context
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2.02k
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1996 सुधीमां तो तेओ 100थी वधु देशोमां 517 मिशन चलावतां हतां. वर्षो वीततां गयां तेम मधर टेरेसाना मिशनरिझ ओफ चॅरिटि बारमांथी हजारो बन्यां अने विश्वभरमां 450 केन्द्रोमां "गरीबमां गरीब" लोकोनी सेवामां परोवायां. युनाईटेड स्टेट्समां पहेलुं मिशनरिझ ओफ चॅरिटि होम दक्षिण ब्रोन्कस, न्यू योर्कमां स्थपायुं; 1984 सुधीमां तो आ क्रम देशभरमां 19 आवां चॅरिटिमां परिणम्यो. धर्मादा दानमां मळता रूपियाना उपयोग अंगे पण टीका/निंदा करवामां आवी हती. क्रिस्टोफर हिचेन्स अने जर्मन सामयिक स्टर्न ना मत मुजब मधर टेरेसा दानमां मळता नाणानो उपयोग गरीबी निर्मूलन माटे के पछी पोतानां रुग्णालयोनी स्थिति सुधारवा माटे नहीं पण नवी कोन्वेन्टो अने पोतानुं मिशनरी कार्य आगळ धपाववा माटे करता हतां. वधुमां, अमुक स्रोतो तरफथी मळता दानना स्वीकार करवा बाबते पण टीका करवामां आवी हती. हेईतीना निरंकुश अने भ्रष्ट डुवालिएर परिवार पासेथी मधर टेरेसाए दान स्वीकार्युं हतुं अने तेमनी जाहेरमां प्रशंसा पण करी हती. | मधर टेरेसाए विश्वभरना केटला केन्द्रोमां "गरीबमां गरीब"नी सेवा करी हती? | 100 | {
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150
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"450"
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1997मां मधर टेरेसाना अवसान बाद, पवित्र बिशपपीठे संतत्व तरफ बीजुं पगलुं, एटले के मुकितनी प्रक्रिया शरू करी. आ प्रक्रिया माटे मधर टेरेसानी मध्यस्थिथी करवामां आवेला कोईक चमत्कारनुं दस्तावेजीकरण आवश्यक छे. वर्ष 2002मां, वेटिकने एक भारतीय स्त्री, मोनिका बेसराना पेटनी गांठ, मधर टेरेसानी तसवीरवाळुं लोकेट पहेर्या पछी दूर थयानो चमत्कार नोंध्यो छे. मधर टेरेसानी तसवीरमांथी एक प्रकाशनो पट्टो नीकळ्यो, अने तेनाथी केन्सरग्रस्त गांठ मटी गई एवुं मोनिका बेसराए कह्युं हतुं. बेसरानो केटलोक तबीबी स्टाफ अने शरूआतमां बेसराना पतिए पण तेमनी गांठ परंपरागत तबीबी उपचारथी दूर थई होवानो दावो कर्यो हतो. आ दावा सामे मोनिकाना तबीबी रेकोर्डोमां मोजूद सोनोग्राम, प्रिस्क्रीब्शन्स अने सामान्य डॉकटरनी नोंधो परथी आ चमत्कार हतो के नहीं ते साबित करी शकाय तेवो पण एक दष्टिकोण हतो. आ तमाम रेकोर्ड मिशनरिझ ओफ चॅरिटिना सिस्टर बेट्टा पासे छे तेवो मोनिकानो दावो हतो. सिस्टर बेट्टाए आ अंगे कोई पण निवेदन आपवानी ना पाडी हती. जे होस्पिटलमां मोनिकानी तबीबी सारवार थई रही हती ते बालुरघाट होस्पिटलना अधिकारीओना कहेवा मुजब आ गांठ दूर थवानी बाबतने चमत्कार तरीके घोषित करवा माटे तेमना पर कॅथेलिक संगठन दबाव कर्यो हतो. | कोने मधर टेरेसानी मुक्ति अने संतत्वनी प्रक्रिया जोवा माटे बोलाववामां आव्या हता? | 101 | {
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null
],
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""
]
} |
1997मां मधर टेरेसाना अवसान बाद, पवित्र बिशपपीठे संतत्व तरफ बीजुं पगलुं, एटले के मुकितनी प्रक्रिया शरू करी. आ प्रक्रिया माटे मधर टेरेसानी मध्यस्थिथी करवामां आवेला कोईक चमत्कारनुं दस्तावेजीकरण आवश्यक छे. वर्ष 2002मां, वेटिकने एक भारतीय स्त्री, मोनिका बेसराना पेटनी गांठ, मधर टेरेसानी तसवीरवाळुं लोकेट पहेर्या पछी दूर थयानो चमत्कार नोंध्यो छे. मधर टेरेसानी तसवीरमांथी एक प्रकाशनो पट्टो नीकळ्यो, अने तेनाथी केन्सरग्रस्त गांठ मटी गई एवुं मोनिका बेसराए कह्युं हतुं. बेसरानो केटलोक तबीबी स्टाफ अने शरूआतमां बेसराना पतिए पण तेमनी गांठ परंपरागत तबीबी उपचारथी दूर थई होवानो दावो कर्यो हतो. आ दावा सामे मोनिकाना तबीबी रेकोर्डोमां मोजूद सोनोग्राम, प्रिस्क्रीब्शन्स अने सामान्य डॉकटरनी नोंधो परथी आ चमत्कार हतो के नहीं ते साबित करी शकाय तेवो पण एक दष्टिकोण हतो. आ तमाम रेकोर्ड मिशनरिझ ओफ चॅरिटिना सिस्टर बेट्टा पासे छे तेवो मोनिकानो दावो हतो. सिस्टर बेट्टाए आ अंगे कोई पण निवेदन आपवानी ना पाडी हती. जे होस्पिटलमां मोनिकानी तबीबी सारवार थई रही हती ते बालुरघाट होस्पिटलना अधिकारीओना कहेवा मुजब आ गांठ दूर थवानी बाबतने चमत्कार तरीके घोषित करवा माटे तेमना पर कॅथेलिक संगठन दबाव कर्यो हतो. | कया वर्षमां मधर टेरेसानुं अवसान थयुं हतुं? | 102 | {
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0
],
"text": [
"1997मां"
]
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1997मां मधर टेरेसाना अवसान बाद, पवित्र बिशपपीठे संतत्व तरफ बीजुं पगलुं, एटले के मुकितनी प्रक्रिया शरू करी. आ प्रक्रिया माटे मधर टेरेसानी मध्यस्थिथी करवामां आवेला कोईक चमत्कारनुं दस्तावेजीकरण आवश्यक छे. वर्ष 2002मां, वेटिकने एक भारतीय स्त्री, मोनिका बेसराना पेटनी गांठ, मधर टेरेसानी तसवीरवाळुं लोकेट पहेर्या पछी दूर थयानो चमत्कार नोंध्यो छे. मधर टेरेसानी तसवीरमांथी एक प्रकाशनो पट्टो नीकळ्यो, अने तेनाथी केन्सरग्रस्त गांठ मटी गई एवुं मोनिका बेसराए कह्युं हतुं. बेसरानो केटलोक तबीबी स्टाफ अने शरूआतमां बेसराना पतिए पण तेमनी गांठ परंपरागत तबीबी उपचारथी दूर थई होवानो दावो कर्यो हतो. आ दावा सामे मोनिकाना तबीबी रेकोर्डोमां मोजूद सोनोग्राम, प्रिस्क्रीब्शन्स अने सामान्य डॉकटरनी नोंधो परथी आ चमत्कार हतो के नहीं ते साबित करी शकाय तेवो पण एक दष्टिकोण हतो. आ तमाम रेकोर्ड मिशनरिझ ओफ चॅरिटिना सिस्टर बेट्टा पासे छे तेवो मोनिकानो दावो हतो. सिस्टर बेट्टाए आ अंगे कोई पण निवेदन आपवानी ना पाडी हती. जे होस्पिटलमां मोनिकानी तबीबी सारवार थई रही हती ते बालुरघाट होस्पिटलना अधिकारीओना कहेवा मुजब आ गांठ दूर थवानी बाबतने चमत्कार तरीके घोषित करवा माटे तेमना पर कॅथेलिक संगठन दबाव कर्यो हतो. | मोनिका कई होस्पिटलमां तबीबी सारवार लई रह्या हता? | 103 | {
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929
],
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"बालुरघाट"
]
} |
1997मां मधर टेरेसाना अवसान बाद, पवित्र बिशपपीठे संतत्व तरफ बीजुं पगलुं, एटले के मुकितनी प्रक्रिया शरू करी. आ प्रक्रिया माटे मधर टेरेसानी मध्यस्थिथी करवामां आवेला कोईक चमत्कारनुं दस्तावेजीकरण आवश्यक छे. वर्ष 2002मां, वेटिकने एक भारतीय स्त्री, मोनिका बेसराना पेटनी गांठ, मधर टेरेसानी तसवीरवाळुं लोकेट पहेर्या पछी दूर थयानो चमत्कार नोंध्यो छे. मधर टेरेसानी तसवीरमांथी एक प्रकाशनो पट्टो नीकळ्यो, अने तेनाथी केन्सरग्रस्त गांठ मटी गई एवुं मोनिका बेसराए कह्युं हतुं. बेसरानो केटलोक तबीबी स्टाफ अने शरूआतमां बेसराना पतिए पण तेमनी गांठ परंपरागत तबीबी उपचारथी दूर थई होवानो दावो कर्यो हतो. आ दावा सामे मोनिकाना तबीबी रेकोर्डोमां मोजूद सोनोग्राम, प्रिस्क्रीब्शन्स अने सामान्य डॉकटरनी नोंधो परथी आ चमत्कार हतो के नहीं ते साबित करी शकाय तेवो पण एक दष्टिकोण हतो. आ तमाम रेकोर्ड मिशनरिझ ओफ चॅरिटिना सिस्टर बेट्टा पासे छे तेवो मोनिकानो दावो हतो. सिस्टर बेट्टाए आ अंगे कोई पण निवेदन आपवानी ना पाडी हती. जे होस्पिटलमां मोनिकानी तबीबी सारवार थई रही हती ते बालुरघाट होस्पिटलना अधिकारीओना कहेवा मुजब आ गांठ दूर थवानी बाबतने चमत्कार तरीके घोषित करवा माटे तेमना पर कॅथेलिक संगठन दबाव कर्यो हतो. | बालुरघाट होस्पिटलना अधिकारीओना जणाव्या अनुसार, कई संस्थाए मोनिकानी गांठ दूर करवाने चमत्कार जाहेर करवा माटे दबाण कर्युं हतुं? | 104 | {
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1034
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"कॅथेलिक"
]
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1997मां मधर टेरेसाना अवसान बाद, पवित्र बिशपपीठे संतत्व तरफ बीजुं पगलुं, एटले के मुकितनी प्रक्रिया शरू करी. आ प्रक्रिया माटे मधर टेरेसानी मध्यस्थिथी करवामां आवेला कोईक चमत्कारनुं दस्तावेजीकरण आवश्यक छे. वर्ष 2002मां, वेटिकने एक भारतीय स्त्री, मोनिका बेसराना पेटनी गांठ, मधर टेरेसानी तसवीरवाळुं लोकेट पहेर्या पछी दूर थयानो चमत्कार नोंध्यो छे. मधर टेरेसानी तसवीरमांथी एक प्रकाशनो पट्टो नीकळ्यो, अने तेनाथी केन्सरग्रस्त गांठ मटी गई एवुं मोनिका बेसराए कह्युं हतुं. बेसरानो केटलोक तबीबी स्टाफ अने शरूआतमां बेसराना पतिए पण तेमनी गांठ परंपरागत तबीबी उपचारथी दूर थई होवानो दावो कर्यो हतो. आ दावा सामे मोनिकाना तबीबी रेकोर्डोमां मोजूद सोनोग्राम, प्रिस्क्रीब्शन्स अने सामान्य डॉकटरनी नोंधो परथी आ चमत्कार हतो के नहीं ते साबित करी शकाय तेवो पण एक दष्टिकोण हतो. आ तमाम रेकोर्ड मिशनरिझ ओफ चॅरिटिना सिस्टर बेट्टा पासे छे तेवो मोनिकानो दावो हतो. सिस्टर बेट्टाए आ अंगे कोई पण निवेदन आपवानी ना पाडी हती. जे होस्पिटलमां मोनिकानी तबीबी सारवार थई रही हती ते बालुरघाट होस्पिटलना अधिकारीओना कहेवा मुजब आ गांठ दूर थवानी बाबतने चमत्कार तरीके घोषित करवा माटे तेमना पर कॅथेलिक संगठन दबाव कर्यो हतो. | कया वर्षमां वेटिकने मधर टेरेसाना चित्र साथेना लोकेट पहेर्या बाद भारतीय महिला मोनिका बेसराना पेटनी गांठने दूर करवानी नोंध करी हती? | 105 | {
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205
],
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"2002मां"
]
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1997मां मधर टेरेसाना अवसान बाद, पवित्र बिशपपीठे संतत्व तरफ बीजुं पगलुं, एटले के मुकितनी प्रक्रिया शरू करी. आ प्रक्रिया माटे मधर टेरेसानी मध्यस्थिथी करवामां आवेला कोईक चमत्कारनुं दस्तावेजीकरण आवश्यक छे. वर्ष 2002मां, वेटिकने एक भारतीय स्त्री, मोनिका बेसराना पेटनी गांठ, मधर टेरेसानी तसवीरवाळुं लोकेट पहेर्या पछी दूर थयानो चमत्कार नोंध्यो छे. मधर टेरेसानी तसवीरमांथी एक प्रकाशनो पट्टो नीकळ्यो, अने तेनाथी केन्सरग्रस्त गांठ मटी गई एवुं मोनिका बेसराए कह्युं हतुं. बेसरानो केटलोक तबीबी स्टाफ अने शरूआतमां बेसराना पतिए पण तेमनी गांठ परंपरागत तबीबी उपचारथी दूर थई होवानो दावो कर्यो हतो. आ दावा सामे मोनिकाना तबीबी रेकोर्डोमां मोजूद सोनोग्राम, प्रिस्क्रीब्शन्स अने सामान्य डॉकटरनी नोंधो परथी आ चमत्कार हतो के नहीं ते साबित करी शकाय तेवो पण एक दष्टिकोण हतो. आ तमाम रेकोर्ड मिशनरिझ ओफ चॅरिटिना सिस्टर बेट्टा पासे छे तेवो मोनिकानो दावो हतो. सिस्टर बेट्टाए आ अंगे कोई पण निवेदन आपवानी ना पाडी हती. जे होस्पिटलमां मोनिकानी तबीबी सारवार थई रही हती ते बालुरघाट होस्पिटलना अधिकारीओना कहेवा मुजब आ गांठ दूर थवानी बाबतने चमत्कार तरीके घोषित करवा माटे तेमना पर कॅथेलिक संगठन दबाव कर्यो हतो. | 1997 मां मधर टेरेसाना अवसान पछी कोणे संतत्व तरफनुं बीजुं पगलुं शरू कर्युं? | 106 | {
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39
],
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"बिशपपीठे"
]
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1997मां मधर टेरेसाना अवसान बाद, पवित्र बिशपपीठे संतत्व तरफ बीजुं पगलुं, एटले के मुकितनी प्रक्रिया शरू करी. आ प्रक्रिया माटे मधर टेरेसानी मध्यस्थिथी करवामां आवेला कोईक चमत्कारनुं दस्तावेजीकरण आवश्यक छे. वर्ष 2002मां, वेटिकने एक भारतीय स्त्री, मोनिका बेसराना पेटनी गांठ, मधर टेरेसानी तसवीरवाळुं लोकेट पहेर्या पछी दूर थयानो चमत्कार नोंध्यो छे. मधर टेरेसानी तसवीरमांथी एक प्रकाशनो पट्टो नीकळ्यो, अने तेनाथी केन्सरग्रस्त गांठ मटी गई एवुं मोनिका बेसराए कह्युं हतुं. बेसरानो केटलोक तबीबी स्टाफ अने शरूआतमां बेसराना पतिए पण तेमनी गांठ परंपरागत तबीबी उपचारथी दूर थई होवानो दावो कर्यो हतो. आ दावा सामे मोनिकाना तबीबी रेकोर्डोमां मोजूद सोनोग्राम, प्रिस्क्रीब्शन्स अने सामान्य डॉकटरनी नोंधो परथी आ चमत्कार हतो के नहीं ते साबित करी शकाय तेवो पण एक दष्टिकोण हतो. आ तमाम रेकोर्ड मिशनरिझ ओफ चॅरिटिना सिस्टर बेट्टा पासे छे तेवो मोनिकानो दावो हतो. सिस्टर बेट्टाए आ अंगे कोई पण निवेदन आपवानी ना पाडी हती. जे होस्पिटलमां मोनिकानी तबीबी सारवार थई रही हती ते बालुरघाट होस्पिटलना अधिकारीओना कहेवा मुजब आ गांठ दूर थवानी बाबतने चमत्कार तरीके घोषित करवा माटे तेमना पर कॅथेलिक संगठन दबाव कर्यो हतो. | बेसराना केटलाक तबीबी स्टाफ अने शरूआतमां तेना पतिना दावा मुजब कई सारवारनी मददथी बेसरानी गांठ दूर करवामां आवी हती? | 107 | {
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523
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"परंपरागत तबीबी"
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1997मां मधर टेरेसाना अवसान बाद, पवित्र बिशपपीठे संतत्व तरफ बीजुं पगलुं, एटले के मुकितनी प्रक्रिया शरू करी. आ प्रक्रिया माटे मधर टेरेसानी मध्यस्थिथी करवामां आवेला कोईक चमत्कारनुं दस्तावेजीकरण आवश्यक छे. वर्ष 2002मां, वेटिकने एक भारतीय स्त्री, मोनिका बेसराना पेटनी गांठ, मधर टेरेसानी तसवीरवाळुं लोकेट पहेर्या पछी दूर थयानो चमत्कार नोंध्यो छे. मधर टेरेसानी तसवीरमांथी एक प्रकाशनो पट्टो नीकळ्यो, अने तेनाथी केन्सरग्रस्त गांठ मटी गई एवुं मोनिका बेसराए कह्युं हतुं. बेसरानो केटलोक तबीबी स्टाफ अने शरूआतमां बेसराना पतिए पण तेमनी गांठ परंपरागत तबीबी उपचारथी दूर थई होवानो दावो कर्यो हतो. आ दावा सामे मोनिकाना तबीबी रेकोर्डोमां मोजूद सोनोग्राम, प्रिस्क्रीब्शन्स अने सामान्य डॉकटरनी नोंधो परथी आ चमत्कार हतो के नहीं ते साबित करी शकाय तेवो पण एक दष्टिकोण हतो. आ तमाम रेकोर्ड मिशनरिझ ओफ चॅरिटिना सिस्टर बेट्टा पासे छे तेवो मोनिकानो दावो हतो. सिस्टर बेट्टाए आ अंगे कोई पण निवेदन आपवानी ना पाडी हती. जे होस्पिटलमां मोनिकानी तबीबी सारवार थई रही हती ते बालुरघाट होस्पिटलना अधिकारीओना कहेवा मुजब आ गांठ दूर थवानी बाबतने चमत्कार तरीके घोषित करवा माटे तेमना पर कॅथेलिक संगठन दबाव कर्यो हतो. | 2002 मां, वेटिकने मधर टेरेसाना चित्र साथेना लोकेट पहेर्या बाद कई भारतीय महिलाना पेटनी गांठने दूर करवानी नोंध करी हती? | 108 | {
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240
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"text": [
"मोनिका बेसराना"
]
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1997मां मधर टेरेसाना अवसान बाद, पवित्र बिशपपीठे संतत्व तरफ बीजुं पगलुं, एटले के मुकितनी प्रक्रिया शरू करी. आ प्रक्रिया माटे मधर टेरेसानी मध्यस्थिथी करवामां आवेला कोईक चमत्कारनुं दस्तावेजीकरण आवश्यक छे. वर्ष 2002मां, वेटिकने एक भारतीय स्त्री, मोनिका बेसराना पेटनी गांठ, मधर टेरेसानी तसवीरवाळुं लोकेट पहेर्या पछी दूर थयानो चमत्कार नोंध्यो छे. मधर टेरेसानी तसवीरमांथी एक प्रकाशनो पट्टो नीकळ्यो, अने तेनाथी केन्सरग्रस्त गांठ मटी गई एवुं मोनिका बेसराए कह्युं हतुं. बेसरानो केटलोक तबीबी स्टाफ अने शरूआतमां बेसराना पतिए पण तेमनी गांठ परंपरागत तबीबी उपचारथी दूर थई होवानो दावो कर्यो हतो. आ दावा सामे मोनिकाना तबीबी रेकोर्डोमां मोजूद सोनोग्राम, प्रिस्क्रीब्शन्स अने सामान्य डॉकटरनी नोंधो परथी आ चमत्कार हतो के नहीं ते साबित करी शकाय तेवो पण एक दष्टिकोण हतो. आ तमाम रेकोर्ड मिशनरिझ ओफ चॅरिटिना सिस्टर बेट्टा पासे छे तेवो मोनिकानो दावो हतो. सिस्टर बेट्टाए आ अंगे कोई पण निवेदन आपवानी ना पाडी हती. जे होस्पिटलमां मोनिकानी तबीबी सारवार थई रही हती ते बालुरघाट होस्पिटलना अधिकारीओना कहेवा मुजब आ गांठ दूर थवानी बाबतने चमत्कार तरीके घोषित करवा माटे तेमना पर कॅथेलिक संगठन दबाव कर्यो हतो. | वेटिकनए" कोनी भूमिकाने दूर करी हती? | 109 | {
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null
],
"text": [
""
]
} |
1997मां मधर टेरेसाना अवसान बाद, पवित्र बिशपपीठे संतत्व तरफ बीजुं पगलुं, एटले के मुकितनी प्रक्रिया शरू करी. आ प्रक्रिया माटे मधर टेरेसानी मध्यस्थिथी करवामां आवेला कोईक चमत्कारनुं दस्तावेजीकरण आवश्यक छे. वर्ष 2002मां, वेटिकने एक भारतीय स्त्री, मोनिका बेसराना पेटनी गांठ, मधर टेरेसानी तसवीरवाळुं लोकेट पहेर्या पछी दूर थयानो चमत्कार नोंध्यो छे. मधर टेरेसानी तसवीरमांथी एक प्रकाशनो पट्टो नीकळ्यो, अने तेनाथी केन्सरग्रस्त गांठ मटी गई एवुं मोनिका बेसराए कह्युं हतुं. बेसरानो केटलोक तबीबी स्टाफ अने शरूआतमां बेसराना पतिए पण तेमनी गांठ परंपरागत तबीबी उपचारथी दूर थई होवानो दावो कर्यो हतो. आ दावा सामे मोनिकाना तबीबी रेकोर्डोमां मोजूद सोनोग्राम, प्रिस्क्रीब्शन्स अने सामान्य डॉकटरनी नोंधो परथी आ चमत्कार हतो के नहीं ते साबित करी शकाय तेवो पण एक दष्टिकोण हतो. आ तमाम रेकोर्ड मिशनरिझ ओफ चॅरिटिना सिस्टर बेट्टा पासे छे तेवो मोनिकानो दावो हतो. सिस्टर बेट्टाए आ अंगे कोई पण निवेदन आपवानी ना पाडी हती. जे होस्पिटलमां मोनिकानी तबीबी सारवार थई रही हती ते बालुरघाट होस्पिटलना अधिकारीओना कहेवा मुजब आ गांठ दूर थवानी बाबतने चमत्कार तरीके घोषित करवा माटे तेमना पर कॅथेलिक संगठन दबाव कर्यो हतो. | क्रिस्टोफर हिचेन्सने कोनी मुक्ति अने संतत्वनी प्रक्रिया जोवा माटे बोलाववामां आव्या हता? | 110 | {
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null
],
"text": [
""
]
} |
20 नवेम्बर 1971ना रोज, भारतीय भूमि सेनाए 14 पंजाब बटालीयन अने 45 अश्वदळने गरीबपूर, के जे वहात्मक रीते पूर्व पाकिस्तान साथे भारतनी सरहद पासे आवेलुं महत्वनुं नगर छे, त्यां ज मोकल्या अने सफळतापूर्वक तेनो कबजो करी लीधो. बीजा दिवसे, भारत अने पाकिस्तान सेनाना वच्चे वधु अथडामण थई. बंगाळी बळवामां भारतनी वधती संडोवणीनी संचेतताना कारणे, पाकिस्तान वायु सेनाए (पीएएफ) 3 डिसेम्बरे पूर्व पाकिस्तान साथेनी भारतीय सरहद पर भारतीय लश्करना स्थानो पर पोतानी रीते ज हुमलो शरू कर्यो. जो के हवाई हुमला तेना धारेला हेतुओने पूरा करवामां निष्फळ रह्या अने भारतने ते ज दिवसे मोटापायानुं युद्ध थवानी घोषणा करवानुं कारण आप्युं. मधरात सुधीमां भारतीय भूमि सेनाए भारतीय वायु सेना साथे पूर्व पाकिस्तामांना मुख्य लश्करी अतिक्रमण शरू कर्युं. भारतीय भूमि सेनाए पूर्वीय छेडा परनी घणी लडाईओ पर विजय प्राप्त कर्यो जेमां हिलीनी लडाईनो पण समावेश थयो, जे एक मात्र स्थान हतुं ज्यांथी पाकिस्तानी सेना प्रतिकार करवा सक्षम हती. भारतनी वहेली सफळताओनो श्रेय जे झडपथी अने सरळताथी भारतीय सशस्त्र विभाग समग्र पूर्व पाकिस्तान तरफ जई रह्या हता तेने जाय छे. पाकिस्ताने वळतो हुमलो भारत सामे पश्चिम युद्ध स्थळ पर कर्यो. 4 डिसेम्बर 1971 ए भारतना पंजाब रेजीमेन्टना 23 मां बटालियन कंपनीए रामगढ, राजस्थान नजीक पाकिस्तानी सेनानी 51 मी ईन्फेन्ट्री विभागनी हलचलनी भाळ मेळवी अने तेणे अध वच्चे रोकी. जे लोंगेवालानी लडाईमां परीण्म्युं ते दरमियान ए कंपनी भले वधारे संख्यामां हती छतां पण ज्यां सुधी भारतीय वायु सेनाए तेना लडाकुओने आदेश आपी पाकिस्तानी टेन्कोने व्यस्त राख्या त्यां सुधी पाकिस्तानीओने रोकी न शकी हती. ज्यारे युद्धनो अंत थयो त्यां सुधीमां 34 पाकिस्तानी टेन्को अने 50 युद्ध जहाजोनो कयां तो विनाश थई गयो हतो अथवा तो नकामा करी देवाया हता. लगभग 200 पाकिस्तानी टुकडीओ युद्ध दरमियान मृत्यु पामी हती ज्यारे मात्र बे ज भारतीय जवानोए तेमनो जीव गुमाव्यो हतो. पाकिस्ताने पश्चिमी युद्ध स्थळ पर बीजी मोटी हार भोगवी, बसंतरनी लडाई दरमियान, जे 4 थी 16 डिसेम्बर सुधी लडायुं हतुं. युद्धना अंत सुधीमां, लगभग 66 पाकिस्तानी टेन्को नाश पामी अने 40 करतां वधारेने कबजे करी लेवाया हता. | युद्ध दरमियान केटला पाकिस्तानी सैनिको मार्या गया हता? | 111 | {
