर के बेटे का परिवार नहीं है। हमारा पूरा परिवार मजदूरी पर आश्रित है। 27 जुलाई को दोपहर के समय बहू नगर परिषद काम से गई थी। वहीं, घर के अन्य सदस्य काम पर चले गए। घर पर बूढ़ी मां और दोनों पोतियां थीं। धार्मिक नगरी होने के कारण कई बार बच्चियां मंदिर के पास भीख मांगने चली जाती थीं। उन्हें यहां दर्शन करने आने वाले 10-20 रुपया दे दिया करते थे। आरोपी अतुल बढोलिया मैहर प्रबंध समित का कर्मचारी है, इसलिए बच्ची उसे पहचानती थी। उस दिन वह गोशाला से घर की तरफ आया और बच्ची को देखकर पास बुलाया। उसने उसे 10 रुपए दिखाते हुए कहा- चलो चॉकलेट खिलाता हूं। लालच में बच्ची उसके साथ चली गई। शाम करीब 4 बजे वह उसे जंगल की ओर लेकर चला गया। यहां उसका दोस्त अरकंडी निवासी रवि चौधरी भी पहुंच गया। यहां दोनों ने बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। वे बच्ची को मरा समझकर जंगल में फेंक आए। रात 8 बजे मैं घर पहुंचा। बड़ी पोती को घर पर नहीं देखकर पूछा। पता चला वह दोपहर से नजर नहीं आई है। हमने खोज-बीन की, लेकिन कुछ पता नहीं चला। एक-दो लोगों ने बताया कि शाम करीब 4 बजे बच्ची रोड की ओर जाते नजर आई थी। इसके बाद रात 12 बजे तक जंगल-पहाड़ खोजते रहे। रात 1 बजे वापस घर लौट आए। शुक्रवार सुबह एक बार फिर से तलाश शुरू की। सुबह करीब 9 बजे अंजना वर्मा को बच्ची जंगल में मिली। वह बच्ची को गोद में लेकर थाने तक आई। हम भी उसके पीछे-पीछे थाने पहुंचे। यहां बच्ची को कुछ देर के लिए होश आया। पुलिस ने गलत करने वालों का नाम पूछा तो उसने तीन उंगलियां दिखाईं। साथ ही अतुल और रवि का नाम लिया। इसके बाद वह बेहोश हो गई। पुलिस वाले उसे लेकर तत्काल अस्पताल पहुंचे। बच्ची के साथ गलत होने की जानकारी मिलते ही बड़ी संख्या में मोहल्ले वाले भी थाने पहुंचे गए। सुबह 10 बजे रीवा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। हमें इसके बारे में नहीं बताया गया। एक एंबुलेंस बच्ची को लेकर रीवा के लिए रवाना हुई। हमने एंबुलेंस को रोक लिया और पूछा आखिर बच्ची को हुआ क्या है। उन्होंने समझाइश दी, लेकिन हम बच्ची की सेहत को लेकर चिंतित थे। अस्पताल परिसर में हंगामा शुरू हुआ। इस दौरान पता चला कि बच्ची ने जिन दोनों आरोपियों के नाम लिए हैं, वे पास में ही हैं। पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और हमें एंबुलेंस से लेकर रीवा के लिए रवाना हो गई। दोपहर करीब 12 बजे हम रीवा मेडिकल कॉलेज पहुंचे और इलाज शुरू किया। रात में बच्ची की सर्जरी हुई। मैहर तहसीलदार ने हमें 50 हजार रुपए दिए। हमने पूछा-ये रुपए किस लिए दिए जा रहे हैं, पोती हमारी अब नहीं रही क्या। हमें रुपए नहीं न्याय चाहिए। आरोपी को अगर फांसी नहीं मिली तो हम उनकी गर्दन काट देंगे। तहसीलदार ने कहा- नहीं, यह बच्ची के इलाज के लिए दिए जा रहे हैं। हालांकि इलाज के नाम पर आपको अस्पताल वालों को एक रुपए भी नहीं देने हैं। पूरा प्रशासन बेटी के इलाज में लगा हुआ है। मैं तो यह कहूंगा कि बच्ची ने तीन अंगुली दिखाई थी, हो सकता है दो नहीं तीन आरोपी हों। डॉक्टर कह रहे हैं कि 48 घंटे बाद बच्ची थोड़ी अच्छी हो जाएगी, तब उससे बात करेंगे। आरोपी का परिवार बोला- वो निर्दोष, डीएनए टेस्ट करवा लें दैनिक भास्कर की टीम आरोपी अतुल के घर भी पहुंची। यहां पर उसकी पत्नी करिश्मा, छोटा भाई राहुल, मां शशि और बड़ी मां सुमन मिलीं। प्रशासन की टीम ने शनिवार सुबह ही अतुल और रवि के मकान को ढहाया है। बड़ी मां सुमन का कहना है कि बेटा रात में घर पर ही था। वह ड्यूटी पर नहीं था। सुबह भी घर पर ही था। सुबह 10 बजे उसे बुलाने पर वह गया था। हम डीएनए टेस्ट, मोबाइल लोकेशन, ड्यूटी रजिस्टर में एंट्री, साथी कर्मचारियों से पूछताछ हो। छोटे भाई राहुल ने बताया कि सुबह फूल लेकर आया था। इसके बाद समोसा लेने भी गया था। मैं सुबह 9 बजे उठा और बिस्किट लेने दुकान तक गया। मां ने भाई को समोसा खाने को दिया। इसी समय गोशाला से कॉल आया कि कुछ हुआ है, तुम आ जाओ। उसने मां से कहा- मैं आता हूं, इसके बाद वह दो साथी कर्मचारियों के साथ चला गया। बाद में पता चला कि उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। गुरुवार को वह 3 साथियों के साथ गौशाला से ही निकला था। रात साढ़े 8 बजे घर आया और पत्नी से चाय बनाने को कहा। चाय पीने के बाद कूलर बनवाने वाले को लेकर आया। रात साढ़े 10 बजे मैं घर आया तो इलेक्ट्रीशियन के साथ मिलकर वह कूलर बना रहा था। रात साढ़े 11 बजे तक दोनों इसी काम में लगे रहे। उसका छह महीने का बच्चा है। छह महीने पहले उसकी ड्यूटी गोशाला में लगी थी। 27 तारीख को भी उसकी रजिस्टर में उपस्थिति दर्ज है। घर गिर गया है अब रहने के लिए कोई छत नहीं है। सारा सामान मलबे में दब गया। खाने-बनाने तक को कुछ नहीं बचा है। अभी तो चाचा-बुआ के घर आसरा लिया है। पत्नी बोली- वो तो रातभर मेरे साथ थे पत्नी करिश्मा का कहना है कि पति रात में घर मेरे साथ ही थे। उन्हें झूठा फंसाया गया है। उन्हें कुछ पता नहीं था क्यों बुलाया गया है। उन्हें उस दिन भी लगा कि किसी काम से बुलाया गया है। मेरे पति निर्दोष हैं। मां ने कहा- बेटा घर ही था। बेटा कुछ करता तो डरा हुआ होता। 27 को सुबह यह कहकर निकला था कि आज जल्दी आ जाऊंगा, कूलर बनवाना है। सुबह 7 बजे देवी जी से फूल लेकर आया। पिता से कहा- भूख लगी है, समोसा लेकर आता हूं। नाश्ता करके निकला तो मैंने पूछा कहां जा रहे हो। बोला-साहब बुला रहे हैं। बाद में पता चला कि पुलिस ने पकड़ लिया है। घर गिराने वालों ने हमारी कोई सुनवाई नहीं की। आए और घर गिराने लगे। यह घर पुश्तैनी है। आरोपी रवि दो बच्चों का पिता आरोपी रवि भी शादीशुदा है। अभी उसके बच्चे नहीं हैं। रवि के अलावा उसके चार और भाई भी है। चाचा कृषि उपज मंडी में उपाध्यक्ष रह चुके हैं। रवि मंदिर प्रबंध समिति में लेबर था। इनकी ड्यूटी कभी सीढ़ियों पर तो कभी किसी और काम में लगा दी जाती थी। घटना वाले दिन गुरुवार को उसे कुछ दुकानदारों ने घटना स्थल की तरफ जाते देखा था। पड़ोसियों का कहना है कि उसे देखकर ऐसा नहीं लगता था कि इस प्रकार का काम कर सकता है। अब तक उसके बारे में ऐसी कोई जानकारी तो सामने नहीं आई थी। आंतरिक अंगों में चोट थी, ऑपरेशन करना पड़ा संजय गांधी अस्पताल के सीएमओ डॉ. यत्नेश त्रिपाठी ने बताया कि शुक्रवार दोपहर को सतना से रेफर होकर पीड़िता हमारे यहां लाई गई थी। उसे भर्ती करने के बाद शाम तक जांचें की गई। आंतरिक अंगों में चोटें थीं, इसलिए शाम को डॉक्टरों ने ऑपरेशन करने का निर्णय लिया। सर्जरी के बाद रात करीब 11 बजे उसे आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। यहां एनेस्थीसिया एक्सपर्ट और सर्जन की टीम लगातार नजर बनाए हुए हैं। फिलहाल स्थिति स्थिर है। बच्ची अभी होश में है और उसकी सेहत में तेजी से सुधार हो रहा है। टीआई बोले- मैहर अस्पताल में लकड़ी निकाली गई मैहर टीआई अनिमेष द्विवेदी ने बताया कि बच्ची की हालत ठीक नहीं थी। उसके शरीर पर काफी चोटें थीं। उसे सिविल अस्पताल मैहर ले जाया गया, जहां लेडी डॉक्टर ने उसका इलाज शुरू किया। उसके प्राइवेट पार्ट से लकड़ी भी निकाली गई। हालत को देखते हुए उसे रीवा रेफर कर दिया गया। मैहर की देवी जी चौकी में ही पीड़िता ने आरोपियों के नाम बताए थे, लिहाजा बिना देर किए आरोपियों को घर के पास से ही पकड़ लिया गया। पीड़िता को उनकी तस्वीरें दिखाकर आरोपियों की पहचान भी कराई गई। शनिवार को प्रशासन की संयुक्त टीम ने दोनों आरोपियों के घर ढहा दिए। अतुल गोशाला का कर्मचारी, रवि मंदिर में लेबर था निर्भया जैसे कांड की पुनरावृत्ति करने वाले दोनों आरोपियों रवि (30) और अतुल (29) को शुक्रवार को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 10 अगस्त तक न्यायिक अभिरक्षा में मैहर उप जेल भेज दिया गया है। इस घिनौनी वारदात को अंजाम देने वाले आरोपी मैहर मंदिर प्रबंध समिति के कर्मचारी थे। दोनों आरोपियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। अतुल बढोलिया पिता सुरेश बढोलिया उसी गोशाला के काम करता था, जिसके पास जंगल में उसने रवि कुमार रवि पिता बिहारीलाल के साथ मिलकर नाबालिग के साथ दरिंदगी दिखाई, जबकि रवि समिति में लेबर था। अतुल के पिता नगर रक्षा समिति के अध्यक्ष रहे हैं। उसका घर घटनास्थल से लगभग 3 किमी दूर किला रोड पर है, जबकि आरोपी रवि अरकंडी का रहने वाला है। दोनों के पक्के मकानों को शनिवार सुबह ध्वस्त कर दिया गया। अगर हालत बिगड़ी तो एयरलिफ्ट की है तैयारी मैहर गैंगरेप में शिकार पीड़िता के पल-पल की जानकारी राज्य सरकार ले रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चीफ सेक्रेटरी को पीड़िता के इलाज में किसी भी तरह की कोताही नहीं बरतने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में रीवा कमिश्नर अनिल सुचारी के निर्देश में श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. मनोज इंदुलकर, संजय गांधी अस्पताल के अधीक्षक डॉ. राहुल मिश्रा और एचओडी एवं गायनोलॉजिस्ट डॉ. कल्पना यादव हर घंटे में मरीज से मिलकर अपडेट ले रही हैं। ऐसी जानकारी भी समाने आई है कि कंडीशन बिगड़ने पर बच्ची को एयरलिफ्ट कर दिल्ली ले जाया जाएगा। