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३जी जुननी योजना हेठळ ६००थी वधु रजवाडाओने भारत के पाकिस्ताननी साथे जोडाई जवानी के पछी स्वतंत्रता स्वीकारवानी तक आपवामां आवी हती. भारतीय राष्ट्रीयतावादीओ तेमज आम जनताना घणा खरा भागने डर हतो के जो आ रजवाडाओनो समन्वय नहीं थाय तो मोटाभागनो जन समुदाय तेमज प्रांतो खंडित रही जशे. कॉंग्रेस तेमज उपरी अंग्रेज अधिकारीओनुं मानवुं हतु के रजवाडाओने भारतना राज्य संगठनमां समन्वित करवानी कामगीरी सरदार उत्तम रीते पार पाडी शकशे. गांधीजीए सरदारने कह्युं हतु के “राज्योनो मामलो एटलो मुश्केल छे के मात्र तमेज तेने उकेली शकशो. सरदारनी गणना प्रमाणिक अने व्यहवारु निर्णय लेवानी शकित धरावता मुत्सद्दी राजनीतिज्ञ तरीके थती हती के जेओ महत्वनुं काम सफळताथी पार पाडी शकता हता. सरदारे वी. पी. मेननने, के जेओ उपरी सरकारी सनदी हता तेमज भारतना भागला वखते सरदार साथे काम करी चुक्या हता, राज्य खातामां मुख्य सचिव बनी तेमना खास सहयोगी बनवा कह्युं हतु. ६ मे १९४७ थी सरदारे राजाओनी साथे मंत्राणा चालु करी पोतानी वात रजु करी हती के जेना थकी राजाओ भारतनी बनवावाळी सरकार साथे मंत्रणा करवा राजी थाय तथा संभवित घर्षणो उभा न थाय तेनी तकेदारी लई शकाय. सरदारे सामाजीक मुलाकातो तेमज अनौपचारीक वातावरण, जेमके तेमना दिल्ही खातेना घरे जमवा के चा माटे बोलावीने मोटाभागना राजवीओने वाटाघाटोमां सामेल कर्या हता. आ मुलाकातो वखते तेमणे कह्युं हतु के कॉंग्रेस तथा राजरजवाडाओ वच्चे कोई मुळभुत तकरार छे नहीं, छतां तेमणे ए वात उपर भार आप्यो हतो के १५ ओगस्ट १९४७नां दिवसे रजवाडाओए सद्‌भावनाथी भारतनी साथे समन्वित थई जवुं रहेशे. सरदारे राजवीओनी स्वदेशाभिमाननी लागणीने उश्केरता कह्युं के तेमणे एक जवाबदारी भर्या शासकनी जेम, के जेमने पोतानी जनताना भविष्यनी कदर होय, पोताना राज्यनी स्वतंत्रतामां सहभागी थवु जोईए.
कोंग्रेस अने उपला ब्रिटिश अधिकारीओना मते कोण भारतना राज्य संगठनमां रजवाडाओना संकलन करवाने समर्थ हता?