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1577
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"text": [
"200"
]
} |
20 नवेम्बर 1971ना रोज, भारतीय भूमि सेनाए 14 पंजाब बटालीयन अने 45 अश्वदळने गरीबपूर, के जे वहात्मक रीते पूर्व पाकिस्तान साथे भारतनी सरहद पासे आवेलुं महत्वनुं नगर छे, त्यां ज मोकल्या अने सफळतापूर्वक तेनो कबजो करी लीधो. बीजा दिवसे, भारत अने पाकिस्तान सेनाना वच्चे वधु अथडामण थई. बंगाळी बळवामां भारतनी वधती संडोवणीनी संचेतताना कारणे, पाकिस्तान वायु सेनाए (पीएएफ) 3 डिसेम्बरे पूर्व पाकिस्तान साथेनी भारतीय सरहद पर भारतीय लश्करना स्थानो पर पोतानी रीते ज हुमलो शरू कर्यो. जो के हवाई हुमला तेना धारेला हेतुओने पूरा करवामां निष्फळ रह्या अने भारतने ते ज दिवसे मोटापायानुं युद्ध थवानी घोषणा करवानुं कारण आप्युं. मधरात सुधीमां भारतीय भूमि सेनाए भारतीय वायु सेना साथे पूर्व पाकिस्तामांना मुख्य लश्करी अतिक्रमण शरू कर्युं. भारतीय भूमि सेनाए पूर्वीय छेडा परनी घणी लडाईओ पर विजय प्राप्त कर्यो जेमां हिलीनी लडाईनो पण समावेश थयो, जे एक मात्र स्थान हतुं ज्यांथी पाकिस्तानी सेना प्रतिकार करवा सक्षम हती. भारतनी वहेली सफळताओनो श्रेय जे झडपथी अने सरळताथी भारतीय सशस्त्र विभाग समग्र पूर्व पाकिस्तान तरफ जई रह्या हता तेने जाय छे. पाकिस्ताने वळतो हुमलो भारत सामे पश्चिम युद्ध स्थळ पर कर्यो. 4 डिसेम्बर 1971 ए भारतना पंजाब रेजीमेन्टना 23 मां बटालियन कंपनीए रामगढ, राजस्थान नजीक पाकिस्तानी सेनानी 51 मी ईन्फेन्ट्री विभागनी हलचलनी भाळ मेळवी अने तेणे अध वच्चे रोकी. जे लोंगेवालानी लडाईमां परीण्म्युं ते दरमियान ए कंपनी भले वधारे संख्यामां हती छतां पण ज्यां सुधी भारतीय वायु सेनाए तेना लडाकुओने आदेश आपी पाकिस्तानी टेन्कोने व्यस्त राख्या त्यां सुधी पाकिस्तानीओने रोकी न शकी हती. ज्यारे युद्धनो अंत थयो त्यां सुधीमां 34 पाकिस्तानी टेन्को अने 50 युद्ध जहाजोनो कयां तो विनाश थई गयो हतो अथवा तो नकामा करी देवाया हता. लगभग 200 पाकिस्तानी टुकडीओ युद्ध दरमियान मृत्यु पामी हती ज्यारे मात्र बे ज भारतीय जवानोए तेमनो जीव गुमाव्यो हतो. पाकिस्ताने पश्चिमी युद्ध स्थळ पर बीजी मोटी हार भोगवी, बसंतरनी लडाई दरमियान, जे 4 थी 16 डिसेम्बर सुधी लडायुं हतुं. युद्धना अंत सुधीमां, लगभग 66 पाकिस्तानी टेन्को नाश पामी अने 40 करतां वधारेने कबजे करी लेवाया हता. | युद्धना अंत सुधीमां केटला पाकिस्तानी टेन्को नाश पाम्या हता? | 112 | {
"answer_start": [
1823
],
"text": [
"66"
]
} |
20 नवेम्बर 1971ना रोज, भारतीय भूमि सेनाए 14 पंजाब बटालीयन अने 45 अश्वदळने गरीबपूर, के जे वहात्मक रीते पूर्व पाकिस्तान साथे भारतनी सरहद पासे आवेलुं महत्वनुं नगर छे, त्यां ज मोकल्या अने सफळतापूर्वक तेनो कबजो करी लीधो. बीजा दिवसे, भारत अने पाकिस्तान सेनाना वच्चे वधु अथडामण थई. बंगाळी बळवामां भारतनी वधती संडोवणीनी संचेतताना कारणे, पाकिस्तान वायु सेनाए (पीएएफ) 3 डिसेम्बरे पूर्व पाकिस्तान साथेनी भारतीय सरहद पर भारतीय लश्करना स्थानो पर पोतानी रीते ज हुमलो शरू कर्यो. जो के हवाई हुमला तेना धारेला हेतुओने पूरा करवामां निष्फळ रह्या अने भारतने ते ज दिवसे मोटापायानुं युद्ध थवानी घोषणा करवानुं कारण आप्युं. मधरात सुधीमां भारतीय भूमि सेनाए भारतीय वायु सेना साथे पूर्व पाकिस्तामांना मुख्य लश्करी अतिक्रमण शरू कर्युं. भारतीय भूमि सेनाए पूर्वीय छेडा परनी घणी लडाईओ पर विजय प्राप्त कर्यो जेमां हिलीनी लडाईनो पण समावेश थयो, जे एक मात्र स्थान हतुं ज्यांथी पाकिस्तानी सेना प्रतिकार करवा सक्षम हती. भारतनी वहेली सफळताओनो श्रेय जे झडपथी अने सरळताथी भारतीय सशस्त्र विभाग समग्र पूर्व पाकिस्तान तरफ जई रह्या हता तेने जाय छे. पाकिस्ताने वळतो हुमलो भारत सामे पश्चिम युद्ध स्थळ पर कर्यो. 4 डिसेम्बर 1971 ए भारतना पंजाब रेजीमेन्टना 23 मां बटालियन कंपनीए रामगढ, राजस्थान नजीक पाकिस्तानी सेनानी 51 मी ईन्फेन्ट्री विभागनी हलचलनी भाळ मेळवी अने तेणे अध वच्चे रोकी. जे लोंगेवालानी लडाईमां परीण्म्युं ते दरमियान ए कंपनी भले वधारे संख्यामां हती छतां पण ज्यां सुधी भारतीय वायु सेनाए तेना लडाकुओने आदेश आपी पाकिस्तानी टेन्कोने व्यस्त राख्या त्यां सुधी पाकिस्तानीओने रोकी न शकी हती. ज्यारे युद्धनो अंत थयो त्यां सुधीमां 34 पाकिस्तानी टेन्को अने 50 युद्ध जहाजोनो कयां तो विनाश थई गयो हतो अथवा तो नकामा करी देवाया हता. लगभग 200 पाकिस्तानी टुकडीओ युद्ध दरमियान मृत्यु पामी हती ज्यारे मात्र बे ज भारतीय जवानोए तेमनो जीव गुमाव्यो हतो. पाकिस्ताने पश्चिमी युद्ध स्थळ पर बीजी मोटी हार भोगवी, बसंतरनी लडाई दरमियान, जे 4 थी 16 डिसेम्बर सुधी लडायुं हतुं. युद्धना अंत सुधीमां, लगभग 66 पाकिस्तानी टेन्को नाश पामी अने 40 करतां वधारेने कबजे करी लेवाया हता. | 20 नवेम्बर 1971 ना रोज, कई सेनाए 14 पंजाब बटालियन अने 45 घोडेसवार गरीबपुरमां मोकल्या? | 113 | {
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23
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"text": [
"भारतीय भूमि सेनाए"
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20 नवेम्बर 1971ना रोज, भारतीय भूमि सेनाए 14 पंजाब बटालीयन अने 45 अश्वदळने गरीबपूर, के जे वहात्मक रीते पूर्व पाकिस्तान साथे भारतनी सरहद पासे आवेलुं महत्वनुं नगर छे, त्यां ज मोकल्या अने सफळतापूर्वक तेनो कबजो करी लीधो. बीजा दिवसे, भारत अने पाकिस्तान सेनाना वच्चे वधु अथडामण थई. बंगाळी बळवामां भारतनी वधती संडोवणीनी संचेतताना कारणे, पाकिस्तान वायु सेनाए (पीएएफ) 3 डिसेम्बरे पूर्व पाकिस्तान साथेनी भारतीय सरहद पर भारतीय लश्करना स्थानो पर पोतानी रीते ज हुमलो शरू कर्यो. जो के हवाई हुमला तेना धारेला हेतुओने पूरा करवामां निष्फळ रह्या अने भारतने ते ज दिवसे मोटापायानुं युद्ध थवानी घोषणा करवानुं कारण आप्युं. मधरात सुधीमां भारतीय भूमि सेनाए भारतीय वायु सेना साथे पूर्व पाकिस्तामांना मुख्य लश्करी अतिक्रमण शरू कर्युं. भारतीय भूमि सेनाए पूर्वीय छेडा परनी घणी लडाईओ पर विजय प्राप्त कर्यो जेमां हिलीनी लडाईनो पण समावेश थयो, जे एक मात्र स्थान हतुं ज्यांथी पाकिस्तानी सेना प्रतिकार करवा सक्षम हती. भारतनी वहेली सफळताओनो श्रेय जे झडपथी अने सरळताथी भारतीय सशस्त्र विभाग समग्र पूर्व पाकिस्तान तरफ जई रह्या हता तेने जाय छे. पाकिस्ताने वळतो हुमलो भारत सामे पश्चिम युद्ध स्थळ पर कर्यो. 4 डिसेम्बर 1971 ए भारतना पंजाब रेजीमेन्टना 23 मां बटालियन कंपनीए रामगढ, राजस्थान नजीक पाकिस्तानी सेनानी 51 मी ईन्फेन्ट्री विभागनी हलचलनी भाळ मेळवी अने तेणे अध वच्चे रोकी. जे लोंगेवालानी लडाईमां परीण्म्युं ते दरमियान ए कंपनी भले वधारे संख्यामां हती छतां पण ज्यां सुधी भारतीय वायु सेनाए तेना लडाकुओने आदेश आपी पाकिस्तानी टेन्कोने व्यस्त राख्या त्यां सुधी पाकिस्तानीओने रोकी न शकी हती. ज्यारे युद्धनो अंत थयो त्यां सुधीमां 34 पाकिस्तानी टेन्को अने 50 युद्ध जहाजोनो कयां तो विनाश थई गयो हतो अथवा तो नकामा करी देवाया हता. लगभग 200 पाकिस्तानी टुकडीओ युद्ध दरमियान मृत्यु पामी हती ज्यारे मात्र बे ज भारतीय जवानोए तेमनो जीव गुमाव्यो हतो. पाकिस्ताने पश्चिमी युद्ध स्थळ पर बीजी मोटी हार भोगवी, बसंतरनी लडाई दरमियान, जे 4 थी 16 डिसेम्बर सुधी लडायुं हतुं. युद्धना अंत सुधीमां, लगभग 66 पाकिस्तानी टेन्को नाश पामी अने 40 करतां वधारेने कबजे करी लेवाया हता. | कया मोरचे पाकिस्तानना हुमलाओ निष्फळ गया? | 114 | {
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467
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"text": [
"हवाई"
]
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20 नवेम्बर 1971ना रोज, भारतीय भूमि सेनाए 14 पंजाब बटालीयन अने 45 अश्वदळने गरीबपूर, के जे वहात्मक रीते पूर्व पाकिस्तान साथे भारतनी सरहद पासे आवेलुं महत्वनुं नगर छे, त्यां ज मोकल्या अने सफळतापूर्वक तेनो कबजो करी लीधो. बीजा दिवसे, भारत अने पाकिस्तान सेनाना वच्चे वधु अथडामण थई. बंगाळी बळवामां भारतनी वधती संडोवणीनी संचेतताना कारणे, पाकिस्तान वायु सेनाए (पीएएफ) 3 डिसेम्बरे पूर्व पाकिस्तान साथेनी भारतीय सरहद पर भारतीय लश्करना स्थानो पर पोतानी रीते ज हुमलो शरू कर्यो. जो के हवाई हुमला तेना धारेला हेतुओने पूरा करवामां निष्फळ रह्या अने भारतने ते ज दिवसे मोटापायानुं युद्ध थवानी घोषणा करवानुं कारण आप्युं. मधरात सुधीमां भारतीय भूमि सेनाए भारतीय वायु सेना साथे पूर्व पाकिस्तामांना मुख्य लश्करी अतिक्रमण शरू कर्युं. भारतीय भूमि सेनाए पूर्वीय छेडा परनी घणी लडाईओ पर विजय प्राप्त कर्यो जेमां हिलीनी लडाईनो पण समावेश थयो, जे एक मात्र स्थान हतुं ज्यांथी पाकिस्तानी सेना प्रतिकार करवा सक्षम हती. भारतनी वहेली सफळताओनो श्रेय जे झडपथी अने सरळताथी भारतीय सशस्त्र विभाग समग्र पूर्व पाकिस्तान तरफ जई रह्या हता तेने जाय छे. पाकिस्ताने वळतो हुमलो भारत सामे पश्चिम युद्ध स्थळ पर कर्यो. 4 डिसेम्बर 1971 ए भारतना पंजाब रेजीमेन्टना 23 मां बटालियन कंपनीए रामगढ, राजस्थान नजीक पाकिस्तानी सेनानी 51 मी ईन्फेन्ट्री विभागनी हलचलनी भाळ मेळवी अने तेणे अध वच्चे रोकी. जे लोंगेवालानी लडाईमां परीण्म्युं ते दरमियान ए कंपनी भले वधारे संख्यामां हती छतां पण ज्यां सुधी भारतीय वायु सेनाए तेना लडाकुओने आदेश आपी पाकिस्तानी टेन्कोने व्यस्त राख्या त्यां सुधी पाकिस्तानीओने रोकी न शकी हती. ज्यारे युद्धनो अंत थयो त्यां सुधीमां 34 पाकिस्तानी टेन्को अने 50 युद्ध जहाजोनो कयां तो विनाश थई गयो हतो अथवा तो नकामा करी देवाया हता. लगभग 200 पाकिस्तानी टुकडीओ युद्ध दरमियान मृत्यु पामी हती ज्यारे मात्र बे ज भारतीय जवानोए तेमनो जीव गुमाव्यो हतो. पाकिस्ताने पश्चिमी युद्ध स्थळ पर बीजी मोटी हार भोगवी, बसंतरनी लडाई दरमियान, जे 4 थी 16 डिसेम्बर सुधी लडायुं हतुं. युद्धना अंत सुधीमां, लगभग 66 पाकिस्तानी टेन्को नाश पामी अने 40 करतां वधारेने कबजे करी लेवाया हता. | भारतमां पंजाब रेजिमेन्टनी 23 मी बटालियन कंपनीए राजस्थानना रामगढ नजीक पाकिस्तानी सेनाना 51 मा पायदळ विभागनी हिलचाल क्यारे शोधी काढीं हती? | 115 | {
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1057
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"text": [
"4 डिसेम्बर 1971"
]
} |
20 नवेम्बर 1971ना रोज, भारतीय भूमि सेनाए 14 पंजाब बटालीयन अने 45 अश्वदळने गरीबपूर, के जे वहात्मक रीते पूर्व पाकिस्तान साथे भारतनी सरहद पासे आवेलुं महत्वनुं नगर छे, त्यां ज मोकल्या अने सफळतापूर्वक तेनो कबजो करी लीधो. बीजा दिवसे, भारत अने पाकिस्तान सेनाना वच्चे वधु अथडामण थई. बंगाळी बळवामां भारतनी वधती संडोवणीनी संचेतताना कारणे, पाकिस्तान वायु सेनाए (पीएएफ) 3 डिसेम्बरे पूर्व पाकिस्तान साथेनी भारतीय सरहद पर भारतीय लश्करना स्थानो पर पोतानी रीते ज हुमलो शरू कर्यो. जो के हवाई हुमला तेना धारेला हेतुओने पूरा करवामां निष्फळ रह्या अने भारतने ते ज दिवसे मोटापायानुं युद्ध थवानी घोषणा करवानुं कारण आप्युं. मधरात सुधीमां भारतीय भूमि सेनाए भारतीय वायु सेना साथे पूर्व पाकिस्तामांना मुख्य लश्करी अतिक्रमण शरू कर्युं. भारतीय भूमि सेनाए पूर्वीय छेडा परनी घणी लडाईओ पर विजय प्राप्त कर्यो जेमां हिलीनी लडाईनो पण समावेश थयो, जे एक मात्र स्थान हतुं ज्यांथी पाकिस्तानी सेना प्रतिकार करवा सक्षम हती. भारतनी वहेली सफळताओनो श्रेय जे झडपथी अने सरळताथी भारतीय सशस्त्र विभाग समग्र पूर्व पाकिस्तान तरफ जई रह्या हता तेने जाय छे. पाकिस्ताने वळतो हुमलो भारत सामे पश्चिम युद्ध स्थळ पर कर्यो. 4 डिसेम्बर 1971 ए भारतना पंजाब रेजीमेन्टना 23 मां बटालियन कंपनीए रामगढ, राजस्थान नजीक पाकिस्तानी सेनानी 51 मी ईन्फेन्ट्री विभागनी हलचलनी भाळ मेळवी अने तेणे अध वच्चे रोकी. जे लोंगेवालानी लडाईमां परीण्म्युं ते दरमियान ए कंपनी भले वधारे संख्यामां हती छतां पण ज्यां सुधी भारतीय वायु सेनाए तेना लडाकुओने आदेश आपी पाकिस्तानी टेन्कोने व्यस्त राख्या त्यां सुधी पाकिस्तानीओने रोकी न शकी हती. ज्यारे युद्धनो अंत थयो त्यां सुधीमां 34 पाकिस्तानी टेन्को अने 50 युद्ध जहाजोनो कयां तो विनाश थई गयो हतो अथवा तो नकामा करी देवाया हता. लगभग 200 पाकिस्तानी टुकडीओ युद्ध दरमियान मृत्यु पामी हती ज्यारे मात्र बे ज भारतीय जवानोए तेमनो जीव गुमाव्यो हतो. पाकिस्ताने पश्चिमी युद्ध स्थळ पर बीजी मोटी हार भोगवी, बसंतरनी लडाई दरमियान, जे 4 थी 16 डिसेम्बर सुधी लडायुं हतुं. युद्धना अंत सुधीमां, लगभग 66 पाकिस्तानी टेन्को नाश पामी अने 40 करतां वधारेने कबजे करी लेवाया हता. | कया दळो वच्चे वधु अथडामण थई हती? | 116 | {
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227
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"text": [
"भारत अने पाकिस्तान"
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20 नवेम्बर 1971ना रोज, भारतीय भूमि सेनाए 14 पंजाब बटालीयन अने 45 अश्वदळने गरीबपूर, के जे वहात्मक रीते पूर्व पाकिस्तान साथे भारतनी सरहद पासे आवेलुं महत्वनुं नगर छे, त्यां ज मोकल्या अने सफळतापूर्वक तेनो कबजो करी लीधो. बीजा दिवसे, भारत अने पाकिस्तान सेनाना वच्चे वधु अथडामण थई. बंगाळी बळवामां भारतनी वधती संडोवणीनी संचेतताना कारणे, पाकिस्तान वायु सेनाए (पीएएफ) 3 डिसेम्बरे पूर्व पाकिस्तान साथेनी भारतीय सरहद पर भारतीय लश्करना स्थानो पर पोतानी रीते ज हुमलो शरू कर्यो. जो के हवाई हुमला तेना धारेला हेतुओने पूरा करवामां निष्फळ रह्या अने भारतने ते ज दिवसे मोटापायानुं युद्ध थवानी घोषणा करवानुं कारण आप्युं. मधरात सुधीमां भारतीय भूमि सेनाए भारतीय वायु सेना साथे पूर्व पाकिस्तामांना मुख्य लश्करी अतिक्रमण शरू कर्युं. भारतीय भूमि सेनाए पूर्वीय छेडा परनी घणी लडाईओ पर विजय प्राप्त कर्यो जेमां हिलीनी लडाईनो पण समावेश थयो, जे एक मात्र स्थान हतुं ज्यांथी पाकिस्तानी सेना प्रतिकार करवा सक्षम हती. भारतनी वहेली सफळताओनो श्रेय जे झडपथी अने सरळताथी भारतीय सशस्त्र विभाग समग्र पूर्व पाकिस्तान तरफ जई रह्या हता तेने जाय छे. पाकिस्ताने वळतो हुमलो भारत सामे पश्चिम युद्ध स्थळ पर कर्यो. 4 डिसेम्बर 1971 ए भारतना पंजाब रेजीमेन्टना 23 मां बटालियन कंपनीए रामगढ, राजस्थान नजीक पाकिस्तानी सेनानी 51 मी ईन्फेन्ट्री विभागनी हलचलनी भाळ मेळवी अने तेणे अध वच्चे रोकी. जे लोंगेवालानी लडाईमां परीण्म्युं ते दरमियान ए कंपनी भले वधारे संख्यामां हती छतां पण ज्यां सुधी भारतीय वायु सेनाए तेना लडाकुओने आदेश आपी पाकिस्तानी टेन्कोने व्यस्त राख्या त्यां सुधी पाकिस्तानीओने रोकी न शकी हती. ज्यारे युद्धनो अंत थयो त्यां सुधीमां 34 पाकिस्तानी टेन्को अने 50 युद्ध जहाजोनो कयां तो विनाश थई गयो हतो अथवा तो नकामा करी देवाया हता. लगभग 200 पाकिस्तानी टुकडीओ युद्ध दरमियान मृत्यु पामी हती ज्यारे मात्र बे ज भारतीय जवानोए तेमनो जीव गुमाव्यो हतो. पाकिस्ताने पश्चिमी युद्ध स्थळ पर बीजी मोटी हार भोगवी, बसंतरनी लडाई दरमियान, जे 4 थी 16 डिसेम्बर सुधी लडायुं हतुं. युद्धना अंत सुधीमां, लगभग 66 पाकिस्तानी टेन्को नाश पामी अने 40 करतां वधारेने कबजे करी लेवाया हता. | पाकिस्तान सेनाए केटला भारतीय लश्करी स्थापनोनो नाश कर्यो हतो? | 117 | {
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""
]
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20 नवेम्बर 1971ना रोज, भारतीय भूमि सेनाए 14 पंजाब बटालीयन अने 45 अश्वदळने गरीबपूर, के जे वहात्मक रीते पूर्व पाकिस्तान साथे भारतनी सरहद पासे आवेलुं महत्वनुं नगर छे, त्यां ज मोकल्या अने सफळतापूर्वक तेनो कबजो करी लीधो. बीजा दिवसे, भारत अने पाकिस्तान सेनाना वच्चे वधु अथडामण थई. बंगाळी बळवामां भारतनी वधती संडोवणीनी संचेतताना कारणे, पाकिस्तान वायु सेनाए (पीएएफ) 3 डिसेम्बरे पूर्व पाकिस्तान साथेनी भारतीय सरहद पर भारतीय लश्करना स्थानो पर पोतानी रीते ज हुमलो शरू कर्यो. जो के हवाई हुमला तेना धारेला हेतुओने पूरा करवामां निष्फळ रह्या अने भारतने ते ज दिवसे मोटापायानुं युद्ध थवानी घोषणा करवानुं कारण आप्युं. मधरात सुधीमां भारतीय भूमि सेनाए भारतीय वायु सेना साथे पूर्व पाकिस्तामांना मुख्य लश्करी अतिक्रमण शरू कर्युं. भारतीय भूमि सेनाए पूर्वीय छेडा परनी घणी लडाईओ पर विजय प्राप्त कर्यो जेमां हिलीनी लडाईनो पण समावेश थयो, जे एक मात्र स्थान हतुं ज्यांथी पाकिस्तानी सेना प्रतिकार करवा सक्षम हती. भारतनी वहेली सफळताओनो श्रेय जे झडपथी अने सरळताथी भारतीय सशस्त्र विभाग समग्र पूर्व पाकिस्तान तरफ जई रह्या हता तेने जाय छे. पाकिस्ताने वळतो हुमलो भारत सामे पश्चिम युद्ध स्थळ पर कर्यो. 4 डिसेम्बर 1971 ए भारतना पंजाब रेजीमेन्टना 23 मां बटालियन कंपनीए रामगढ, राजस्थान नजीक पाकिस्तानी सेनानी 51 मी ईन्फेन्ट्री विभागनी हलचलनी भाळ मेळवी अने तेणे अध वच्चे रोकी. जे लोंगेवालानी लडाईमां परीण्म्युं ते दरमियान ए कंपनी भले वधारे संख्यामां हती छतां पण ज्यां सुधी भारतीय वायु सेनाए तेना लडाकुओने आदेश आपी पाकिस्तानी टेन्कोने व्यस्त राख्या त्यां सुधी पाकिस्तानीओने रोकी न शकी हती. ज्यारे युद्धनो अंत थयो त्यां सुधीमां 34 पाकिस्तानी टेन्को अने 50 युद्ध जहाजोनो कयां तो विनाश थई गयो हतो अथवा तो नकामा करी देवाया हता. लगभग 200 पाकिस्तानी टुकडीओ युद्ध दरमियान मृत्यु पामी हती ज्यारे मात्र बे ज भारतीय जवानोए तेमनो जीव गुमाव्यो हतो. पाकिस्ताने पश्चिमी युद्ध स्थळ पर बीजी मोटी हार भोगवी, बसंतरनी लडाई दरमियान, जे 4 थी 16 डिसेम्बर सुधी लडायुं हतुं. युद्धना अंत सुधीमां, लगभग 66 पाकिस्तानी टेन्को नाश पामी अने 40 करतां वधारेने कबजे करी लेवाया हता. | 16 डिसेम्बर सुधीमां पाकिस्ताने कई युद्धभूमिनी नजीकनो सारो एवो विस्तार गुमाव्यो हतो? | 118 | {