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि एयरलिफ्ट जैसी स्थिति नहीं है। बच्ची तेजी से रिकवर कर रही है।
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पहले शो में कोई नहीं हंसा, साल भर घर बैठी; सफेद बाल-साड़ी में शो किया बनी ‘वायरल मम्मी’
के ‘ये मैं हूं’ में बात स्टैंडअप कॉमेडियन, पेंटर, मॉडल और ‘वायरल मम्मी’ हर प्रिया बैंस की।
कुछ दिन पहले सफेद बाल, साड़ी पहने हाथ में माइक लिए एक महिला वायरल हुई। वह हाउस वाइफ का मजाक उड़ाने वालों का मजाक बना रही थी। स्टैंडअप कॉमेडी की दुनिया में साफ-सथुरे जोक्स से ऑडियंस को हंसाने वाली वह महिला अपने उम्र के चौथे दशक में है। उनके लिए उम्र बस एक नंबर है क्योंकि उनके हौसले युवाओं से भी बुलंद हैं। आज के ‘ये मैं हूं’ में बात स्टैंडअप कॉमेडियन, पेंटर, मॉडल और ‘वायरल मम्मी’ हर प्रिया बैंस की… घर की तीन पीढ़ियों को फौज का हिस्सा बनते देखा मैं एक आर्मी ऑफिसर की बेटी और पोती हूं। मेरे घर में बहुत सारे लोग फौज में रहे हैं। घर में तीन पीढ़ियां फौज का हिस्सा रही हैं। मैं कह सकती हूं कि मैं हार्डकोर फौजी बच्ची रही हूं। मेरा पूरा बचपन फौजी कैंटोनमेंट (छावनी) में घूम-घूमकर बीता है। सच में, वे दिन बहुत सुंदर रहे। मैं पापा के साथ अलग-अलग जगह घूमती। अच्छी परवरिश, नई जगह, नए लोग सब शानदार रहा। फौजी की बेटी होना मेरे लिए गर्व, खुशी और बेहतरीन अनुभव रहा। मेरे परदादा वॉर प्रिजनर रहे हैं और वर्ल्ड वॉर-2 में हिस्सा ले चुके हैं। वैसे, मेरा परिवार सिर्फ फौज से ही नहीं बल्कि स्पोर्ट्स से भी जुड़ा था। पापा से सीखा है कि उम्र तो बस एक नंबर है मेरे पापा इंटरनेशनल पोलो प्लेयर रह चुके हैं। उन्होंने अपनी आर्मी टीम के लिए 30 साल पोलो खेला, जिसके लिए उन्हें विशेष सेवा मेडल भी मिला। मेरे पिता ने अपनी लाइफ में बहुत हासिल किया। मैंने अपने पापा से सीखा कि उम्र तो बस एक नंबर है। किसी भी उम्र में कुछ करने की ललक के अलावा पापा से मैंने अनुशासन भी सीखा। अभी मेरे पिता 80 साल के हैं और इस उम्र में भी वह काफी एक्टिव हैं। 2016 रियो ओलंपिक में मेरे पापा ने वालंटियरी एक्स ऑफिसर के तौर पर अप्लाई किया और उन्हें वहां बुलाया भी गया। मेरे अंदर कुछ नया करने का जुनून मां से आया है मेरी मां एक होममेकर रहीं। कुछ समय के लिए वो टीचिंग प्रोफेशन से जुड़ीं। अंदर से वह एक आर्टिस्ट रही हैं। हालांकि वह किसी प्रोफेशन से बंधी नहीं। वह पेंटिंग का भी शौक रखती थीं। मेरे और मेरे भाई में क्रिएटिविटी मेरी मां की देन है। मम्मी को किताब पढ़ना और म्यूजिक सुनना पसंद था। घर में उनका रेडियो हमेशा ऑन रहता था। पढ़ना, अच्छा संगीत ये गुण हमारे अंदर मां की वजह से हैं। वह कई कल्चरल इवेंट से भी जुड़ी रहतीं। मां हमेशा हमें नए शो, फिल्में, किताबें या एक्टर्स के बारे में बताती थी। वो हमें सिखाती थीं कि क्या देखना चाहिए और क्या नहीं। आज भी मैं और मेरी मां इन सारी चीजों पर बात करती हैं। कॉरपोरेट कल्चर में काम करके जाना जिंदगी कितनी टफ मेरी पढ़ाई जयपुर की महारानी गायत्री देवी गर्ल्स स्कूल से हुई। मैं पांच साल बोर्डिंग स्कूल में भी रही हूं। फिर मैंने अपने होमटाउन जालंधर के एपीजे कॉलेज बैचलर्स इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में ग्रेजुएशन किया। मेरी दिलचस्पी एडवर्टाइजमेंट फील्ड में काम करने की रही तो मैंने दिल्ली से इसका पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा कोर्स किया। उसके बाद मैंने तीन साल तक मैंने एक एड एजेंसी के लिए काम भी किया। एड एजेंसी में काम करने के दौरान समझ आया कि लाइफ कितनी कठिन है। लेकिन मेरा ओवरऑल एक्सपीरियंस अच्छा रहा। कॉरपोरेट कल्चर कैसे काम करता है यह भी समझ आया। क्रिएटिव लोगों के साथ काम करने का मौका मिला। हाई प्रेशर जॉब था। लेट नाइट, कभी-कभी तो सारी रात भी काम करना पड़ता। इतना बिजी शेड्यूल था कि एक तरह से मैंने मन ही मन डिसाइड कर लिया कि मुझे कॉरपोरेट के लिए काम नहीं करना। फौजी से शादी नहीं करनी थी, लेकिन हो गई जॉब के दौरान मेरी शादी की भी बात चल रही थी। पहले कुछ वजह से मैं फौजी से शादी नहीं करना चाहती थी। मुझे लगता था कॉरपोरेट नौकरी वाले से ही शादी करूंगी। लेकिन वहां काम करके समझ आया कि यहां कोई लाइफ नहीं है। मेरी एक टिपिकल अरेंज्ड मैरिज हुई। न्यूजपेपर एड से होने वाली शादी। मेरे पति आर्मी में कैप्टन थे। शादी के बाद मैंने जॉब छोड़ पति के साथ जाने का फैसला किया। उस वक्त उनकी पोस्टिंग महू में थी। वहां एक बहुत ही छोटा आर्मी कैंटोनमेंट है। वहां मेरी लाइफ बहुत अच्छी थी। जीवन में बहुत शांति थी। आर्मी वाइफ के लिए करने को बहुत कुछ होता है। वहां बहुत सारे कोर्स होते हैं, वालंटियर एक्टिविटी होती है। बहुत सारे ऐसे जवान होते हैं, जो ग्रामीण परिवेश से आते हैं। उनकी पत्नियां भी उसी परिवेश से आती हैं। ऐसे में वालंटियर एक्टिविटी के जरिए हम उन्हें एकजुट करते हैं। आर्मी वाइफ वेलफेयर एसोसिएशन से जुड़े कई काम किए शादी के बाद मैंने देखा कि कैसे सारे फौजी एक परिवार की तरह रहते हैं। हमारी जिम्मेदारी होती है कि सबको साथ लेकर चलें। ऐसे में जब ऑफिसर्स और जवान बिजी होते हैं तो ऑफिसर की वाइउ जवानों के परिवार की देखरेख करने और आगे बढ़ने में उनकी मदद करतीं। आर्मी ऑफिसर्स की पत्नियां ऑटोमैटिक आर्मी वाइफ वेलफेयर एसोसिएशन ( AWWA) का हिस्सा बन जाती हैं। इसके जरिए हम जवानों की बीवियों के लिए वोकेशनल लर्निंग कोर्स, सिलाई-कढ़ाई, इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स, कंप्यूटर लर्निंग के अलावा बहुत सारे कोर्स कंडक्ट कराते थे। हम जवानों की पत्नियों को पर्सनल हाईजीन से लेकर महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े कई विषयों की जानकारी देते थे। आर्मी अफसरों की बीवियों से मिलकर कई तरह का खाना बनाना सीखा मेरे अंदर हमेशा से सीखने की ललक रही है। अगर मेरे पास समय होता है तो मैं नई चीजें सीखती हूं। मैंने आर्मी लाइफ को बहुत एंजॉय किया है। आर्मी वाइफ वेलफेयर एसोसिएशन से जुड़ने के बाद मैंने तरह-तरह का खाना बनाना सीखा। शादी के तीन साल बाद मेरी पहली बेटी हुई। उसके बाद मेरे अंदर और बदलाव आया। मदरहुड ने मुझे काफी कुछ सिखाया। उस दौरान न मैंने कोई कोर्स किए और न जॉब। उस दौरान मैं खूब पढ़ती और अपनी बच्ची को संभालती थी। बेटी के जन्म के बाद मैंने पेंटिग जारी रखी। महू आर्मी क्लब में मैंने अपनी पहली पेंटिंग प्रदर्शनी भी की थी। 