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599
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---|---|---|---|---|---|
غزل | 5 | 0 | کردهام توبه به دست صنم باده فروش | حافظ | 569 |
غزل | 6 | 1 | که دگر می نخورم بی رخ بزم آرایی | حافظ | 569 |
غزل | 7 | 0 | نرگس ار لاف زد از شیوه چشم تو مرنج | حافظ | 569 |
غزل | 8 | 1 | نروند اهل نظر از پی نابینایی | حافظ | 569 |
غزل | 9 | 0 | شرح این قصه مگر شمع برآرد به زبان | حافظ | 569 |
غزل | 10 | 1 | ور نه پروانه ندارد به سخن پروایی | حافظ | 569 |
غزل | 11 | 0 | جویها بستهام از دیده به دامان که مگر | حافظ | 569 |
غزل | 12 | 1 | در کنارم بنشانند سهی بالایی | حافظ | 569 |
غزل | 13 | 0 | کشتی باده بیاور که مرا بی رخ دوست | حافظ | 569 |
غزل | 14 | 1 | گشت هر گوشه چشم از غم دل دریایی | حافظ | 569 |
غزل | 15 | 0 | سخن غیر مگو با من معشوقه پرست | حافظ | 569 |
غزل | 16 | 1 | کز وی و جام میام نیست به کس پروایی | حافظ | 569 |
غزل | 17 | 0 | این حدیثم چه خوش آمد که سحرگه میگفت | حافظ | 569 |
غزل | 18 | 1 | بر در میکدهای با دف و نی ترسایی | حافظ | 569 |
غزل | 19 | 0 | گر مسلمانی از این است که حافظ دارد | حافظ | 569 |
غزل | 20 | 1 | آه اگر از پی امروز بود فردایی | حافظ | 569 |
غزل | 1 | 0 | به چشم کردهام ابروی ماه سیمایی | حافظ | 570 |
غزل | 2 | 1 | خیال سبزخطی نقش بستهام جایی | حافظ | 570 |
غزل | 3 | 0 | امید هست که منشور عشقبازی من | حافظ | 570 |
غزل | 4 | 1 | از آن کمانچه ابرو رسد به طغرایی | حافظ | 570 |
غزل | 5 | 0 | سرم ز دست بشد چشم از انتظار بسوخت | حافظ | 570 |
غزل | 6 | 1 | در آرزوی سر و چشم مجلس آرایی | حافظ | 570 |
غزل | 7 | 0 | مکدر است دل آتش به خرقه خواهم زد | حافظ | 570 |
غزل | 8 | 1 | بیا ببین که کرا میکند تماشایی | حافظ | 570 |
غزل | 9 | 0 | به روز واقعه تابوت ما ز سرو کنید | حافظ | 570 |
غزل | 10 | 1 | که میرویم به داغ بلندبالایی | حافظ | 570 |
غزل | 11 | 0 | زمام دل به کسی دادهام من درویش | حافظ | 570 |
غزل | 12 | 1 | که نیستش به کس از تاج و تخت پروایی | حافظ | 570 |
غزل | 13 | 0 | در آن مقام که خوبان ز غمزه تیغ زنند | حافظ | 570 |
غزل | 14 | 1 | عجب مدار سری اوفتاده در پایی | حافظ | 570 |
غزل | 15 | 0 | مرا که از رخ او ماه در شبستان است | حافظ | 570 |
غزل | 16 | 1 | کجا بود به فروغ ستاره پروایی | حافظ | 570 |
غزل | 17 | 0 | فراق و وصل چه باشد رضای دوست طلب | حافظ | 570 |
غزل | 18 | 1 | که حیف باشد از او غیر او تمنایی | حافظ | 570 |
غزل | 19 | 0 | درر ز شوق برآرند ماهیان به نثار | حافظ | 570 |
غزل | 20 | 1 | اگر سفینه حافظ رسد به دریایی | حافظ | 570 |
غزل | 1 | 0 | سلامی چو بوی خوش آشنایی | حافظ | 571 |
غزل | 2 | 1 | بدان مردم دیده روشنایی | حافظ | 571 |
غزل | 3 | 0 | درودی چو نور دل پارسایان | حافظ | 571 |
غزل | 4 | 1 | بدان شمع خلوتگه پارسایی | حافظ | 571 |
غزل | 5 | 0 | نمیبینم از همدمان هیچ بر جای | حافظ | 571 |
غزل | 6 | 1 | دلم خون شد از غصه ساقی کجایی | حافظ | 571 |
غزل | 7 | 0 | ز کوی مغان رخ مگردان که آن جا | حافظ | 571 |
غزل | 8 | 1 | فروشند مفتاح مشکل گشایی | حافظ | 571 |
غزل | 9 | 0 | عروس جهان گر چه در حد حسن است | حافظ | 571 |
غزل | 10 | 1 | ز حد میبرد شیوه بیوفایی | حافظ | 571 |
غزل | 11 | 0 | دل خسته من گرش همتی هست | حافظ | 571 |
غزل | 12 | 1 | نخواهد ز سنگین دلان مومیایی | حافظ | 571 |
غزل | 13 | 0 | می صوفی افکن کجا میفروشند | حافظ | 571 |
غزل | 14 | 1 | که در تابم از دست زهد ریایی | حافظ | 571 |