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],
"text": [
""
]
} |
2010 सुधीमां ते पूर्ण थवानी अपेक्षा छे. डॉलरना खर्चे बंधायो छे अने बीजो तबक्को बीजा 4.3 अबज यु. एस. डॉलरना खर्चे बंधाशे. तेनो त्रीजो अने चोथो तबक्को अनुक्रमे 2015 अने 2020मां पूरो थशे अने आम कुल 413.8 कि. मी. ने आवरतुं नेटवर्क तैयार थशे, जे लंडन अन्डरग्राउन्ड करतां पण वधु लांबुं हशे. टेकसी करतां ओछुं भाडुं थतुं होवाथी दिल्हीमां जाहेर परिवहन माटे ओटोरिक्षाओ वधु लोकप्रिय वाहन छे. पीळा अने लीला रंगनी आ मोटा भागनी रिक्षाओ कम्प्रेस्ड नेचरल गॅस (सीएनजी(CNG) - संकोचायेलो कुदरती गॅस) पर चाले छे. टॅकसीओ आसानीथी उपलब्ध होवा छतां ते दिल्हीना जाहेर परिवहननुं अभिन्न अंग नथी. आ उपरांत, मात्र एक मध्यस्थ नंबर पर फोन करीने ओर्डर करी शकाती, प्रति कि. मी. रू. 15नो एकसरखो सपाट दर धरावती, ऍर-कन्डीशन्ड रेडियो टॅकसी पण झडपथी लोकप्रिय बनी छे. | कयुं परिवहननुं माध्यम दिल्हीमां जाहेर परिवहननुं सौथी लोकप्रिय माध्यम छे? | 119 | {
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345
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"text": [
"ओटोरिक्षाओ"
]
} |
2010 सुधीमां ते पूर्ण थवानी अपेक्षा छे. डॉलरना खर्चे बंधायो छे अने बीजो तबक्को बीजा 4.3 अबज यु. एस. डॉलरना खर्चे बंधाशे. तेनो त्रीजो अने चोथो तबक्को अनुक्रमे 2015 अने 2020मां पूरो थशे अने आम कुल 413.8 कि. मी. ने आवरतुं नेटवर्क तैयार थशे, जे लंडन अन्डरग्राउन्ड करतां पण वधु लांबुं हशे. टेकसी करतां ओछुं भाडुं थतुं होवाथी दिल्हीमां जाहेर परिवहन माटे ओटोरिक्षाओ वधु लोकप्रिय वाहन छे. पीळा अने लीला रंगनी आ मोटा भागनी रिक्षाओ कम्प्रेस्ड नेचरल गॅस (सीएनजी(CNG) - संकोचायेलो कुदरती गॅस) पर चाले छे. टॅकसीओ आसानीथी उपलब्ध होवा छतां ते दिल्हीना जाहेर परिवहननुं अभिन्न अंग नथी. आ उपरांत, मात्र एक मध्यस्थ नंबर पर फोन करीने ओर्डर करी शकाती, प्रति कि. मी. रू. 15नो एकसरखो सपाट दर धरावती, ऍर-कन्डीशन्ड रेडियो टॅकसी पण झडपथी लोकप्रिय बनी छे. | कयुं परिवहननुं माध्यम सरळताथी उपलब्ध होवा छतां, दिल्हीमां जाहेर परिवहननो अभिन्न भाग नथी? | 120 | {
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418
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"text": [
"कम्प्रेस्ड नेचरल गॅस"
]
} |
2010 सुधीमां ते पूर्ण थवानी अपेक्षा छे. डॉलरना खर्चे बंधायो छे अने बीजो तबक्को बीजा 4.3 अबज यु. एस. डॉलरना खर्चे बंधाशे. तेनो त्रीजो अने चोथो तबक्को अनुक्रमे 2015 अने 2020मां पूरो थशे अने आम कुल 413.8 कि. मी. ने आवरतुं नेटवर्क तैयार थशे, जे लंडन अन्डरग्राउन्ड करतां पण वधु लांबुं हशे. टेकसी करतां ओछुं भाडुं थतुं होवाथी दिल्हीमां जाहेर परिवहन माटे ओटोरिक्षाओ वधु लोकप्रिय वाहन छे. पीळा अने लीला रंगनी आ मोटा भागनी रिक्षाओ कम्प्रेस्ड नेचरल गॅस (सीएनजी(CNG) - संकोचायेलो कुदरती गॅस) पर चाले छे. टॅकसीओ आसानीथी उपलब्ध होवा छतां ते दिल्हीना जाहेर परिवहननुं अभिन्न अंग नथी. आ उपरांत, मात्र एक मध्यस्थ नंबर पर फोन करीने ओर्डर करी शकाती, प्रति कि. मी. रू. 15नो एकसरखो सपाट दर धरावती, ऍर-कन्डीशन्ड रेडियो टॅकसी पण झडपथी लोकप्रिय बनी छे. | त्रीजो तबक्को क्या वर्षमां पूर्ण थशे? | 121 | {
"answer_start": [
156
],
"text": [
"2015"
]
} |
2010 सुधीमां ते पूर्ण थवानी अपेक्षा छे. डॉलरना खर्चे बंधायो छे अने बीजो तबक्को बीजा 4.3 अबज यु. एस. डॉलरना खर्चे बंधाशे. तेनो त्रीजो अने चोथो तबक्को अनुक्रमे 2015 अने 2020मां पूरो थशे अने आम कुल 413.8 कि. मी. ने आवरतुं नेटवर्क तैयार थशे, जे लंडन अन्डरग्राउन्ड करतां पण वधु लांबुं हशे. टेकसी करतां ओछुं भाडुं थतुं होवाथी दिल्हीमां जाहेर परिवहन माटे ओटोरिक्षाओ वधु लोकप्रिय वाहन छे. पीळा अने लीला रंगनी आ मोटा भागनी रिक्षाओ कम्प्रेस्ड नेचरल गॅस (सीएनजी(CNG) - संकोचायेलो कुदरती गॅस) पर चाले छे. टॅकसीओ आसानीथी उपलब्ध होवा छतां ते दिल्हीना जाहेर परिवहननुं अभिन्न अंग नथी. आ उपरांत, मात्र एक मध्यस्थ नंबर पर फोन करीने ओर्डर करी शकाती, प्रति कि. मी. रू. 15नो एकसरखो सपाट दर धरावती, ऍर-कन्डीशन्ड रेडियो टॅकसी पण झडपथी लोकप्रिय बनी छे. | मोटाभागनी टेक्सीओ कोना द्वारा चलाववामां आवे छे? | 122 | {
"answer_start": [
418
],
"text": [
"कम्प्रेस्ड नेचरल गॅस"
]
} |
2010 सुधीमां ते पूर्ण थवानी अपेक्षा छे. डॉलरना खर्चे बंधायो छे अने बीजो तबक्को बीजा 4.3 अबज यु. एस. डॉलरना खर्चे बंधाशे. तेनो त्रीजो अने चोथो तबक्को अनुक्रमे 2015 अने 2020मां पूरो थशे अने आम कुल 413.8 कि. मी. ने आवरतुं नेटवर्क तैयार थशे, जे लंडन अन्डरग्राउन्ड करतां पण वधु लांबुं हशे. टेकसी करतां ओछुं भाडुं थतुं होवाथी दिल्हीमां जाहेर परिवहन माटे ओटोरिक्षाओ वधु लोकप्रिय वाहन छे. पीळा अने लीला रंगनी आ मोटा भागनी रिक्षाओ कम्प्रेस्ड नेचरल गॅस (सीएनजी(CNG) - संकोचायेलो कुदरती गॅस) पर चाले छे. टॅकसीओ आसानीथी उपलब्ध होवा छतां ते दिल्हीना जाहेर परिवहननुं अभिन्न अंग नथी. आ उपरांत, मात्र एक मध्यस्थ नंबर पर फोन करीने ओर्डर करी शकाती, प्रति कि. मी. रू. 15नो एकसरखो सपाट दर धरावती, ऍर-कन्डीशन्ड रेडियो टॅकसी पण झडपथी लोकप्रिय बनी छे. | चोथो तबक्को क्या वर्षमां पूर्ण थशे? | 123 | {
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165
],
"text": [
"2020मां"
]
} |
2010 सुधीमां ते पूर्ण थवानी अपेक्षा छे. डॉलरना खर्चे बंधायो छे अने बीजो तबक्को बीजा 4.3 अबज यु. एस. डॉलरना खर्चे बंधाशे. तेनो त्रीजो अने चोथो तबक्को अनुक्रमे 2015 अने 2020मां पूरो थशे अने आम कुल 413.8 कि. मी. ने आवरतुं नेटवर्क तैयार थशे, जे लंडन अन्डरग्राउन्ड करतां पण वधु लांबुं हशे. टेकसी करतां ओछुं भाडुं थतुं होवाथी दिल्हीमां जाहेर परिवहन माटे ओटोरिक्षाओ वधु लोकप्रिय वाहन छे. पीळा अने लीला रंगनी आ मोटा भागनी रिक्षाओ कम्प्रेस्ड नेचरल गॅस (सीएनजी(CNG) - संकोचायेलो कुदरती गॅस) पर चाले छे. टॅकसीओ आसानीथी उपलब्ध होवा छतां ते दिल्हीना जाहेर परिवहननुं अभिन्न अंग नथी. आ उपरांत, मात्र एक मध्यस्थ नंबर पर फोन करीने ओर्डर करी शकाती, प्रति कि. मी. रू. 15नो एकसरखो सपाट दर धरावती, ऍर-कन्डीशन्ड रेडियो टॅकसी पण झडपथी लोकप्रिय बनी छे. | CNG नुं पूरुं नाम शुं छे? | 124 | {
"answer_start": [
418
],
"text": [
"कम्प्रेस्ड नेचरल गॅस"
]
} |
2010 सुधीमां ते पूर्ण थवानी अपेक्षा छे. डॉलरना खर्चे बंधायो छे अने बीजो तबक्को बीजा 4.3 अबज यु. एस. डॉलरना खर्चे बंधाशे. तेनो त्रीजो अने चोथो तबक्को अनुक्रमे 2015 अने 2020मां पूरो थशे अने आम कुल 413.8 कि. मी. ने आवरतुं नेटवर्क तैयार थशे, जे लंडन अन्डरग्राउन्ड करतां पण वधु लांबुं हशे. टेकसी करतां ओछुं भाडुं थतुं होवाथी दिल्हीमां जाहेर परिवहन माटे ओटोरिक्षाओ वधु लोकप्रिय वाहन छे. पीळा अने लीला रंगनी आ मोटा भागनी रिक्षाओ कम्प्रेस्ड नेचरल गॅस (सीएनजी(CNG) - संकोचायेलो कुदरती गॅस) पर चाले छे. टॅकसीओ आसानीथी उपलब्ध होवा छतां ते दिल्हीना जाहेर परिवहननुं अभिन्न अंग नथी. आ उपरांत, मात्र एक मध्यस्थ नंबर पर फोन करीने ओर्डर करी शकाती, प्रति कि. मी. रू. 15नो एकसरखो सपाट दर धरावती, ऍर-कन्डीशन्ड रेडियो टॅकसी पण झडपथी लोकप्रिय बनी छे. | एरकन्डिशन्ड रेडियो टेक्सीओनो भाव शुं छे? | 125 | {
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625
],
"text": [
"प्रति कि. मी. रू. 15"
]
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2010 सुधीमां ते पूर्ण थवानी अपेक्षा छे. डॉलरना खर्चे बंधायो छे अने बीजो तबक्को बीजा 4.3 अबज यु. एस. डॉलरना खर्चे बंधाशे. तेनो त्रीजो अने चोथो तबक्को अनुक्रमे 2015 अने 2020मां पूरो थशे अने आम कुल 413.8 कि. मी. ने आवरतुं नेटवर्क तैयार थशे, जे लंडन अन्डरग्राउन्ड करतां पण वधु लांबुं हशे. टेकसी करतां ओछुं भाडुं थतुं होवाथी दिल्हीमां जाहेर परिवहन माटे ओटोरिक्षाओ वधु लोकप्रिय वाहन छे. पीळा अने लीला रंगनी आ मोटा भागनी रिक्षाओ कम्प्रेस्ड नेचरल गॅस (सीएनजी(CNG) - संकोचायेलो कुदरती गॅस) पर चाले छे. टॅकसीओ आसानीथी उपलब्ध होवा छतां ते दिल्हीना जाहेर परिवहननुं अभिन्न अंग नथी. आ उपरांत, मात्र एक मध्यस्थ नंबर पर फोन करीने ओर्डर करी शकाती, प्रति कि. मी. रू. 15नो एकसरखो सपाट दर धरावती, ऍर-कन्डीशन्ड रेडियो टॅकसी पण झडपथी लोकप्रिय बनी छे. | बीजो तबक्को केटला अबज अमेरिकन डोलरना खर्चे बनाववामां आवशे? | 126 | {
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83
],
"text": [
"4.3"
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2010 सुधीमां ते पूर्ण थवानी अपेक्षा छे. डॉलरना खर्चे बंधायो छे अने बीजो तबक्को बीजा 4.3 अबज यु. एस. डॉलरना खर्चे बंधाशे. तेनो त्रीजो अने चोथो तबक्को अनुक्रमे 2015 अने 2020मां पूरो थशे अने आम कुल 413.8 कि. मी. ने आवरतुं नेटवर्क तैयार थशे, जे लंडन अन्डरग्राउन्ड करतां पण वधु लांबुं हशे. टेकसी करतां ओछुं भाडुं थतुं होवाथी दिल्हीमां जाहेर परिवहन माटे ओटोरिक्षाओ वधु लोकप्रिय वाहन छे. पीळा अने लीला रंगनी आ मोटा भागनी रिक्षाओ कम्प्रेस्ड नेचरल गॅस (सीएनजी(CNG) - संकोचायेलो कुदरती गॅस) पर चाले छे. टॅकसीओ आसानीथी उपलब्ध होवा छतां ते दिल्हीना जाहेर परिवहननुं अभिन्न अंग नथी. आ उपरांत, मात्र एक मध्यस्थ नंबर पर फोन करीने ओर्डर करी शकाती, प्रति कि. मी. रू. 15नो एकसरखो सपाट दर धरावती, ऍर-कन्डीशन्ड रेडियो टॅकसी पण झडपथी लोकप्रिय बनी छे. | केवा रंगनी रिक्षाओ CNG पर चाले छे? | 127 | {
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377
],
"text": [
"पीळा अने लीला"
]
} |
2010 सुधीमां ते पूर्ण थवानी अपेक्षा छे. डॉलरना खर्चे बंधायो छे अने बीजो तबक्को बीजा 4.3 अबज यु. एस. डॉलरना खर्चे बंधाशे. तेनो त्रीजो अने चोथो तबक्को अनुक्रमे 2015 अने 2020मां पूरो थशे अने आम कुल 413.8 कि. मी. ने आवरतुं नेटवर्क तैयार थशे, जे लंडन अन्डरग्राउन्ड करतां पण वधु लांबुं हशे. टेकसी करतां ओछुं भाडुं थतुं होवाथी दिल्हीमां जाहेर परिवहन माटे ओटोरिक्षाओ वधु लोकप्रिय वाहन छे. पीळा अने लीला रंगनी आ मोटा भागनी रिक्षाओ कम्प्रेस्ड नेचरल गॅस (सीएनजी(CNG) - संकोचायेलो कुदरती गॅस) पर चाले छे. टॅकसीओ आसानीथी उपलब्ध होवा छतां ते दिल्हीना जाहेर परिवहननुं अभिन्न अंग नथी. आ उपरांत, मात्र एक मध्यस्थ नंबर पर फोन करीने ओर्डर करी शकाती, प्रति कि. मी. रू. 15नो एकसरखो सपाट दर धरावती, ऍर-कन्डीशन्ड रेडियो टॅकसी पण झडपथी लोकप्रिय बनी छे. | कई टेक्सीओ, फक्त मध्यवर्ती नंबर पर फोन करीने ओर्डर करी शकाय छे? | 128 | {
"answer_start": [
671
],
"text": [
"ऍर-कन्डीशन्ड रेडियो टॅकसी"
]
} |
60 वर्षनी उंमरे तेमणे चित्रकाम अने पेइन्टिंगनुं काम शरू कर्युं हतुं. तेमनी अनेक कृतिओना सफळ प्रदर्शन पण योजाया हता. दक्षिण फ्रान्समां तेओ केटलाक चित्रकारोने मळ्या हता अने तेमना प्रोत्साहन बाद पेरिसमां प्रदर्शन योज्युं हतुं. त्यार बाद युरोपभरमां प्रदर्शनो योजाया हता. टागोरे तेमना चित्रोमां प्रोटेनोपिया (रंग अंधापो), अथवा आंशिक रीते अमुक रंगनी गेरहाजरी (टागोरना किस्सामां लाल अने लीलो रंग) पर भार मूक्यो हतो. तेमणे सौंदर्यमीमांसा अने रंगनी रचनानी विशिष्टताने केन्द्रस्थाने राखी हती. | रविन्द्रनाथ टागोर केटलाक चित्रकारोने क्यां मळ्या? | 129 | {
"answer_start": [
114
],
"text": [
"दक्षिण फ्रान्समां"
]
} |
60 वर्षनी उंमरे तेमणे चित्रकाम अने पेइन्टिंगनुं काम शरू कर्युं हतुं. तेमनी अनेक कृतिओना सफळ प्रदर्शन पण योजाया हता. दक्षिण फ्रान्समां तेओ केटलाक चित्रकारोने मळ्या हता अने तेमना प्रोत्साहन बाद पेरिसमां प्रदर्शन योज्युं हतुं. त्यार बाद युरोपभरमां प्रदर्शनो योजाया हता. टागोरे तेमना चित्रोमां प्रोटेनोपिया (रंग अंधापो), अथवा आंशिक रीते अमुक रंगनी गेरहाजरी (टागोरना किस्सामां लाल अने लीलो रंग) पर भार मूक्यो हतो. तेमणे सौंदर्यमीमांसा अने रंगनी रचनानी विशिष्टताने केन्द्रस्थाने राखी हती. | टागोरे पण एक कलाकार तरीके पोताना शेना विशे विचार्युं? | 130 | {
"answer_start": [
null
],
"text": [
""
]
} |
60 वर्षनी उंमरे तेमणे चित्रकाम अने पेइन्टिंगनुं काम शरू कर्युं हतुं. तेमनी अनेक कृतिओना सफळ प्रदर्शन पण योजाया हता. दक्षिण फ्रान्समां तेओ केटलाक चित्रकारोने मळ्या हता अने तेमना प्रोत्साहन बाद पेरिसमां प्रदर्शन योज्युं हतुं. त्यार बाद युरोपभरमां प्रदर्शनो योजाया हता. टागोरे तेमना चित्रोमां प्रोटेनोपिया (रंग अंधापो), अथवा आंशिक रीते अमुक रंगनी गेरहाजरी (टागोरना किस्सामां लाल अने लीलो रंग) पर भार मूक्यो हतो. तेमणे सौंदर्यमीमांसा अने रंगनी रचनानी विशिष्टताने केन्द्रस्थाने राखी हती. | रविन्द्रनाथ टागोर दक्षिण फ्रान्समां कोने मळ्या? | 131 | {
"answer_start": [
136
],
"text": [
"केटलाक चित्रकारोने"
]
} |
60 वर्षनी उंमरे तेमणे चित्रकाम अने पेइन्टिंगनुं काम शरू कर्युं हतुं. तेमनी अनेक कृतिओना सफळ प्रदर्शन पण योजाया हता. दक्षिण फ्रान्समां तेओ केटलाक चित्रकारोने मळ्या हता अने तेमना प्रोत्साहन बाद पेरिसमां प्रदर्शन योज्युं हतुं. त्यार बाद युरोपभरमां प्रदर्शनो योजाया हता. टागोरे तेमना चित्रोमां प्रोटेनोपिया (रंग अंधापो), अथवा आंशिक रीते अमुक रंगनी गेरहाजरी (टागोरना किस्सामां लाल अने लीलो रंग) पर भार मूक्यो हतो. तेमणे सौंदर्यमीमांसा अने रंगनी रचनानी विशिष्टताने केन्द्रस्थाने राखी हती. | टागोरे तेना हस्तलिखित कार्यो माटे शेना पर पण ध्यान केन्द्रित कर्युं? | 132 | {
"answer_start": [
null
],
"text": [
""
]
} |
60 वर्षनी उंमरे तेमणे चित्रकाम अने पेइन्टिंगनुं काम शरू कर्युं हतुं. तेमनी अनेक कृतिओना सफळ प्रदर्शन पण योजाया हता. दक्षिण फ्रान्समां तेओ केटलाक चित्रकारोने मळ्या हता अने तेमना प्रोत्साहन बाद पेरिसमां प्रदर्शन योज्युं हतुं. त्यार बाद युरोपभरमां प्रदर्शनो योजाया हता. टागोरे तेमना चित्रोमां प्रोटेनोपिया (रंग अंधापो), अथवा आंशिक रीते अमुक रंगनी गेरहाजरी (टागोरना किस्सामां लाल अने लीलो रंग) पर भार मूक्यो हतो. तेमणे सौंदर्यमीमांसा अने रंगनी रचनानी विशिष्टताने केन्द्रस्थाने राखी हती. | रविन्द्रनाथ टागोरे कई उंमरे चित्रकाम शरू कर्युं हतुं? | 133 | {
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0
],
"text": [
"60 वर्षनी उंमरे"
]
} |
60 वर्षनी उंमरे तेमणे चित्रकाम अने पेइन्टिंगनुं काम शरू कर्युं हतुं. तेमनी अनेक कृतिओना सफळ प्रदर्शन पण योजाया हता. दक्षिण फ्रान्समां तेओ केटलाक चित्रकारोने मळ्या हता अने तेमना प्रोत्साहन बाद पेरिसमां प्रदर्शन योज्युं हतुं. त्यार बाद युरोपभरमां प्रदर्शनो योजाया हता. टागोरे तेमना चित्रोमां प्रोटेनोपिया (रंग अंधापो), अथवा आंशिक रीते अमुक रंगनी गेरहाजरी (टागोरना किस्सामां लाल अने लीलो रंग) पर भार मूक्यो हतो. तेमणे सौंदर्यमीमांसा अने रंगनी रचनानी विशिष्टताने केन्द्रस्थाने राखी हती. | रविन्द्रनाथ टागोरना चित्रोनुं प्रदर्शन क्यां योजायुं? | 134 | {
"answer_start": [
231
],
"text": [
"युरोपभरमां"
]
} |
60 वर्षनी उंमरे तेमणे चित्रकाम अने पेइन्टिंगनुं काम शरू कर्युं हतुं. तेमनी अनेक कृतिओना सफळ प्रदर्शन पण योजाया हता. दक्षिण फ्रान्समां तेओ केटलाक चित्रकारोने मळ्या हता अने तेमना प्रोत्साहन बाद पेरिसमां प्रदर्शन योज्युं हतुं. त्यार बाद युरोपभरमां प्रदर्शनो योजाया हता. टागोरे तेमना चित्रोमां प्रोटेनोपिया (रंग अंधापो), अथवा आंशिक रीते अमुक रंगनी गेरहाजरी (टागोरना किस्सामां लाल अने लीलो रंग) पर भार मूक्यो हतो. तेमणे सौंदर्यमीमांसा अने रंगनी रचनानी विशिष्टताने केन्द्रस्थाने राखी हती. | 60 वर्षनी उंमरे रविन्द्रनाथ टागोरे शुं शरू कर्युं हतुं? | 135 | {
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22
],
"text": [
"चित्रकाम"
]
} |
878 थी 1932 दरमियान तेमणे पांच खंडोना 13 देशोनी मुलाकात लीधी; तेमना घणा प्रवास बिनभारतीयोने तेमना साहित्यथी परिचत कराववा अने तेमना राजकीय विचारो प्रसराववा माटे हता. 1912मां तेओ पोताना भाषांतर थयेला पूस्तको ईंग्लेन्ड लई गया, ज्यां तेओ गांधीजीना अंतेवासी चार्ल्स एफ. एन्ड्रूझथी प्रभावित थया, एन्गलो-आईरीस कवि विलियम बटलर येट्स, एझरा पाउन्ड, रोबर्ट ब्रिजिस, अर्नेस्ट रीहम्स, थोमस स्टर्ज मुरे , अने अन्योने मळ्या. याट्से तेमना पूस्तक गीतांजलीना अंग्रेजी अनुवाद माटे प्रस्तावना लखी आपी हती. आ बाद टागोरनी साथे एन्डुझ शांतिनिकेतनमां रहेवा आव्या हता. 10 नवेम्बर 1912मां टागोरे युनाईटेड स्टेट्स अने युनाईटेड किंग्डमनी यात्रा करी बटरटोन, स्टेनफोर्डशायरमां एन्ड्रुझना मित्रो साथे रह्या 3 मे 1916 थी एप्रिल 1917 सुधी टागोर जापान अने अमेरिकामां प्रवचन आपवा गया. जे दरमियान तेमणे जापान अने अमेरिकाना राष्ट्रवादनी टीका करी. तेमणे "भारतमां राष्ट्रवाद"नामनो निंबध पण लख्यो. जेनी केटलाके टीका करी तो केटलाके प्रशंसा करी. ( जेमा रोमाईन रोलान्डनो समावेश थतो हतो. ). भारतमां परत आव्या बाद 63 वर्षीय टागोरे पेरुवियन सरकारना आमंत्रणथी पेरूनी मुलाकात लीधी अने बादमां मेक्सिकोनी पण मुलाकात लीधी. बन्ने सरकारोए शांतिनिकेतन(विश्वभारती) माटे 100,000 डोलरनुं दान आप्युं. | रविन्द्रनाथ टागोर ईंग्लेन्डमां कोनाथी प्रभावित थया? | 136 | {
"answer_start": [
252
],
"text": [
"चार्ल्स एफ. एन्ड्रूझथी"
]
} |