20 पेंटिंग का एग्जीबिशन था, जिसमें पहले दिन ही 12 बिक गईं। उसके बाद मुझे काफी ऑर्डर आते रहे हैं। मैंने एम्ब्रायडरी का काम भी सीखा। पति ने यूएन गए तो मैं वापस जॉब पर लौटी जब मेरी बेटी 3 साल की थी, तब मेरे पति को यूएन मिशन के लिए बुलाया गया। जिसके लिए उन्हें विदेश जाना पड़ा। यूनाइटेड नेशंस कमीशन के जरिए फौजी को एक साल के लिए अफ्रीकी या किसी और देश में अपनी सेवा देनी होती है। मेरे पति को आइवरी कोस्ट में पोस्टिंग मिली। आइवरी कोस्ट के बाद फिर उन्हें सीधे नॉर्थ ईस्ट भेज दिया गया। ऐसे में मैं पठानकोट के बाद दिल्ली सास-ससुर के पास आ गई। चार साल मैं दिल्ली में रही। उस दौरान मेरी बेटी स्कूल जाने लगी तो मैंने २००८ में ऑनलाइन जॉब करना शुरू किया। मैं उन दिनों वर्क फ्रॉम होम कर रही थी। मैंने सेल्स से शुरू किया था और जब छोड़ते वक्त मैं ब्रांड मैनेजर थी। जॉब के साथ मैं पति के साथ अलग-अलग जगहों पर जाती रही, जैसे हैदराबाद, फिर जम्मू। जम्मू मेरे पति की पोस्टिंग कर्नल पोस्ट पर हुई, तब जाकर मैंने अपनी जॉब छोड़ दी। क्योंकि जैसे मैंने पहले बताया कि ऑफिसर की पत्नी पर भी कई जिम्मेदारियां आ जाती हैं। कमांडिंग ऑफिसर की पत्नी होने के नाते तो मुझ पर कई जिम्मेदारियां थीं। जवानों की पत्नियों को इंग्लिश सिखाना मेरे लिए खुशी का पल जब मैं वहां काम करती तो मैं जवानों की पत्नियों से पूछती कि वो क्या सीखना चाहती हैं तो अधिकांश महिलाओं ने कहा- मैम, हमें इंग्लिश सिखा दीजिए। जब हम अपने बच्चों के स्कूल में जाते हैं तो बहुत दिक्कत होती है। इंग्लिश मेरे लिए छोटी बात थी, ये किसी के लिए प्रॉब्लम हो सकती है, ये मैं सोच भी नहीं सकती। मैंने उनके लिए स्पीकिंग इंग्लिश कोर्स डिजाइन किया। बाद में उनमें से कई महिलाओं ने आकर बताया कि अब वो पेरेंट्स-टीचर मीट में जाती हैं तो उन्हें दिक्कत नहीं होती। सामने वाला क्या कह रहा है, वो समझ भी पाती हैं और इंग्लिश में जवाब देती हैं। मेरे लिए वो पल सबसे ज्यादा खुशी का था। गोवा में पति की पोस्टिंग हुई तो स्टैंडअप कॉमेडी का पता चला सौभाग्य से मेरे पति की पोस्टिंग बहुत-बहुत अच्छी जगहों पर होती रही। कुछ सालों के लिए हम शिमला और गोवा भी रहे। मेरी स्टैंडअप कॉमेडी की यात्रा की शुरूआत गोवा से हुई। उस वक्त देश में स्टैंडअप कॉमेडी देश के लिए नई चीज थी। और जो लोग कर रहे तो वो काफी पॉपुलर हो रहे थे। गोवा में जब ऐसा कोई शो होता था, मैं जाकर देखती थी। मेरे अंदर तभी से इसका कीड़ा कुलबुलाने लगा था। मुझे लगने लगा कि यही तो मुझे भी करना है। वैसे तो मैं हमेशा से रेडियो जॉकी बनना चाहती थी, लेकिन कई बार ऑडिशन में रिजेक्ट हो चुकी थी। स्टेज फियर मेरे अंदर कभी नहीं था। स्कूल में भी मैं ऐसी ही थी कि स्टेज पर जाने के लिए हमेशा तैयार रहती। इसलिए मैं इस फील्ड में आ गई। मेल कॉमेडियन हाउस वाइफ की बात पुरूषों के नजरिए से कर रहे थे मैं हमेशा से मिलनसार रही हूं। बहुत बातूनी, दोस्तों को हंसाने वाली। स्टैंडअप में रूचि आने के बाद मैंने खूब रिसर्च की। मैंने देखा कि देश में वुमन कॉमेडियन क्या कर रही हैं। मैरिज और बच्चों पर मेल कॉमेडियन ही थोड़ी बहुत कॉमेडी कर रहे थे, वो भी पिता और पति के नजरिए से। मां, पत्नी क्या सोचती हैं, इस एंगल से कोई कुछ नहीं कर रहा था। मैंने इसी नजरिए से लिखना शुरू किया। मैंने अपनी स्क्रिप्ट में अपने और बाकी महिलाओं के अनुभवों को लिखा। पहले शो में कोई भी नहीं हंसा तो एक साल घर बैठ गई साल 2018 में हैदराबाद में अपना पहला ओपन माइक किया। वह शो बहुत बढ़िया रहा। लेकिन अगले दिन जो शो किया, उसमें कोई भी नहीं हंसा। फिर एक साल मैंने कुछ नहीं किया। साल २०१९ में जब मेरे पति की पोस्टिंग दिल्ली हुई तो मैंने दोबारा स्टैंडअप कॉमेडी शुरू की। यहां मौके भी बहुत थे। मैं पांच साल से स्टैंडअप कॉमेडी लगातार कर रही हूं। दिल्ली के हर कॉमेडी क्लब के दरवाजे खटखटाए। पांच मिनट के स्लॉट से प्राइवेट शो तक पहुंची हूं। इसी साल मई में मेरा पहला वीडियो ‘कैरी ऑन मॉम’ रिलीज हुआ। शो करना अलग बात है। वीडियो पोस्ट करने के लिए बहुत हिम्मत चाहिए। आपको डर रहता है कि लोग आपको कैसे जज करेंगे। आपके जानने वाले भी देखेंगे। मैं H&M की सीईओ नहीं बल्कि हाउसवाइफ और मदर हूं मैंने पांच साल पहले जब स्क्रिप्ट लिखी, तब मैंने अपने लिए सीईओ ऑफ H&M टैग लिखा और अपने वायरल वीडियो में उसका इस्तेमाल किया। उस टैग को पहले भी इस्तेमाल करती रही हूं लेकिन लोगों को समझ ही नहीं आता था। कई बार तो लोग सच में मुझे क्लोदिंग ब्रॉड H&M की सीईओ समझ लेते हैं। तीसरे दिन मेरा इंस्टाग्राम का इनबॉक्स फुल हो गया मेरे वीडियो में H&M का मतलब हाउसवाइफ और मदर है। मुझे इंस्टाग्राम पर स्टोर की कंप्लेन करने लगते हैं। खैर, जब मैंने 15 मिनट के लंबे वीडियो से बस मम्मियों वाला पार्ट इंस्टा रील पर डाला तो पहले दिन अच्छा रिस्पांस मिला। लेकिन तीसरे दिन तो मेरा इनबॉक्स, और फीड कमेंट और लोगों के मैसेज से भर गया। अधिकांश महिलाओं ने लिखा कि आपने तो हमारी दिल की बात कह दी। उस वीडियो ने मुझे वायरल मम्मी का खिताब दिलाया।
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इसमें 360 किलो वजन वाला DS-SAR, जो हर मौसम में दिन-रात हाई रेजोल्यूशन तस्वीरें लेगा
ISRO Launch Of Singapores's Earth Observation Satellite भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से सिंगापुर की सात सैटेलाइट को आज सुबह 6.30 बजे लॉन्च किया गया
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से सिंगापुर की सात सैटेलाइट को आज सुबह 6.30 बजे लॉन्च किया गया। यह लॉन्चिंग 44.4 मीटर लंबे PSLV-C56 रॉकेट से की गई है। PSLV की यह 58वीं उड़ान है। भेजे गए सात सैटेलाइटों में सबसे अहम 360 किलो का DS-SAR सैटेलाइट है। DS-SAR सैटेलाइट का क्या है काम DS-SAR सैटेलाइट को सिंगापुर की रक्षा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एजेंसी (DSTA) और सिंगापुर के ही ST इंजीनियरिंग के बीच साझेदारी के तहत डेवलप किया गया है। सिंगापुर सरकार की विभिन्न एजेंसियों की उपग्रह से प्राप्त होने वाली तस्वीरों संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए इस उपग्रह का उपयोग किया जाएगा। DS-SAR में ‘इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज’ (IAI) के डेवलप किए गए ‘सिंथेटिक अपर्चर रडार’ (SAR) पेलोड हैं। ये छह सैटेलाइट भी लॉन्च हुईं... इसरो से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें... चंद्रयान-3 ने 5वीं बार बदली ऑर्बिट:अब 1 अगस्त को चांद की तरफ निकलेगा, 23 अगस्त को सतह पर उतरेगा लैंडर इसरो के वैज्ञानिकों ने मंगलवार को चंद्रयान-3 की पांचवी और आखिरी अर्थ बाउंड ऑर्बिट रेजिंग प्रोसेस सक्सेसफुली पूरी की। चंद्रयान अब 127609 km x 236 km की ऑर्बिट में है। इसका मतलब है कि चंद्रयान ऐसी अंडाकार कक्षा में घूम रहा है, जिसकी पृथ्वी से सबसे कम दूरी 236 km और सबसे ज्यादा दूरी 127609 km है। अब स्पेसक्राफ्ट 31 जुलाई और 1 अगस्त की मध्यरात्रि स्लिंग शॉट के जरिए पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की ओर बढ़ेगा। 5 अगस्त को चंद्रमा की ऑर्बिट में पहुंचेगा। 23 अगस्त को ये चंद्रमा पर लैंड करेगा। पूरी खबर पढ़ें...
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रेल मंत्रालय में 111 वैकेंसी, AIIMS में आवेदन की आज आखिरी डेट
सरकारी नौकरी की तलाश में जुटे युवाओं के लिए हम फिर से 5 लेटेस्ट नौकरियों की जानकारी के साथ हाजिर हैं। राजस्थान हाईकोर्ट में स्टेनोग्राफर के 277 पदों पर वैकेंसी है। Sarkari Naukri 2023 Latest Sarkari Job Alert (30 July 2023) - Government Jobs Latest Govt Jobs Vacancies Eligibility And Selection Process Latest Details