2,000
{ "answer_start": [ 379 ], "text": [ "सरदार" ] }
३जी जुननी योजना हेठळ ६००थी वधु रजवाडाओने भारत के पाकिस्ताननी साथे जोडाई जवानी के पछी स्वतंत्रता स्वीकारवानी तक आपवामां आवी हती. भारतीय राष्ट्रीयतावादीओ तेमज आम जनताना घणा खरा भागने डर हतो के जो आ रजवाडाओनो समन्वय नहीं थाय तो मोटाभागनो जन समुदाय तेमज प्रांतो खंडित रही जशे. कॉंग्रेस तेमज उपरी अंग्रेज अधिकारीओनुं मानवुं हतु के रजवाडाओने भारतना राज्य संगठनमां समन्वित करवानी कामगीरी सरदार उत्तम रीते पार पाडी शकशे. गांधीजीए सरदारने कह्युं हतु के “राज्योनो मामलो एटलो मुश्केल छे के मात्र तमेज तेने उकेली शकशो. सरदारनी गणना प्रमाणिक अने व्यहवारु निर्णय लेवानी शकित धरावता मुत्सद्दी राजनीतिज्ञ तरीके थती हती के जेओ महत्वनुं काम सफळताथी पार पाडी शकता हता. सरदारे वी. पी. मेननने, के जेओ उपरी सरकारी सनदी हता तेमज भारतना भागला वखते सरदार साथे काम करी चुक्या हता, राज्य खातामां मुख्य सचिव बनी तेमना खास सहयोगी बनवा कह्युं हतु. ६ मे १९४७ थी सरदारे राजाओनी साथे मंत्राणा चालु करी पोतानी वात रजु करी हती के जेना थकी राजाओ भारतनी बनवावाळी सरकार साथे मंत्रणा करवा राजी थाय तथा संभवित घर्षणो उभा न थाय तेनी तकेदारी लई शकाय. सरदारे सामाजीक मुलाकातो तेमज अनौपचारीक वातावरण, जेमके तेमना दिल्ही खातेना घरे जमवा के चा माटे बोलावीने मोटाभागना राजवीओने वाटाघाटोमां सामेल कर्या हता. आ मुलाकातो वखते तेमणे कह्युं हतु के कॉंग्रेस तथा राजरजवाडाओ वच्चे कोई मुळभुत तकरार छे नहीं, छतां तेमणे ए वात उपर भार आप्यो हतो के १५ ओगस्ट १९४७नां दिवसे रजवाडाओए सद्‌भावनाथी भारतनी साथे समन्वित थई जवुं रहेशे. सरदारे राजवीओनी स्वदेशाभिमाननी लागणीने उश्केरता कह्युं के तेमणे एक जवाबदारी भर्या शासकनी जेम, के जेमने पोतानी जनताना भविष्यनी कदर होय, पोताना राज्यनी स्वतंत्रतामां सहभागी थवु जोईए.
कोणे सरदारने कह्युं हतुं के, "राज्योनो मुद्दो एटलो मुश्केल छे के फक्त तमे ज तेनो उकेल लावी शको"?
2,001
{ "answer_start": [ 410 ], "text": [ "गांधीजीए" ] }
३जी जुननी योजना हेठळ ६००थी वधु रजवाडाओने भारत के पाकिस्ताननी साथे जोडाई जवानी के पछी स्वतंत्रता स्वीकारवानी तक आपवामां आवी हती. भारतीय राष्ट्रीयतावादीओ तेमज आम जनताना घणा खरा भागने डर हतो के जो आ रजवाडाओनो समन्वय नहीं थाय तो मोटाभागनो जन समुदाय तेमज प्रांतो खंडित रही जशे. कॉंग्रेस तेमज उपरी अंग्रेज अधिकारीओनुं मानवुं हतु के रजवाडाओने भारतना राज्य संगठनमां समन्वित करवानी कामगीरी सरदार उत्तम रीते पार पाडी शकशे. गांधीजीए सरदारने कह्युं हतु के “राज्योनो मामलो एटलो मुश्केल छे के मात्र तमेज तेने उकेली शकशो. सरदारनी गणना प्रमाणिक अने व्यहवारु निर्णय लेवानी शकित धरावता मुत्सद्दी राजनीतिज्ञ तरीके थती हती के जेओ महत्वनुं काम सफळताथी पार पाडी शकता हता. सरदारे वी. पी. मेननने, के जेओ उपरी सरकारी सनदी हता तेमज भारतना भागला वखते सरदार साथे काम करी चुक्या हता, राज्य खातामां मुख्य सचिव बनी तेमना खास सहयोगी बनवा कह्युं हतु. ६ मे १९४७ थी सरदारे राजाओनी साथे मंत्राणा चालु करी पोतानी वात रजु करी हती के जेना थकी राजाओ भारतनी बनवावाळी सरकार साथे मंत्रणा करवा राजी थाय तथा संभवित घर्षणो उभा न थाय तेनी तकेदारी लई शकाय. सरदारे सामाजीक मुलाकातो तेमज अनौपचारीक वातावरण, जेमके तेमना दिल्ही खातेना घरे जमवा के चा माटे बोलावीने मोटाभागना राजवीओने वाटाघाटोमां सामेल कर्या हता. आ मुलाकातो वखते तेमणे कह्युं हतु के कॉंग्रेस तथा राजरजवाडाओ वच्चे कोई मुळभुत तकरार छे नहीं, छतां तेमणे ए वात उपर भार आप्यो हतो के १५ ओगस्ट १९४७नां दिवसे रजवाडाओए सद्‌भावनाथी भारतनी साथे समन्वित थई जवुं रहेशे. सरदारे राजवीओनी स्वदेशाभिमाननी लागणीने उश्केरता कह्युं के तेमणे एक जवाबदारी भर्या शासकनी जेम, के जेमने पोतानी जनताना भविष्यनी कदर होय, पोताना राज्यनी स्वतंत्रतामां सहभागी थवु जोईए.