878 थी 1932 दरमियान तेमणे पांच खंडोना 13 देशोनी मुलाकात लीधी; तेमना घणा प्रवास बिनभारतीयोने तेमना साहित्यथी परिचत कराववा अने तेमना राजकीय विचारो प्रसराववा माटे हता. 1912मां तेओ पोताना भाषांतर थयेला पूस्तको ईंग्लेन्ड लई गया, ज्यां तेओ गांधीजीना अंतेवासी चार्ल्स एफ. एन्ड्रूझथी प्रभावित थया, एन्गलो-आईरीस कवि विलियम बटलर येट्स, एझरा पाउन्ड, रोबर्ट ब्रिजिस, अर्नेस्ट रीहम्स, थोमस स्टर्ज मुरे , अने अन्योने मळ्या. याट्से तेमना पूस्तक गीतांजलीना अंग्रेजी अनुवाद माटे प्रस्तावना लखी आपी हती. आ बाद टागोरनी साथे एन्डुझ शांतिनिकेतनमां रहेवा आव्या हता. 10 नवेम्बर 1912मां टागोरे युनाईटेड स्टेट्स अने युनाईटेड किंग्डमनी यात्रा करी बटरटोन, स्टेनफोर्डशायरमां एन्ड्रुझना मित्रो साथे रह्या 3 मे 1916 थी एप्रिल 1917 सुधी टागोर जापान अने अमेरिकामां प्रवचन आपवा गया. जे दरमियान तेमणे जापान अने अमेरिकाना राष्ट्रवादनी टीका करी. तेमणे "भारतमां राष्ट्रवाद"नामनो निंबध पण लख्यो. जेनी केटलाके टीका करी तो केटलाके प्रशंसा करी. ( जेमा रोमाईन रोलान्डनो समावेश थतो हतो. ). भारतमां परत आव्या बाद 63 वर्षीय टागोरे पेरुवियन सरकारना आमंत्रणथी पेरूनी मुलाकात लीधी अने बादमां मेक्सिकोनी पण मुलाकात लीधी. बन्ने सरकारोए शांतिनिकेतन(विश्वभारती) माटे 100,000 डोलरनुं दान आप्युं. | कोने अठवाडिया पछी आर्जेन्टिनाना ब्युनोस एरेसनी मुलाकात लीधी? | 137 | {
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null
],
"text": [
""
]
} |
878 थी 1932 दरमियान तेमणे पांच खंडोना 13 देशोनी मुलाकात लीधी; तेमना घणा प्रवास बिनभारतीयोने तेमना साहित्यथी परिचत कराववा अने तेमना राजकीय विचारो प्रसराववा माटे हता. 1912मां तेओ पोताना भाषांतर थयेला पूस्तको ईंग्लेन्ड लई गया, ज्यां तेओ गांधीजीना अंतेवासी चार्ल्स एफ. एन्ड्रूझथी प्रभावित थया, एन्गलो-आईरीस कवि विलियम बटलर येट्स, एझरा पाउन्ड, रोबर्ट ब्रिजिस, अर्नेस्ट रीहम्स, थोमस स्टर्ज मुरे , अने अन्योने मळ्या. याट्से तेमना पूस्तक गीतांजलीना अंग्रेजी अनुवाद माटे प्रस्तावना लखी आपी हती. आ बाद टागोरनी साथे एन्डुझ शांतिनिकेतनमां रहेवा आव्या हता. 10 नवेम्बर 1912मां टागोरे युनाईटेड स्टेट्स अने युनाईटेड किंग्डमनी यात्रा करी बटरटोन, स्टेनफोर्डशायरमां एन्ड्रुझना मित्रो साथे रह्या 3 मे 1916 थी एप्रिल 1917 सुधी टागोर जापान अने अमेरिकामां प्रवचन आपवा गया. जे दरमियान तेमणे जापान अने अमेरिकाना राष्ट्रवादनी टीका करी. तेमणे "भारतमां राष्ट्रवाद"नामनो निंबध पण लख्यो. जेनी केटलाके टीका करी तो केटलाके प्रशंसा करी. ( जेमा रोमाईन रोलान्डनो समावेश थतो हतो. ). भारतमां परत आव्या बाद 63 वर्षीय टागोरे पेरुवियन सरकारना आमंत्रणथी पेरूनी मुलाकात लीधी अने बादमां मेक्सिकोनी पण मुलाकात लीधी. बन्ने सरकारोए शांतिनिकेतन(विश्वभारती) माटे 100,000 डोलरनुं दान आप्युं. | 1912 मां, रविन्द्रनाथ टागोर ईंग्लेन्ड शुं लई गया? | 138 | {
"answer_start": [
176
],
"text": [
"पोताना भाषांतर थयेला पूस्तको"
]
} |
878 थी 1932 दरमियान तेमणे पांच खंडोना 13 देशोनी मुलाकात लीधी; तेमना घणा प्रवास बिनभारतीयोने तेमना साहित्यथी परिचत कराववा अने तेमना राजकीय विचारो प्रसराववा माटे हता. 1912मां तेओ पोताना भाषांतर थयेला पूस्तको ईंग्लेन्ड लई गया, ज्यां तेओ गांधीजीना अंतेवासी चार्ल्स एफ. एन्ड्रूझथी प्रभावित थया, एन्गलो-आईरीस कवि विलियम बटलर येट्स, एझरा पाउन्ड, रोबर्ट ब्रिजिस, अर्नेस्ट रीहम्स, थोमस स्टर्ज मुरे , अने अन्योने मळ्या. याट्से तेमना पूस्तक गीतांजलीना अंग्रेजी अनुवाद माटे प्रस्तावना लखी आपी हती. आ बाद टागोरनी साथे एन्डुझ शांतिनिकेतनमां रहेवा आव्या हता. 10 नवेम्बर 1912मां टागोरे युनाईटेड स्टेट्स अने युनाईटेड किंग्डमनी यात्रा करी बटरटोन, स्टेनफोर्डशायरमां एन्ड्रुझना मित्रो साथे रह्या 3 मे 1916 थी एप्रिल 1917 सुधी टागोर जापान अने अमेरिकामां प्रवचन आपवा गया. जे दरमियान तेमणे जापान अने अमेरिकाना राष्ट्रवादनी टीका करी. तेमणे "भारतमां राष्ट्रवाद"नामनो निंबध पण लख्यो. जेनी केटलाके टीका करी तो केटलाके प्रशंसा करी. ( जेमा रोमाईन रोलान्डनो समावेश थतो हतो. ). भारतमां परत आव्या बाद 63 वर्षीय टागोरे पेरुवियन सरकारना आमंत्रणथी पेरूनी मुलाकात लीधी अने बादमां मेक्सिकोनी पण मुलाकात लीधी. बन्ने सरकारोए शांतिनिकेतन(विश्वभारती) माटे 100,000 डोलरनुं दान आप्युं. | कोणे रविन्द्रनाथ टागोरना पुस्तक गीतांजलिना अंग्रेजी अनुवाद माटे प्रस्तावना लखी हती? | 139 | {
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409
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"याट्से"
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878 थी 1932 दरमियान तेमणे पांच खंडोना 13 देशोनी मुलाकात लीधी; तेमना घणा प्रवास बिनभारतीयोने तेमना साहित्यथी परिचत कराववा अने तेमना राजकीय विचारो प्रसराववा माटे हता. 1912मां तेओ पोताना भाषांतर थयेला पूस्तको ईंग्लेन्ड लई गया, ज्यां तेओ गांधीजीना अंतेवासी चार्ल्स एफ. एन्ड्रूझथी प्रभावित थया, एन्गलो-आईरीस कवि विलियम बटलर येट्स, एझरा पाउन्ड, रोबर्ट ब्रिजिस, अर्नेस्ट रीहम्स, थोमस स्टर्ज मुरे , अने अन्योने मळ्या. याट्से तेमना पूस्तक गीतांजलीना अंग्रेजी अनुवाद माटे प्रस्तावना लखी आपी हती. आ बाद टागोरनी साथे एन्डुझ शांतिनिकेतनमां रहेवा आव्या हता. 10 नवेम्बर 1912मां टागोरे युनाईटेड स्टेट्स अने युनाईटेड किंग्डमनी यात्रा करी बटरटोन, स्टेनफोर्डशायरमां एन्ड्रुझना मित्रो साथे रह्या 3 मे 1916 थी एप्रिल 1917 सुधी टागोर जापान अने अमेरिकामां प्रवचन आपवा गया. जे दरमियान तेमणे जापान अने अमेरिकाना राष्ट्रवादनी टीका करी. तेमणे "भारतमां राष्ट्रवाद"नामनो निंबध पण लख्यो. जेनी केटलाके टीका करी तो केटलाके प्रशंसा करी. ( जेमा रोमाईन रोलान्डनो समावेश थतो हतो. ). भारतमां परत आव्या बाद 63 वर्षीय टागोरे पेरुवियन सरकारना आमंत्रणथी पेरूनी मुलाकात लीधी अने बादमां मेक्सिकोनी पण मुलाकात लीधी. बन्ने सरकारोए शांतिनिकेतन(विश्वभारती) माटे 100,000 डोलरनुं दान आप्युं. | रवीन्द्रनाथ टागोर कई सालमां भारत जवा नीकळ्या? | 140 | {
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""
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878 थी 1932 दरमियान तेमणे पांच खंडोना 13 देशोनी मुलाकात लीधी; तेमना घणा प्रवास बिनभारतीयोने तेमना साहित्यथी परिचत कराववा अने तेमना राजकीय विचारो प्रसराववा माटे हता. 1912मां तेओ पोताना भाषांतर थयेला पूस्तको ईंग्लेन्ड लई गया, ज्यां तेओ गांधीजीना अंतेवासी चार्ल्स एफ. एन्ड्रूझथी प्रभावित थया, एन्गलो-आईरीस कवि विलियम बटलर येट्स, एझरा पाउन्ड, रोबर्ट ब्रिजिस, अर्नेस्ट रीहम्स, थोमस स्टर्ज मुरे , अने अन्योने मळ्या. याट्से तेमना पूस्तक गीतांजलीना अंग्रेजी अनुवाद माटे प्रस्तावना लखी आपी हती. आ बाद टागोरनी साथे एन्डुझ शांतिनिकेतनमां रहेवा आव्या हता. 10 नवेम्बर 1912मां टागोरे युनाईटेड स्टेट्स अने युनाईटेड किंग्डमनी यात्रा करी बटरटोन, स्टेनफोर्डशायरमां एन्ड्रुझना मित्रो साथे रह्या 3 मे 1916 थी एप्रिल 1917 सुधी टागोर जापान अने अमेरिकामां प्रवचन आपवा गया. जे दरमियान तेमणे जापान अने अमेरिकाना राष्ट्रवादनी टीका करी. तेमणे "भारतमां राष्ट्रवाद"नामनो निंबध पण लख्यो. जेनी केटलाके टीका करी तो केटलाके प्रशंसा करी. ( जेमा रोमाईन रोलान्डनो समावेश थतो हतो. ). भारतमां परत आव्या बाद 63 वर्षीय टागोरे पेरुवियन सरकारना आमंत्रणथी पेरूनी मुलाकात लीधी अने बादमां मेक्सिकोनी पण मुलाकात लीधी. बन्ने सरकारोए शांतिनिकेतन(विश्वभारती) माटे 100,000 डोलरनुं दान आप्युं. | रविन्द्रनाथ टागोरे 878 थी 1932 सुधी, केटला देशोनी मुलाकात लीधी? | 141 | {
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38
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"13"
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878 थी 1932 दरमियान तेमणे पांच खंडोना 13 देशोनी मुलाकात लीधी; तेमना घणा प्रवास बिनभारतीयोने तेमना साहित्यथी परिचत कराववा अने तेमना राजकीय विचारो प्रसराववा माटे हता. 1912मां तेओ पोताना भाषांतर थयेला पूस्तको ईंग्लेन्ड लई गया, ज्यां तेओ गांधीजीना अंतेवासी चार्ल्स एफ. एन्ड्रूझथी प्रभावित थया, एन्गलो-आईरीस कवि विलियम बटलर येट्स, एझरा पाउन्ड, रोबर्ट ब्रिजिस, अर्नेस्ट रीहम्स, थोमस स्टर्ज मुरे , अने अन्योने मळ्या. याट्से तेमना पूस्तक गीतांजलीना अंग्रेजी अनुवाद माटे प्रस्तावना लखी आपी हती. आ बाद टागोरनी साथे एन्डुझ शांतिनिकेतनमां रहेवा आव्या हता. 10 नवेम्बर 1912मां टागोरे युनाईटेड स्टेट्स अने युनाईटेड किंग्डमनी यात्रा करी बटरटोन, स्टेनफोर्डशायरमां एन्ड्रुझना मित्रो साथे रह्या 3 मे 1916 थी एप्रिल 1917 सुधी टागोर जापान अने अमेरिकामां प्रवचन आपवा गया. जे दरमियान तेमणे जापान अने अमेरिकाना राष्ट्रवादनी टीका करी. तेमणे "भारतमां राष्ट्रवाद"नामनो निंबध पण लख्यो. जेनी केटलाके टीका करी तो केटलाके प्रशंसा करी. ( जेमा रोमाईन रोलान्डनो समावेश थतो हतो. ). भारतमां परत आव्या बाद 63 वर्षीय टागोरे पेरुवियन सरकारना आमंत्रणथी पेरूनी मुलाकात लीधी अने बादमां मेक्सिकोनी पण मुलाकात लीधी. बन्ने सरकारोए शांतिनिकेतन(विश्वभारती) माटे 100,000 डोलरनुं दान आप्युं. | 3 मे 1916 थी एप्रिल 1917 सुधी बटरटन, स्टेनफोर्डमां टागोर कोनी साथे रह्या? | 142 | {
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644
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"एन्ड्रुझना मित्रो"
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878 थी 1932 दरमियान तेमणे पांच खंडोना 13 देशोनी मुलाकात लीधी; तेमना घणा प्रवास बिनभारतीयोने तेमना साहित्यथी परिचत कराववा अने तेमना राजकीय विचारो प्रसराववा माटे हता. 1912मां तेओ पोताना भाषांतर थयेला पूस्तको ईंग्लेन्ड लई गया, ज्यां तेओ गांधीजीना अंतेवासी चार्ल्स एफ. एन्ड्रूझथी प्रभावित थया, एन्गलो-आईरीस कवि विलियम बटलर येट्स, एझरा पाउन्ड, रोबर्ट ब्रिजिस, अर्नेस्ट रीहम्स, थोमस स्टर्ज मुरे , अने अन्योने मळ्या. याट्से तेमना पूस्तक गीतांजलीना अंग्रेजी अनुवाद माटे प्रस्तावना लखी आपी हती. आ बाद टागोरनी साथे एन्डुझ शांतिनिकेतनमां रहेवा आव्या हता. 10 नवेम्बर 1912मां टागोरे युनाईटेड स्टेट्स अने युनाईटेड किंग्डमनी यात्रा करी बटरटोन, स्टेनफोर्डशायरमां एन्ड्रुझना मित्रो साथे रह्या 3 मे 1916 थी एप्रिल 1917 सुधी टागोर जापान अने अमेरिकामां प्रवचन आपवा गया. जे दरमियान तेमणे जापान अने अमेरिकाना राष्ट्रवादनी टीका करी. तेमणे "भारतमां राष्ट्रवाद"नामनो निंबध पण लख्यो. जेनी केटलाके टीका करी तो केटलाके प्रशंसा करी. ( जेमा रोमाईन रोलान्डनो समावेश थतो हतो. ). भारतमां परत आव्या बाद 63 वर्षीय टागोरे पेरुवियन सरकारना आमंत्रणथी पेरूनी मुलाकात लीधी अने बादमां मेक्सिकोनी पण मुलाकात लीधी. बन्ने सरकारोए शांतिनिकेतन(विश्वभारती) माटे 100,000 डोलरनुं दान आप्युं. | कई तारीखना रोज टागोरे मुसोलिन विरुद्ध निवेदन आप्युं? | 143 | {
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अंग्रजोना शासनकाळ दरमियान अमदावाद एक मुख्य नगर बनी गयुं. अहीं तेमणे कोर्ट, नगरपालिका वगेरे स्थाप्यां. कापडनी मिलोने कारणे अमदावाद 'पूर्वनुं मांचेस्टर' पण कहेवातुं हतुं. मे १९६०थी नवा बनेला गुजरात राज्यनुं पाटनगर बन्यु. गांधीनगर नवुं पाटनगर बनवा छतां अमदावादनी महत्ता एवी ज रही छे. १९७४मां एल. डी. कोलेज ओफ एन्जिनियरिंगना छात्रालयना भोजनालयमां दरमां २०%नो वधारो थता तेनो विरोध शरू थयो, जे नवनिर्माण आंदोलनमां परिणम्यो अने भारतना ईतिहासमां सौप्रथम (अने मात्र एकवार) चूंटायेला मुख्यमंत्री - चीमनभाई पटेले आंदोलनने कारणे राजीनामुं आपवुं पड्युं. | अमदावाद बाद कयुं शहेर गुजरातनी नवी राजधानी बनी गयुं? | 144 | {
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215
],
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"गांधीनगर"
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अंग्रजोना शासनकाळ दरमियान अमदावाद एक मुख्य नगर बनी गयुं. अहीं तेमणे कोर्ट, नगरपालिका वगेरे स्थाप्यां. कापडनी मिलोने कारणे अमदावाद 'पूर्वनुं मांचेस्टर' पण कहेवातुं हतुं. मे १९६०थी नवा बनेला गुजरात राज्यनुं पाटनगर बन्यु. गांधीनगर नवुं पाटनगर बनवा छतां अमदावादनी महत्ता एवी ज रही छे. १९७४मां एल. डी. कोलेज ओफ एन्जिनियरिंगना छात्रालयना भोजनालयमां दरमां २०%नो वधारो थता तेनो विरोध शरू थयो, जे नवनिर्माण आंदोलनमां परिणम्यो अने भारतना ईतिहासमां सौप्रथम (अने मात्र एकवार) चूंटायेला मुख्यमंत्री - चीमनभाई पटेले आंदोलनने कारणे राजीनामुं आपवुं पड्युं. | समाजना केवा वर्गो वच्चे अथडामणथी आंदोलन शरू थयुं हतुं?. | 145 | {
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अंग्रजोना शासनकाळ दरमियान अमदावाद एक मुख्य नगर बनी गयुं. अहीं तेमणे कोर्ट, नगरपालिका वगेरे स्थाप्यां. कापडनी मिलोने कारणे अमदावाद 'पूर्वनुं मांचेस्टर' पण कहेवातुं हतुं. मे १९६०थी नवा बनेला गुजरात राज्यनुं पाटनगर बन्यु. गांधीनगर नवुं पाटनगर बनवा छतां अमदावादनी महत्ता एवी ज रही छे. १९७४मां एल. डी. कोलेज ओफ एन्जिनियरिंगना छात्रालयना भोजनालयमां दरमां २०%नो वधारो थता तेनो विरोध शरू थयो, जे नवनिर्माण आंदोलनमां परिणम्यो अने भारतना ईतिहासमां सौप्रथम (अने मात्र एकवार) चूंटायेला मुख्यमंत्री - चीमनभाई पटेले आंदोलनने कारणे राजीनामुं आपवुं पड्युं. | 2001 ना भूकंपमां, केटला लोकोना मोत थया? | 146 | {
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अंग्रजोना शासनकाळ दरमियान अमदावाद एक मुख्य नगर बनी गयुं. अहीं तेमणे कोर्ट, नगरपालिका वगेरे स्थाप्यां. कापडनी मिलोने कारणे अमदावाद 'पूर्वनुं मांचेस्टर' पण कहेवातुं हतुं. मे १९६०थी नवा बनेला गुजरात राज्यनुं पाटनगर बन्यु. गांधीनगर नवुं पाटनगर बनवा छतां अमदावादनी महत्ता एवी ज रही छे. १९७४मां एल. डी. कोलेज ओफ एन्जिनियरिंगना छात्रालयना भोजनालयमां दरमां २०%नो वधारो थता तेनो विरोध शरू थयो, जे नवनिर्माण आंदोलनमां परिणम्यो अने भारतना ईतिहासमां सौप्रथम (अने मात्र एकवार) चूंटायेला मुख्यमंत्री - चीमनभाई पटेले आंदोलनने कारणे राजीनामुं आपवुं पड्युं. | 2001 ना भूकंपमां, शहेरनी केटली बहुमाळी इमारतो धराशायी थई? | 147 | {
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अंग्रजोना शासनकाळ दरमियान अमदावाद एक मुख्य नगर बनी गयुं. अहीं तेमणे कोर्ट, नगरपालिका वगेरे स्थाप्यां. कापडनी मिलोने कारणे अमदावाद 'पूर्वनुं मांचेस्टर' पण कहेवातुं हतुं. मे १९६०थी नवा बनेला गुजरात राज्यनुं पाटनगर बन्यु. गांधीनगर नवुं पाटनगर बनवा छतां अमदावादनी महत्ता एवी ज रही छे. १९७४मां एल. डी. कोलेज ओफ एन्जिनियरिंगना छात्रालयना भोजनालयमां दरमां २०%नो वधारो थता तेनो विरोध शरू थयो, जे नवनिर्माण आंदोलनमां परिणम्यो अने भारतना ईतिहासमां सौप्रथम (अने मात्र एकवार) चूंटायेला मुख्यमंत्री - चीमनभाई पटेले आंदोलनने कारणे राजीनामुं आपवुं पड्युं. | ब्रिटिश शासन दरमियान अमदावादमां शेनी स्थापना करवामां आवी हती? | 148 | {
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67
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"कोर्ट, नगरपालिका"
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अंग्रजोना शासनकाळ दरमियान अमदावाद एक मुख्य नगर बनी गयुं. अहीं तेमणे कोर्ट, नगरपालिका वगेरे स्थाप्यां. कापडनी मिलोने कारणे अमदावाद 'पूर्वनुं मांचेस्टर' पण कहेवातुं हतुं. मे १९६०थी नवा बनेला गुजरात राज्यनुं पाटनगर बन्यु. गांधीनगर नवुं पाटनगर बनवा छतां अमदावादनी महत्ता एवी ज रही छे. १९७४मां एल. डी. कोलेज ओफ एन्जिनियरिंगना छात्रालयना भोजनालयमां दरमां २०%नो वधारो थता तेनो विरोध शरू थयो, जे नवनिर्माण आंदोलनमां परिणम्यो अने भारतना ईतिहासमां सौप्रथम (अने मात्र एकवार) चूंटायेला मुख्यमंत्री - चीमनभाई पटेले आंदोलनने कारणे राजीनामुं आपवुं पड्युं. | अमदावाद क्यारथी नवा रचायेला गुजरात राज्यनी राजधानी बन्युं? | 149 | {
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"१९६०थी"
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अंग्रजोना शासनकाळ दरमियान अमदावाद एक मुख्य नगर बनी गयुं. अहीं तेमणे कोर्ट, नगरपालिका वगेरे स्थाप्यां. कापडनी मिलोने कारणे अमदावाद 'पूर्वनुं मांचेस्टर' पण कहेवातुं हतुं. मे १९६०थी नवा बनेला गुजरात राज्यनुं पाटनगर बन्यु. गांधीनगर नवुं पाटनगर बनवा छतां अमदावादनी महत्ता एवी ज रही छे. १९७४मां एल. डी. कोलेज ओफ एन्जिनियरिंगना छात्रालयना भोजनालयमां दरमां २०%नो वधारो थता तेनो विरोध शरू थयो, जे नवनिर्माण आंदोलनमां परिणम्यो अने भारतना ईतिहासमां सौप्रथम (अने मात्र एकवार) चूंटायेला मुख्यमंत्री - चीमनभाई पटेले आंदोलनने कारणे राजीनामुं आपवुं पड्युं. | अनामत विरोधी आंदोलनो क्यारे थया हता? | 150 | {
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""
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अंग्रजोना शासनकाळ दरमियान अमदावाद एक मुख्य नगर बनी गयुं. अहीं तेमणे कोर्ट, नगरपालिका वगेरे स्थाप्यां. कापडनी मिलोने कारणे अमदावाद 'पूर्वनुं मांचेस्टर' पण कहेवातुं हतुं. मे १९६०थी नवा बनेला गुजरात राज्यनुं पाटनगर बन्यु. गांधीनगर नवुं पाटनगर बनवा छतां अमदावादनी महत्ता एवी ज रही छे. १९७४मां एल. डी. कोलेज ओफ एन्जिनियरिंगना छात्रालयना भोजनालयमां दरमां २०%नो वधारो थता तेनो विरोध शरू थयो, जे नवनिर्माण आंदोलनमां परिणम्यो अने भारतना ईतिहासमां सौप्रथम (अने मात्र एकवार) चूंटायेला मुख्यमंत्री - चीमनभाई पटेले आंदोलनने कारणे राजीनामुं आपवुं पड्युं. | क्यां शहेरने "मान्चेस्टर ओफ ध इस्ट" तरीके पण ओळखवामां आवतुं हतुं? | 151 | {
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26
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"अमदावाद"
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अंग्रजोना शासनकाळ दरमियान अमदावाद एक मुख्य नगर बनी गयुं. अहीं तेमणे कोर्ट, नगरपालिका वगेरे स्थाप्यां. कापडनी मिलोने कारणे अमदावाद 'पूर्वनुं मांचेस्टर' पण कहेवातुं हतुं. मे १९६०थी नवा बनेला गुजरात राज्यनुं पाटनगर बन्यु. गांधीनगर नवुं पाटनगर बनवा छतां अमदावादनी महत्ता एवी ज रही छे. १९७४मां एल. डी. कोलेज ओफ एन्जिनियरिंगना छात्रालयना भोजनालयमां दरमां २०%नो वधारो थता तेनो विरोध शरू थयो, जे नवनिर्माण आंदोलनमां परिणम्यो अने भारतना ईतिहासमां सौप्रथम (अने मात्र एकवार) चूंटायेला मुख्यमंत्री - चीमनभाई पटेले आंदोलनने कारणे राजीनामुं आपवुं पड्युं. | एल.डी.कोलेज ओफ एन्जिनियरिंगनी होस्टेल फीमां 20 टकाना वधारा सामे थयेला विरोध प्रदर्शनना आंदोलनने कारणे कोणे राजीनामुं आप्युं हतुं? | 152 | {
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483
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"चीमनभाई पटेले"