सरकारी नौकरी की तलाश में जुटे युवाओं के लिए हम फिर से 5 लेटेस्ट नौकरियों की जानकारी के साथ हाजिर हैं। राजस्थान हाईकोर्ट में स्टेनोग्राफर के 277 पदों पर वैकेंसी है। आवेदन की शुरुआत एक अगस्त 2023 से होगी। रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विस (RITES) ने भारत के रेल मंत्रालय के तहत ड्राफ्ट्समैन सिविल इंजीनियर, पर्यावरण सामाजिक निगरानी विशेषज्ञ, जूनियर डिजाइन इंजीनियर के 111 पदों के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू कर दिया है। 7 अगस्त तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। भुवनेश्वर AIIMS में सीनियर नर्सिंग ऑफिसर, स्टोर कीपर, कैशियर, कनिष्ठ प्रशासनिक सहायक, मेडिकल रिकॉर्ड तकनीशियन (रिकॉर्ड क्लर्क), वायरमैन, फार्मासिस्ट के 775 पदों के लिए वैकेंसी थी। अगर आप अभी तक अप्लाई नहीं कर सके हैं तो आज यानी 30 जुलाई लास्ट डेट है। BHU यानी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के 307 पदों पर भर्ती निकाली है। अप्लाई करने की लास्ट डेट कल यानी 31 जुलाई 2023 है। नेत्र परीक्षण अधिकारी के 157 पदों पर भर्ती निकली है। आवेदन की आखिरी डेट 7 अगस्त 2023 है। सिलेक्शन होने पर 25,500 रुपए से 81,100 रुपए हर महीना सैलरी मिलेगी। आइए, 5 नौकरियों की डिटेल्ड जानकारी आगे 5 ग्राफिक्स में जानते हैं। छठे ग्राफिक में करेंट अफेयर्स के 10 सवाल और उनके जवाब होंगे। आपने यहां 5 नौकरियों के बारे में जाना। आपके मन में कुछ सवाल होंगे। इसलिए आप दिए गए वेबसाइट के जरिए ऑफिशियल नोटिफिकेशन को जरूर देखें। बाकी जिन नौकरियों के बारे में बताया गया है, अगर लगता है कि इससे आपके भाई-दोस्त या फिर रिश्तेदार की जरूरत पूरी होती है तो उन्हें यह खबर जरूर भेजें। आखिर में हम 10 लेटेस्ट करेंट अफेयर्स के सवाल-जवाब दे रहे हैं। इन्हें रोज देखिए। हो सके तो सेव करते जाएं। ताकि आगामी परीक्षाओं में यह आपके लिए फायदेमंद साबित हों।
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तापमान बढ़ने से जमीन फैल या सिकुड़ रही, इससे बिल्डिंग की नींव कमजोर होती है
How Underground Climate Change is Affecting Multi-Storey Buildings साइंटिस्ट्स का कहना है कि धरती का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। इस वजह से अंडरग्राउंड क्लाइमेट चेंज हो रहा है। इसके लिए हमारे सिविल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं हैं
साइंटिस्ट्स का कहना है कि धरती का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। इस वजह से अंडरग्राउंड क्लाइमेट चेंज हो रहा है। इसके लिए हमारे सिविल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं हैं। आसान शब्दों में कहें तो शहरों में बन रहीं बहुमंजिला इमारतें अंडरग्राउंड क्लाइमेट चेंज के हिसाब से डिजाइन नहीं की गई हैं। इमारतों और अंडरग्राउंड ट्रांसपोर्टेशन (भूमिगत परिवहन) से निकलने वाली गर्मी से धरती का तापमान हर 10 साल में 0.1 से 2.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ रहा है। जमीन के गर्म होने से उसका डिफॉर्मेशन (विरूपण) होता है। यानी जमीन या तो फैलने या सिकुड़ने लगती है। इस कारण इमारतों की नींव कमजोर पड़ने लगती है और इमारतों में दरार आ सकती है। इससे इनके तबाह होने का खतरा बढ़ जाता है। जमीन के ऊपर और नीचे के तापमान को स्टडी किया गया रिसर्चर और नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में सिविल एंड एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर एलेसेंड्रो रोटा लोरिया ने कहा- वर्तमान समय में तापमान के बढ़ने से जमीन का विरूपण हो रहा है। हमारा एक भी सिविल स्ट्रक्चर या इंफ्रास्ट्रक्चर इस बदलाव के लिए तैयार नहीं है। रिसर्चर लोरिया और उनकी टीम ने जमीन के ऊपर और नीचे के तापमान की स्टडी की। इसके लिए उन्होंने शिकागो शहर को लैब की तरह इस्तेमाल किया। शिकागो के उन इलाकों में सेंसर इंस्टॉल किए, जहां बहुमंजिला इमारतें और अंडरग्राउंड ट्रांसपोर्टेशन हैं। इसी तरह वहां भी सेंसर लगाए गए, जहां ये अंडरग्राउंड ट्रांसपोर्टेशन नहीं था। स्टडी में सामने आया कि जिन इलाकों में बहुमंजिला इमारतें और अंडरग्राउंड ट्रांसपोर्टेशन हैं, वो हीट के लिहाज से कमजोर हैं। शिकागो में इमारतों के नीचे वाली जमीन 8mm तक सिकुड़ी स्टडी में ये भी पाया गया कि गर्मी के कारण शहर की जमीन 12 मिलीमीटर तक फैल गई। वहीं, बहुमंजिला इमारतों के नीचे वाली जमीन 8 मिलीमीटर तक सिकुड़ गई। रिसर्चर्स के मुताबिक, ये बदलाव काफी खतरनाक है। साइंटिस्ट्स के मुताबिक, गावों की तुलना में शहर आमतौर पर ज्यादा गर्म होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि शहरों की इमारतों को बनाने में लगा रॉ मटेरियल सौर उर्जा और हीट को एबजॉर्ब कर लेता है। बाद में इसे वातावरण में रिलीज कर देता है। इस प्रोसेस को सालों तक स्टडी किया गया है। ग्लोबल टेम्परेचर बढ़ा, वजह- अल नीनो और CO2 अमेरिका के नेशनल सेंटर्स फॉर एनवायर्नमेंटल प्रेडिक्शन के मुताबिक, एवरेज ग्लोबल टेम्परेचर बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों ने इसकी वजह अल-नीनो और एटमॉसफियर में बढ़ती कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) बताई है। वैज्ञानिकों के मुताबिक ह्यूमन एक्टीविटीज भी तापमान बढ़ने की एक बड़ी वजह है। फॉसिल फ्यूल्स के जलने से हर साल 40 अरब टन CO2 पैदा होती है। इससे एयर पॉल्यूशन, ग्लोबल वॉर्मिंग यानी वैश्विक तापमान में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। वैश्विक स्तर पर एनर्जी के लिए कोयला, क्रू़ड ऑयल और नेचुरल गैस का सबसे ज्यादा उपयोग होता है। दुनिया के कुल कार्बन उत्सर्जन में जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। क्या होता है अल नीनो अल नीनो एक वेदर ट्रेंड है, जो हर कुछ साल में एक बार होता है। इसमें ईस्ट पैसिफिक ओशन में पानी की ऊपरी परत गर्म हो जाती है। WMO ने बताया कि इस क्षेत्र में फरवरी में औसत तापमान 0.44 डिग्री से बढ़कर जून के मध्य तक 0.9 डिग्री पर आ गया था। ब्रिटानिका के मुताबिक अल-नीनो की पहली रिकॉर्डेड घटना साल 1525 में घटी थी। इसके अलावा 1600 ईस्वी के आसपास पेरू के मछुआरों ने महसूस किया कि समुद्री तट पर असामान्य रूप से पानी गर्म हो रहा है। बाद में रिसर्चर्स ने बताया था कि ऐसा अल-नीनो की वजह से हुआ था। पिछले 65 सालों में 14 बार अल-नीनो प्रशांत महासागर में सक्रिय हुआ है। इनमें 9 बार भारत में बड़े स्तर पर सूखा पड़ा। वहीं, 5 बार सूखा तो पड़ा लेकिन इसका असर हल्का रहा। कार्बन एमिशन से बढ़ रहा वैश्विक तापमान हर साल दुनिया भर से 4000 करोड़ टन कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन (कार्बन एमिशन) होता है। इससे एयर पॉल्यूशन, ग्लोबल वॉर्मिंग यानी वैश्विक तापमान में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। वैश्विक स्तर पर एनर्जी के लिए कोयला, क्रू़ड ऑयल और नेचुरल गैस का सबसे ज्यादा उपयोग होता है। दुनिया के कुल कार्बन उत्सर्जन में जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। एमिशन को कम करने के लिए हमें कोयले पर निर्भरता कम करनी होगी। ये खबरें भी पढ़ें... 20 साल में आसमान से गायब हो सकते हैं तारे:साइंटिस्ट बोले- आकाश का रंग धुंधला हो रहा, हर साल नाइट स्काई ब्राइटनेस 10% बढ़ रही साइंटिस्ट्स का कहना है कि आने वाले 20 सालों में लोग तारे नहीं देख सकेंगे। उन्होंने इसकी वजह लाइट पॉल्यूशन को बताया है। 'द गार्डियन' के मुताबिक, ब्रिटिन में रहने वाले खगोलशास्त्री (एस्ट्रोनॉमर) मार्टिन रीस ने कहा- लाइट पॉल्यूशन के कारण आकाश का रंग धुंधला हो रहा। आसान शब्दों में कहें तो अब आकाश का रंग काला नहीं हल्का ग्रे दिखाता है। कुछ ही तारे दिखाई देते हैं। पढ़ें पूरी खबर... अफ्रीका में सूखा पड़ने की आशंका 100% बढ़ी:ग्लोबल वॉर्मिंग से तापमान तेजी से बढ़ रहा, फसलें जल रहीं; जानवरों की भी मौत क्लाइमेट चेंज की वजह से ईस्ट अफ्रीका में सूखा पड़ने की आशंका 100% बढ़ गई है। इसका खुलासा वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन (WWA) की रिपोर्ट में हुआ है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, WWA की रिपोर्ट में कहा गया है कि ढाई साल से अफ्रीका में एवरेज से कम बारिश हुई और ज्यादातर वक्त मौसम गर्म रहा। इस वजह से फसलें मुरझा गईं और जल गईं। कई जानवरों की मौत भी हो गई। पढ़ें पूरी खबर... 2030 तक खत्म हो सकते हैं आर्कटिक के ग्लेशियर:दुनिया से 2.72 लाख टन बर्फ गायब, 20% आबादी को पानी इन्हीं से मिलता है एक रिसर्च में सामने आया है कि 2030 तक आर्कटिक महासागर के ग्लेशियर पूरी तरह गायब हो सकते हैं, यानी सात साल बाद गर्मियों में यहां बर्फ नजर नहीं आएगी। आर्कटिक दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में चार गुना तेजी से गर्म हो रहा है। पिछले 40 साल में गर्मी के बाद रहने वाली मल्टी लेयर बर्फ 70 लाख वर्ग किमी से घटकर 40 लाख वर्ग किमी ही रह गई है। पढ़ें पूरी खबर...