सरदारे केटला राजकुमारो साथे सहमती दर्शावी हती?
2,002
{ "answer_start": [ null ], "text": [ "" ] }
३जी जुननी योजना हेठळ ६००थी वधु रजवाडाओने भारत के पाकिस्ताननी साथे जोडाई जवानी के पछी स्वतंत्रता स्वीकारवानी तक आपवामां आवी हती. भारतीय राष्ट्रीयतावादीओ तेमज आम जनताना घणा खरा भागने डर हतो के जो आ रजवाडाओनो समन्वय नहीं थाय तो मोटाभागनो जन समुदाय तेमज प्रांतो खंडित रही जशे. कॉंग्रेस तेमज उपरी अंग्रेज अधिकारीओनुं मानवुं हतु के रजवाडाओने भारतना राज्य संगठनमां समन्वित करवानी कामगीरी सरदार उत्तम रीते पार पाडी शकशे. गांधीजीए सरदारने कह्युं हतु के “राज्योनो मामलो एटलो मुश्केल छे के मात्र तमेज तेने उकेली शकशो. सरदारनी गणना प्रमाणिक अने व्यहवारु निर्णय लेवानी शकित धरावता मुत्सद्दी राजनीतिज्ञ तरीके थती हती के जेओ महत्वनुं काम सफळताथी पार पाडी शकता हता. सरदारे वी. पी. मेननने, के जेओ उपरी सरकारी सनदी हता तेमज भारतना भागला वखते सरदार साथे काम करी चुक्या हता, राज्य खातामां मुख्य सचिव बनी तेमना खास सहयोगी बनवा कह्युं हतु. ६ मे १९४७ थी सरदारे राजाओनी साथे मंत्राणा चालु करी पोतानी वात रजु करी हती के जेना थकी राजाओ भारतनी बनवावाळी सरकार साथे मंत्रणा करवा राजी थाय तथा संभवित घर्षणो उभा न थाय तेनी तकेदारी लई शकाय. सरदारे सामाजीक मुलाकातो तेमज अनौपचारीक वातावरण, जेमके तेमना दिल्ही खातेना घरे जमवा के चा माटे बोलावीने मोटाभागना राजवीओने वाटाघाटोमां सामेल कर्या हता. आ मुलाकातो वखते तेमणे कह्युं हतु के कॉंग्रेस तथा राजरजवाडाओ वच्चे कोई मुळभुत तकरार छे नहीं, छतां तेमणे ए वात उपर भार आप्यो हतो के १५ ओगस्ट १९४७नां दिवसे रजवाडाओए सद्‌भावनाथी भारतनी साथे समन्वित थई जवुं रहेशे. सरदारे राजवीओनी स्वदेशाभिमाननी लागणीने उश्केरता कह्युं के तेमणे एक जवाबदारी भर्या शासकनी जेम, के जेमने पोतानी जनताना भविष्यनी कदर होय, पोताना राज्यनी स्वतंत्रतामां सहभागी थवु जोईए.
सरदारे कोना विलीनीकरण माटे अनुकूळ शरतो मूकी?