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} |
अंग्रजोना शासनकाळ दरमियान अमदावाद एक मुख्य नगर बनी गयुं. अहीं तेमणे कोर्ट, नगरपालिका वगेरे स्थाप्यां. कापडनी मिलोने कारणे अमदावाद 'पूर्वनुं मांचेस्टर' पण कहेवातुं हतुं. मे १९६०थी नवा बनेला गुजरात राज्यनुं पाटनगर बन्यु. गांधीनगर नवुं पाटनगर बनवा छतां अमदावादनी महत्ता एवी ज रही छे. १९७४मां एल. डी. कोलेज ओफ एन्जिनियरिंगना छात्रालयना भोजनालयमां दरमां २०%नो वधारो थता तेनो विरोध शरू थयो, जे नवनिर्माण आंदोलनमां परिणम्यो अने भारतना ईतिहासमां सौप्रथम (अने मात्र एकवार) चूंटायेला मुख्यमंत्री - चीमनभाई पटेले आंदोलनने कारणे राजीनामुं आपवुं पड्युं. | कया वर्षे गोधरा रमखाणोना परिणामे हिन्दु-मुस्लिम रमखाणो फाटी नीकळ्या? | 153 | {
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अंग्रजोना शासनकाळ दरमियान अमदावाद एक मुख्य नगर बनी गयुं. अहीं तेमणे कोर्ट, नगरपालिका वगेरे स्थाप्यां. कापडनी मिलोने कारणे अमदावाद 'पूर्वनुं मांचेस्टर' पण कहेवातुं हतुं. मे १९६०थी नवा बनेला गुजरात राज्यनुं पाटनगर बन्यु. गांधीनगर नवुं पाटनगर बनवा छतां अमदावादनी महत्ता एवी ज रही छे. १९७४मां एल. डी. कोलेज ओफ एन्जिनियरिंगना छात्रालयना भोजनालयमां दरमां २०%नो वधारो थता तेनो विरोध शरू थयो, जे नवनिर्माण आंदोलनमां परिणम्यो अने भारतना ईतिहासमां सौप्रथम (अने मात्र एकवार) चूंटायेला मुख्यमंत्री - चीमनभाई पटेले आंदोलनने कारणे राजीनामुं आपवुं पड्युं. | कोना शासन दरमियान अमदावाद एक मोटुं शहेर बन्युं? | 154 | {
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"अंग्रजोना शासनकाळ दरमियान"
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अंग्रजोना शासनकाळ दरमियान अमदावाद एक मुख्य नगर बनी गयुं. अहीं तेमणे कोर्ट, नगरपालिका वगेरे स्थाप्यां. कापडनी मिलोने कारणे अमदावाद 'पूर्वनुं मांचेस्टर' पण कहेवातुं हतुं. मे १९६०थी नवा बनेला गुजरात राज्यनुं पाटनगर बन्यु. गांधीनगर नवुं पाटनगर बनवा छतां अमदावादनी महत्ता एवी ज रही छे. १९७४मां एल. डी. कोलेज ओफ एन्जिनियरिंगना छात्रालयना भोजनालयमां दरमां २०%नो वधारो थता तेनो विरोध शरू थयो, जे नवनिर्माण आंदोलनमां परिणम्यो अने भारतना ईतिहासमां सौप्रथम (अने मात्र एकवार) चूंटायेला मुख्यमंत्री - चीमनभाई पटेले आंदोलनने कारणे राजीनामुं आपवुं पड्युं. | अमदावादने "मान्चेस्टर ओफ ध इस्ट" तरीके केम ओळखवामां आवतुं हतुं? | 155 | {
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"कापडनी मिलोने कारणे"
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अनेक समाचार माध्यमोए मधर टेरेसानां लखाणोने "श्रद्धानी कटोकटी" तरीके वर्णव्या छे. तेमनी जाहेर छबि मात्र प्रसिद्धि माटे ज मुख्यत्वे ऊभी करवामां आवी छे; तेमनी अंगत मान्यताओ अने व्यवहार जुदा छे अने तेमनां लखाणो तेना पुरावारूप छे एवुं क्रिस्टोफर हिचेन्स जेवा तेमना केटलाक टीकाकारो कह्युं. हिचेन्से लख्युं, "तो, वधु आघातजनक शुं छेः ते के श्रद्धाळुए बहादुरीपूर्वक ए हकीकतने पडकारवी जोईए के तेमनी नायिकाओमांथी एक पासे बधुं छे, परंतु ते पोतानी श्रद्धा खोई बेठी छे, के पछी ते के चर्च जाणी जोईने प्रसिद्धि माटे अनुकूळ व्यकितने गोठवे छे, एक मूंझायेली वृद्धा जे मान्यामां न आवे तेवा एकदम व्यवहारिक हेतुओ बराबर जाणे छे? " जो के, कम बि माय लाईट ना संपादक ब्रायन कोलोदिएजचुक जेवा बीजा केटलाक 16मी सदीना रहस्यमय क्रोसना संत जहोन साथे सरखामणी करे छे, संत जहोने अमुक आध्यात्मिक शिक्षकोना विकासना अमुक चोक्कस तबक्काने वर्णववा माटे "आत्मानी काळीडिबांग रात्रि" जेवो शब्दप्रयोग निपजाव्यो हतो. तेमना आ पत्रो तेमनी संतत्व तरफनी प्रगतिने असर नहीं करे तेवुं वेटिकने सूचव्युं हतुं. खरेखर, तेमना पोस्टुलेटर, पूजय ब्रायन कोलोडाईजचुके ज आ पुस्तकनुं संपादन कर्युं हतुं. बेनेडीकट सोळमाए पोताना पोप तरीकेना पहेला परिपत्र, ड्यूस कारीटास ईस्त मां कलकत्तानी टेरेसानो त्रण वखत उल्लेख कर्यो हतो अने परिपत्रमां पोताना मुख्य मुद्दाओमांना एकने समजाववा माटे पण तेमना जीवननुं उदाहरण टांकयुं हतुं. "कलकत्ताना ब्लेसिड टेरेसाना उदाहरणथी आपणे स्पष्टपणे जोई शकीए छीए के प्रभुनी प्रार्थनामां गाळेलो समय, आपणा पाडोशीओनी असरकारक अने प्रेमाळ काळजी राखवामां घटाडो नथी करतो, परंतु खरेखर तो सेवा करवा माटे ए आपणो अखूट ऊर्जानो स्रोत बने छे. " मधर टेरेसाए स्पष्ट कर्युं हतुं के "मात्र मनथी प्रार्थना अने आध्यात्मिक वांचनथी ज आपणे प्रार्थनानी भेटने केळवी शकीए छीए. "आम तो मधर टेरेसाना संगठन अने फ्रांसिसकन संगठन वच्चे कोई सीधुं जोडाण नहोतुं, पण तेओ एसिसीना संत फ्रांसिसना बहु मोटो प्रशंसक तरीके जाणीता हतां. ए ज प्रमाणे, तेमना प्रभाव अने तेमना जीवन पर फ्रांसिसिकन आध्यात्मिकतानो प्रभाव जोवा मळतो हतो. | कम बी माय लाइटना संपादक कोण छे? | 156 | {
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"ब्रायन कोलोदिएजचुक"
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अनेक समाचार माध्यमोए मधर टेरेसानां लखाणोने "श्रद्धानी कटोकटी" तरीके वर्णव्या छे. तेमनी जाहेर छबि मात्र प्रसिद्धि माटे ज मुख्यत्वे ऊभी करवामां आवी छे; तेमनी अंगत मान्यताओ अने व्यवहार जुदा छे अने तेमनां लखाणो तेना पुरावारूप छे एवुं क्रिस्टोफर हिचेन्स जेवा तेमना केटलाक टीकाकारो कह्युं. हिचेन्से लख्युं, "तो, वधु आघातजनक शुं छेः ते के श्रद्धाळुए बहादुरीपूर्वक ए हकीकतने पडकारवी जोईए के तेमनी नायिकाओमांथी एक पासे बधुं छे, परंतु ते पोतानी श्रद्धा खोई बेठी छे, के पछी ते के चर्च जाणी जोईने प्रसिद्धि माटे अनुकूळ व्यकितने गोठवे छे, एक मूंझायेली वृद्धा जे मान्यामां न आवे तेवा एकदम व्यवहारिक हेतुओ बराबर जाणे छे? " जो के, कम बि माय लाईट ना संपादक ब्रायन कोलोदिएजचुक जेवा बीजा केटलाक 16मी सदीना रहस्यमय क्रोसना संत जहोन साथे सरखामणी करे छे, संत जहोने अमुक आध्यात्मिक शिक्षकोना विकासना अमुक चोक्कस तबक्काने वर्णववा माटे "आत्मानी काळीडिबांग रात्रि" जेवो शब्दप्रयोग निपजाव्यो हतो. तेमना आ पत्रो तेमनी संतत्व तरफनी प्रगतिने असर नहीं करे तेवुं वेटिकने सूचव्युं हतुं. खरेखर, तेमना पोस्टुलेटर, पूजय ब्रायन कोलोडाईजचुके ज आ पुस्तकनुं संपादन कर्युं हतुं. बेनेडीकट सोळमाए पोताना पोप तरीकेना पहेला परिपत्र, ड्यूस कारीटास ईस्त मां कलकत्तानी टेरेसानो त्रण वखत उल्लेख कर्यो हतो अने परिपत्रमां पोताना मुख्य मुद्दाओमांना एकने समजाववा माटे पण तेमना जीवननुं उदाहरण टांकयुं हतुं. "कलकत्ताना ब्लेसिड टेरेसाना उदाहरणथी आपणे स्पष्टपणे जोई शकीए छीए के प्रभुनी प्रार्थनामां गाळेलो समय, आपणा पाडोशीओनी असरकारक अने प्रेमाळ काळजी राखवामां घटाडो नथी करतो, परंतु खरेखर तो सेवा करवा माटे ए आपणो अखूट ऊर्जानो स्रोत बने छे. " मधर टेरेसाए स्पष्ट कर्युं हतुं के "मात्र मनथी प्रार्थना अने आध्यात्मिक वांचनथी ज आपणे प्रार्थनानी भेटने केळवी शकीए छीए. "आम तो मधर टेरेसाना संगठन अने फ्रांसिसकन संगठन वच्चे कोई सीधुं जोडाण नहोतुं, पण तेओ एसिसीना संत फ्रांसिसना बहु मोटो प्रशंसक तरीके जाणीता हतां. ए ज प्रमाणे, तेमना प्रभाव अने तेमना जीवन पर फ्रांसिसिकन आध्यात्मिकतानो प्रभाव जोवा मळतो हतो. | संत फ्रान्सिसे पोताना जीवननो मोटो भाग कोनी सेवामां विताव्यो? | 157 | {
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""
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अनेक समाचार माध्यमोए मधर टेरेसानां लखाणोने "श्रद्धानी कटोकटी" तरीके वर्णव्या छे. तेमनी जाहेर छबि मात्र प्रसिद्धि माटे ज मुख्यत्वे ऊभी करवामां आवी छे; तेमनी अंगत मान्यताओ अने व्यवहार जुदा छे अने तेमनां लखाणो तेना पुरावारूप छे एवुं क्रिस्टोफर हिचेन्स जेवा तेमना केटलाक टीकाकारो कह्युं. हिचेन्से लख्युं, "तो, वधु आघातजनक शुं छेः ते के श्रद्धाळुए बहादुरीपूर्वक ए हकीकतने पडकारवी जोईए के तेमनी नायिकाओमांथी एक पासे बधुं छे, परंतु ते पोतानी श्रद्धा खोई बेठी छे, के पछी ते के चर्च जाणी जोईने प्रसिद्धि माटे अनुकूळ व्यकितने गोठवे छे, एक मूंझायेली वृद्धा जे मान्यामां न आवे तेवा एकदम व्यवहारिक हेतुओ बराबर जाणे छे? " जो के, कम बि माय लाईट ना संपादक ब्रायन कोलोदिएजचुक जेवा बीजा केटलाक 16मी सदीना रहस्यमय क्रोसना संत जहोन साथे सरखामणी करे छे, संत जहोने अमुक आध्यात्मिक शिक्षकोना विकासना अमुक चोक्कस तबक्काने वर्णववा माटे "आत्मानी काळीडिबांग रात्रि" जेवो शब्दप्रयोग निपजाव्यो हतो. तेमना आ पत्रो तेमनी संतत्व तरफनी प्रगतिने असर नहीं करे तेवुं वेटिकने सूचव्युं हतुं. खरेखर, तेमना पोस्टुलेटर, पूजय ब्रायन कोलोडाईजचुके ज आ पुस्तकनुं संपादन कर्युं हतुं. बेनेडीकट सोळमाए पोताना पोप तरीकेना पहेला परिपत्र, ड्यूस कारीटास ईस्त मां कलकत्तानी टेरेसानो त्रण वखत उल्लेख कर्यो हतो अने परिपत्रमां पोताना मुख्य मुद्दाओमांना एकने समजाववा माटे पण तेमना जीवननुं उदाहरण टांकयुं हतुं. "कलकत्ताना ब्लेसिड टेरेसाना उदाहरणथी आपणे स्पष्टपणे जोई शकीए छीए के प्रभुनी प्रार्थनामां गाळेलो समय, आपणा पाडोशीओनी असरकारक अने प्रेमाळ काळजी राखवामां घटाडो नथी करतो, परंतु खरेखर तो सेवा करवा माटे ए आपणो अखूट ऊर्जानो स्रोत बने छे. " मधर टेरेसाए स्पष्ट कर्युं हतुं के "मात्र मनथी प्रार्थना अने आध्यात्मिक वांचनथी ज आपणे प्रार्थनानी भेटने केळवी शकीए छीए. "आम तो मधर टेरेसाना संगठन अने फ्रांसिसकन संगठन वच्चे कोई सीधुं जोडाण नहोतुं, पण तेओ एसिसीना संत फ्रांसिसना बहु मोटो प्रशंसक तरीके जाणीता हतां. ए ज प्रमाणे, तेमना प्रभाव अने तेमना जीवन पर फ्रांसिसिकन आध्यात्मिकतानो प्रभाव जोवा मळतो हतो. | बेनेडिक्ट सोल्माए पोप, ड्युस केरिटास इस्ट तरीकेना तेमना प्रथम परिपत्रमां केटली वखत कलकत्तानी टेरेसानो उल्लेख कर्यो हतो? | 158 | {
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"त्रण"
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अनेक समाचार माध्यमोए मधर टेरेसानां लखाणोने "श्रद्धानी कटोकटी" तरीके वर्णव्या छे. तेमनी जाहेर छबि मात्र प्रसिद्धि माटे ज मुख्यत्वे ऊभी करवामां आवी छे; तेमनी अंगत मान्यताओ अने व्यवहार जुदा छे अने तेमनां लखाणो तेना पुरावारूप छे एवुं क्रिस्टोफर हिचेन्स जेवा तेमना केटलाक टीकाकारो कह्युं. हिचेन्से लख्युं, "तो, वधु आघातजनक शुं छेः ते के श्रद्धाळुए बहादुरीपूर्वक ए हकीकतने पडकारवी जोईए के तेमनी नायिकाओमांथी एक पासे बधुं छे, परंतु ते पोतानी श्रद्धा खोई बेठी छे, के पछी ते के चर्च जाणी जोईने प्रसिद्धि माटे अनुकूळ व्यकितने गोठवे छे, एक मूंझायेली वृद्धा जे मान्यामां न आवे तेवा एकदम व्यवहारिक हेतुओ बराबर जाणे छे? " जो के, कम बि माय लाईट ना संपादक ब्रायन कोलोदिएजचुक जेवा बीजा केटलाक 16मी सदीना रहस्यमय क्रोसना संत जहोन साथे सरखामणी करे छे, संत जहोने अमुक आध्यात्मिक शिक्षकोना विकासना अमुक चोक्कस तबक्काने वर्णववा माटे "आत्मानी काळीडिबांग रात्रि" जेवो शब्दप्रयोग निपजाव्यो हतो. तेमना आ पत्रो तेमनी संतत्व तरफनी प्रगतिने असर नहीं करे तेवुं वेटिकने सूचव्युं हतुं. खरेखर, तेमना पोस्टुलेटर, पूजय ब्रायन कोलोडाईजचुके ज आ पुस्तकनुं संपादन कर्युं हतुं. बेनेडीकट सोळमाए पोताना पोप तरीकेना पहेला परिपत्र, ड्यूस कारीटास ईस्त मां कलकत्तानी टेरेसानो त्रण वखत उल्लेख कर्यो हतो अने परिपत्रमां पोताना मुख्य मुद्दाओमांना एकने समजाववा माटे पण तेमना जीवननुं उदाहरण टांकयुं हतुं. "कलकत्ताना ब्लेसिड टेरेसाना उदाहरणथी आपणे स्पष्टपणे जोई शकीए छीए के प्रभुनी प्रार्थनामां गाळेलो समय, आपणा पाडोशीओनी असरकारक अने प्रेमाळ काळजी राखवामां घटाडो नथी करतो, परंतु खरेखर तो सेवा करवा माटे ए आपणो अखूट ऊर्जानो स्रोत बने छे. " मधर टेरेसाए स्पष्ट कर्युं हतुं के "मात्र मनथी प्रार्थना अने आध्यात्मिक वांचनथी ज आपणे प्रार्थनानी भेटने केळवी शकीए छीए. "आम तो मधर टेरेसाना संगठन अने फ्रांसिसकन संगठन वच्चे कोई सीधुं जोडाण नहोतुं, पण तेओ एसिसीना संत फ्रांसिसना बहु मोटो प्रशंसक तरीके जाणीता हतां. ए ज प्रमाणे, तेमना प्रभाव अने तेमना जीवन पर फ्रांसिसिकन आध्यात्मिकतानो प्रभाव जोवा मळतो हतो. | ब्रायन कोलोडिजचुक जेवा केटलाक अन्य लोको 16 मी सदीना रहस्यमय क्रोसनी तुलना कोनी साथे करे छे? | 159 | {
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"संत जहोन"
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अनेक समाचार माध्यमोए मधर टेरेसानां लखाणोने "श्रद्धानी कटोकटी" तरीके वर्णव्या छे. तेमनी जाहेर छबि मात्र प्रसिद्धि माटे ज मुख्यत्वे ऊभी करवामां आवी छे; तेमनी अंगत मान्यताओ अने व्यवहार जुदा छे अने तेमनां लखाणो तेना पुरावारूप छे एवुं क्रिस्टोफर हिचेन्स जेवा तेमना केटलाक टीकाकारो कह्युं. हिचेन्से लख्युं, "तो, वधु आघातजनक शुं छेः ते के श्रद्धाळुए बहादुरीपूर्वक ए हकीकतने पडकारवी जोईए के तेमनी नायिकाओमांथी एक पासे बधुं छे, परंतु ते पोतानी श्रद्धा खोई बेठी छे, के पछी ते के चर्च जाणी जोईने प्रसिद्धि माटे अनुकूळ व्यकितने गोठवे छे, एक मूंझायेली वृद्धा जे मान्यामां न आवे तेवा एकदम व्यवहारिक हेतुओ बराबर जाणे छे? " जो के, कम बि माय लाईट ना संपादक ब्रायन कोलोदिएजचुक जेवा बीजा केटलाक 16मी सदीना रहस्यमय क्रोसना संत जहोन साथे सरखामणी करे छे, संत जहोने अमुक आध्यात्मिक शिक्षकोना विकासना अमुक चोक्कस तबक्काने वर्णववा माटे "आत्मानी काळीडिबांग रात्रि" जेवो शब्दप्रयोग निपजाव्यो हतो. तेमना आ पत्रो तेमनी संतत्व तरफनी प्रगतिने असर नहीं करे तेवुं वेटिकने सूचव्युं हतुं. खरेखर, तेमना पोस्टुलेटर, पूजय ब्रायन कोलोडाईजचुके ज आ पुस्तकनुं संपादन कर्युं हतुं. बेनेडीकट सोळमाए पोताना पोप तरीकेना पहेला परिपत्र, ड्यूस कारीटास ईस्त मां कलकत्तानी टेरेसानो त्रण वखत उल्लेख कर्यो हतो अने परिपत्रमां पोताना मुख्य मुद्दाओमांना एकने समजाववा माटे पण तेमना जीवननुं उदाहरण टांकयुं हतुं. "कलकत्ताना ब्लेसिड टेरेसाना उदाहरणथी आपणे स्पष्टपणे जोई शकीए छीए के प्रभुनी प्रार्थनामां गाळेलो समय, आपणा पाडोशीओनी असरकारक अने प्रेमाळ काळजी राखवामां घटाडो नथी करतो, परंतु खरेखर तो सेवा करवा माटे ए आपणो अखूट ऊर्जानो स्रोत बने छे. " मधर टेरेसाए स्पष्ट कर्युं हतुं के "मात्र मनथी प्रार्थना अने आध्यात्मिक वांचनथी ज आपणे प्रार्थनानी भेटने केळवी शकीए छीए. "आम तो मधर टेरेसाना संगठन अने फ्रांसिसकन संगठन वच्चे कोई सीधुं जोडाण नहोतुं, पण तेओ एसिसीना संत फ्रांसिसना बहु मोटो प्रशंसक तरीके जाणीता हतां. ए ज प्रमाणे, तेमना प्रभाव अने तेमना जीवन पर फ्रांसिसिकन आध्यात्मिकतानो प्रभाव जोवा मळतो हतो. | कोनी प्रतिज्ञाओ करवामां आवती? | 160 | {
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अनेक समाचार माध्यमोए मधर टेरेसानां लखाणोने "श्रद्धानी कटोकटी" तरीके वर्णव्या छे. तेमनी जाहेर छबि मात्र प्रसिद्धि माटे ज मुख्यत्वे ऊभी करवामां आवी छे; तेमनी अंगत मान्यताओ अने व्यवहार जुदा छे अने तेमनां लखाणो तेना पुरावारूप छे एवुं क्रिस्टोफर हिचेन्स जेवा तेमना केटलाक टीकाकारो कह्युं. हिचेन्से लख्युं, "तो, वधु आघातजनक शुं छेः ते के श्रद्धाळुए बहादुरीपूर्वक ए हकीकतने पडकारवी जोईए के तेमनी नायिकाओमांथी एक पासे बधुं छे, परंतु ते पोतानी श्रद्धा खोई बेठी छे, के पछी ते के चर्च जाणी जोईने प्रसिद्धि माटे अनुकूळ व्यकितने गोठवे छे, एक मूंझायेली वृद्धा जे मान्यामां न आवे तेवा एकदम व्यवहारिक हेतुओ बराबर जाणे छे? " जो के, कम बि माय लाईट ना संपादक ब्रायन कोलोदिएजचुक जेवा बीजा केटलाक 16मी सदीना रहस्यमय क्रोसना संत जहोन साथे सरखामणी करे छे, संत जहोने अमुक आध्यात्मिक शिक्षकोना विकासना अमुक चोक्कस तबक्काने वर्णववा माटे "आत्मानी काळीडिबांग रात्रि" जेवो शब्दप्रयोग निपजाव्यो हतो. तेमना आ पत्रो तेमनी संतत्व तरफनी प्रगतिने असर नहीं करे तेवुं वेटिकने सूचव्युं हतुं. खरेखर, तेमना पोस्टुलेटर, पूजय ब्रायन कोलोडाईजचुके ज आ पुस्तकनुं संपादन कर्युं हतुं. बेनेडीकट सोळमाए पोताना पोप तरीकेना पहेला परिपत्र, ड्यूस कारीटास ईस्त मां कलकत्तानी टेरेसानो त्रण वखत उल्लेख कर्यो हतो अने परिपत्रमां पोताना मुख्य मुद्दाओमांना एकने समजाववा माटे पण तेमना जीवननुं उदाहरण टांकयुं हतुं. "कलकत्ताना ब्लेसिड टेरेसाना उदाहरणथी आपणे स्पष्टपणे जोई शकीए छीए के प्रभुनी प्रार्थनामां गाळेलो समय, आपणा पाडोशीओनी असरकारक अने प्रेमाळ काळजी राखवामां घटाडो नथी करतो, परंतु खरेखर तो सेवा करवा माटे ए आपणो अखूट ऊर्जानो स्रोत बने छे. " मधर टेरेसाए स्पष्ट कर्युं हतुं के "मात्र मनथी प्रार्थना अने आध्यात्मिक वांचनथी ज आपणे प्रार्थनानी भेटने केळवी शकीए छीए. "आम तो मधर टेरेसाना संगठन अने फ्रांसिसकन संगठन वच्चे कोई सीधुं जोडाण नहोतुं, पण तेओ एसिसीना संत फ्रांसिसना बहु मोटो प्रशंसक तरीके जाणीता हतां. ए ज प्रमाणे, तेमना प्रभाव अने तेमना जीवन पर फ्रांसिसिकन आध्यात्मिकतानो प्रभाव जोवा मळतो हतो. | कोणे मधर टेरेसाना लखाणोने आस्थानुं संकट गणाव्युं छे? | 161 | {
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"अनेक समाचार माध्यमोए"
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अनेक समाचार माध्यमोए मधर टेरेसानां लखाणोने "श्रद्धानी कटोकटी" तरीके वर्णव्या छे. तेमनी जाहेर छबि मात्र प्रसिद्धि माटे ज मुख्यत्वे ऊभी करवामां आवी छे; तेमनी अंगत मान्यताओ अने व्यवहार जुदा छे अने तेमनां लखाणो तेना पुरावारूप छे एवुं क्रिस्टोफर हिचेन्स जेवा तेमना केटलाक टीकाकारो कह्युं. हिचेन्से लख्युं, "तो, वधु आघातजनक शुं छेः ते के श्रद्धाळुए बहादुरीपूर्वक ए हकीकतने पडकारवी जोईए के तेमनी नायिकाओमांथी एक पासे बधुं छे, परंतु ते पोतानी श्रद्धा खोई बेठी छे, के पछी ते के चर्च जाणी जोईने प्रसिद्धि माटे अनुकूळ व्यकितने गोठवे छे, एक मूंझायेली वृद्धा जे मान्यामां न आवे तेवा एकदम व्यवहारिक हेतुओ बराबर जाणे छे? " जो के, कम बि माय लाईट ना संपादक ब्रायन कोलोदिएजचुक जेवा बीजा केटलाक 16मी सदीना रहस्यमय क्रोसना संत जहोन साथे सरखामणी करे छे, संत जहोने अमुक आध्यात्मिक शिक्षकोना विकासना अमुक चोक्कस तबक्काने वर्णववा माटे "आत्मानी काळीडिबांग रात्रि" जेवो शब्दप्रयोग निपजाव्यो हतो. तेमना आ पत्रो तेमनी संतत्व तरफनी प्रगतिने असर नहीं करे तेवुं वेटिकने सूचव्युं हतुं. खरेखर, तेमना पोस्टुलेटर, पूजय ब्रायन कोलोडाईजचुके ज आ पुस्तकनुं संपादन कर्युं हतुं. बेनेडीकट सोळमाए पोताना पोप तरीकेना पहेला परिपत्र, ड्यूस कारीटास ईस्त मां कलकत्तानी टेरेसानो त्रण वखत उल्लेख कर्यो हतो अने परिपत्रमां पोताना मुख्य मुद्दाओमांना एकने समजाववा माटे पण तेमना जीवननुं उदाहरण टांकयुं हतुं. "कलकत्ताना ब्लेसिड टेरेसाना उदाहरणथी आपणे स्पष्टपणे जोई शकीए छीए के प्रभुनी प्रार्थनामां गाळेलो समय, आपणा पाडोशीओनी असरकारक अने प्रेमाळ काळजी राखवामां घटाडो नथी करतो, परंतु खरेखर तो सेवा करवा माटे ए आपणो अखूट ऊर्जानो स्रोत बने छे. " मधर टेरेसाए स्पष्ट कर्युं हतुं के "मात्र मनथी प्रार्थना अने आध्यात्मिक वांचनथी ज आपणे प्रार्थनानी भेटने केळवी शकीए छीए. "आम तो मधर टेरेसाना संगठन अने फ्रांसिसकन संगठन वच्चे कोई सीधुं जोडाण नहोतुं, पण तेओ एसिसीना संत फ्रांसिसना बहु मोटो प्रशंसक तरीके जाणीता हतां. ए ज प्रमाणे, तेमना प्रभाव अने तेमना जीवन पर फ्रांसिसिकन आध्यात्मिकतानो प्रभाव जोवा मळतो हतो. | कोणे कह्युं हतुं के मधर टेरेसानी जाहेर छबी मात्र प्रसिद्धि माटे ज बनाववामां आवी हती? | 162 | {