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बचपन में रॉड से पीटते थे पिता, अंतिम संस्कार में नहीं गए, अफेयर के कारण टूट गई शादी
मिस्टर World Most Famous Bodybuilder And Actor Arnold Schwarzenegger Birthday Special Story; करियर में उन्होंने संघर्ष कर सफलता हासिल कर ली, लेकिन अफेयर की वजह से उनका पूरा परिवार बिखर गया और 25 साल की शादी भी खत्म हो गई।
दुनिया के सबसे फेमस बॉडी बिल्डर और एक्टर अर्नोल्ड श्वार्जनेगर का आज 76वां बर्थडे है। आज हम पूरी दुनिया में जो बॉडी बिल्डिंग का क्रेज देखते हैं, उसके पीछे इसी लीजेंड का योगदान रहा है। बाॅडी बिल्डिंग में 5 बार मिस्टर यूनिवर्स और 7 बार मिस्टर ओलंपिया का खिताब इन्हीं के पास है। कॉनन द बारबैरियन और द टर्मिनेटर जैसी फिल्मों में अपने रोल के कारण अर्नोल्ड ने हॉलीवुड में एक एक्शन हीरो के रूप में अपनी पहचान बनाई। बचपन से लेकर उनका यहां तक सफर कई तरह के संघर्षों से भरा रहा। पिता को शक था कि अर्नोल्ड उनकी संतान नहीं हैं। छोटी सी गलती करने पर उन्हें खूब मार पड़ती। बॉक्सर के पोस्टर लगाने पर पिता गे समझकर उन्हें मारते भी थे। करियर में उन्होंने संघर्ष कर सफलता हासिल कर ली, लेकिन अफेयर की वजह से उनका पूरा परिवार बिखर गया और 25 साल की शादी भी खत्म हो गई। पढ़िए अर्नाल्ड श्वार्जनेगर के बर्थडे पर उनकी लाइफ के दिलचस्प फैक्ट्स… पिता अर्नोल्ड को बायोलॉजिकल बेटा नहीं मानते थे अर्नोल्ड श्वार्जनेगर का जन्म 30 जुलाई 1947 को ऑस्ट्रिया में हुआ था। पिता गुस्ताव पुलिस ऑफिसर थे। अर्नोल्ड ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनके पेरेंट्स बहुत सख्त थे। अगर वो और उनके बड़े भाई कोई गलती कर देते थे, तो दोनों की रॉड से पिटाई होती थी। अर्नोल्ड और उनके पिता के रिश्ते में हमेशा खटास रही। पिता बड़े बेटे मीनहार्ड को अर्नोल्ड की तुलना में ज्यादा प्यार करते थे। उन्हें शक था कि अर्नोल्ड उनके सगे बेटे नहीं हैं। पिता को शराब की लत थी। इसी वजह से अर्नोल्ड अगर छोटी सी भी गलती कर देते तो, पिता उन्हें बहुत पीटते थे। 14 साल की उम्र में शुरू की बॉडी बिल्डिंग पिता से ही इंस्पायर होकर उन्होंने कम उम्र से ही स्पोर्ट्स में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। पढ़ाई में उनका मन बिल्कुल नहीं लगता था। 14 साल की उम्र से ही उन्होंने बॉडी बिल्डिंग शुरू कर दी थी। उनके पिता चाहते थे कि वो उन्हीं की तरह पुलिस ऑफिसर बनें। स्पोर्ट्स और बॉडी बिल्डिंग के प्रति बेटे के जुनून को देख पेरेंट्स परेशान रहने लगे। उनका मानना था कि इस वजह से अर्नोल्ड का फ्यूचर बर्बाद हो जाएगा। हालांकि, पिता ने उन्हें बॉडी बिल्डिंग से कभी रोका भी नहीं। मेल बाॅडी बिल्डर्स की तस्वीर लगाने पर पेरेंट्स गे समझते थे अर्नोल्ड ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब उन्होंने बॉडी बिल्डिंग शुरू की, उस वक्त लोगों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। वो मोटिवेशन के लिए कमरे में मेल बॉडी बिल्डर्स की तस्वीरें लगाते थे। इस वजह से पेरेंट्स को उनकी सेक्सुएलिटी पर शक होने लगा। उन्हें लगता था कि अर्नोल्ड गे हैं और उन्हें लड़कियों में कोई दिलचस्पी नहीं है। इस वजह से भी कई बार पिता ने उनकी पिटाई कर दी थी। वहीं मां इतनी परेशान हो गई थीं कि उन्होंने अर्नोल्ड को दिखाने के लिए डॉक्टर को बुला लिया। उन्होंने डॉक्टर से कहा- मेरे बेटे को कुछ हो गया है। कमरे की दीवार पर उसने सिर्फ आदमियों की तस्वीरें लगा रखी हैं। सेना की ड्यूटी सही से ढंग से ना पूरा करने पर एक साल जेल में रहे जब अर्नोल्ड 18 साल के हुए तो वह देश की सेवा के लिए ऑस्ट्रियन आर्मी में भर्ती हो गए। ऑस्ट्रिया में देश की सेवा के लिए युवाओं को कुछ साल सेना में बिताना जरूरी होता था। अर्नोल्ड सेना में शामिल तो हो गए, लेकिन उनका ध्यान बॉडी बिल्डिंग में ही लगा रहता था। सेना में काम के दौरान ही वो जूनियर मिस्टर यूरोप में पार्टिसिपेट करने चले गए और विनर भी बने। इस वजह से उन्हें सेना का काम ढंग से पूरा ना करने पर एक साल की सजा सुनाई गई। कम उम्र में मिस्टर यूनिवर्स और मिस्टर ओलंपिया का खिताब जीता बॉडी बिल्डिंग में अर्नोल्ड के आइडियल रेग पार्क थे, जिनसे वो हमेशा से मिलता चाहते थे। रेग पार्क तीन बार बाॅडी बिल्डिंग में मिस्टर यूनिवर्स कॉम्पिटिशन जीत चुके थे। कुछ मुलाकातों के बाद दोनों अच्छे दोस्त बन गए। रेग पार्क अर्नाल्ड के मेंटर बने और उन्हें ट्रेन भी किया। 20 साल की उम्र में अर्नोल्ड सबसे कम उम्र के बाॅडी बिल्डिंग में मिस्टर यूनिवर्स का खिताब जीतने वाले बने। ये टाइटल उन्होंने पांच बार और जीता। इसके साथ ही उन्होंने मात्र 23 साल की उम्र में 1970 में बाॅडी बिल्डिंग में मिस्टर ओलंपिया का खिताब भी जीता, जिससे वो अब तक के सबसे कम उम्र के मिस्टर ओलंपिया भी बन गए। ये खिताब अर्नोल्ड ने 7 बार जीता था। भाई-पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए साल 1971 और 1972 अर्नोल्ड के परिवार के लिए अच्छा नहीं रहा। उनके बड़े भाई मीनहार्ड की एक एक्सीडेंट में मौत हो गई। पिता के साथ अच्छे रिश्ते नहीं होने की वजह से वो भाई के अंतिम संस्कार में नहीं गए थे। कई रिपोर्ट्स ने दावा किया था उनका भाई नशे में धुत्त होकर कार चला रहा था जिससे एक्सीडेंट हुआ और मौत हो गई। भाई की मौत के ठीक एक साल बाद दिसंबर 1972 में उनके पिता का ब्रेन स्ट्रोक से निधन हो गया। पिता के अंतिम संस्कार में भी वो नहीं गए थे। परफॉर्मेंस सुधारने के लिए नशीली दवाओं का सेवन करते थे अर्नोल्ड ने खुलासा किया था कि बॉडी बिल्डिंग के दौरान उन्होंने स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया था। NBC न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें अतीत में ड्रग्स का इस्तेमाल करने का कोई पछतावा नहीं था। अर्नोल्ड ने कहा था- मुझे इस बात का कोई पछतावा नहीं था, क्योंकि उस समय ये बाजार में नया आया था। हालांकि, इसका उपयोग मैंने डॉक्टरों की देखरेख में किया था। डिप्रेशन में भी रहे ‌‌BBC की रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में एक फैन ने अर्नोल्ड को खत लिखा था। उस खत के जरिए फैन ने बताया था कि वो लंबे से डिप्रेशन में है, जिस वजह से वो जिम नहीं जा सकता। फैन ने अर्नोल्ड से गुजारिश की थी कि वो उसे मोटिवेट करने की कोई ट्रिक बताएं। फैन के जवाब में उन्होंने खत लिखा और बताया- हम सभी चुनौतियों से गुजरते हैं, हम सभी असफलताओं से गुजरते हैं, लेकिन हमें हार नहीं माननी चाहिए। जब हम परेशान चल रहे हों तो बिना किसी संकोच में अपनी करीबियों से मदद मांगनी चाहिए। खराब वक्त हर किसी की लाइफ में एक बार तो जरूर आता है। 1970 में सक्सेस मिलने के बाद भी अर्नोल्ड डिप्रेशन में रहे। जिस वजह से उन्होंने मेडिटेशन का सहारा लिया था। उन्होंने लगभग एक साल तक रोज मेडिटेशन किया और इस बुरे दौर से बाहर निकले। फिल्मों में आने का मजाक बनाते थे अर्नोल्ड को फिल्मों में काम आसानी से नहीं मिला था। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था,, फिल्म इंडस्ट्री में जो लोग कास्टिंग करते थे, वो मेरी बॉडी का मजाक उड़ाते थे। कहते थे कि ऐसी बॉडी की वजह से मैं एक्टर बनने के लायक नहीं। मेरे एक्सेंट का भी लोग मजाते उड़ाते थे। साथ ये भी कहते थे कि मेरा नाम इतना लंबा क्यों है। नौकरानी के साथ रही सीक्रेट रिलेशनशिप, बेटे का जन्म भी हुआ 26 अप्रैल 1986 को अर्नोल्ड ने मारिया श्राइवर से शादी की थी। मारिया अमेरिका राइटर और पत्रकार हैं। शादी के बाद मारिया और अर्नोल्ड चार बच्चों के पैरेंट बने। हालांकि, 25 साल बाद 9 मई 2011 को दोनों का तलाक हो गया। तलाक की वजह बनी अर्नोल्ड और उनकी नौकरानी की सीक्रेट रिलेशनशिप। 