2,003
{ "answer_start": [ null ], "text": [ "" ] }
८ एप्रिल १९२९ना रोज भगतसिंह अने बटुकेश्वर दत्त दिल्हीमां केन्द्रिय धारासभा चालु हती त्यारे त्यां बोम्ब नाख्या अने नासी जवाने बदले त्यां ऊभा रही गया. पकडाया पछी तेमना पर मुकदमो चाल्यो हतो. ७ ओक्टोबर १९३०ना रोज भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरुने फांसीनी सजा फरमावाई हती. १९३१मां नक्की थया मुजब २४मी मार्चे फांसी आपवानी जाहेरात थयेली. समग्र देशमां एनी चर्चा अने विरोध व्यापक बनेलां. सरकारे विरोधना डरथी एक दिवस पहेला, २३मी मार्चे, सांजे त्रणेयने अचानक फांसीए लटकावी दीधा हता.
कई तारीखे दिल्हीनी केन्द्रीय विधानसभाना सत्रमां भगतसिंह अने बटुकेश्वर दत्ते बोम्ब फेंक्यो?
2,004
{ "answer_start": [ 0 ], "text": [ "८ एप्रिल १९२९" ] }
८ एप्रिल १९२९ना रोज भगतसिंह अने बटुकेश्वर दत्त दिल्हीमां केन्द्रिय धारासभा चालु हती त्यारे त्यां बोम्ब नाख्या अने नासी जवाने बदले त्यां ऊभा रही गया. पकडाया पछी तेमना पर मुकदमो चाल्यो हतो. ७ ओक्टोबर १९३०ना रोज भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरुने फांसीनी सजा फरमावाई हती. १९३१मां नक्की थया मुजब २४मी मार्चे फांसी आपवानी जाहेरात थयेली. समग्र देशमां एनी चर्चा अने विरोध व्यापक बनेलां. सरकारे विरोधना डरथी एक दिवस पहेला, २३मी मार्चे, सांजे त्रणेयने अचानक फांसीए लटकावी दीधा हता.
भगतसिंहने कई जेलमां फांसी आपवामां आवी हती?
2,005
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८ एप्रिल १९२९ना रोज भगतसिंह अने बटुकेश्वर दत्त दिल्हीमां केन्द्रिय धारासभा चालु हती त्यारे त्यां बोम्ब नाख्या अने नासी जवाने बदले त्यां ऊभा रही गया. पकडाया पछी तेमना पर मुकदमो चाल्यो हतो. ७ ओक्टोबर १९३०ना रोज भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरुने फांसीनी सजा फरमावाई हती. १९३१मां नक्की थया मुजब २४मी मार्चे फांसी आपवानी जाहेरात थयेली. समग्र देशमां एनी चर्चा अने विरोध व्यापक बनेलां. सरकारे विरोधना डरथी एक दिवस पहेला, २३मी मार्चे, सांजे त्रणेयने अचानक फांसीए लटकावी दीधा हता.
हुसैनीवालाना अंतिम संस्कार कई नदीना किनारे करवामां आव्या?
2,006
{ "answer_start": [ null ], "text": [ "" ] }
८ एप्रिल १९२९ना रोज भगतसिंह अने बटुकेश्वर दत्त दिल्हीमां केन्द्रिय धारासभा चालु हती त्यारे त्यां बोम्ब नाख्या अने नासी जवाने बदले त्यां ऊभा रही गया. पकडाया पछी तेमना पर मुकदमो चाल्यो हतो. ७ ओक्टोबर १९३०ना रोज भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरुने फांसीनी सजा फरमावाई हती. १९३१मां नक्की थया मुजब २४मी मार्चे फांसी आपवानी जाहेरात थयेली. समग्र देशमां एनी चर्चा अने विरोध व्यापक बनेलां. सरकारे विरोधना डरथी एक दिवस पहेला, २३मी मार्चे, सांजे त्रणेयने अचानक फांसीए लटकावी दीधा हता.
8 एप्रिल 1929 ना रोज, दिल्हीनी केन्द्रीय विधानसभाना सत्रमां कोणे बोम्ब फेंक्यो?