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"क्रिस्टोफर हिचेन्स"
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अनेक समाचार माध्यमोए मधर टेरेसानां लखाणोने "श्रद्धानी कटोकटी" तरीके वर्णव्या छे. तेमनी जाहेर छबि मात्र प्रसिद्धि माटे ज मुख्यत्वे ऊभी करवामां आवी छे; तेमनी अंगत मान्यताओ अने व्यवहार जुदा छे अने तेमनां लखाणो तेना पुरावारूप छे एवुं क्रिस्टोफर हिचेन्स जेवा तेमना केटलाक टीकाकारो कह्युं. हिचेन्से लख्युं, "तो, वधु आघातजनक शुं छेः ते के श्रद्धाळुए बहादुरीपूर्वक ए हकीकतने पडकारवी जोईए के तेमनी नायिकाओमांथी एक पासे बधुं छे, परंतु ते पोतानी श्रद्धा खोई बेठी छे, के पछी ते के चर्च जाणी जोईने प्रसिद्धि माटे अनुकूळ व्यकितने गोठवे छे, एक मूंझायेली वृद्धा जे मान्यामां न आवे तेवा एकदम व्यवहारिक हेतुओ बराबर जाणे छे? " जो के, कम बि माय लाईट ना संपादक ब्रायन कोलोदिएजचुक जेवा बीजा केटलाक 16मी सदीना रहस्यमय क्रोसना संत जहोन साथे सरखामणी करे छे, संत जहोने अमुक आध्यात्मिक शिक्षकोना विकासना अमुक चोक्कस तबक्काने वर्णववा माटे "आत्मानी काळीडिबांग रात्रि" जेवो शब्दप्रयोग निपजाव्यो हतो. तेमना आ पत्रो तेमनी संतत्व तरफनी प्रगतिने असर नहीं करे तेवुं वेटिकने सूचव्युं हतुं. खरेखर, तेमना पोस्टुलेटर, पूजय ब्रायन कोलोडाईजचुके ज आ पुस्तकनुं संपादन कर्युं हतुं. बेनेडीकट सोळमाए पोताना पोप तरीकेना पहेला परिपत्र, ड्यूस कारीटास ईस्त मां कलकत्तानी टेरेसानो त्रण वखत उल्लेख कर्यो हतो अने परिपत्रमां पोताना मुख्य मुद्दाओमांना एकने समजाववा माटे पण तेमना जीवननुं उदाहरण टांकयुं हतुं. "कलकत्ताना ब्लेसिड टेरेसाना उदाहरणथी आपणे स्पष्टपणे जोई शकीए छीए के प्रभुनी प्रार्थनामां गाळेलो समय, आपणा पाडोशीओनी असरकारक अने प्रेमाळ काळजी राखवामां घटाडो नथी करतो, परंतु खरेखर तो सेवा करवा माटे ए आपणो अखूट ऊर्जानो स्रोत बने छे. " मधर टेरेसाए स्पष्ट कर्युं हतुं के "मात्र मनथी प्रार्थना अने आध्यात्मिक वांचनथी ज आपणे प्रार्थनानी भेटने केळवी शकीए छीए. "आम तो मधर टेरेसाना संगठन अने फ्रांसिसकन संगठन वच्चे कोई सीधुं जोडाण नहोतुं, पण तेओ एसिसीना संत फ्रांसिसना बहु मोटो प्रशंसक तरीके जाणीता हतां. ए ज प्रमाणे, तेमना प्रभाव अने तेमना जीवन पर फ्रांसिसिकन आध्यात्मिकतानो प्रभाव जोवा मळतो हतो. | शांति प्रार्थना कोनी करवामां आवती? | 163 | {
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]
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अन्य मध्ययुगीन शासकोनी जेम अकबर पण एक महान साम्राज्यवादी हतो. अने तेने पोतानु राज्य उत्तरे अफघानिस्तान काश्मीरनी दक्षिणे मैसुर सुधी तथा पश्चिमे गुजरातनी पुर्वमां बंगाळ सुधी फेलाववानी महत्वाकांक्षा हती. आ आशयथी अकबरे १५६२ थी १६०५ सुधीमां अनेक लडाईओ करी अने तेमा मोटाभागनी जीतो मेळवीने भारतभरमा पोताना सम्राज्यनो विस्तार कर्यो तथा भारतने एकता पण आपी. अकबरनां मोटाभागना युद्धो खुबज झडपी तथा आक्रमक होवा छता मटाभागे उदारतानो अंश हतो. अकबरे १५६२ थी १६०१ सुधीमा अनुक्रमे माळवा, जबलपुर पासेनु गोंदवाना, रणथंभेर, कालिंजर, चितोड (मेवाड), जोधपुर, गुजरात, बंगाळ, काबुल, काश्मिर, सिंघ, कट्दहार, अहमदनगर जीती लीधा गोंडवानामां वीर नारायणे मुघलोने सखत लडाई आपीने शहीदी वहोरी. अकबरे फक्त९ दिवसमां ९६५ कि. मी. नी मजल कापीने गुजरातना अंतिम सुलतान मुझफ्फ्रशाह त्रीजाने आखरी पराजय आपीने गुजरातने मुघल साम्राज्यमां समावी लीधुं. आनाथी मुघल सम्राज्यने बंदरनो लाभ मळता तेना व्यापार-वाणिज्यनो विकास थयो. स 1567मां चितौडगढ पर हुमलो करींने चितौड जीती लीधुं आं युद्ध मां अकबरे 30,000 जेटला निर्दोष चित्तोड वासीओ नो वध करवी तेनी तैमुरी सभ्यतानो परिचय आपेल अने महाराणा उदयसिंह ने मेवाडनी घाटीओमां छुपाईने आशरो लेवो पड्यो आम छतां उदयसिंहना महान पुत्र प्रतापे तेनी सामे शरणागती स्वीकारी नहीं अने चितौडथी दूर पर्वतो अने तळावो नी वच्चे सुंदर जग्यामां एक नवुं नगर वसाव्युं जेनुं नाम पोतानां पिताना नाम परथी "उदयपुर"राख्युं समग्र राजपूतानामां मात्र मेवाड ज एकमात्र स्वतंत्र राज्य रह्युं आथी ई. स. 1576मां अकबरे फरीथी उदयपुर पर चडाई करी हल्दीघाटी ना मेदानमां महाराणा प्रतापे अकबरनो वीरतापूर्वक सामनो कर्यो परंतु अकबरनी विशाळ सेना सामे तेओ टकी शक्या नहीं आ युद्धमां महाराणा प्रतापनो पराजय थयो अने तेमने जंगलनो आशरो लेवो पडयो कर्नल टोडे हल्दीघाटीने मेवाडनी थर्मोपिली कही छे. | उदय सिंहना पुत्रनुं नाम शुं हतुं? | 164 | {
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1116
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"प्रतापे"
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अन्य मध्ययुगीन शासकोनी जेम अकबर पण एक महान साम्राज्यवादी हतो. अने तेने पोतानु राज्य उत्तरे अफघानिस्तान काश्मीरनी दक्षिणे मैसुर सुधी तथा पश्चिमे गुजरातनी पुर्वमां बंगाळ सुधी फेलाववानी महत्वाकांक्षा हती. आ आशयथी अकबरे १५६२ थी १६०५ सुधीमां अनेक लडाईओ करी अने तेमा मोटाभागनी जीतो मेळवीने भारतभरमा पोताना सम्राज्यनो विस्तार कर्यो तथा भारतने एकता पण आपी. अकबरनां मोटाभागना युद्धो खुबज झडपी तथा आक्रमक होवा छता मटाभागे उदारतानो अंश हतो. अकबरे १५६२ थी १६०१ सुधीमा अनुक्रमे माळवा, जबलपुर पासेनु गोंदवाना, रणथंभेर, कालिंजर, चितोड (मेवाड), जोधपुर, गुजरात, बंगाळ, काबुल, काश्मिर, सिंघ, कट्दहार, अहमदनगर जीती लीधा गोंडवानामां वीर नारायणे मुघलोने सखत लडाई आपीने शहीदी वहोरी. अकबरे फक्त९ दिवसमां ९६५ कि. मी. नी मजल कापीने गुजरातना अंतिम सुलतान मुझफ्फ्रशाह त्रीजाने आखरी पराजय आपीने गुजरातने मुघल साम्राज्यमां समावी लीधुं. आनाथी मुघल सम्राज्यने बंदरनो लाभ मळता तेना व्यापार-वाणिज्यनो विकास थयो. स 1567मां चितौडगढ पर हुमलो करींने चितौड जीती लीधुं आं युद्ध मां अकबरे 30,000 जेटला निर्दोष चित्तोड वासीओ नो वध करवी तेनी तैमुरी सभ्यतानो परिचय आपेल अने महाराणा उदयसिंह ने मेवाडनी घाटीओमां छुपाईने आशरो लेवो पड्यो आम छतां उदयसिंहना महान पुत्र प्रतापे तेनी सामे शरणागती स्वीकारी नहीं अने चितौडथी दूर पर्वतो अने तळावो नी वच्चे सुंदर जग्यामां एक नवुं नगर वसाव्युं जेनुं नाम पोतानां पिताना नाम परथी "उदयपुर"राख्युं समग्र राजपूतानामां मात्र मेवाड ज एकमात्र स्वतंत्र राज्य रह्युं आथी ई. स. 1576मां अकबरे फरीथी उदयपुर पर चडाई करी हल्दीघाटी ना मेदानमां महाराणा प्रतापे अकबरनो वीरतापूर्वक सामनो कर्यो परंतु अकबरनी विशाळ सेना सामे तेओ टकी शक्या नहीं आ युद्धमां महाराणा प्रतापनो पराजय थयो अने तेमने जंगलनो आशरो लेवो पडयो कर्नल टोडे हल्दीघाटीने मेवाडनी थर्मोपिली कही छे. | महाराणा प्रतापे कया वर्षमां देवरनी लडाईमां अकबरने हराव्यो? | 165 | {
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null
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""
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अन्य मध्ययुगीन शासकोनी जेम अकबर पण एक महान साम्राज्यवादी हतो. अने तेने पोतानु राज्य उत्तरे अफघानिस्तान काश्मीरनी दक्षिणे मैसुर सुधी तथा पश्चिमे गुजरातनी पुर्वमां बंगाळ सुधी फेलाववानी महत्वाकांक्षा हती. आ आशयथी अकबरे १५६२ थी १६०५ सुधीमां अनेक लडाईओ करी अने तेमा मोटाभागनी जीतो मेळवीने भारतभरमा पोताना सम्राज्यनो विस्तार कर्यो तथा भारतने एकता पण आपी. अकबरनां मोटाभागना युद्धो खुबज झडपी तथा आक्रमक होवा छता मटाभागे उदारतानो अंश हतो. अकबरे १५६२ थी १६०१ सुधीमा अनुक्रमे माळवा, जबलपुर पासेनु गोंदवाना, रणथंभेर, कालिंजर, चितोड (मेवाड), जोधपुर, गुजरात, बंगाळ, काबुल, काश्मिर, सिंघ, कट्दहार, अहमदनगर जीती लीधा गोंडवानामां वीर नारायणे मुघलोने सखत लडाई आपीने शहीदी वहोरी. अकबरे फक्त९ दिवसमां ९६५ कि. मी. नी मजल कापीने गुजरातना अंतिम सुलतान मुझफ्फ्रशाह त्रीजाने आखरी पराजय आपीने गुजरातने मुघल साम्राज्यमां समावी लीधुं. आनाथी मुघल सम्राज्यने बंदरनो लाभ मळता तेना व्यापार-वाणिज्यनो विकास थयो. स 1567मां चितौडगढ पर हुमलो करींने चितौड जीती लीधुं आं युद्ध मां अकबरे 30,000 जेटला निर्दोष चित्तोड वासीओ नो वध करवी तेनी तैमुरी सभ्यतानो परिचय आपेल अने महाराणा उदयसिंह ने मेवाडनी घाटीओमां छुपाईने आशरो लेवो पड्यो आम छतां उदयसिंहना महान पुत्र प्रतापे तेनी सामे शरणागती स्वीकारी नहीं अने चितौडथी दूर पर्वतो अने तळावो नी वच्चे सुंदर जग्यामां एक नवुं नगर वसाव्युं जेनुं नाम पोतानां पिताना नाम परथी "उदयपुर"राख्युं समग्र राजपूतानामां मात्र मेवाड ज एकमात्र स्वतंत्र राज्य रह्युं आथी ई. स. 1576मां अकबरे फरीथी उदयपुर पर चडाई करी हल्दीघाटी ना मेदानमां महाराणा प्रतापे अकबरनो वीरतापूर्वक सामनो कर्यो परंतु अकबरनी विशाळ सेना सामे तेओ टकी शक्या नहीं आ युद्धमां महाराणा प्रतापनो पराजय थयो अने तेमने जंगलनो आशरो लेवो पडयो कर्नल टोडे हल्दीघाटीने मेवाडनी थर्मोपिली कही छे. | अकबरनी मोटाभागनी लडाईओ केवी हती? | 166 | {
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372
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"खुबज झडपी तथा आक्रमक"
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अन्य मध्ययुगीन शासकोनी जेम अकबर पण एक महान साम्राज्यवादी हतो. अने तेने पोतानु राज्य उत्तरे अफघानिस्तान काश्मीरनी दक्षिणे मैसुर सुधी तथा पश्चिमे गुजरातनी पुर्वमां बंगाळ सुधी फेलाववानी महत्वाकांक्षा हती. आ आशयथी अकबरे १५६२ थी १६०५ सुधीमां अनेक लडाईओ करी अने तेमा मोटाभागनी जीतो मेळवीने भारतभरमा पोताना सम्राज्यनो विस्तार कर्यो तथा भारतने एकता पण आपी. अकबरनां मोटाभागना युद्धो खुबज झडपी तथा आक्रमक होवा छता मटाभागे उदारतानो अंश हतो. अकबरे १५६२ थी १६०१ सुधीमा अनुक्रमे माळवा, जबलपुर पासेनु गोंदवाना, रणथंभेर, कालिंजर, चितोड (मेवाड), जोधपुर, गुजरात, बंगाळ, काबुल, काश्मिर, सिंघ, कट्दहार, अहमदनगर जीती लीधा गोंडवानामां वीर नारायणे मुघलोने सखत लडाई आपीने शहीदी वहोरी. अकबरे फक्त९ दिवसमां ९६५ कि. मी. नी मजल कापीने गुजरातना अंतिम सुलतान मुझफ्फ्रशाह त्रीजाने आखरी पराजय आपीने गुजरातने मुघल साम्राज्यमां समावी लीधुं. आनाथी मुघल सम्राज्यने बंदरनो लाभ मळता तेना व्यापार-वाणिज्यनो विकास थयो. स 1567मां चितौडगढ पर हुमलो करींने चितौड जीती लीधुं आं युद्ध मां अकबरे 30,000 जेटला निर्दोष चित्तोड वासीओ नो वध करवी तेनी तैमुरी सभ्यतानो परिचय आपेल अने महाराणा उदयसिंह ने मेवाडनी घाटीओमां छुपाईने आशरो लेवो पड्यो आम छतां उदयसिंहना महान पुत्र प्रतापे तेनी सामे शरणागती स्वीकारी नहीं अने चितौडथी दूर पर्वतो अने तळावो नी वच्चे सुंदर जग्यामां एक नवुं नगर वसाव्युं जेनुं नाम पोतानां पिताना नाम परथी "उदयपुर"राख्युं समग्र राजपूतानामां मात्र मेवाड ज एकमात्र स्वतंत्र राज्य रह्युं आथी ई. स. 1576मां अकबरे फरीथी उदयपुर पर चडाई करी हल्दीघाटी ना मेदानमां महाराणा प्रतापे अकबरनो वीरतापूर्वक सामनो कर्यो परंतु अकबरनी विशाळ सेना सामे तेओ टकी शक्या नहीं आ युद्धमां महाराणा प्रतापनो पराजय थयो अने तेमने जंगलनो आशरो लेवो पडयो कर्नल टोडे हल्दीघाटीने मेवाडनी थर्मोपिली कही छे. | अकबरे कया वर्षो दरमियान घणी लडाईओ लडी हती? | 167 | {
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215
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"१५६२ थी १६०५"
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अन्य मध्ययुगीन शासकोनी जेम अकबर पण एक महान साम्राज्यवादी हतो. अने तेने पोतानु राज्य उत्तरे अफघानिस्तान काश्मीरनी दक्षिणे मैसुर सुधी तथा पश्चिमे गुजरातनी पुर्वमां बंगाळ सुधी फेलाववानी महत्वाकांक्षा हती. आ आशयथी अकबरे १५६२ थी १६०५ सुधीमां अनेक लडाईओ करी अने तेमा मोटाभागनी जीतो मेळवीने भारतभरमा पोताना सम्राज्यनो विस्तार कर्यो तथा भारतने एकता पण आपी. अकबरनां मोटाभागना युद्धो खुबज झडपी तथा आक्रमक होवा छता मटाभागे उदारतानो अंश हतो. अकबरे १५६२ थी १६०१ सुधीमा अनुक्रमे माळवा, जबलपुर पासेनु गोंदवाना, रणथंभेर, कालिंजर, चितोड (मेवाड), जोधपुर, गुजरात, बंगाळ, काबुल, काश्मिर, सिंघ, कट्दहार, अहमदनगर जीती लीधा गोंडवानामां वीर नारायणे मुघलोने सखत लडाई आपीने शहीदी वहोरी. अकबरे फक्त९ दिवसमां ९६५ कि. मी. नी मजल कापीने गुजरातना अंतिम सुलतान मुझफ्फ्रशाह त्रीजाने आखरी पराजय आपीने गुजरातने मुघल साम्राज्यमां समावी लीधुं. आनाथी मुघल सम्राज्यने बंदरनो लाभ मळता तेना व्यापार-वाणिज्यनो विकास थयो. स 1567मां चितौडगढ पर हुमलो करींने चितौड जीती लीधुं आं युद्ध मां अकबरे 30,000 जेटला निर्दोष चित्तोड वासीओ नो वध करवी तेनी तैमुरी सभ्यतानो परिचय आपेल अने महाराणा उदयसिंह ने मेवाडनी घाटीओमां छुपाईने आशरो लेवो पड्यो आम छतां उदयसिंहना महान पुत्र प्रतापे तेनी सामे शरणागती स्वीकारी नहीं अने चितौडथी दूर पर्वतो अने तळावो नी वच्चे सुंदर जग्यामां एक नवुं नगर वसाव्युं जेनुं नाम पोतानां पिताना नाम परथी "उदयपुर"राख्युं समग्र राजपूतानामां मात्र मेवाड ज एकमात्र स्वतंत्र राज्य रह्युं आथी ई. स. 1576मां अकबरे फरीथी उदयपुर पर चडाई करी हल्दीघाटी ना मेदानमां महाराणा प्रतापे अकबरनो वीरतापूर्वक सामनो कर्यो परंतु अकबरनी विशाळ सेना सामे तेओ टकी शक्या नहीं आ युद्धमां महाराणा प्रतापनो पराजय थयो अने तेमने जंगलनो आशरो लेवो पडयो कर्नल टोडे हल्दीघाटीने मेवाडनी थर्मोपिली कही छे. | कयुं राज्य समग्र राजपूतानामां एकमात्र स्वतंत्र राज्य रह्युं हतुं? | 168 | {
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1309
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"text": [
"मेवाड"
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अन्य मध्ययुगीन शासकोनी जेम अकबर पण एक महान साम्राज्यवादी हतो. अने तेने पोतानु राज्य उत्तरे अफघानिस्तान काश्मीरनी दक्षिणे मैसुर सुधी तथा पश्चिमे गुजरातनी पुर्वमां बंगाळ सुधी फेलाववानी महत्वाकांक्षा हती. आ आशयथी अकबरे १५६२ थी १६०५ सुधीमां अनेक लडाईओ करी अने तेमा मोटाभागनी जीतो मेळवीने भारतभरमा पोताना सम्राज्यनो विस्तार कर्यो तथा भारतने एकता पण आपी. अकबरनां मोटाभागना युद्धो खुबज झडपी तथा आक्रमक होवा छता मटाभागे उदारतानो अंश हतो. अकबरे १५६२ थी १६०१ सुधीमा अनुक्रमे माळवा, जबलपुर पासेनु गोंदवाना, रणथंभेर, कालिंजर, चितोड (मेवाड), जोधपुर, गुजरात, बंगाळ, काबुल, काश्मिर, सिंघ, कट्दहार, अहमदनगर जीती लीधा गोंडवानामां वीर नारायणे मुघलोने सखत लडाई आपीने शहीदी वहोरी. अकबरे फक्त९ दिवसमां ९६५ कि. मी. नी मजल कापीने गुजरातना अंतिम सुलतान मुझफ्फ्रशाह त्रीजाने आखरी पराजय आपीने गुजरातने मुघल साम्राज्यमां समावी लीधुं. आनाथी मुघल सम्राज्यने बंदरनो लाभ मळता तेना व्यापार-वाणिज्यनो विकास थयो. स 1567मां चितौडगढ पर हुमलो करींने चितौड जीती लीधुं आं युद्ध मां अकबरे 30,000 जेटला निर्दोष चित्तोड वासीओ नो वध करवी तेनी तैमुरी सभ्यतानो परिचय आपेल अने महाराणा उदयसिंह ने मेवाडनी घाटीओमां छुपाईने आशरो लेवो पड्यो आम छतां उदयसिंहना महान पुत्र प्रतापे तेनी सामे शरणागती स्वीकारी नहीं अने चितौडथी दूर पर्वतो अने तळावो नी वच्चे सुंदर जग्यामां एक नवुं नगर वसाव्युं जेनुं नाम पोतानां पिताना नाम परथी "उदयपुर"राख्युं समग्र राजपूतानामां मात्र मेवाड ज एकमात्र स्वतंत्र राज्य रह्युं आथी ई. स. 1576मां अकबरे फरीथी उदयपुर पर चडाई करी हल्दीघाटी ना मेदानमां महाराणा प्रतापे अकबरनो वीरतापूर्वक सामनो कर्यो परंतु अकबरनी विशाळ सेना सामे तेओ टकी शक्या नहीं आ युद्धमां महाराणा प्रतापनो पराजय थयो अने तेमने जंगलनो आशरो लेवो पडयो कर्नल टोडे हल्दीघाटीने मेवाडनी थर्मोपिली कही छे. | अन्य मध्ययुगीन शासकोनी जेम कोण एक महान साम्राज्यवादी हता? | 169 | {
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28
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"text": [
"अकबर"
]
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अन्य मध्ययुगीन शासकोनी जेम अकबर पण एक महान साम्राज्यवादी हतो. अने तेने पोतानु राज्य उत्तरे अफघानिस्तान काश्मीरनी दक्षिणे मैसुर सुधी तथा पश्चिमे गुजरातनी पुर्वमां बंगाळ सुधी फेलाववानी महत्वाकांक्षा हती. आ आशयथी अकबरे १५६२ थी १६०५ सुधीमां अनेक लडाईओ करी अने तेमा मोटाभागनी जीतो मेळवीने भारतभरमा पोताना सम्राज्यनो विस्तार कर्यो तथा भारतने एकता पण आपी. अकबरनां मोटाभागना युद्धो खुबज झडपी तथा आक्रमक होवा छता मटाभागे उदारतानो अंश हतो. अकबरे १५६२ थी १६०१ सुधीमा अनुक्रमे माळवा, जबलपुर पासेनु गोंदवाना, रणथंभेर, कालिंजर, चितोड (मेवाड), जोधपुर, गुजरात, बंगाळ, काबुल, काश्मिर, सिंघ, कट्दहार, अहमदनगर जीती लीधा गोंडवानामां वीर नारायणे मुघलोने सखत लडाई आपीने शहीदी वहोरी. अकबरे फक्त९ दिवसमां ९६५ कि. मी. नी मजल कापीने गुजरातना अंतिम सुलतान मुझफ्फ्रशाह त्रीजाने आखरी पराजय आपीने गुजरातने मुघल साम्राज्यमां समावी लीधुं. आनाथी मुघल सम्राज्यने बंदरनो लाभ मळता तेना व्यापार-वाणिज्यनो विकास थयो. स 1567मां चितौडगढ पर हुमलो करींने चितौड जीती लीधुं आं युद्ध मां अकबरे 30,000 जेटला निर्दोष चित्तोड वासीओ नो वध करवी तेनी तैमुरी सभ्यतानो परिचय आपेल अने महाराणा उदयसिंह ने मेवाडनी घाटीओमां छुपाईने आशरो लेवो पड्यो आम छतां उदयसिंहना महान पुत्र प्रतापे तेनी सामे शरणागती स्वीकारी नहीं अने चितौडथी दूर पर्वतो अने तळावो नी वच्चे सुंदर जग्यामां एक नवुं नगर वसाव्युं जेनुं नाम पोतानां पिताना नाम परथी "उदयपुर"राख्युं समग्र राजपूतानामां मात्र मेवाड ज एकमात्र स्वतंत्र राज्य रह्युं आथी ई. स. 1576मां अकबरे फरीथी उदयपुर पर चडाई करी हल्दीघाटी ना मेदानमां महाराणा प्रतापे अकबरनो वीरतापूर्वक सामनो कर्यो परंतु अकबरनी विशाळ सेना सामे तेओ टकी शक्या नहीं आ युद्धमां महाराणा प्रतापनो पराजय थयो अने तेमने जंगलनो आशरो लेवो पडयो कर्नल टोडे हल्दीघाटीने मेवाडनी थर्मोपिली कही छे. | प्रतापना पितानुं नाम शुं हतुं? | 170 | {