7 जून 2023 को रिलीज हुई डॉक्यूमेंट्री 'अर्नोल्ड’ में अर्नोल्ड ने इस बात का खुलासा किया कि 1996 में अर्नोल्ड का हाउस कीपर मिल्ड्रेड बेना के साथ अफेयर था। बेना और अर्नोल्ड की पत्नी लगभग एक साथ प्रेग्नेंट हुई थीं। मारिया और अर्नोल्ड के चौथे बेटे क्रिस्टोफर के जन्म के ठीक 5 दिन बाद बेना ने बेटे यूसुफ को जन्म दिया। इस वक्त तक ये बात मारिया को नहीं पता था कि बेना का बेटा अर्नोल्ड का ही है, लेकिन जैसे-जैसे मिल्ड्रेड का बेटा बड़ा होने लगा कि उसकी शक्ल काफी हद तक अर्नोल्ड से मिलती थी। जब यूसुफ 13 साल का हुआ तब उसे पता चला कि उसके बायोलॉजिकल फादर अर्नोल्ड हैं। इस बात की जानकारी उसे एक मीडिया रिपोर्ट से हुई थी। जब मारिया ने एक काउंसलिंग सेशन के दौरान अर्नोल्ड से पूछा कि क्या वो सच में यूसुफ के पिता हैं, तो वो घबरा गए। शुरुआत में वो शांत रहे, लेकिन उन्होंने ये बात कबूल ली कि हां युसुफ उनके ही बेटे हैं। उन्होंने मिल्ड्रेड के साथ अफेयर को अपनी लाइफ की सबसे बड़ी गलती बताया था। इस वजह से उनके परिवार में काफी हंगामा हुआ। उनकी गलती की सजा पूरे परिवार को भुगतनी पड़ी थी। अर्नोल्ड ने यह भी कहा था कि उन्हें बाकी जिंदगी इसी दर्द के साथ गुजारनी पड़ेगी। राजनीति में भी कदम रखा 2003 में अर्नोल्ड ने राजनीति में कदम रखा था। उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से 7 अक्टूबर, 2003 को अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य के 38वें गवर्नर के पद पर शपथ ली। इसके बाद 7 नवंबर, 2006 को वो फिर से चुने गए और दूसरी बार कैलिफोर्निया के गवर्नर बने। वो इस पद पर साल 2011 तक रहे। उनका राजनीतिक करियर विवादित रहा। शुरुआत में तो वो जनता के बीच बहुत पॉपुलर थे। कुछ लोग मानना था कि वो राष्ट्रपति बनने के काबिल थे, लेकिन समय के साथ उनकी पॉपुलैरिटी में कमी आ गई। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अर्नोल्ड सैलरी में ज्यादा कटौती करते थे जिस वजह से राज्य के कर्मचारी उन्हें पसंद नहीं करते थे। हालांकि, ऐसा वो पार्टी के दबाव पर करते थे। पार्टी चाहती थी कि वो सख्त बनें और कुछ लोगों चाहते थे कि वो उदार बनें। 6 महिलाओं ने लगाए थे गलत तरीके से छूने के आरोप जब अर्नोल्ड ने राजनीति में कदम रखा था, तब लॉस एंजिल्स टाइम्स ने एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। उस रिपोर्ट में लिखा था कि 6 महिलाओं ने आरोप लगाया था कि अर्नोल्ड ने उन्हें जबरदस्ती छुआ था। हाल में रिलीज हुई डॉक्यूमेंट्री 'अर्नोल्ड’ में इस आरोप पर भी अर्नोल्ड ने बात की। उन्होंने कहा, बस इतना कहूंगा कि ये चीज तब भी गलत थी और आज भी गलत हैं। मैं माफी मांगता हूं और स्वीकारता हूं कि उस वक्त मैंने गलत किया था। एक सफल बिजनेसमैन भी हैं अर्नोल्ड अर्नोल्ड ने डायरेक्शन में भी हाथ आजमाया। द लेजेंड ऑफ कॉनन, कनेक्टिकट में क्रिसमस जैसी फिल्मों को डायरेक्ट किया था। उन्होंने साथी बॉडी बिल्डर फ्रेंको कोलंबो के साथ एक ईंट बनाने का कारोबार शुरू किया था जिससे उन्हें काफी प्रॉफिट हुआ था। उन्होंने अपनी बॉडी बिल्डिंग की कमाई को कैलिफोर्निया रियल एस्टेट मार्केट में भी इन्वेस्ट किया था।
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इस बदलती दुनिया में हमें कैसा बनकर रहना चाहिए?
दुनिया में हर पल हर चीज बदल रही है। हमें हर समय एक समान नहीं रह सकते। समय के साथ हमें अपने विचार और व्यवहार दोनों में परिवर्तन लाना होगा। हम परिवर्तन को स्वीकार करके ही आगे बढ़ सकते हैं। आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी
दुनिया में हर पल हर चीज बदल रही है। हमें हर समय एक समान नहीं रह सकते। समय के साथ हमें अपने विचार और व्यवहार दोनों में परिवर्तन लाना होगा। हम परिवर्तन को स्वीकार करके ही आगे बढ़ सकते हैं। आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए इस बदलती दुनिया में हमें कैसा बनकर रहना चाहिए? आज का जीवन सूत्र जानने के लिए ऊपर फोटो पर क्लिक करें।
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एकाग्रता और संयम बनाए रखेंगे तो दुखों को जल्दी से जल्दी दूर किया जा सकता है, जल्दबाजी से दिक्कतें बढ़ जाती हैं
सुख हो या दुख, हमें हर परिस्थिति में धैर्य बनाए रखना चाहिए। दुख के दिनों में धैर्य खो देंगे तो मुश्किलें और ज्यादा बढ़ जाएंगी। सुख के दिनों में धैर्य नहीं रखेंगे तो उत्साह में गलतियां ज्यादा होंगी और बने-बनाए काम बिगड़ सकते हैं। quotes on success and happiness, prerak vichar, inspirational thoughts, we should focus on target to get success
सुख हो या दुख, हमें हर परिस्थिति में धैर्य बनाए रखना चाहिए। दुख के दिनों में धैर्य खो देंगे तो मुश्किलें और ज्यादा बढ़ जाएंगी। सुख के दिनों में धैर्य नहीं रखेंगे तो उत्साह में गलतियां ज्यादा होंगी और बने-बनाए काम बिगड़ सकते हैं। जीवन में सुख-शांति और सफलता चाहते हैं तो लक्ष्य बनाकर काम करें और असफल होने के बाद भी धैर्य के साथ फिर से प्रयास शुरू करें, तभी सफलता मिल सकती है। यहां जानिए ऐसे ही कुछ और कोट्स...
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ऑफिस में अपनी जीवनशैली का मूल्यांकन करते हुए पता लगाएं कि वह कितनी स्वस्थ है
यूके में, जुलाई के मध्य में प्रकाशित एक सरकारी रिपोर्ट में नियोक्ताओं से आग्रह किया गया कि वे अपने कर्मचारियों की सेहत का खयाल रखें ताकि वे लम्बी अवधि के लिए बीमार न पड़ें। वहीं भारत में 2016 से शुरू करके छह वर्षों के अंतरालN. Raghuraman's column - Evaluating your lifestyle at office to find out how healthy it is
यूके में, जुलाई के मध्य में प्रकाशित एक सरकारी रिपोर्ट में नियोक्ताओं से आग्रह किया गया कि वे अपने कर्मचारियों की सेहत का खयाल रखें ताकि वे लम्बी अवधि के लिए बीमार न पड़ें। वहीं भारत में 2016 से शुरू करके छह वर्षों के अंतराल में पूर्ण किए गए एक अप्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि वर्कप्लेस-वेलनेस प्रोग्राम कर्मचारियों में बेहतर स्वास्थ्य को प्रचारित करने का किफायती तरीका हो सकते हैं, ताकि जीवनशैली के कारण होने वाली बीमारियों पर अंकुश लगाया जा सके। संक्षेप में, पश्चिम हो या पूर्व, काम करने की जगह पर स्वास्थ्य के महत्व के प्रति जागरूकता पूरी दुनिया में ही बढ़ रही है। इंडियन सर्वे के मुताबिक वैज्ञानिकों ने एअर इंडिया, अशोक लीलैंड, भिलाई स्टील प्लांट, बोकारो स्टील प्लांट, एचएलएल लाइफकेयर, हुंडई, टीवीएस लुकास जैसे 11 कार्यस्थलों के 6,265 कर्मचारियों से बात की। यह अध्ययन जिन पांच राज्यों में किया गया था, वे हैं- केरल, तमिलनाडु, झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा। इनमें 10 में से 9 कर्मचारी मोटापे या अधिक वजन से ग्रस्त थे और उनमें से आधे ऐसे थे, जो डायबिटीज के शिकार होने की कगार पर थे, जबकि उनमें से एक-तिहाई को हाइपरटेंशन था। कर्मचारियों से शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाकर हर सप्ताह कम से कम 150 मिनट तक करने को कहा गया। उनसे कहा गया कि वे मॉडरेट-इंटेंसिटी एक्टिविटी या ब्रिस्क वॉकिंग करें। उनके कैंटीन-मेनु में भी बदलाव किया गया और भोजन की मात्रा घटा दी गई। उनके टहलने के लिए वॉकिंग-पाथ बनाए गए। साथ ही ब्रेक-टाइम इंटरवेंशन प्रोग्राम और ग्रुप एक्सरसाइज़ सत्रों का भी आयोजन किया गया। दो साल बाद किए गए परीक्षण के नतीजों से पता चला कि प्रतिभागिता करने वाले कर्मचारियों का स्वास्थ्य उन लोगों की तुलना में सुधरा है, जिन्होंने सत्रों में सहभागिता नहीं की थी। वैज्ञानिक इस अध्ययन से शोध पत्र लिख रहे हैं, जो भारतीय कम्पनियों के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होगा। अगर आपकी सेहत भी गिर रही है तो इससे पहले कि आप कार्यस्थल पर स्वस्थ रहने के महत्व को सीखें, अपने स्तर पर यह तो कर ही सकते हैं : 1. सम्भव हो तो मेट्रो स्टेशन से अपने मुकाम तक पैदल ही जाएं। अगर आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो कम से कम कुछ सीढ़ियां ही चढ़ें। 2. अगर आप यात्रा के दौरान बैठे रहे हैं तो काम शुरू करने से पहले स्ट्रेच करें। सीट से उठें और जब भी मौका मिले, स्ट्रेच करें। 3. डेस्क पर एक घंटा काम करने के बाद डेस्क पर ही आधारित कुछ मूव आपकी रीढ़ को गतिशील रखेंगे और कमर के निचले हिस्से और कंधों में बने रहने वाले तनाव से भी छुटकारा दिलाएंगे। 4. अगर आप लम्बे समय से बैठे हैं तो जूते निकाल दें और पिंडलियों की मांसपेशियों को स्ट्रेच करें, पंजों को घुमाएं और पैरों के तलुओं पर धीमे-धीमे मसाज करें। चूंकि ऑफिस में इस्तेमाल की जाने वाली कुर्सियां सभी के लिए परफेक्ट नहीं होतीं, इसलिए बैठने की पोजिशंस भी समय-समय पर बदलते रहें। अगर पैरों में दर्द है तो उनके नीचे गोल्फ की गेंद रखकर उसे आहिस्ता से घुमाना भी राहत देता है। 5. डेस्क पर कोई हरा पौधा रखें। यह उत्पादकता बढ़ाता है और तनावमुक्त होने में मदद करता है। पेशेवर चिकित्सकों के साथ ही ऐसे व्यक्तियों से भी सलाह लें, जो शारीरिक गतिविधियों के विशेषज्ञ होते हैं, जैसे कि कोई योग-गुरु। और स्वयं को सेहतमंद बनाए रखें, क्योंकि आपके शरीर पर आपके बटुए से ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। फंडा यह है कि ऑफिस में अपनी जीवनशैली का मूल्यांकन करते हुए पता लगाएं कि वह कितनी स्वस्थ है।