2,007
{ "answer_start": [ 20 ], "text": [ "भगतसिंह अने बटुकेश्वर दत्त" ] }
८ एप्रिल १९२९ना रोज भगतसिंह अने बटुकेश्वर दत्त दिल्हीमां केन्द्रिय धारासभा चालु हती त्यारे त्यां बोम्ब नाख्या अने नासी जवाने बदले त्यां ऊभा रही गया. पकडाया पछी तेमना पर मुकदमो चाल्यो हतो. ७ ओक्टोबर १९३०ना रोज भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरुने फांसीनी सजा फरमावाई हती. १९३१मां नक्की थया मुजब २४मी मार्चे फांसी आपवानी जाहेरात थयेली. समग्र देशमां एनी चर्चा अने विरोध व्यापक बनेलां. सरकारे विरोधना डरथी एक दिवस पहेला, २३मी मार्चे, सांजे त्रणेयने अचानक फांसीए लटकावी दीधा हता.
हुसैनीवालाना अंतिम संस्कार क्यां करवामां आव्या?
2,008
{ "answer_start": [ null ], "text": [ "" ] }
८ एप्रिल १९२९ना रोज भगतसिंह अने बटुकेश्वर दत्त दिल्हीमां केन्द्रिय धारासभा चालु हती त्यारे त्यां बोम्ब नाख्या अने नासी जवाने बदले त्यां ऊभा रही गया. पकडाया पछी तेमना पर मुकदमो चाल्यो हतो. ७ ओक्टोबर १९३०ना रोज भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरुने फांसीनी सजा फरमावाई हती. १९३१मां नक्की थया मुजब २४मी मार्चे फांसी आपवानी जाहेरात थयेली. समग्र देशमां एनी चर्चा अने विरोध व्यापक बनेलां. सरकारे विरोधना डरथी एक दिवस पहेला, २३मी मार्चे, सांजे त्रणेयने अचानक फांसीए लटकावी दीधा हता.
भगतसिंह, सुखदेव अने राजगुरुने फांसी आपवाना मुद्दे देशभरमां शुं थयुं?
2,009
{ "answer_start": [ 337 ], "text": [ "चर्चा अने विरोध" ] }
८ एप्रिल १९२९ना रोज भगतसिंह अने बटुकेश्वर दत्त दिल्हीमां केन्द्रिय धारासभा चालु हती त्यारे त्यां बोम्ब नाख्या अने नासी जवाने बदले त्यां ऊभा रही गया. पकडाया पछी तेमना पर मुकदमो चाल्यो हतो. ७ ओक्टोबर १९३०ना रोज भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरुने फांसीनी सजा फरमावाई हती. १९३१मां नक्की थया मुजब २४मी मार्चे फांसी आपवानी जाहेरात थयेली. समग्र देशमां एनी चर्चा अने विरोध व्यापक बनेलां. सरकारे विरोधना डरथी एक दिवस पहेला, २३मी मार्चे, सांजे त्रणेयने अचानक फांसीए लटकावी दीधा हता.
भगतसिंह, सुखदेव अने राजगुरुने फांसी आपवानी जाहेरात क्यारे थइ?
2,010
{ "answer_start": [ 281 ], "text": [ "२४मी मार्चे" ] }
८ एप्रिल १९२९ना रोज भगतसिंह अने बटुकेश्वर दत्त दिल्हीमां केन्द्रिय धारासभा चालु हती त्यारे त्यां बोम्ब नाख्या अने नासी जवाने बदले त्यां ऊभा रही गया. पकडाया पछी तेमना पर मुकदमो चाल्यो हतो. ७ ओक्टोबर १९३०ना रोज भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरुने फांसीनी सजा फरमावाई हती. १९३१मां नक्की थया मुजब २४मी मार्चे फांसी आपवानी जाहेरात थयेली. समग्र देशमां एनी चर्चा अने विरोध व्यापक बनेलां. सरकारे विरोधना डरथी एक दिवस पहेला, २३मी मार्चे, सांजे त्रणेयने अचानक फांसीए लटकावी दीधा हता.