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1035
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"उदयसिंह"
]
} |
अन्य मध्ययुगीन शासकोनी जेम अकबर पण एक महान साम्राज्यवादी हतो. अने तेने पोतानु राज्य उत्तरे अफघानिस्तान काश्मीरनी दक्षिणे मैसुर सुधी तथा पश्चिमे गुजरातनी पुर्वमां बंगाळ सुधी फेलाववानी महत्वाकांक्षा हती. आ आशयथी अकबरे १५६२ थी १६०५ सुधीमां अनेक लडाईओ करी अने तेमा मोटाभागनी जीतो मेळवीने भारतभरमा पोताना सम्राज्यनो विस्तार कर्यो तथा भारतने एकता पण आपी. अकबरनां मोटाभागना युद्धो खुबज झडपी तथा आक्रमक होवा छता मटाभागे उदारतानो अंश हतो. अकबरे १५६२ थी १६०१ सुधीमा अनुक्रमे माळवा, जबलपुर पासेनु गोंदवाना, रणथंभेर, कालिंजर, चितोड (मेवाड), जोधपुर, गुजरात, बंगाळ, काबुल, काश्मिर, सिंघ, कट्दहार, अहमदनगर जीती लीधा गोंडवानामां वीर नारायणे मुघलोने सखत लडाई आपीने शहीदी वहोरी. अकबरे फक्त९ दिवसमां ९६५ कि. मी. नी मजल कापीने गुजरातना अंतिम सुलतान मुझफ्फ्रशाह त्रीजाने आखरी पराजय आपीने गुजरातने मुघल साम्राज्यमां समावी लीधुं. आनाथी मुघल सम्राज्यने बंदरनो लाभ मळता तेना व्यापार-वाणिज्यनो विकास थयो. स 1567मां चितौडगढ पर हुमलो करींने चितौड जीती लीधुं आं युद्ध मां अकबरे 30,000 जेटला निर्दोष चित्तोड वासीओ नो वध करवी तेनी तैमुरी सभ्यतानो परिचय आपेल अने महाराणा उदयसिंह ने मेवाडनी घाटीओमां छुपाईने आशरो लेवो पड्यो आम छतां उदयसिंहना महान पुत्र प्रतापे तेनी सामे शरणागती स्वीकारी नहीं अने चितौडथी दूर पर्वतो अने तळावो नी वच्चे सुंदर जग्यामां एक नवुं नगर वसाव्युं जेनुं नाम पोतानां पिताना नाम परथी "उदयपुर"राख्युं समग्र राजपूतानामां मात्र मेवाड ज एकमात्र स्वतंत्र राज्य रह्युं आथी ई. स. 1576मां अकबरे फरीथी उदयपुर पर चडाई करी हल्दीघाटी ना मेदानमां महाराणा प्रतापे अकबरनो वीरतापूर्वक सामनो कर्यो परंतु अकबरनी विशाळ सेना सामे तेओ टकी शक्या नहीं आ युद्धमां महाराणा प्रतापनो पराजय थयो अने तेमने जंगलनो आशरो लेवो पडयो कर्नल टोडे हल्दीघाटीने मेवाडनी थर्मोपिली कही छे. | अकबर कोनी जेम एक महान साम्राज्यवादी हता? | 171 | {
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5
],
"text": [
"मध्ययुगीन शासको"
]
} |
अन्य मध्ययुगीन शासकोनी जेम अकबर पण एक महान साम्राज्यवादी हतो. अने तेने पोतानु राज्य उत्तरे अफघानिस्तान काश्मीरनी दक्षिणे मैसुर सुधी तथा पश्चिमे गुजरातनी पुर्वमां बंगाळ सुधी फेलाववानी महत्वाकांक्षा हती. आ आशयथी अकबरे १५६२ थी १६०५ सुधीमां अनेक लडाईओ करी अने तेमा मोटाभागनी जीतो मेळवीने भारतभरमा पोताना सम्राज्यनो विस्तार कर्यो तथा भारतने एकता पण आपी. अकबरनां मोटाभागना युद्धो खुबज झडपी तथा आक्रमक होवा छता मटाभागे उदारतानो अंश हतो. अकबरे १५६२ थी १६०१ सुधीमा अनुक्रमे माळवा, जबलपुर पासेनु गोंदवाना, रणथंभेर, कालिंजर, चितोड (मेवाड), जोधपुर, गुजरात, बंगाळ, काबुल, काश्मिर, सिंघ, कट्दहार, अहमदनगर जीती लीधा गोंडवानामां वीर नारायणे मुघलोने सखत लडाई आपीने शहीदी वहोरी. अकबरे फक्त९ दिवसमां ९६५ कि. मी. नी मजल कापीने गुजरातना अंतिम सुलतान मुझफ्फ्रशाह त्रीजाने आखरी पराजय आपीने गुजरातने मुघल साम्राज्यमां समावी लीधुं. आनाथी मुघल सम्राज्यने बंदरनो लाभ मळता तेना व्यापार-वाणिज्यनो विकास थयो. स 1567मां चितौडगढ पर हुमलो करींने चितौड जीती लीधुं आं युद्ध मां अकबरे 30,000 जेटला निर्दोष चित्तोड वासीओ नो वध करवी तेनी तैमुरी सभ्यतानो परिचय आपेल अने महाराणा उदयसिंह ने मेवाडनी घाटीओमां छुपाईने आशरो लेवो पड्यो आम छतां उदयसिंहना महान पुत्र प्रतापे तेनी सामे शरणागती स्वीकारी नहीं अने चितौडथी दूर पर्वतो अने तळावो नी वच्चे सुंदर जग्यामां एक नवुं नगर वसाव्युं जेनुं नाम पोतानां पिताना नाम परथी "उदयपुर"राख्युं समग्र राजपूतानामां मात्र मेवाड ज एकमात्र स्वतंत्र राज्य रह्युं आथी ई. स. 1576मां अकबरे फरीथी उदयपुर पर चडाई करी हल्दीघाटी ना मेदानमां महाराणा प्रतापे अकबरनो वीरतापूर्वक सामनो कर्यो परंतु अकबरनी विशाळ सेना सामे तेओ टकी शक्या नहीं आ युद्धमां महाराणा प्रतापनो पराजय थयो अने तेमने जंगलनो आशरो लेवो पडयो कर्नल टोडे हल्दीघाटीने मेवाडनी थर्मोपिली कही छे. | कया वर्षो दरमियान अकबरे मालवा, जबलपुर नजीक गोंडवाना, रणथंभोर, कालिंजर, चितोद, जोधपुर, गुजरात, बंगाळ, काबुल, काश्मीर, सिंह, कटडाहर, अहमदनगर पर विजय मेळव्यो? | 172 | {
"answer_start": [
433
],
"text": [
"१५६२ थी १६०१"
]
} |
अन्य मध्ययुगीन शासकोनी जेम अकबर पण एक महान साम्राज्यवादी हतो. अने तेने पोतानु राज्य उत्तरे अफघानिस्तान काश्मीरनी दक्षिणे मैसुर सुधी तथा पश्चिमे गुजरातनी पुर्वमां बंगाळ सुधी फेलाववानी महत्वाकांक्षा हती. आ आशयथी अकबरे १५६२ थी १६०५ सुधीमां अनेक लडाईओ करी अने तेमा मोटाभागनी जीतो मेळवीने भारतभरमा पोताना सम्राज्यनो विस्तार कर्यो तथा भारतने एकता पण आपी. अकबरनां मोटाभागना युद्धो खुबज झडपी तथा आक्रमक होवा छता मटाभागे उदारतानो अंश हतो. अकबरे १५६२ थी १६०१ सुधीमा अनुक्रमे माळवा, जबलपुर पासेनु गोंदवाना, रणथंभेर, कालिंजर, चितोड (मेवाड), जोधपुर, गुजरात, बंगाळ, काबुल, काश्मिर, सिंघ, कट्दहार, अहमदनगर जीती लीधा गोंडवानामां वीर नारायणे मुघलोने सखत लडाई आपीने शहीदी वहोरी. अकबरे फक्त९ दिवसमां ९६५ कि. मी. नी मजल कापीने गुजरातना अंतिम सुलतान मुझफ्फ्रशाह त्रीजाने आखरी पराजय आपीने गुजरातने मुघल साम्राज्यमां समावी लीधुं. आनाथी मुघल सम्राज्यने बंदरनो लाभ मळता तेना व्यापार-वाणिज्यनो विकास थयो. स 1567मां चितौडगढ पर हुमलो करींने चितौड जीती लीधुं आं युद्ध मां अकबरे 30,000 जेटला निर्दोष चित्तोड वासीओ नो वध करवी तेनी तैमुरी सभ्यतानो परिचय आपेल अने महाराणा उदयसिंह ने मेवाडनी घाटीओमां छुपाईने आशरो लेवो पड्यो आम छतां उदयसिंहना महान पुत्र प्रतापे तेनी सामे शरणागती स्वीकारी नहीं अने चितौडथी दूर पर्वतो अने तळावो नी वच्चे सुंदर जग्यामां एक नवुं नगर वसाव्युं जेनुं नाम पोतानां पिताना नाम परथी "उदयपुर"राख्युं समग्र राजपूतानामां मात्र मेवाड ज एकमात्र स्वतंत्र राज्य रह्युं आथी ई. स. 1576मां अकबरे फरीथी उदयपुर पर चडाई करी हल्दीघाटी ना मेदानमां महाराणा प्रतापे अकबरनो वीरतापूर्वक सामनो कर्यो परंतु अकबरनी विशाळ सेना सामे तेओ टकी शक्या नहीं आ युद्धमां महाराणा प्रतापनो पराजय थयो अने तेमने जंगलनो आशरो लेवो पडयो कर्नल टोडे हल्दीघाटीने मेवाडनी थर्मोपिली कही छे. | प्रतापे कया शहेरथी दूर पहाडो अने तळावो वच्चे सुंदर जग्याए एक नवुं शहेर स्थाप्युं हतुं? | 173 | {
"answer_start": [
909
],
"text": [
"चितौड"
]
} |
अरवल्ली पर्वतमाळानी आरासुर शाखा दांता, खेडब्रह्मा, इडर अने शामळाजी थईने विंध्याचलमां समाई जाय छे. तापी जिल्लामांथी पसार थती सह्याद्री पर्वतमाळा ए राज्यनो सौथी वधु वरसाद पडतो विस्तार धरावे छे अने तदुपरांत सौथी वधु गाढ जंगलो धरावे छे. गीरनार पर्वत ए गुजरातनो सौथी ऊंचामां उंचो पर्वत छे जे, बरडा पर्वतमाळानो एक हिस्सो छे जेनी उंचाई ११४५ मीटर अने लंबाई १६० किमी छे. तेनी ऊंचामां उंची टोच गोरखनाख तरीके ओळखाय छे. [१६]पालीताणा नजीक आवेली शेत्रुंजय पर्वतमाळा ए जैनोनी पवित्र पर्वतमाळामांनी एक छे. [१७] तळाजानी पर्वतमाळा बौद्ध गुफाओ माटे जाणीती छे. | क्यां जिल्लामांथी पसार थती सह्याद्री रेन्जमां राज्यमां सौथी वधु वरसादनो विस्तार छे? | 174 | {
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97
],
"text": [
"तापी"
]
} |
अरवल्ली पर्वतमाळानी आरासुर शाखा दांता, खेडब्रह्मा, इडर अने शामळाजी थईने विंध्याचलमां समाई जाय छे. तापी जिल्लामांथी पसार थती सह्याद्री पर्वतमाळा ए राज्यनो सौथी वधु वरसाद पडतो विस्तार धरावे छे अने तदुपरांत सौथी वधु गाढ जंगलो धरावे छे. गीरनार पर्वत ए गुजरातनो सौथी ऊंचामां उंचो पर्वत छे जे, बरडा पर्वतमाळानो एक हिस्सो छे जेनी उंचाई ११४५ मीटर अने लंबाई १६० किमी छे. तेनी ऊंचामां उंची टोच गोरखनाख तरीके ओळखाय छे. [१६]पालीताणा नजीक आवेली शेत्रुंजय पर्वतमाळा ए जैनोनी पवित्र पर्वतमाळामांनी एक छे. [१७] तळाजानी पर्वतमाळा बौद्ध गुफाओ माटे जाणीती छे. | क्यांनी रेन्जनी आरासुर शाखा विंध्याचलमां जोडातां पहेलां दंत, ब्रह्म, इडर अने शामळाजीमांथी पसार थाय छे? | 175 | {
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0
],
"text": [
"अरवल्ली पर्वतमाळानी"
]
} |
अरवल्ली पर्वतमाळानी आरासुर शाखा दांता, खेडब्रह्मा, इडर अने शामळाजी थईने विंध्याचलमां समाई जाय छे. तापी जिल्लामांथी पसार थती सह्याद्री पर्वतमाळा ए राज्यनो सौथी वधु वरसाद पडतो विस्तार धरावे छे अने तदुपरांत सौथी वधु गाढ जंगलो धरावे छे. गीरनार पर्वत ए गुजरातनो सौथी ऊंचामां उंचो पर्वत छे जे, बरडा पर्वतमाळानो एक हिस्सो छे जेनी उंचाई ११४५ मीटर अने लंबाई १६० किमी छे. तेनी ऊंचामां उंची टोच गोरखनाख तरीके ओळखाय छे. [१६]पालीताणा नजीक आवेली शेत्रुंजय पर्वतमाळा ए जैनोनी पवित्र पर्वतमाळामांनी एक छे. [१७] तळाजानी पर्वतमाळा बौद्ध गुफाओ माटे जाणीती छे. | अरवल्ली रेन्जनी आरासुर शाखा विंध्याचलमां जोडातां पहेलां क्यांथी पसार थाय छे? | 176 | {
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32
],
"text": [
"दांता, खेडब्रह्मा, इडर अने शामळाजी"
]
} |
अरवल्ली पर्वतमाळानी आरासुर शाखा दांता, खेडब्रह्मा, इडर अने शामळाजी थईने विंध्याचलमां समाई जाय छे. तापी जिल्लामांथी पसार थती सह्याद्री पर्वतमाळा ए राज्यनो सौथी वधु वरसाद पडतो विस्तार धरावे छे अने तदुपरांत सौथी वधु गाढ जंगलो धरावे छे. गीरनार पर्वत ए गुजरातनो सौथी ऊंचामां उंचो पर्वत छे जे, बरडा पर्वतमाळानो एक हिस्सो छे जेनी उंचाई ११४५ मीटर अने लंबाई १६० किमी छे. तेनी ऊंचामां उंची टोच गोरखनाख तरीके ओळखाय छे. [१६]पालीताणा नजीक आवेली शेत्रुंजय पर्वतमाळा ए जैनोनी पवित्र पर्वतमाळामांनी एक छे. [१७] तळाजानी पर्वतमाळा बौद्ध गुफाओ माटे जाणीती छे. | कच्छमां केटली पर्वतमाळाओ छे? | 177 | {
"answer_start": [
null
],
"text": [
""
]
} |
अरवल्ली पर्वतमाळानी आरासुर शाखा दांता, खेडब्रह्मा, इडर अने शामळाजी थईने विंध्याचलमां समाई जाय छे. तापी जिल्लामांथी पसार थती सह्याद्री पर्वतमाळा ए राज्यनो सौथी वधु वरसाद पडतो विस्तार धरावे छे अने तदुपरांत सौथी वधु गाढ जंगलो धरावे छे. गीरनार पर्वत ए गुजरातनो सौथी ऊंचामां उंचो पर्वत छे जे, बरडा पर्वतमाळानो एक हिस्सो छे जेनी उंचाई ११४५ मीटर अने लंबाई १६० किमी छे. तेनी ऊंचामां उंची टोच गोरखनाख तरीके ओळखाय छे. [१६]पालीताणा नजीक आवेली शेत्रुंजय पर्वतमाळा ए जैनोनी पवित्र पर्वतमाळामांनी एक छे. [१७] तळाजानी पर्वतमाळा बौद्ध गुफाओ माटे जाणीती छे. | अरवल्ली रेन्जनी आरासुर शाखा क्यां जोडातां पहेलां दंत, ब्रह्म, इडर अने शामळाजीमांथी पसार थाय छे? | 178 | {
"answer_start": [
72
],
"text": [
"विंध्याचलमां"
]
} |
अरवल्ली पर्वतमाळानी आरासुर शाखा दांता, खेडब्रह्मा, इडर अने शामळाजी थईने विंध्याचलमां समाई जाय छे. तापी जिल्लामांथी पसार थती सह्याद्री पर्वतमाळा ए राज्यनो सौथी वधु वरसाद पडतो विस्तार धरावे छे अने तदुपरांत सौथी वधु गाढ जंगलो धरावे छे. गीरनार पर्वत ए गुजरातनो सौथी ऊंचामां उंचो पर्वत छे जे, बरडा पर्वतमाळानो एक हिस्सो छे जेनी उंचाई ११४५ मीटर अने लंबाई १६० किमी छे. तेनी ऊंचामां उंची टोच गोरखनाख तरीके ओळखाय छे. [१६]पालीताणा नजीक आवेली शेत्रुंजय पर्वतमाळा ए जैनोनी पवित्र पर्वतमाळामांनी एक छे. [१७] तळाजानी पर्वतमाळा बौद्ध गुफाओ माटे जाणीती छे. | कच्छनी उत्तरीय श्रेणी क्यां सुधी चाले छे? | 179 | {
"answer_start": [
null
],
"text": [
""
]
} |
अरवल्ली पर्वतमाळानी आरासुर शाखा दांता, खेडब्रह्मा, इडर अने शामळाजी थईने विंध्याचलमां समाई जाय छे. तापी जिल्लामांथी पसार थती सह्याद्री पर्वतमाळा ए राज्यनो सौथी वधु वरसाद पडतो विस्तार धरावे छे अने तदुपरांत सौथी वधु गाढ जंगलो धरावे छे. गीरनार पर्वत ए गुजरातनो सौथी ऊंचामां उंचो पर्वत छे जे, बरडा पर्वतमाळानो एक हिस्सो छे जेनी उंचाई ११४५ मीटर अने लंबाई १६० किमी छे. तेनी ऊंचामां उंची टोच गोरखनाख तरीके ओळखाय छे. [१६]पालीताणा नजीक आवेली शेत्रुंजय पर्वतमाळा ए जैनोनी पवित्र पर्वतमाळामांनी एक छे. [१७] तळाजानी पर्वतमाळा बौद्ध गुफाओ माटे जाणीती छे. | अरवल्ली रेन्जनी कई शाखा विंध्याचलमां जोडातां पहेलां दंत, ब्रह्म, इडर अने शामळाजीमांथी पसार थाय छे? | 180 | {
"answer_start": [
20
],
"text": [
"आरासुर"
]
} |
अरवल्ली पर्वतमाळानी आरासुर शाखा दांता, खेडब्रह्मा, इडर अने शामळाजी थईने विंध्याचलमां समाई जाय छे. तापी जिल्लामांथी पसार थती सह्याद्री पर्वतमाळा ए राज्यनो सौथी वधु वरसाद पडतो विस्तार धरावे छे अने तदुपरांत सौथी वधु गाढ जंगलो धरावे छे. गीरनार पर्वत ए गुजरातनो सौथी ऊंचामां उंचो पर्वत छे जे, बरडा पर्वतमाळानो एक हिस्सो छे जेनी उंचाई ११४५ मीटर अने लंबाई १६० किमी छे. तेनी ऊंचामां उंची टोच गोरखनाख तरीके ओळखाय छे. [१६]पालीताणा नजीक आवेली शेत्रुंजय पर्वतमाळा ए जैनोनी पवित्र पर्वतमाळामांनी एक छे. [१७] तळाजानी पर्वतमाळा बौद्ध गुफाओ माटे जाणीती छे. | कच्छ अने सिंध वच्चेनी पर्वतमाळानो एक भाग कयो छे? | 181 | {
"answer_start": [
null
],
"text": [
""
]
} |
अशोकनी शांतिवादी नीतिओअनेक विद्वानोए मौर्य साम्राज्यना पतन माटे अशोकने जवाबदार ठेरव्यो छे. हेमचंद्र रायचौधरीना मत अनुसार अशोकनी शांतिवादी नीतिओ साम्राज्यनी शक्तिने क्षीण करवामां जवाबदार हती. तेमना मते, "बिंदुसारना शासनथी लईने कलिंगना युद्ध सुधीनो भारतनो इतिहास दक्षिण बिहारना मगधना एक नानकडा हिन्दुकुश पर्वतथी लईने तमिल प्रदेशनी सीमाओ सुधी फेलायेला विशाळ साम्राज्यना विस्तारनी कथा छे. " परंतु कलिंग युद्ध बाद मौर्य साम्राज्य दिशाहीन थईने पतन तरफ धकेलाई गयुं हतुं. जोके, इतिहासकार निलकंठ शास्त्री रायचौधरीनी आ दलीलने तर्कसंगत मानता नथी. शास्त्रीना मते कलिंग युद्ध बाद अशोके फक्त साम्राज्यवादी नीतिनो त्याग कर्यो हतो. | अशोकनी कई नीतिओने लीधे घणा विद्वानोए मौर्य साम्राज्यना पतन माटे अशोकने जवाबदार ठेरव्या छे? | 182 | {
"answer_start": [
6
],
"text": [
"शांतिवादी"
]
} |
अशोकनी शांतिवादी नीतिओअनेक विद्वानोए मौर्य साम्राज्यना पतन माटे अशोकने जवाबदार ठेरव्यो छे. हेमचंद्र रायचौधरीना मत अनुसार अशोकनी शांतिवादी नीतिओ साम्राज्यनी शक्तिने क्षीण करवामां जवाबदार हती. तेमना मते, "बिंदुसारना शासनथी लईने कलिंगना युद्ध सुधीनो भारतनो इतिहास दक्षिण बिहारना मगधना एक नानकडा हिन्दुकुश पर्वतथी लईने तमिल प्रदेशनी सीमाओ सुधी फेलायेला विशाळ साम्राज्यना विस्तारनी कथा छे. " परंतु कलिंग युद्ध बाद मौर्य साम्राज्य दिशाहीन थईने पतन तरफ धकेलाई गयुं हतुं. जोके, इतिहासकार निलकंठ शास्त्री रायचौधरीनी आ दलीलने तर्कसंगत मानता नथी. शास्त्रीना मते कलिंग युद्ध बाद अशोके फक्त साम्राज्यवादी नीतिनो त्याग कर्यो हतो. | अशोकनी शांतिवादी नीतिओने लीधे घणा विद्वानोए कया साम्राज्यना पतन माटे अशोकने जवाबदार ठेरव्या छे? | 183 | {
"answer_start": [
37
],
"text": [
"मौर्य"
]
} |
अशोकनी शांतिवादी नीतिओअनेक विद्वानोए मौर्य साम्राज्यना पतन माटे अशोकने जवाबदार ठेरव्यो छे. हेमचंद्र रायचौधरीना मत अनुसार अशोकनी शांतिवादी नीतिओ साम्राज्यनी शक्तिने क्षीण करवामां जवाबदार हती. तेमना मते, "बिंदुसारना शासनथी लईने कलिंगना युद्ध सुधीनो भारतनो इतिहास दक्षिण बिहारना मगधना एक नानकडा हिन्दुकुश पर्वतथी लईने तमिल प्रदेशनी सीमाओ सुधी फेलायेला विशाळ साम्राज्यना विस्तारनी कथा छे. " परंतु कलिंग युद्ध बाद मौर्य साम्राज्य दिशाहीन थईने पतन तरफ धकेलाई गयुं हतुं. जोके, इतिहासकार निलकंठ शास्त्री रायचौधरीनी आ दलीलने तर्कसंगत मानता नथी. शास्त्रीना मते कलिंग युद्ध बाद अशोके फक्त साम्राज्यवादी नीतिनो त्याग कर्यो हतो. | शेनो कोई पुरावो नथी? | 184 | {
"answer_start": [
null
],
"text": [
""
]
} |
अशोकनी शांतिवादी नीतिओअनेक विद्वानोए मौर्य साम्राज्यना पतन माटे अशोकने जवाबदार ठेरव्यो छे. हेमचंद्र रायचौधरीना मत अनुसार अशोकनी शांतिवादी नीतिओ साम्राज्यनी शक्तिने क्षीण करवामां जवाबदार हती. तेमना मते, "बिंदुसारना शासनथी लईने कलिंगना युद्ध सुधीनो भारतनो इतिहास दक्षिण बिहारना मगधना एक नानकडा हिन्दुकुश पर्वतथी लईने तमिल प्रदेशनी सीमाओ सुधी फेलायेला विशाळ साम्राज्यना विस्तारनी कथा छे. " परंतु कलिंग युद्ध बाद मौर्य साम्राज्य दिशाहीन थईने पतन तरफ धकेलाई गयुं हतुं. जोके, इतिहासकार निलकंठ शास्त्री रायचौधरीनी आ दलीलने तर्कसंगत मानता नथी. शास्त्रीना मते कलिंग युद्ध बाद अशोके फक्त साम्राज्यवादी नीतिनो त्याग कर्यो हतो. | कोना मते अशोकनी शांतिवादी नीतिओ साम्राज्यनी शक्तिने नबळी पाडवा माटे जवाबदार हती? | 185 | {
"answer_start": [
90
],
"text": [
"हेमचंद्र रायचौधरी"
]
} |
अशोकनी शांतिवादी नीतिओअनेक विद्वानोए मौर्य साम्राज्यना पतन माटे अशोकने जवाबदार ठेरव्यो छे. हेमचंद्र रायचौधरीना मत अनुसार अशोकनी शांतिवादी नीतिओ साम्राज्यनी शक्तिने क्षीण करवामां जवाबदार हती. तेमना मते, "बिंदुसारना शासनथी लईने कलिंगना युद्ध सुधीनो भारतनो इतिहास दक्षिण बिहारना मगधना एक नानकडा हिन्दुकुश पर्वतथी लईने तमिल प्रदेशनी सीमाओ सुधी फेलायेला विशाळ साम्राज्यना विस्तारनी कथा छे. " परंतु कलिंग युद्ध बाद मौर्य साम्राज्य दिशाहीन थईने पतन तरफ धकेलाई गयुं हतुं. जोके, इतिहासकार निलकंठ शास्त्री रायचौधरीनी आ दलीलने तर्कसंगत मानता नथी. शास्त्रीना मते कलिंग युद्ध बाद अशोके फक्त साम्राज्यवादी नीतिनो त्याग कर्यो हतो. | हेमचंद्र रायचौधरीना मते, अशोकनी शांतिवादी नीतिओ शेने नबळी पाडवा माटे जवाबदार हती? | 186 | {
"answer_start": [
143
],
"text": [
"साम्राज्यनी शक्तिने"
]
} |