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देवराज इंद्र ने किया था दुर्वासा के उपहार का अपमान, मुनि के शाप से देवराज इंद्र से छिन गया था स्वर्ग
शिव जी के 19 अवतारों में से एक था दुर्वासा अवतार। पुराने समय में महर्षि अत्रि और अनसूया (अनुसुइया) के यहां चंद्र देव, दत्तात्रेय और दुर्वासा मुनि का जन्म हुआ था। दुर्वासा मुनि को शिव जी का अवतार माना जाता है। devraj indra and durvasa muni story, Lord shiv story, life management tips, Devraj Indra had insulted Durvasa's gift,
शिव जी के 19 अवतारों में से एक था दुर्वासा अवतार। पुराने समय में महर्षि अत्रि और अनसूया (अनुसुइया) के यहां चंद्र देव, दत्तात्रेय और दुर्वासा मुनि का जन्म हुआ था। दुर्वासा मुनि को शिव जी का अवतार माना जाता है। वे बहुत ही क्रोधी स्वभाव के थे। अपने गुस्से की वजह से दुर्वासा मुनि ने देवराज इंद्र को भी शाप दिया था। जानिए पूरी कथा... एक दिन दुर्वासा मुनि विष्णु जी के पास पहुंचे। उस समय विष्णु जी ने दुर्वासा मुनि को अपनी दिव्य माला उपहार में दी। विष्णु जी से मिलकर दुर्वासा मुनि लौट रहे थे। तभी उन्हें रास्ते में देवराज इंद्र दिखाई दिए। इंद्र अपने ऐरावत हाथी पर सवार थे और दुर्वासा मुनि पैदल थे। इन दोनों ने एक-दूसरे को देख लिया। उस समय दुर्वासा जी ने सोचा कि विष्णु जी ने जो माला दी है, वह मेरे किसी काम की नहीं है। ये माला इंद्र को दे देता हूं। इंद्र स्वर्ग के राजा हैं तो इन गले में ये माला शोभा देगी। ऐसा सोचकर दुर्वासा मुनि ने विष्णु जी की माला इंद्र को उपहार में दे दी। देवराज इंद्र ने दुर्वासा जी से वह माला ले ली। उस समय देवराज इंद्र का अहंकार जाग गया। वह अपने ऐरावत हाथी पर बैठे हुए थे, स्वर्ग के राज-पाठ का घमंड था। इसी घमंड की वजह से इंद्र ने सोचा कि ये सामान्य सी माला मेरे काम नहीं आएगी। ये सोचकर इंद्र ने वह माला अपने ऐरावत हाथी के ऊपर डाल दी। ऐरावत ने अपनी सूंड से वह माला पकड़ी और पैरों से कुचल दी। ये सब दुर्वासा मुनि ने देख लिया, अपने उपहार का ऐसा अपमान देखकर वे क्रोधित हो गए। गुस्से में उन्होंने इंद्र से कहा कि आज तूने अपने राज-पाठ और पद के घमंड में मेरे उपहार का अनादर किया है, मैं तूझे शाप देता हूं, तेरा सारा वैभव चला जाएगा और तू स्वर्गहीन हो जाएगा। दुर्वासा मुनि के शाप से डरकर देवराज इंद्र ब्रह्मा जी के पास पहुंचे, उस ब्रह्मा जी ने इंद्र को समझाया कि ये सब आपके अहंकार की वजह से हुआ है। दुर्वासा मुनि का शाप सत्य होकर रहेगा। इसके बाद असुरों ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया और देवता पराजित हो गए। इंद्र को स्वर्ग से जाना पड़ा था। लाइफ मैनेजमेंट इस कथा का संदेश यही है कि हमें कभी भी अपने पद, धन, घर-परिवार का अहंकार नहीं करना चाहिए। कभी किसी को छोटा न समझें। किसी के उपहार का अनादर न करें। अहंकार की वजह से रावण, कंस जैसे महाशक्तिशाली लोग भी नष्ट हो गए। इसलिए इस बुराई को जल्दी से जल्दी छोड़ दें।
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'U' सर्टिफिकेट देने में हिचक रहा बोर्ड; मेकर्स चाहते हैं बच्चे भी फिल्म देखें
Akshay Kumar Movie OMG Oh My God 2 CBFC Certificate  सोर्सेज ने कहा फिल्म को लेकर एक अहम डेवलपमेंट सोमवार को आ जाएगी। सेंसर बोर्ड और मेकर्स दोनों अपने रुख में लचीलापन ला रहे हैं
अक्षय कुमार की फिल्म OMG-2 अभी भी सेंसर बोर्ड में लटकी है। सोर्सेज की माने तो फिल्म को लेकर एक अहम डेवलपमेंट सोमवार को आ जाएगा। सेंसर बोर्ड और मेकर्स दोनों अपने रुख में लचीलापन ला रहे हैं। सेंसर बोर्ड फिल्म में कट लगाने की संख्या में भी कमी कर रहा है। हालांकि बोर्ड अभी भी फिल्म को U सर्टिफिकेट देने में हिचक रहा है। फिल्म के मुद्दे को देखते हुए मेकर्स भी डिस्क्लेमर रखने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि मेकर्स नहीं चाहते कि फिल्म को A सर्टिफिकेट मिले। फिल्म सेक्स एजुकेशन जैसे अहम मुद्दे पर बनी है। A सर्टिफिकेट मिलने से बच्चे फिल्म नहीं देख पाएंगे। मेकर्स का मानना है कि फिल्म में जो जानकारी दी गई, उसकी सबसे ज्यादा जरूरत बच्चों को ही है। फिल्म को मिल सकता है UA 13+ सर्टिफिकेट चूंकि मेकर्स इस बात पर अड़े हैं कि उन्हें UA सर्टिफिकेट ही चाहिए। इसे देखते हुए सेंसर बोर्ड अपनी नई पॉलिसी इस फिल्म के साथ लागू कर सकता है। इस हिसाब से फिल्म को UA 13+ सर्टिफिकेट मिल सकता है। इसके तहत 13 साल से ज्यादा उम्र के बच्चे फिल्म देख सकेंगे। अब देखना दिलचस्प होगा कि सर्टिफिकेशन पर सेंसर बोर्ड क्या फैसला लेता है। U सर्टिफिकेट देने से हिचक रहा सेंसर बोर्ड सोर्सेज के मुताबिक ,सेंसर बोर्ड काफी असमंजस की स्थिति में है। फिल्म इस बात की वकालत करता है कि स्कूलों में टीनएज के लिए सेक्स एजुकेशन होना चाहिए। हालांकि इस मसले में स्कूलों में अभी तक कोई नीति नहीं बन पाई है। इसी वजह से सेंसर बोर्ड फिल्म को U सर्टिफिकेट देने में हिचक रहा है। लिहाजा सेंसर बोर्ड और मेकर्स के बीच लगातार बातचीत जारी है। अब इसका क्या नतीजा निकलता है कि यह सोमवार तक पता चल जाएगा। फिल्मों को कैसे सर्टिफिकेट मिलता है, पूरा समझिए पहले तीन तरह से फिल्मों को सर्टिफाई किया जाता था। पहला था U जिसे यूनिवर्सल कहा जाता है। अगर किसी फिल्म को U सर्टिफिकेट मिलता है, तो इसका मतलब उसे किसी भी ऐज ग्रुप का व्यक्ति बिना किसी रिस्ट्रिक्शन के देख सकता है। दूसरे नंबर पर आती हैं UA सर्टिफाइड फिल्म। अगर कोई बच्चा 18 साल से कम है तो वो पेरेंट के मार्गदर्शन में UA सर्टिफाइड फिल्म देख सकता है। तीसरे नंबर पर आती हैं A सर्टिफाइड वाली फिल्में। इन फिल्मों को सिर्फ वही लोग देख सकते हैं, जिनकी उम्र 18 साल से ज्यादा हो चुकी है। अब संसद में सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952 संशोधित विधेयक पारित हो गया है। इस बिल में कुछ नई कैटेगरी जैसे UA 7+, UA 13+ और UA 16+ को शामिल किया गया है। अब फिल्मों को UA सर्टिफिकेशन के तहत सात साल, 13 साल और 16 साल के दर्शक वर्ग के लिए अलग-अलग सर्टिफाइड किया जाएगा। फिल्म में महाकाल मंदिर को बड़े पैमाने पर दिखाया जाएगा सोर्सेज का दावा है कि यह पहली हिंदी फिल्म होगी, जिसमें उज्जैन के महाकाल मंदिर को बहुत बड़े पैमाने पर दिखाया जाएगा। इस फिल्म में बाप-बेटे के भावनात्मक रिश्ते को दिखाया गया है। हालांकि इसे लेकर विवाद भी हुआ है। इसे लेकर महाकाल मंदिर के पुजारियों ने आपत्ति जताई है। पुजारियों का कहना है कि इस फिल्म से महाकाल मंदिर में शूट किए गए सभी दृश्य को तत्काल हटा लेना चाहिए। फिल्म को अगर A सर्टिफिकेट दिया गया और अश्लीलता परोसने के साथ महाकाल मंदिर के शॉट दिखे तो देशभर में फिल्म प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और एक्टर अक्षय कुमार के खिलाफ प्रदर्शन होगा। FIR भी दर्ज कराई जाएगी।