भगतसिंह अने बटुकेश्वर दत्तने धरपकड बाद क्यां मोकली देवामां आव्या?
2,011
{ "answer_start": [ null ], "text": [ "" ] }
“बर्माना गवर्नर लंडनमां शेखी हांके छे के तेओ बर्मामां बधु धुळमां मळी गया बादज त्यांथी निकळ्या हता, तो शुं तमे अमने पण एज वचन आपो छो? . . . तमे तमारा रेडीयो प्रसारण तथा छापाओमां बर्मामां स्थपायेली सरकारने जापानीओनी कठपुतळी तरीके ओळखावो छो? तो तमारी दिल्हीनी सरकार केवी छे? ज्यारे युद्धनी मध्यमां फ्रांस नाझीओनी सामे हारी रह्युं हतुं त्यारे श्री चर्चीले ईंगलेन्ड साथे तेना समन्वयनी दरखास्त मुकी. अने ते दरखास्त तो अलबत प्रेरित राजनितीज्ञतानो दाखलो हतो. पण ज्यारे भारतनी वात आवे छे त्यारे? नहीं नहीं! युद्ध गाळा दरम्यान बंधारणीय फेरफारो? ते बाबतमां विचारी पण न शकाय. . . आ वखतनुं ध्येय जापानीओना आव्या पहेला भारतने आञाद कराववानो तथा जो तेओ आवे तो तेमने लडत आपवा तैयार रहेवानो छे. तेओ (अंग्रेजो) नेताओने पकडी लेशे, बधा नेताओने पकडी लेशे.
जापानीओना आगमन पहेला कोने आझाद करवानो ध्येय हतो?
2,012
{ "answer_start": [ 598 ], "text": [ "भारतने" ] }
“बर्माना गवर्नर लंडनमां शेखी हांके छे के तेओ बर्मामां बधु धुळमां मळी गया बादज त्यांथी निकळ्या हता, तो शुं तमे अमने पण एज वचन आपो छो? . . . तमे तमारा रेडीयो प्रसारण तथा छापाओमां बर्मामां स्थपायेली सरकारने जापानीओनी कठपुतळी तरीके ओळखावो छो? तो तमारी दिल्हीनी सरकार केवी छे? ज्यारे युद्धनी मध्यमां फ्रांस नाझीओनी सामे हारी रह्युं हतुं त्यारे श्री चर्चीले ईंगलेन्ड साथे तेना समन्वयनी दरखास्त मुकी. अने ते दरखास्त तो अलबत प्रेरित राजनितीज्ञतानो दाखलो हतो. पण ज्यारे भारतनी वात आवे छे त्यारे? नहीं नहीं! युद्ध गाळा दरम्यान बंधारणीय फेरफारो? ते बाबतमां विचारी पण न शकाय. . . आ वखतनुं ध्येय जापानीओना आव्या पहेला भारतने आञाद कराववानो तथा जो तेओ आवे तो तेमने लडत आपवा तैयार रहेवानो छे. तेओ (अंग्रेजो) नेताओने पकडी लेशे, बधा नेताओने पकडी लेशे.
कोने लंडनमां बडाई मारी हती के तेणे देशनी तमाम धूळ मेळवीने ज बर्मा छोडी दीधुं छे?
2,013
{ "answer_start": [ 1 ], "text": [ "बर्माना गवर्नर" ] }
“बर्माना गवर्नर लंडनमां शेखी हांके छे के तेओ बर्मामां बधु धुळमां मळी गया बादज त्यांथी निकळ्या हता, तो शुं तमे अमने पण एज वचन आपो छो? . . . तमे तमारा रेडीयो प्रसारण तथा छापाओमां बर्मामां स्थपायेली सरकारने जापानीओनी कठपुतळी तरीके ओळखावो छो? तो तमारी दिल्हीनी सरकार केवी छे? ज्यारे युद्धनी मध्यमां फ्रांस नाझीओनी सामे हारी रह्युं हतुं त्यारे श्री चर्चीले ईंगलेन्ड साथे तेना समन्वयनी दरखास्त मुकी. अने ते दरखास्त तो अलबत प्रेरित राजनितीज्ञतानो दाखलो हतो. पण ज्यारे भारतनी वात आवे छे त्यारे? नहीं नहीं! युद्ध गाळा दरम्यान बंधारणीय फेरफारो? ते बाबतमां विचारी पण न शकाय. . . आ वखतनुं ध्येय जापानीओना आव्या पहेला भारतने आञाद कराववानो तथा जो तेओ आवे तो तेमने लडत आपवा तैयार रहेवानो छे. तेओ (अंग्रेजो) नेताओने पकडी लेशे, बधा नेताओने पकडी लेशे.