अशोकनी शांतिवादी नीतिओअनेक विद्वानोए मौर्य साम्राज्यना पतन माटे अशोकने जवाबदार ठेरव्यो छे. हेमचंद्र रायचौधरीना मत अनुसार अशोकनी शांतिवादी नीतिओ साम्राज्यनी शक्तिने क्षीण करवामां जवाबदार हती. तेमना मते, "बिंदुसारना शासनथी लईने कलिंगना युद्ध सुधीनो भारतनो इतिहास दक्षिण बिहारना मगधना एक नानकडा हिन्दुकुश पर्वतथी लईने तमिल प्रदेशनी सीमाओ सुधी फेलायेला विशाळ साम्राज्यना विस्तारनी कथा छे. " परंतु कलिंग युद्ध बाद मौर्य साम्राज्य दिशाहीन थईने पतन तरफ धकेलाई गयुं हतुं. जोके, इतिहासकार निलकंठ शास्त्री रायचौधरीनी आ दलीलने तर्कसंगत मानता नथी. शास्त्रीना मते कलिंग युद्ध बाद अशोके फक्त साम्राज्यवादी नीतिनो त्याग कर्यो हतो. | कया युद्ध पछी मौर्य साम्राज्य दिशा गुमावीने पतन तरफ धकेलाई गयुं? | 187 | {
"answer_start": [
390
],
"text": [
"कलिंग युद्ध"
]
} |
अशोकनी शांतिवादी नीतिओअनेक विद्वानोए मौर्य साम्राज्यना पतन माटे अशोकने जवाबदार ठेरव्यो छे. हेमचंद्र रायचौधरीना मत अनुसार अशोकनी शांतिवादी नीतिओ साम्राज्यनी शक्तिने क्षीण करवामां जवाबदार हती. तेमना मते, "बिंदुसारना शासनथी लईने कलिंगना युद्ध सुधीनो भारतनो इतिहास दक्षिण बिहारना मगधना एक नानकडा हिन्दुकुश पर्वतथी लईने तमिल प्रदेशनी सीमाओ सुधी फेलायेला विशाळ साम्राज्यना विस्तारनी कथा छे. " परंतु कलिंग युद्ध बाद मौर्य साम्राज्य दिशाहीन थईने पतन तरफ धकेलाई गयुं हतुं. जोके, इतिहासकार निलकंठ शास्त्री रायचौधरीनी आ दलीलने तर्कसंगत मानता नथी. शास्त्रीना मते कलिंग युद्ध बाद अशोके फक्त साम्राज्यवादी नीतिनो त्याग कर्यो हतो. | मौर्य वंशे तेनी शांति अने युद्धनी नीतिने क्यां सुधी मर्यादित करी हती? | 188 | {
"answer_start": [
null
],
"text": [
""
]
} |
अशोकनी शांतिवादी नीतिओअनेक विद्वानोए मौर्य साम्राज्यना पतन माटे अशोकने जवाबदार ठेरव्यो छे. हेमचंद्र रायचौधरीना मत अनुसार अशोकनी शांतिवादी नीतिओ साम्राज्यनी शक्तिने क्षीण करवामां जवाबदार हती. तेमना मते, "बिंदुसारना शासनथी लईने कलिंगना युद्ध सुधीनो भारतनो इतिहास दक्षिण बिहारना मगधना एक नानकडा हिन्दुकुश पर्वतथी लईने तमिल प्रदेशनी सीमाओ सुधी फेलायेला विशाळ साम्राज्यना विस्तारनी कथा छे. " परंतु कलिंग युद्ध बाद मौर्य साम्राज्य दिशाहीन थईने पतन तरफ धकेलाई गयुं हतुं. जोके, इतिहासकार निलकंठ शास्त्री रायचौधरीनी आ दलीलने तर्कसंगत मानता नथी. शास्त्रीना मते कलिंग युद्ध बाद अशोके फक्त साम्राज्यवादी नीतिनो त्याग कर्यो हतो. | कोणे तेनी शांति अने युद्धनी नीतिने साम्राज्यनी सीमाओ सुधी मर्यादित करी हती? | 189 | {
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null
],
"text": [
""
]
} |
अहल्या पत्थरनी मूर्ति बनी गइ ते प्रसंग वाल्मिकी रामायणमां नथी. अहल्याने छोडीने गौतम ऋषि जता रहे छे पछी अहल्या एकलवायुं जीवन जीवे छे जेमां ते कोइ साथे बोलती नथी. विश्वामित्र रामने तेना आश्रममां लइ आवे छे जेथी अहल्या फरीथी प्रसन्न चित्त थाय छे अने गौतम मुनि तेने फरीथी स्वीकारे छे. रामनुं पत्थरनी मूर्ति ने पगथी स्पर्श करवो वगेरे रूपक कल्पना छे. मिथिला नगरीमां राम जाय छे त्यारे सीतानो स्वयंवर नथी होतो परंतु कोइ यज्ञ चालतो होय छे जेमां कौतुक खातर विश्वामित्र अने जनक रामने धनुष बतावे छे. ते धनुष वजनदार अने खूब जुनु होय छे जे राम उपाडीने ज्यारे संधान करे छे त्यारे जुनु होवाथी तुटी जाय छे. जनक रामना पराक्रमथी खुश थइ सीताने परणाववानी वात करे छे. उर्मिला ज जनक राजानी पुत्री होय छे. सीता तेमने जमीनमांथी मळेली होय छे, ज्यारे मांडवी अने श्रुतकीर्ति जनकना भाई कुशध्वजनी पुत्रीओ छे. लग्न वखते रामनी उंमर १६ वर्षनी छे. राम-सीताना लग्न पछी तेओ अयोध्यामां १२ वर्ष रहे छे. आथी वनवास वखते रामनी उंमर २८ वर्षनी होय छे. कैकेयी कोइ युद्ध वखते घायल दशरथने बचावी दूर लइ जाय छे. रथना पैडांमां आंगळी नांखवानी वात वाल्मिकी रामायणमां नथी. गंगा पार करती वखते केवटनो प्रसंग पण तुलसीदासनी कल्पना छे. वाल्मिकी रामायणमां गुह राजाना नाविको रामने गंगा पार करावे छे. दरेक आश्रममां घणा ऋषिमुनिओ रहेता होय छे. | केमां अहल्या पथ्थरनी मूर्ति बन्यानो कोई प्रसंग नथी? | 190 | {
"answer_start": [
39
],
"text": [
"वाल्मिकी रामायणमां"
]
} |
अहल्या पत्थरनी मूर्ति बनी गइ ते प्रसंग वाल्मिकी रामायणमां नथी. अहल्याने छोडीने गौतम ऋषि जता रहे छे पछी अहल्या एकलवायुं जीवन जीवे छे जेमां ते कोइ साथे बोलती नथी. विश्वामित्र रामने तेना आश्रममां लइ आवे छे जेथी अहल्या फरीथी प्रसन्न चित्त थाय छे अने गौतम मुनि तेने फरीथी स्वीकारे छे. रामनुं पत्थरनी मूर्ति ने पगथी स्पर्श करवो वगेरे रूपक कल्पना छे. मिथिला नगरीमां राम जाय छे त्यारे सीतानो स्वयंवर नथी होतो परंतु कोइ यज्ञ चालतो होय छे जेमां कौतुक खातर विश्वामित्र अने जनक रामने धनुष बतावे छे. ते धनुष वजनदार अने खूब जुनु होय छे जे राम उपाडीने ज्यारे संधान करे छे त्यारे जुनु होवाथी तुटी जाय छे. जनक रामना पराक्रमथी खुश थइ सीताने परणाववानी वात करे छे. उर्मिला ज जनक राजानी पुत्री होय छे. सीता तेमने जमीनमांथी मळेली होय छे, ज्यारे मांडवी अने श्रुतकीर्ति जनकना भाई कुशध्वजनी पुत्रीओ छे. लग्न वखते रामनी उंमर १६ वर्षनी छे. राम-सीताना लग्न पछी तेओ अयोध्यामां १२ वर्ष रहे छे. आथी वनवास वखते रामनी उंमर २८ वर्षनी होय छे. कैकेयी कोइ युद्ध वखते घायल दशरथने बचावी दूर लइ जाय छे. रथना पैडांमां आंगळी नांखवानी वात वाल्मिकी रामायणमां नथी. गंगा पार करती वखते केवटनो प्रसंग पण तुलसीदासनी कल्पना छे. वाल्मिकी रामायणमां गुह राजाना नाविको रामने गंगा पार करावे छे. दरेक आश्रममां घणा ऋषिमुनिओ रहेता होय छे. | राम तेमना वनवास समये केटला वर्षना हता? | 191 | {
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879
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"२८"
]
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अहल्या पत्थरनी मूर्ति बनी गइ ते प्रसंग वाल्मिकी रामायणमां नथी. अहल्याने छोडीने गौतम ऋषि जता रहे छे पछी अहल्या एकलवायुं जीवन जीवे छे जेमां ते कोइ साथे बोलती नथी. विश्वामित्र रामने तेना आश्रममां लइ आवे छे जेथी अहल्या फरीथी प्रसन्न चित्त थाय छे अने गौतम मुनि तेने फरीथी स्वीकारे छे. रामनुं पत्थरनी मूर्ति ने पगथी स्पर्श करवो वगेरे रूपक कल्पना छे. मिथिला नगरीमां राम जाय छे त्यारे सीतानो स्वयंवर नथी होतो परंतु कोइ यज्ञ चालतो होय छे जेमां कौतुक खातर विश्वामित्र अने जनक रामने धनुष बतावे छे. ते धनुष वजनदार अने खूब जुनु होय छे जे राम उपाडीने ज्यारे संधान करे छे त्यारे जुनु होवाथी तुटी जाय छे. जनक रामना पराक्रमथी खुश थइ सीताने परणाववानी वात करे छे. उर्मिला ज जनक राजानी पुत्री होय छे. सीता तेमने जमीनमांथी मळेली होय छे, ज्यारे मांडवी अने श्रुतकीर्ति जनकना भाई कुशध्वजनी पुत्रीओ छे. लग्न वखते रामनी उंमर १६ वर्षनी छे. राम-सीताना लग्न पछी तेओ अयोध्यामां १२ वर्ष रहे छे. आथी वनवास वखते रामनी उंमर २८ वर्षनी होय छे. कैकेयी कोइ युद्ध वखते घायल दशरथने बचावी दूर लइ जाय छे. रथना पैडांमां आंगळी नांखवानी वात वाल्मिकी रामायणमां नथी. गंगा पार करती वखते केवटनो प्रसंग पण तुलसीदासनी कल्पना छे. वाल्मिकी रामायणमां गुह राजाना नाविको रामने गंगा पार करावे छे. दरेक आश्रममां घणा ऋषिमुनिओ रहेता होय छे. | कोण अयोध्याना लोको अने सैन्यनी साथे गंगाने पार करे छे? | 192 | {
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null
],
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""
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अहल्या पत्थरनी मूर्ति बनी गइ ते प्रसंग वाल्मिकी रामायणमां नथी. अहल्याने छोडीने गौतम ऋषि जता रहे छे पछी अहल्या एकलवायुं जीवन जीवे छे जेमां ते कोइ साथे बोलती नथी. विश्वामित्र रामने तेना आश्रममां लइ आवे छे जेथी अहल्या फरीथी प्रसन्न चित्त थाय छे अने गौतम मुनि तेने फरीथी स्वीकारे छे. रामनुं पत्थरनी मूर्ति ने पगथी स्पर्श करवो वगेरे रूपक कल्पना छे. मिथिला नगरीमां राम जाय छे त्यारे सीतानो स्वयंवर नथी होतो परंतु कोइ यज्ञ चालतो होय छे जेमां कौतुक खातर विश्वामित्र अने जनक रामने धनुष बतावे छे. ते धनुष वजनदार अने खूब जुनु होय छे जे राम उपाडीने ज्यारे संधान करे छे त्यारे जुनु होवाथी तुटी जाय छे. जनक रामना पराक्रमथी खुश थइ सीताने परणाववानी वात करे छे. उर्मिला ज जनक राजानी पुत्री होय छे. सीता तेमने जमीनमांथी मळेली होय छे, ज्यारे मांडवी अने श्रुतकीर्ति जनकना भाई कुशध्वजनी पुत्रीओ छे. लग्न वखते रामनी उंमर १६ वर्षनी छे. राम-सीताना लग्न पछी तेओ अयोध्यामां १२ वर्ष रहे छे. आथी वनवास वखते रामनी उंमर २८ वर्षनी होय छे. कैकेयी कोइ युद्ध वखते घायल दशरथने बचावी दूर लइ जाय छे. रथना पैडांमां आंगळी नांखवानी वात वाल्मिकी रामायणमां नथी. गंगा पार करती वखते केवटनो प्रसंग पण तुलसीदासनी कल्पना छे. वाल्मिकी रामायणमां गुह राजाना नाविको रामने गंगा पार करावे छे. दरेक आश्रममां घणा ऋषिमुनिओ रहेता होय छे. | रामनी बहादुरीथी कोण खुश छे? | 193 | {
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458
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"जनक"
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अहल्या पत्थरनी मूर्ति बनी गइ ते प्रसंग वाल्मिकी रामायणमां नथी. अहल्याने छोडीने गौतम ऋषि जता रहे छे पछी अहल्या एकलवायुं जीवन जीवे छे जेमां ते कोइ साथे बोलती नथी. विश्वामित्र रामने तेना आश्रममां लइ आवे छे जेथी अहल्या फरीथी प्रसन्न चित्त थाय छे अने गौतम मुनि तेने फरीथी स्वीकारे छे. रामनुं पत्थरनी मूर्ति ने पगथी स्पर्श करवो वगेरे रूपक कल्पना छे. मिथिला नगरीमां राम जाय छे त्यारे सीतानो स्वयंवर नथी होतो परंतु कोइ यज्ञ चालतो होय छे जेमां कौतुक खातर विश्वामित्र अने जनक रामने धनुष बतावे छे. ते धनुष वजनदार अने खूब जुनु होय छे जे राम उपाडीने ज्यारे संधान करे छे त्यारे जुनु होवाथी तुटी जाय छे. जनक रामना पराक्रमथी खुश थइ सीताने परणाववानी वात करे छे. उर्मिला ज जनक राजानी पुत्री होय छे. सीता तेमने जमीनमांथी मळेली होय छे, ज्यारे मांडवी अने श्रुतकीर्ति जनकना भाई कुशध्वजनी पुत्रीओ छे. लग्न वखते रामनी उंमर १६ वर्षनी छे. राम-सीताना लग्न पछी तेओ अयोध्यामां १२ वर्ष रहे छे. आथी वनवास वखते रामनी उंमर २८ वर्षनी होय छे. कैकेयी कोइ युद्ध वखते घायल दशरथने बचावी दूर लइ जाय छे. रथना पैडांमां आंगळी नांखवानी वात वाल्मिकी रामायणमां नथी. गंगा पार करती वखते केवटनो प्रसंग पण तुलसीदासनी कल्पना छे. वाल्मिकी रामायणमां गुह राजाना नाविको रामने गंगा पार करावे छे. दरेक आश्रममां घणा ऋषिमुनिओ रहेता होय छे. | राम अने सीताना लग्न बाद तेओ 12 वर्ष सुधी क्यां रह्या हता? | 194 | {
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827
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"text": [
"अयोध्यामां"
]
} |
अहल्या पत्थरनी मूर्ति बनी गइ ते प्रसंग वाल्मिकी रामायणमां नथी. अहल्याने छोडीने गौतम ऋषि जता रहे छे पछी अहल्या एकलवायुं जीवन जीवे छे जेमां ते कोइ साथे बोलती नथी. विश्वामित्र रामने तेना आश्रममां लइ आवे छे जेथी अहल्या फरीथी प्रसन्न चित्त थाय छे अने गौतम मुनि तेने फरीथी स्वीकारे छे. रामनुं पत्थरनी मूर्ति ने पगथी स्पर्श करवो वगेरे रूपक कल्पना छे. मिथिला नगरीमां राम जाय छे त्यारे सीतानो स्वयंवर नथी होतो परंतु कोइ यज्ञ चालतो होय छे जेमां कौतुक खातर विश्वामित्र अने जनक रामने धनुष बतावे छे. ते धनुष वजनदार अने खूब जुनु होय छे जे राम उपाडीने ज्यारे संधान करे छे त्यारे जुनु होवाथी तुटी जाय छे. जनक रामना पराक्रमथी खुश थइ सीताने परणाववानी वात करे छे. उर्मिला ज जनक राजानी पुत्री होय छे. सीता तेमने जमीनमांथी मळेली होय छे, ज्यारे मांडवी अने श्रुतकीर्ति जनकना भाई कुशध्वजनी पुत्रीओ छे. लग्न वखते रामनी उंमर १६ वर्षनी छे. राम-सीताना लग्न पछी तेओ अयोध्यामां १२ वर्ष रहे छे. आथी वनवास वखते रामनी उंमर २८ वर्षनी होय छे. कैकेयी कोइ युद्ध वखते घायल दशरथने बचावी दूर लइ जाय छे. रथना पैडांमां आंगळी नांखवानी वात वाल्मिकी रामायणमां नथी. गंगा पार करती वखते केवटनो प्रसंग पण तुलसीदासनी कल्पना छे. वाल्मिकी रामायणमां गुह राजाना नाविको रामने गंगा पार करावे छे. दरेक आश्रममां घणा ऋषिमुनिओ रहेता होय छे. | भरत कोनी साथे गंगाने पार करे छे? | 195 | {
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null
],
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""
]
} |
अहल्या पत्थरनी मूर्ति बनी गइ ते प्रसंग वाल्मिकी रामायणमां नथी. अहल्याने छोडीने गौतम ऋषि जता रहे छे पछी अहल्या एकलवायुं जीवन जीवे छे जेमां ते कोइ साथे बोलती नथी. विश्वामित्र रामने तेना आश्रममां लइ आवे छे जेथी अहल्या फरीथी प्रसन्न चित्त थाय छे अने गौतम मुनि तेने फरीथी स्वीकारे छे. रामनुं पत्थरनी मूर्ति ने पगथी स्पर्श करवो वगेरे रूपक कल्पना छे. मिथिला नगरीमां राम जाय छे त्यारे सीतानो स्वयंवर नथी होतो परंतु कोइ यज्ञ चालतो होय छे जेमां कौतुक खातर विश्वामित्र अने जनक रामने धनुष बतावे छे. ते धनुष वजनदार अने खूब जुनु होय छे जे राम उपाडीने ज्यारे संधान करे छे त्यारे जुनु होवाथी तुटी जाय छे. जनक रामना पराक्रमथी खुश थइ सीताने परणाववानी वात करे छे. उर्मिला ज जनक राजानी पुत्री होय छे. सीता तेमने जमीनमांथी मळेली होय छे, ज्यारे मांडवी अने श्रुतकीर्ति जनकना भाई कुशध्वजनी पुत्रीओ छे. लग्न वखते रामनी उंमर १६ वर्षनी छे. राम-सीताना लग्न पछी तेओ अयोध्यामां १२ वर्ष रहे छे. आथी वनवास वखते रामनी उंमर २८ वर्षनी होय छे. कैकेयी कोइ युद्ध वखते घायल दशरथने बचावी दूर लइ जाय छे. रथना पैडांमां आंगळी नांखवानी वात वाल्मिकी रामायणमां नथी. गंगा पार करती वखते केवटनो प्रसंग पण तुलसीदासनी कल्पना छे. वाल्मिकी रामायणमां गुह राजाना नाविको रामने गंगा पार करावे छे. दरेक आश्रममां घणा ऋषिमुनिओ रहेता होय छे. | रामना लग्न केटला वर्षनी उंमरे थया हता? | 196 | {
"answer_start": [
790
],
"text": [
"१६ वर्ष"
]
} |
अहींनी सूफी परंपरा खुब विख्यात छे. जे काश्मीरी इस्लाम ने परंपराग शिया अने सुन्नी थी थोडु अलग अने हिंदुओ प्रति सहिष्णु बनावे छे. कश्मीरी हिन्दुओं ने कश्मीरी पंडित [ब्राह्मण]] कहेवाय छे. दरेक कश्मीरियों ने कश्मीर नी संस्कृति, जेमके कश्मीरियत' पर खुबज गर्व छे. वादी-ए-कश्मीर पोताना चिनार ना व्रुक्षो, कश्मीरी सफरजन, केसर (ज़ाफ़रान, जेने संस्कृत मां काश्मीरम् पण कहेवाय छे), पश्चिमना ऊन अने शॉलों पर करेल कारीगरी, गलीचों अने देसी चाय (काढो) माटे दुनिया भर मां मशहूर छे. अहींना संतूर पण खुबज प्रसिद्ध छे. आतंकवाद थी खरेखर आबधा नी अने कश्मीरियों नी सुख शांति छिनवाइ गइ छे. कश्मीरी व्यंजन भारतभरमा खुबज लिज्ज्तदार मनाय छे. नोंध लेवा जेवु छेके के मोटाभागना कश्मीरी पंडित मांस खाय छे. कश्मीरी पंडितोंना मांसाहारी व्यंजन जेवाके नेनी (बकराना मांसनु) क़लिया, नेनी रोग़न जोश, नेनी यख़ियन (यख़नी), मच्छ (मछली), वगेरे. कश्मीरी पंडितोंना शाकाहारी व्यंजन जेवाके चमनी क़लिया, वेथ चमन, दम ओलुव (आलू दम), राज़्मा गोआग्जी, चोएक वंगन (बैंगन),वगेरे. कश्मीरी मुसलमानोंना (मांसाहारी) व्यंजन जेवाके विविध जातना कबाब अने कोफ्ता, रिश्ताबा, गोश्ताबा, वगेरे. | दरेक काश्मीरीने शेना पर खूब गर्व छे? | 197 | {
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201
],
"text": [
"कश्मीर नी संस्कृति"
]
} |
अहींनी सूफी परंपरा खुब विख्यात छे. जे काश्मीरी इस्लाम ने परंपराग शिया अने सुन्नी थी थोडु अलग अने हिंदुओ प्रति सहिष्णु बनावे छे. कश्मीरी हिन्दुओं ने कश्मीरी पंडित [ब्राह्मण]] कहेवाय छे. दरेक कश्मीरियों ने कश्मीर नी संस्कृति, जेमके कश्मीरियत' पर खुबज गर्व छे. वादी-ए-कश्मीर पोताना चिनार ना व्रुक्षो, कश्मीरी सफरजन, केसर (ज़ाफ़रान, जेने संस्कृत मां काश्मीरम् पण कहेवाय छे), पश्चिमना ऊन अने शॉलों पर करेल कारीगरी, गलीचों अने देसी चाय (काढो) माटे दुनिया भर मां मशहूर छे. अहींना संतूर पण खुबज प्रसिद्ध छे. आतंकवाद थी खरेखर आबधा नी अने कश्मीरियों नी सुख शांति छिनवाइ गइ छे. कश्मीरी व्यंजन भारतभरमा खुबज लिज्ज्तदार मनाय छे. नोंध लेवा जेवु छेके के मोटाभागना कश्मीरी पंडित मांस खाय छे. कश्मीरी पंडितोंना मांसाहारी व्यंजन जेवाके नेनी (बकराना मांसनु) क़लिया, नेनी रोग़न जोश, नेनी यख़ियन (यख़नी), मच्छ (मछली), वगेरे. कश्मीरी पंडितोंना शाकाहारी व्यंजन जेवाके चमनी क़लिया, वेथ चमन, दम ओलुव (आलू दम), राज़्मा गोआग्जी, चोएक वंगन (बैंगन),वगेरे. कश्मीरी मुसलमानोंना (मांसाहारी) व्यंजन जेवाके विविध जातना कबाब अने कोफ्ता, रिश्ताबा, गोश्ताबा, वगेरे. | काश्मीर कई संस्कृतिओनुं गलनवाळुं पोट छे? | 198 | {
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],
"text": [
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]
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अहींनी सूफी परंपरा खुब विख्यात छे. जे काश्मीरी इस्लाम ने परंपराग शिया अने सुन्नी थी थोडु अलग अने हिंदुओ प्रति सहिष्णु बनावे छे. कश्मीरी हिन्दुओं ने कश्मीरी पंडित [ब्राह्मण]] कहेवाय छे. दरेक कश्मीरियों ने कश्मीर नी संस्कृति, जेमके कश्मीरियत' पर खुबज गर्व छे. वादी-ए-कश्मीर पोताना चिनार ना व्रुक्षो, कश्मीरी सफरजन, केसर (ज़ाफ़रान, जेने संस्कृत मां काश्मीरम् पण कहेवाय छे), पश्चिमना ऊन अने शॉलों पर करेल कारीगरी, गलीचों अने देसी चाय (काढो) माटे दुनिया भर मां मशहूर छे. अहींना संतूर पण खुबज प्रसिद्ध छे. आतंकवाद थी खरेखर आबधा नी अने कश्मीरियों नी सुख शांति छिनवाइ गइ छे. कश्मीरी व्यंजन भारतभरमा खुबज लिज्ज्तदार मनाय छे. नोंध लेवा जेवु छेके के मोटाभागना कश्मीरी पंडित मांस खाय छे. कश्मीरी पंडितोंना मांसाहारी व्यंजन जेवाके नेनी (बकराना मांसनु) क़लिया, नेनी रोग़न जोश, नेनी यख़ियन (यख़नी), मच्छ (मछली), वगेरे. कश्मीरी पंडितोंना शाकाहारी व्यंजन जेवाके चमनी क़लिया, वेथ चमन, दम ओलुव (आलू दम), राज़्मा गोआग्जी, चोएक वंगन (बैंगन),वगेरे. कश्मीरी मुसलमानोंना (मांसाहारी) व्यंजन जेवाके विविध जातना कबाब अने कोफ्ता, रिश्ताबा, गोश्ताबा, वगेरे. | शुं काश्मीरी इस्लामने परंपरागत शिया अने सुन्नीथी थोडो अलग बनावे छे? | 199 | {
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7
],
"text": [
"सूफी परंपरा"
]
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