Dataset Card for "ILSUM-2.0"

Dataset Summary

ILSUM-2.0 contains additional ~10K articles along with ILSUM-1.0 dataset. Along with Hindi, English, and Gujarati, which were part of ILSUM-1.0, Bengali is also introduced as part of ILSUM-20. dataset.

The dataset for this task is built using articles and headline pairs from several leading newspapers of the country. We provide >=10,000 news articles for each language. The task is to generate a meaningful fixed length summary, either extractive or abstractive, for each article. While several previous works in other languages use news artciles - headlines pair, the current dataset poses a unique challenge of code-mixing and script mixing. It is very common for news articles to borrow phrases from english, even if the article itself is written in an Indian Language.

Examples like these are a common occurence both in the headlines as well as in the articles.

- "IND vs SA, 5મી T20 તસવીરોમાં: વરસાદે વિલન બની મજા બગાડી" (India vs SA, 5th T20 in pictures: rain spoils the match)
- "LIC के IPO में पैसा लगाने वालों का टूटा दिल, आई एक और नुकसानदेह खबर" (Investors of LIC IPO left broken hearted, yet another bad news).

Languages

  • Hindi
  • Gujarati
  • Bengali
  • English

Data Fields

- id: Unique id of each datapoint
- Article: Entire News article
- Headline: Headline of News Article
- Summary: Summary of News Article

Data Splits

Data for all four languages is divided into two splits train and test.

Load dataset using hf-dataset class

from datasets import load_dataset

dataset = load_dataset("ILSUM/ILSUM-2.0", "Hindi")
# you can use any of the following config names as a second argument:
# "English", "Hindi", "Gujarati", Bengali

Citation Information

If you are using the dataset or the models please cite the following paper

@article{satapara2023findings,
  title={Key Takeaways from the Second Shared Task on Indian Language Summarization (ILSUM 2023).},
  author={Satapara, Shrey and Mehta, Parth and Modha, Sandip and Ganguly, Debasis},
  journal={Working Notes of FIRE},
  pages={724-733},
  year={2023}
}

Contributions

  • Shrey Satapara, Indian Institute Of Technology, Hyderabad, India

  • Sandip Modha, LDRP-ITR, Gandhinagar, India

  • Parth Mehta, Parmonic, USA

  • Debasis Ganguly, University Of Glasgow, UK

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