غزل | 15 | 0 | رفیقان چنان عهد صحبت شکستند | حافظ | 571 |
غزل | 16 | 1 | که گویی نبودهست خود آشنایی | حافظ | 571 |
غزل | 17 | 0 | مرا گر تو بگذاری ای نفس طامع | حافظ | 571 |
غزل | 18 | 1 | بسی پادشایی کنم در گدایی | حافظ | 571 |
غزل | 19 | 0 | بیاموزمت کیمیای سعادت | حافظ | 571 |
غزل | 20 | 1 | ز همصحبت بد جدایی جدایی | حافظ | 571 |
غزل | 21 | 0 | مکن حافظ از جور دوران شکایت | حافظ | 571 |
غزل | 22 | 1 | چه دانی تو ای بنده کار خدایی | حافظ | 571 |
غزل | 1 | 0 | ای پادشه خوبان داد از غم تنهایی | حافظ | 572 |
غزل | 2 | 1 | دل بی تو به جان آمد وقت است که بازآیی | حافظ | 572 |
غزل | 3 | 0 | دایم گل این بستان شاداب نمیماند | حافظ | 572 |
غزل | 4 | 1 | دریاب ضعیفان را در وقت توانایی | حافظ | 572 |
غزل | 5 | 0 | دیشب گله زلفش با باد همیکردم | حافظ | 572 |
غزل | 6 | 1 | گفتا غلطی بگذر زین فکرت سودایی | حافظ | 572 |
غزل | 7 | 0 | صد باد صبا این جا با سلسله میرقصند | حافظ | 572 |
غزل | 8 | 1 | این است حریف ای دل تا باد نپیمایی | حافظ | 572 |
غزل | 9 | 0 | مشتاقی و مهجوری دور از تو چنانم کرد | حافظ | 572 |
غزل | 10 | 1 | کز دست بخواهد شد پایاب شکیبایی | حافظ | 572 |
غزل | 11 | 0 | یا رب به که شاید گفت این نکته که در عالم | حافظ | 572 |
غزل | 12 | 1 | رخساره به کس ننمود آن شاهد هرجایی | حافظ | 572 |
غزل | 13 | 0 | ساقی چمن گل را بی روی تو رنگی نیست | حافظ | 572 |
غزل | 14 | 1 | شمشاد خرامان کن تا باغ بیارایی | حافظ | 572 |
غزل | 15 | 0 | ای درد توام درمان در بستر ناکامی | حافظ | 572 |
غزل | 16 | 1 | و ای یاد توام مونس در گوشه تنهایی | حافظ | 572 |
غزل | 17 | 0 | در دایره قسمت ما نقطه تسلیمیم | حافظ | 572 |
غزل | 18 | 1 | لطف آن چه تو اندیشی حکم آن چه تو فرمایی | حافظ | 572 |
غزل | 19 | 0 | فکر خود و رای خود در عالم رندی نیست | حافظ | 572 |
غزل | 20 | 1 | کفر است در این مذهب خودبینی و خودرایی | حافظ | 572 |
غزل | 21 | 0 | زین دایره مینا خونین جگرم می ده | حافظ | 572 |
غزل | 22 | 1 | تا حل کنم این مشکل در ساغر مینایی | حافظ | 572 |
غزل | 23 | 0 | حافظ شب هجران شد بوی خوش وصل آمد | حافظ | 572 |
غزل | 24 | 1 | شادیت مبارک باد ای عاشق شیدایی | حافظ | 572 |
غزل | 1 | 0 | ای دل گر از آن چاه زنخدان به درآیی | حافظ | 573 |
غزل | 2 | 1 | هر جا که روی زود پشیمان به درآیی | حافظ | 573 |
غزل | 3 | 0 | هش دار که گر وسوسه عقل کنی گوش | حافظ | 573 |
غزل | 4 | 1 | آدم صفت از روضه رضوان به درآیی | حافظ | 573 |
غزل | 5 | 0 | شاید که به آبی فلکت دست نگیرد | حافظ | 573 |
غزل | 6 | 1 | گر تشنه لب از چشمه حیوان به درآیی | حافظ | 573 |
غزل | 7 | 0 | جان میدهم از حسرت دیدار تو چون صبح | حافظ | 573 |
غزل | 8 | 1 | باشد که چو خورشید درخشان به درآیی | حافظ | 573 |
غزل | 9 | 0 | چندان چو صبا بر تو گمارم دم همت | حافظ | 573 |
غزل | 10 | 1 | کز غنچه چو گل خرم و خندان به درآیی | حافظ | 573 |
غزل | 11 | 0 | در تیره شب هجر تو جانم به لب آمد | حافظ | 573 |
غزل | 12 | 1 | وقت است که همچون مه تابان به درآیی | حافظ | 573 |
غزل | 13 | 0 | بر رهگذرت بستهام از دیده دو صد جوی | حافظ | 573 |
غزل | 14 | 1 | تا بو که تو چون سرو خرامان به درآیی | حافظ | 573 |
غزل | 15 | 0 | حافظ مکن اندیشه که آن یوسف مه رو | حافظ | 573 |
غزل | 16 | 1 | بازآید و از کلبه احزان به درآیی | حافظ | 573 |
غزل | 1 | 0 | می خواه و گل افشان کن از دهر چه میجویی | حافظ | 574 |
غزل | 2 | 1 | این گفت سحرگه گل بلبل تو چه میگویی | حافظ | 574 |