अहिंसानी मर्यादामां, महत्तम शक्य हद सुधी प्रयास करवो ए कोनी फरज रहेशे?
2,014
{ "answer_start": [ null ], "text": [ "" ] }
“बर्माना गवर्नर लंडनमां शेखी हांके छे के तेओ बर्मामां बधु धुळमां मळी गया बादज त्यांथी निकळ्या हता, तो शुं तमे अमने पण एज वचन आपो छो? . . . तमे तमारा रेडीयो प्रसारण तथा छापाओमां बर्मामां स्थपायेली सरकारने जापानीओनी कठपुतळी तरीके ओळखावो छो? तो तमारी दिल्हीनी सरकार केवी छे? ज्यारे युद्धनी मध्यमां फ्रांस नाझीओनी सामे हारी रह्युं हतुं त्यारे श्री चर्चीले ईंगलेन्ड साथे तेना समन्वयनी दरखास्त मुकी. अने ते दरखास्त तो अलबत प्रेरित राजनितीज्ञतानो दाखलो हतो. पण ज्यारे भारतनी वात आवे छे त्यारे? नहीं नहीं! युद्ध गाळा दरम्यान बंधारणीय फेरफारो? ते बाबतमां विचारी पण न शकाय. . . आ वखतनुं ध्येय जापानीओना आव्या पहेला भारतने आञाद कराववानो तथा जो तेओ आवे तो तेमने लडत आपवा तैयार रहेवानो छे. तेओ (अंग्रेजो) नेताओने पकडी लेशे, बधा नेताओने पकडी लेशे.
कोनी मर्यादामां, महत्तम शक्य हद सुधी प्रयास करवो ए दरेक भारतीयनी फरज रहेशे?
2,015
{ "answer_start": [ null ], "text": [ "" ] }
“बर्माना गवर्नर लंडनमां शेखी हांके छे के तेओ बर्मामां बधु धुळमां मळी गया बादज त्यांथी निकळ्या हता, तो शुं तमे अमने पण एज वचन आपो छो? . . . तमे तमारा रेडीयो प्रसारण तथा छापाओमां बर्मामां स्थपायेली सरकारने जापानीओनी कठपुतळी तरीके ओळखावो छो? तो तमारी दिल्हीनी सरकार केवी छे? ज्यारे युद्धनी मध्यमां फ्रांस नाझीओनी सामे हारी रह्युं हतुं त्यारे श्री चर्चीले ईंगलेन्ड साथे तेना समन्वयनी दरखास्त मुकी. अने ते दरखास्त तो अलबत प्रेरित राजनितीज्ञतानो दाखलो हतो. पण ज्यारे भारतनी वात आवे छे त्यारे? नहीं नहीं! युद्ध गाळा दरम्यान बंधारणीय फेरफारो? ते बाबतमां विचारी पण न शकाय. . . आ वखतनुं ध्येय जापानीओना आव्या पहेला भारतने आञाद कराववानो तथा जो तेओ आवे तो तेमने लडत आपवा तैयार रहेवानो छे. तेओ (अंग्रेजो) नेताओने पकडी लेशे, बधा नेताओने पकडी लेशे.
ज्यारे युद्धना मध्यमां फ्रान्स नाझीओ सामे हारी रह्युं हतुं, त्यारे कोणे इंग्लेन्ड साथे तेना संकलननी दरखास्त करी हती?
2,016
{ "answer_start": [ 337 ], "text": [ "श्री चर्चीले" ] }